UPSC मेंस एग्जाम के लिए Delhi Ordinance Bill in Hindi एक बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक माना जाता है। इस साल इससे UPSC मेंस के पेपर में Delhi Ordinance Bill in Hindi से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाने की उम्मीद जताई जा रही है। वर्तमान समय को देखते हुए इस विषय की प्रासंगिता और भी बढ़ जाती है। यहाँ Delhi Ordinance Bill in Hindi से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण शॉर्ट नोट्स दिए जा रहे हैं। ये नोट्स छोटे हैं इसलिए याद करने में आसान हैं।
मुख्य सुर्खियां
- मई 2023 में राष्ट्रपति द्वारा दिल्ली में सेवाओं के प्रशासन हेतु एक व्यापक योजना प्रदान करने के उद्देश्य से नेशनल केपिटल रीज़न (संशोधन) अध्यादेश 2023 प्रख्यापित किया गया।
- यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट द्वारा पुलिस, लोक व्यवस्था और जमीन से जुड़े मामलों के अलावा सभी मामलों का अधिकार दिल्ली सरकार को सौंपे जाने के फैसले को प्रभावहीन कर देगा।
- यह अध्यादेश NCR में क्लास 1 ऑफिसर्स के ट्रांसफर और उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए एक राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (National Capital Civil Service Authority- NCCSA) का गठन किए जाने का अधिकार देता है।
- इस बिल के पास हो जाने के बाद दिल्ली के उपराज्यपाल को दिल्ली से जुड़े सभी मामलों पर नियंत्रण का अधिकार मिल जाएगा जिसके कारण अधिकारियों का ट्रांसफर या उनके खिलाफ कार्रवाई करने से पहले दिल्ली सरकार को उपराज्यपाल से अनुमति लेनी होगी।
- इस बिल के कारण दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच तनाव की स्थिति बन गई है।
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अध्यादेश से जुड़े प्रमुख मसले
Delhi Ordinance Bill in Hindi से जुड़े निम्नलिखित मसले हैं :
- यह बिल नौकरशाहों पर निर्णय लेने की सारी शक्ति उपराज्यपाल को सौंपता है।
- इस बिल के मुताबिक़ किसी मुद्दे पर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच मतभेद की स्थिति में उपराज्यपाल की बात मानी जाएगी।
- यह बिल उपराज्यपाल की शक्तियों में वृद्धि करता है।
- इससे दिल्ली के प्रभावी प्रशासन एवं शासन में बाधा उत्पन्न हो सकती है, क्योंकि सिविल सेवा अधिकारियों को अपनी भूमिकाओं एवं ज़िम्मेदारियों के संबंध में अनिश्चितता और भ्रम का सामना करना पड़ सकता है।
- यह अध्यादेश सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय और संविधान के अनुच्छेद 239AA का उल्लंघन प्रतीत होता है, इसलिये विधिक चुनौतियों और न्यायिक संवीक्षा को आमंत्रित कर सकता है।
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बिल के पक्ष से सम्बंधित तर्क
Delhi Ordinance Bill in Hindi के पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिए जाते हैं :
- इससे दिल्ली के स्थानीय मुद्दों और राष्ट्रीय मुद्दों के बीच संतुलन स्थापित करने में मदद मिलेगी।
- इससे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में अधिकारीयों को प्रशासन संभालने में आसानी होगी।
- अध्यादेश राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (NCCSA) में प्रतिनिधित्व देने के रूप में निर्वाचित दिल्ली सरकार की भूमिका का भी सम्मान करता है, जहाँ सेवा संबंधी मामलों में बहुमत से निर्णय लिया जाएगा।
बिल के विरोध से सम्बंधित तर्क
Delhi Ordinance Bill in Hindi के वरोध में निम्नलिखित तर्क प्रस्तुत किए जाते हैं :
- यह बिल लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।
- इस बिल से लोकतंत्र कमजोर होता है।
- यह बिल सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ है जिसमें कहा गया था कि पुलिस और जमीन से जुड़े मामलों को छोड़कर बाकी सारे मामलों पर दिल्ली सरकार को निर्णय लेने का अधिकार है।
- यह बिल दिल्ली के मुख्यमंत्री को शक्तिहीन बनाता है।
- यह बिल भारतीय संघवाद की अवधारणा के भी विरुद्ध है।
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