UPSC एस्पिरेंट्स के लिए भारत के राष्ट्रपति पर इम्पोर्टेन्ट नोट्स

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UPSC aspirants ke liye bharat ke rashtrapati par important notes

भारत के राष्ट्रपति को भारत राष्ट्र का प्रथम नागरिक का दर्जा प्राप्त होता है। साथ ही भारत के राष्ट्रपति को तीनों सेनाओं (जल सेना, थल सेना और वायु सेना) के सेनापति या सेनानायक का दर्जा भी प्राप्त होता है। भारत में राष्ट्रपति चुनाव को किन संवैधानिक प्रक्रियाओं से गुजरना होता है? और UPSC एस्पिरेंट्स के लिए किस प्रकार यह विषय महत्वपूर्ण है, इस एग्जाम अपडेट के माध्यम से आपको इसकी जानकारी मिलेगी।

राष्ट्रपति किसे कहते हैं?

राष्ट्रपति चुनी हुई भारत सरकार का प्रमुख होता है और राष्ट्रपति को ही भारत का प्रथम नागरिक भी कहा जाता है। राष्ट्रपति को भारत की एकता और अखंडता का प्रतीक भी समझा जाता है। राष्ट्रपति एक संवैधानिक पद है, जिस पर बैठने वाला व्यक्ति केंद्रीय कार्यकारिणी का एक हिस्सा है।

संविधान के भाग 5 में संघ की कार्यपालिका के वर्णन के लिए प्रावधानों को अनुच्छेद 52 से 78 तक में वर्णित किया गया है। जिसमें राष्ट्रपति से संबंधित लेख (अनुच्छेद 52-62) शामिल हैं। इन अनुच्छेदों के अंतर्गत राष्ट्रपति की चयन प्रक्रिया, उसकी शक्तियाँ, कार्य तथा उसके महाभियोग की प्रक्रिया की जानकारी दी जाती है।

राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है?

देखा जाए तो भारत के राष्ट्रपति के लिए कोई सीधा चुनाव नहीं होता है। हालाँकि राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया में एक निर्वाचक मंडल मुख्य भूमिका निभाता है। राष्ट्रपति के चुनाव के लिए जिम्मेदार इस निर्वाचक मंडल में निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं, जो कि निम्नलिखित हैं-

  • लोकसभा और राज्यसभा
  • राज्यों की विधान सभाएं (विधान परिषदों की कोई भूमिका नहीं है)
  • केंद्र शासित प्रदेशों दिल्ली और पुडुचेरी की विधान सभाएं

राष्ट्रपति के चुनाव में कौन भाग नहीं लेता है?

नीचे दिए गए लोगों का समूह भारत के राष्ट्रपति के चुनाव में शामिल नहीं होता है-

  1. राज्यसभा के मनोनीत सदस्य
  2. राज्य विधान सभाओं के मनोनीत सदस्य
  3. द्विसदनीय विधानमंडलों में विधान परिषदों के सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत दोनों)।
  4. दिल्ली और पुडुचेरी केंद्र शासित प्रदेशों के मनोनीत सदस्य

राष्ट्रपति के कार्यालय की अवधि क्या होती है?

राष्ट्रपति के कार्यालय की अवधि पांच साल होती है, यानि कि निर्वाचित राष्ट्रपति 5 साल तक अपने पद पर आसीन रहता है। पांच साल पूरे होने के बाद भी वह कार्यालय में बैठता है, बशर्ते कि कोई नया चुनाव न हुआ हो या तब तक कोई नया राष्ट्रपति नहीं चुना गया हो। एक बार निर्वाचित राष्ट्रपति दोवारा निर्वाचित भी हो सकता है, इसके लिए कोई रोक-टोक नहीं होती है।

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