यूजीसी नेट आर्कियोलॉजी परीक्षा का सिलेबस और पैटर्न

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यूजीसी नेट आर्कियोलॉजी का सिलेबस

यूजीसी नेट एक राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा है, जिसका आयोजन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा किया जाता है। यह परीक्षा भारत में उच्च शिक्षा क्षेत्र में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने या जूनियर रिसर्च फेलोशिप (JRF) प्राप्त करने के लिए दी जाती है। आर्कियोलॉजी विषय भारत की प्राचीन सभ्यताओं, सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक धरोहरों के अध्ययन से जुड़ा है, जो इतिहास और पुरातत्त्व में रुचि रखने वाले छात्रों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

NET/JRF में आर्कियोलॉजी विषय के जरिए छात्र न केवल शिक्षण और शोध के क्षेत्र में अवसर प्राप्त करते हैं, बल्कि भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI), संग्रहालय, हेरिटेज मैनेजमेंट और अनुसंधान परियोजनाओं में भी करियर बना सकते हैं। इस लेख में छात्रों को यूजीसी नेट आर्कियोलॉजी सिलेबस और पैटर्न की जानकारी दी गई है। 

संस्था राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA
परीक्षा का नाम UGC NET 2025 
विषय आर्कियोलॉजी 
परीक्षा का लेवल राष्ट्रीय 
परीक्षा की अवधि 3 घंटे (180 मिनट) 
परीक्षा का मोड ऑनलाइन (कंप्यूटर आधारित टेस्ट)
पेपर की संख्या 
कुल अंक UGC NET पेपर 1: 100
UGC NET पेपर 2: 200
कुल प्रश्न UGC NET पेपर 1: 50
UGC NET पेपर 2: 100
मार्किंग स्कीम +2 प्रत्येक सही उत्तर के लिए
गलत उत्तर के लिए कोई नेगेटिव मार्किंग नहीं
आधिकारिक वेबसाइट ugcnet.nta.nic.in और www.nta.ac.in
This Blog Includes:
  1. UGC NET आर्कियोलॉजी परीक्षा का फॉर्मेट
  2. यूजीसी नेट आर्कियोलॉजी का विषयवार सिलेबस
    1. यूनिट 1: पुरातत्व का परिचय
    2. यूनिट 2: प्रागैतिहासिक काल का परिचय
    3. यूनिट 3: भारतीय उपमहाद्वीप में पुरापाषाण सांस्कृतिक विकास
    4. यूनिट 4: मध्यपाषाण एवं नवपाषाण संस्कृतियां 
    5. यूनिट 5:आद्य-इतिहास: नगरीकरण की ओर हड़प्पा संस्कृति
    6. यूनिट 6: लौह युग एवं नए शहरी केन्द्रों का विकास।
    7. यूनिट 7: स्थापत्य कला भारतीय इतिहास के एक महत्त्वपूर्ण स्त्रोत के रूप में
    8. यूनिट 8:पुराणलिपि शास्त्र एवं अभिलेखशास्त्र
    9. यूनिट 9: मुद्राशास्त्र: इतिहास के एक महत्त्वपूर्ण स्त्रोत के रूप में सिक्के
    10. यूनिट 10: पुरातात्त्विक शोध प्रक्रिया:
  3. UGC NET परीक्षा पैटर्न
  4. FAQs

UGC NET आर्कियोलॉजी परीक्षा का फॉर्मेट

UGC NET आर्कियोलॉजी परीक्षा दो भागों में होती है, पेपर 1 और पेपर 2। पेपर 1 में 50 प्रश्न होते हैं, जो टीचिंग एप्टीट्यूड, रिसर्च एप्टीट्यूड, रीडिंग कॉम्प्रिहेंशन, कम्युनिकेशन, अर्थमैटिक रीजनिंग, लॉजिकल रीजनिंग, डाटा इंटरप्रिटेशन, इंफॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी (ICT), लोग और पर्यावरण और हायर एजुकेशन आदि जैसे सामान्य विषयों पर आधारित होते हैं और यह 100 अंकों का होता है। पेपर 2 विशेष रूप से आर्कियोलॉजी विषय पर केंद्रित होता है, जिसमें 100 प्रश्न होते हैं और कुल 200 अंक निर्धारित होते हैं। दोनों पेपर को मिलाकर परीक्षा की अवधि 3 घंटे यानी 180 मिनट होती है। यह परीक्षा ऑनलाइन (कंप्यूटर आधारित परीक्षा) मोड में आयोजित की जाती है।

यूजीसी नेट आर्कियोलॉजी का विषयवार सिलेबस

यहां UGC NET आर्कियोलॉजी का अपडेटेड सिलेबस दिया गया है:

यूनिट 1: पुरातत्व का परिचय

  • पुरातत्व की परिभाषा, उद्देश्य, विषय-वस्तु एवं नैतिकता पुरातत्व शास्त्र का इतिहास एवं विकास। भारतीय पुरातत्व का इतिहास ।
  • पुरातत्व का सामाजिक व प्राकृतिक विज्ञानों से सम्बन्ध।
  • पुरातात्त्विक आकड़ों के प्रकार एवं प्रकृति।
  • पुरावशेषों के पुनर्प्राप्ति की विधियों अन्वेषण तथा उत्खनन विधियों (यादृच्छिक एवं व्यवस्थित संभावनाएं, आधुनिक तकनीक का प्रयोग करते हुये उपघरातलीय अन्वेषण यथा सुदूर संवेदन, प्रतिरोध सर्वेक्षण)। पुरावशेषों का अभिलेखीकरण एवं प्रलेखीकरण।
  • पुरावशेषों के विश्लेषण की विधियों वर्गीकरण, श्रेणीकरण एवं विशेषताएँ।
  • व्याख्या की विधियों एवं सम्बन्धित विषय सामाजिक एवं नृविज्ञानी प्रतिमानों का अनुप्रयोग नृजातीय एवं प्रायोगिक प्रतिकृतियों का अध्ययन पारंपरिक, प्रक्रियात्मक एवं उत्तर-प्रक्रियात्मक दृष्टिकोण।
  • पुरातात्त्विक रिपोर्ट लेखन।
  • पुरातात्त्विक अवशेषों / स्थलों का संरक्षण एवं परिरक्षण उद्देश्य एवं विधियों, पुरावशेष अधिनियम।
  • कालानुक्रम एवं तिथि निर्धारण:
  • सापेक्ष तिथि निर्धारण सांस्कृतिक स्तर विज्ञान, जैविक स्तर विज्ञान, प्ररुप विज्ञान, फ्लोरीन, नाइट्रोजन, एवं फास्फेट विश्लेषणः मृदा विश्लेषण।
  • कालमापन विधियाँ: रेडियोकार्बन (C4), पोटेशियम/आर्गन, फिशन ट्रैक, ताप संदीप्ति विधियों (टी० एल० एवं ओ० एस० एल०), वृक्षवलय तिथि विधि, पैलियोमैग्नेटिक (पुराचुम्बकीय) तिथि विधि, वार्व विश्लेषण, ई० एस० आर० तिथि विधि, आबसीडियन हाइड्रेशन, कास्मोजेनिक न्यूक्लाइड तिथि विधि।

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यूनिट 2: प्रागैतिहासिक काल का परिचय

  • प्रागैतिहासिक काल का प्रारम्भ मानव का भूगर्भशास्त्रीय, शरीर रचना शास्त्रीय एवं सांस्कृतिक आयाम।
  • मानव का पुरालेख एवं भूतात्त्विक समय मान उत्तरतृतीयक काल (मेयोसीन एवं प्लायोसीन) एवं चतुर्थक
  • काल प्लायो प्लायोस्टोसीन बाउंड्री, पैलियोमैग्नेटिक रिकॉर्ड्स, प्रातिनेतन काल एवं नूतनकाल, प्रातिनूतनकालीन वृहत पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तनः प्रातिनूतनकालीन एवं समुद्री समस्थानिक चरण (एम० आई० एस०)।
  • प्रातिनूतन कालीन जैविक स्तरीकरण प्रातिनूतन कालीन जीव जगत एवं वनस्पति जगत्। मानव के विकास के प्रमुख चरण एवं महत्त्वपूर्ण प्रस्तरीकृत अवशेष उत्तरवर्ती मायोसीन काल के होमनिन पूर्वज, प्लायोसीन एवं प्लाइस्टोसीन प्री आस्ट्रेलोपिधिकस् आस्ट्रेलोपिथिकस एवं होमो, आधुनिक मानव के प्रवास सम्बन्धी परिकल्पनाएँ।
  • सांस्कृतिक पृष्ठभूमि: पाषाण उपकरणों का क्रमिक विकास एवं उनकी तकनीकियों का विकास आल्बुवान, एश्यूलियन, पाषाण कालीन फलक एवं ब्लेड आधारित उद्योग।
  • विश्व परिप्रेक्ष्य में पुरा पाषाण काल का सांस्कृतिक विकासः अफ्रीका, यरोप, दक्षिण पूर्व एशिया एवं चीन। अफ्रीका का प्रारंभिक पाषाण काल, मध्य पाषाण काल एवं उत्तर पाषाण काल, यूरोप और पश्चिमी एशिया का निम्न पुरापाषाण काल, मध्यपुरापाषाण काल और उच्च पुरापाषाण काल, दक्षिण पूर्व एशिया एवं चीन में पुरापाषाण काल का सास्कृतिक विकास। प्रागैतिहासिक कला प्राचीनता, महत्त्व एवं विस्तार।

यूनिट 3: भारतीय उपमहाद्वीप में पुरापाषाण सांस्कृतिक विकास

  • भारतीय उपमहाद्वीप में पुरापाषाण काल का सांस्कृतिक विकास भारत की पुरा पाषाण संस्कृतियाँ एवं नू-वैज्ञानिक कालानुक्रम शिवालिक पहाड़ी में स्थित सोहन घाटी एवं पोतवार पठार स्थित पुरास्थल, बेलन एवं सोनघाटी, राजस्थान में दिदवाना बालूकाश्म स्थित सोलह आर (16 R) स्थल, तमिलनाडु में कोरतल्यार घाटी / अतिरम्मपक्कम् एवं आंध्र प्रदेश में ज्वालापुरम्। निम्नपुरापाषाण संस्कृति उपकरण प्रकार एवं निर्माण तकनीक सोहन उद्योग एवं उसकी प्राचीनता,
  • एश्यूलियन उद्योग एवं प्रमुख नदी घाटियों में उसका प्रसार साबरमती एवं नर्मदा घाटियों में स्थित स्थल,
  • सोन एवं बेलन घाटियों में स्थित स्थल, हुसंगी बाइछबल घाटियों में स्थित स्थल, गोदावरी एवं कृष्णा घाटियों स्थित स्थल, कोरतल्यार घाटी में स्थित स्थल, राजस्थान के प्लाया से सम्बद्ध पुरास्थल। मध्य पुरापाषाण संस्कृति एवं उसका भौगोलिक प्रसार मध्य पुरापाषाण संस्कृति के उपकरणों के प्रकार एवं निर्माण तकनीक निर्मित क्रोड तकनीक / ल्वाल्वा तकनीक।
  • उच्च पुरापाषाण संस्कृति उच्च पुरापाषाण संस्कृति के उपकरणों के प्रकार एवं निर्माण तकनीक हड्‌डी एवं ब्लेड निर्मित उपकरण, भौगोलिक वितरण एवं मुख्य स्थल। भारतीय संदर्भ में प्रागैतिहासिक कला प्राचीनता, महत्त्व एवं विस्तार।

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यूनिट 4: मध्यपाषाण एवं नवपाषाण संस्कृतियां 

  • यूरोप में मध्य पाषाण संस्कृति, पश्चिम एशिया में नवपाषाण कालीन चरण।
  • नवपाषाण एवं खाद्य उत्पादन चीन एवं पश्चिम एशिया में नवपाषाण कालीन चरण।
  • भारतीय उपमहाद्वीप की मध्यपाषाण संस्कृति मुख्य लक्षण, उपकरण प्रकार और सूक्ष्म ब्लेड तकनीक, उपकरण सग्रहों में क्षेत्रीय विविधताएं, खाद्य उत्पादन के प्रारम्भिक चरणों के साक्ष्य। पारिस्थितिकीय अनुकूलन का प्रतिरुप एवं विस्तार दोमटीय मैदान, गोखुर झील, समुद्रतटीय, बालूकाश्नीय, शैलाश्रय एवं पठारी भाग में स्थित पुरास्थल।
  • भारतीय उपमहाद्वीप की नवपाषाण संस्कृतियाँ बलूचिस्तान के प्रारंभिक कृषक समुदाय मेहरगढ़ एवं किले गुल-महम्मद, कश्मीर में नव-प्रस्तर संस्कृति, विन्ध्य एवं मध्य गांगेय क्षेत्र में नव पाषाण संस्कृति कोलडिहवा, महगड़ा, लहरादेवा आदि। पूर्वी भारत के नवपाषाण स्थल चिरांद, चेचर, सेनुवार, कुचई एवं वैद्यपुर एवं उत्तर-पूर्वी क्षेत्र नवपाषाण संस्कृति सरूतरू, सलबलीगिरि, दओजली हंदिग, मरकडोला।
  • दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत में नवपाषाण काल का सांस्कृतिक विकास संगनकल्लू, पिक्कलीहल, उत्तनूर, कोडेकल, टेक्कलकोटा, हल्लूर, नागार्जुनीकोण्डा एवं राख के टीलों से सम्बद्ध पुरास्थल।

यूनिट 5:आद्य-इतिहास: नगरीकरण की ओर हड़प्पा संस्कृति

  • हड़प्पा संस्कृति के प्रारंभिक चरण अन्न उत्पादक ग्राम्य संस्कृति / ताम्र पाषाणिक बस्तियों का उ‌द्भव, उत्तर पश्चिमी भारत एवं पाकिस्तान में क्षेत्रीय संस्कृतियों का प्रारंभ। घग्घर सरस्वती क्षेत्र एवं गुजरात में प्राक नगरीय एवं प्रारंभिक हड़प्पा संस्कृति का विकास।
  • प्रारंम्भिक हड़प्पीय एवं नगरीय हडप्पीय सांस्कृतिक लोकाचारों का उदय।
  • नगरीय हड़प्पीय एवं उसका भौगोलिक प्रसार, सन्निवेश की विशेषताएँ, नगर योजना एवं स्थापत्य कला; आर्थिक उत्पादन नगरीय ग्रामीण डिकोटमी (विरोधाभास) कृषि एवं शिल्प उत्पादन। व्यापार एवं जीविका निर्वाह, शिल्पों का मानकीकरण, हडप्पीय लिपि, विदेशी संपर्को के साक्ष्य। समाजिक-राजनीतिक संगठन, कला एवं धार्मिक मान्यताओं के साक्ष्य, निर्माता? मुख्य उत्खनित पुरास्थल मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, कालीबंगा, लोथल, धौलाबीरा, सुरकोटदा, बनावली, राखीगढी, बगसरा, रोजदी एवं रंगपुर। भौतिक सामग्री के अन्तर्गत क्षेत्रीय विविधताएँ गुजरात में सोरथ एवं सिंधी / शास्त्रीय हडप्पा संस्कृति की अवधारणा।
  • उत्तरवर्ती नगरीय हड़प्पा संस्कृति: नगरीय हड़प्पा संस्कृति का पतन पतन के कारणों के विभिन्न सिद्धांत।
  • उत्तरवर्ती नगरीय चरण सिन्धु घाटी, घग्घर सरस्वती नदी एवं गुजरात से प्राप्त साक्ष्य (सिन्ध, गुजरात, पंजाब, हरियाणा एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश की उत्तर नगरीय अथवा परवर्ती हड़पीय संस्कृति। भारत की ताम्र प्रयुक्त करने वाली अन्य संस्कृतियों ताम्र निधियों एवं गैरिक मृदभाण्ड, गांगेय मैदान में ताम्राश्मक संस्कृतियों के अवशेष ।
  • दक्षिणी राजस्थान में बनास अहाड़ संस्कृति का विकास, प्राचीनता एवं विस्तार क्षेत्र। मध्य प्रदेश की कायथा नर्मदा घाटी की मालवा संस्कृति एवं उसका भौगोलिक विस्तार। दकन क्षेत्र की ताम्राश्मक संस्कृतियाँ (सवाल्दा, मालवा, जोर्वे संस्कृतियों)।

यूनिट 6: लौह युग एवं नए शहरी केन्द्रों का विकास।

  • भारत में लोहे की प्राचीनता लोहे का प्रारंभिक चरण, राजा नल का टीला, दादूपुर एवं मल्हर से प्राप्त लोहे के नवीन साक्ष्य।
  • प्रायद्वीपीय भारत से प्राप्त लोहे के साक्ष्य (कर्नाटक में हल्लूर एवं कुमारनहल्ली, तमिलनाडु में कोदुमनाल)।
  • चित्रित धूसर मृद्माण्ड संस्कृति विस्तार, कालक्रम एवं सास्कृतिक लक्षण। उत्तरी कृष्ण मार्जित मृद्माण्ड संस्कृति विस्तार, कालक्रम एवं सांस्कृतिक लक्षण।
  • प्रायद्वीपीय भारत में लौहयुग प्रायद्वीपीय भारत एवं उससे इतर क्षेत्रों की महापाषाण संस्कृति: भौगोलिक विस्तार, प्रारूप, कालानुक्क्रनिक संदर्भ, सांस्कृतिक पुरावशेषों एवं महापाषाण संस्कृति के निर्माताओं। प्रारंभिक ऐतिहासिक काल का प्रारंभ, गगा घाटी एवं प्रायद्वीपीय भारत में नगर केन्द्रों का उदय। आर्थिक उत्पादन की बहुविधियों, व्यापार का विस्तार एवं व्यापारिक मार्गों का विकास, समुद्री व्यापार, नवीन नगर केन्द्रों का उदय।
  • नगर केंद्रों का उदय
  • महत्वपूर्ण नगरीय स्थल राजघाट, उज्जैन, वैशाली, तक्षशिला, मथुरा, श्रावस्ती, कौशाम्बी एवं शिशुपालगढ़ आदि। ऐतिहासिक काल के महत्त्वपूर्ण स्थल अगवेरपुर, अहिच्छत्र, अतरंजीखेड़ा, हरितनापुर, खैराडीह, चन्द्रकेतुगढ़, नासिक, अदम, सतनीकोट, नागार्जुनकोण्डा, अरिकामेडु, कोदुमनाल एवं पट्टनम्।

यूनिट 7: स्थापत्य कला भारतीय इतिहास के एक महत्त्वपूर्ण स्त्रोत के रूप में

  • स्तूप स्थापत्य : संरचनात्मक स्तूप उत्पत्ति एवं विकास उत्तर एवं दक्षिण भारतीय स्तूप। गुहा स्थापत्य कला का विकास उत्पत्ति एवं विकास बौद्ध, ब्राह्मण एवं जैन धर्म के सन्दर्भ में।
  • मंदिर वास्तुकला मंदिरों की उत्पत्ति एवं विकास, मंदिर वास्तुकला की मुख्य विशेषताएँ, नागर, दक्षिण, बेसर एवं भूमिज मंदिरों की विविध वास्तुगत शैलियों का विकास एवं मुख्य विशेषताएँ।
  • गुप्त, चालुक्य, पल्लव एवं राष्ट्रकूट मंदिर। क्षेत्रीय शैलियाँ खजुराहो के मंदिर, उड़ीसा के मंदिर एवं चोल मंदिर।
  • कला और प्रतिमा शास्त्र:
  • काला-पाषाण एवं कांस प्राचीनता एवं विकासः मौर्य कालीन स्तंभ शीर्षक, आलौकिक यक्ष एवं यक्षी मूर्तियां, शुंग, पश्चिमी क्षत्रप, सातवाहन जातियां, कुषाण जनजाति-मथुरा, एवं गांधार कला केंद्र, गुप्तकालीन मूर्तियां सारनाथ कला केंद्र, चालुक्य, पल्लव, पाल, चंदेल , चोल और होयसल यूरोप। आदर्शशास्त्रः
  • ब्रह्मा, विष्णु, शिव, कार्तिकेय, गणेश, सूर्य, शक्ति तीर्थकर (ऋषभदेव, पार्श्वनाथ एवं महावीर), बुद्ध, बोधिसत्व एवं तारा।
  • मौर्यकाल से गुप्तकाल तक मृण्मूर्तिकला चित्रकला गुहा चित्रकला अजन्ता, बाघ एवं सित्तनवासल

यूनिट 8:पुराणलिपि शास्त्र एवं अभिलेखशास्त्र

  • भारतीय इतिहास के एक स्रोत के रूप में अभिलेख,
  • भारत में लेखन कला की उत्पत्ति एवं प्राचीनता। ब्राह्मी एवं खरोष्ठी लिपि का उद्भव एवं विकास विविध मत, कुछ चुने 375 हुये अभिलेखों का अध्ययन-अशोक की राजाज्ञाएं – दूसरा, दसवां, बारहवां एवं तेरहवा अशोक का लुम्बिनी अभिलेख, बैराट की लघुशिलाज्ञा, बेसनगर गरूड़ स्तम्भलेख, खारवेल का हाथीगुम्फा अभिलेख, उषावदत्ता का नासिक गुफा 10 का अभिलेख, रूद्रदामन का जूनागढ़ अभिलेख, वाशिष्टपुत्र पुलमावी वर्ष 19 का नासिक गुफा III अभिलेख, स्वात स्मृति मंजूषा अभिलेख।, सारनाथ का बुद्ध मूर्ति अभिलेख, लखनऊ संग्रहालय का हुविष्क कालीन जैन मूर्ति लेख, समुद्रगुप्त का इलाहाबाद स्तम्भ लेख, स्कन्द्रगुप्त का भितरी अभिलेख, पुलकेशिन ॥ का ऐहोल अभिलेख, मिहिरभोज का ग्वालियर अभिलेख, धर्मपाल का खालिमपुर ताम्रपट्ट लेख, अमोघवर्ष का संजल ताम्रपट्ट लेख, यशोवर्मन का मन्दसौर अभिलेख, राजेन्द्र चोल के छठे वर्ष का तिरुवलंगाड चुवालंगाइ ताम्रपट्टलेख, गोविन्द चतुर्थ का सांगली ताम्रपट्ट, थारसपल्ली ताम्रपट्ट लेख।

यूनिट 9: मुद्राशास्त्र: इतिहास के एक महत्त्वपूर्ण स्त्रोत के रूप में सिक्के

  • प्राचीन भारत में सिक्कों की उत्पत्ति एवं प्राचीनता।
  • सिक्कों के निर्माण की तकनीक / विधि रजत, ताम्र, स्वर्ण एवं मिश्रित धातु के सिक्के, सिक्कों के मुख्य प्रकार आहत सिक्के, अभिलेखित तथा अनभिलेखित ढलवों सिक्के, जनपदीय एवं जनजातीय सिक्के, भारतीय-यवन सिक्के, शक क्षत्रप, कुषाण तथा सातवाहन सिक्के, गुप्त राजवंश के सिक्के, रोमन सिक्के, पूर्व मध्य कालीन भारतीय सिक्कों का संक्षिप्त विवरण।

यूनिट 10: पुरातात्त्विक शोध प्रक्रिया:

  • पुरातात्विक शोध की भूमिका एवं विशिष्टताएँ, शोध में नैतिकता, शोध प्रविधि, क्षेत्रीय अन्वेषण, केस स्टडी एवं क्षेत्र की जांच; परिकल्पना, शोध अभिकल्पन एवं निरूपण, आकड़ो का संकलन एवं प्रसंस्करण, मुख्य एवं गौण स्त्रोत, शोध में सूचना एवं संचार तकनीक का प्रयोग, संदर्भ की सुव्यवस्थित प्रविधियाँ, आंकड़ो एवं परिणाम का सुव्यवस्थित प्रस्तुतीकरण।

नोट: यूजीसी नेट आर्कियोलॉजी सिलेबस राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) की आधिकारिक वेबसाइट ugcnet.nta.nic.in से लिया गया है।

UGC NET परीक्षा पैटर्न

UGC NET परीक्षा दो चरणों में होती है: पेपर 1 सभी के लिए अनिवार्य होता है, जबकि पेपर 2 विषय-विशेष होता है। दोनों पेपर ऑनलाइन आयोजित किए जाते हैं। नीचे UGC NET आर्कियोलॉजी परीक्षा पैटर्न 2025 दिया गया है:-

UGC NET पेपर कुल प्रश्न कुल अंक 
पेपर 1 50 100 
पेपर 2 100 200 
कुल 150 300 

FAQs

आर्कियोलॉजी में किसका अध्ययन होता है?

आर्कियोलॉजी में प्राचीन सभ्यताओं, ऐतिहासिक अवशेषों, संरचनाओं, वस्तुओं और सांस्कृतिक धरोहरों का अध्ययन किया जाता है।

यूजीसी नेट आर्कियोलॉजी का सिलेबस क्या है?

यूजीसी नेट आर्कियोलॉजी का सिलेबस प्रागैतिहासिक, ऐतिहासिक, पुरातात्विक सिद्धांत, विधियाँ, पुरालेख, मुद्राशास्त्र, कला एवं वास्तुकला, संरक्षण और भारतीय पुरातत्व के विभिन्न पहलुओं को शामिल करता है।

UGC NET आर्कियोलॉजी पास करने के बाद क्या करियर विकल्प हैं?

UGC NET आर्कियोलॉजी पास करने के बाद आप असिस्टेंट प्रोफेसर, रिसर्च स्कॉलर, आर्कियोलॉजिस्ट, म्यूज़ियम क्यूरेटर या सरकारी सांस्कृतिक संस्थानों में करियर बना सकते हैं।

क्या UGC NET आर्कियोलॉजी JRF के लिए अलग कटऑफ होती है?

JRF और असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए अलग-अलग कटऑफ होती है, जो कैटेगरी के अनुसार निर्धारित की जाती है।

क्या सिलेबस में केवल भारतीय पुरातत्व शामिल है या विश्व पुरातत्व भी?

सिलेबस में मुख्यतः भारतीय पुरातत्व पर फोकस है, लेकिन तुलनात्मक रूप से विश्व पुरातत्व के कुछ पहलुओं को भी शामिल किया गया है।

इस ब्लॉग में आपको यूजीसी नेट आर्कियोलॉजी सिलेबस की जानकारी मिल गई होगी। ऐसे ही अन्य इंडियन एग्जाम से संबंधित लेख पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें। 

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