World Day to Combat Desertification and Drought: जानिए क्या है विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस

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World Day to Combat Desertification and Drought in Hindi

हर साल 17 जून को विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य मरुस्थलीकरण और सूखे से निपटने के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना और एग्रीकल्चरल लैंड के डिग्रेडेशन को रोकने के लिए स्थायी भूमि प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ावा देना है। इस दिन का मुख्य लक्ष्य भूमि को खराब होने से रोकने के अच्छे तरीके खोजना है। मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस का दिन हमें यह समझने का मौका देता है कि हम सूखे और भूमि की समस्याओं से कैसे छुटकारा पा सकते हैं। इसलिए आज के इस ब्लॉग में हम World Day to Combat Desertification and Drought in Hindi के बारे में जानेंगे। 

विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस के बारे में

जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधिओं के कारण कई जगहों पर सूखे की स्थिति पैदा हो रही है। सूखा एक बड़ी समस्या है जो लोगों के लिए पर्याप्त पानी और भोजन प्राप्त करना मुश्किल बना सकता है। अगर हम पर्यावरण को नुकसान पहुंचाना बंद नहीं करते हैं, तो 2050 तक ज़्यादातर लोग सूखे से प्रभावित हो सकते हैं। यही कारण है कि हर साल 17 जून को संयुक्त राष्ट्र और अन्य समूह विश्व मरुस्थलीकरण और सूखे से निपटने के दिवस पर सूखे को रोकने और पर्यावरण की मदद करने के तरीकों के बारे में बात करते हैं।

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मरुस्थलीकरण क्या है?

मरुस्थलीकरण का तात्पर्य डिग्रेडेशन ऑफ़ लैंड के अर्ध-शुष्क (Semi-Arid) और शुष्क उप-आर्द्र (Dry Sub-Humid Areas ) क्षेत्रों में भूमि के क्षरण से है। यह मुख्य रूप से मानवीय गतिविधियों के कारण होता है, और दूसरा जलवायु परिवर्तन के कारण होता है। इसका मतलब मौजूदा रेगिस्तानों का विस्तार नहीं है, बल्कि भूमि उत्पादकता पर वनों की कटाई, ओवरग्रेजींग, खराब सिंचाई प्रथाओं जैसी चीजों का प्रभाव है।

विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस का इतिहास क्या है?

विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस 1995 से 17 जून को मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस मुद्दे के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने और संयुक्त राष्ट्र को लागू करने के लिए 1994 में 17 जून को ‘विश्व मरुस्थलीकरण मुकाबला दिवस’ के रूप में नामित किया था। 

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विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस कब मनाया जाता है?

हर साल हम मरुस्थलीकरण और सूखे से निपटने के लिए 17 जून को विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस मनाते हैं। यह दिन ख़राब भूमि की बहाली और मिट्टी के मरुस्थलीकरण की रोकथाम को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है।

विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस का महत्व क्या है?

साल 2019 में विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस पर ‘लेट्स ग्रो द फ़्यूचर टुगेदर’ का एक नारा दिया गया था और इसमें तीन अलग – अलग मुद्दों पर ध्यान दिया गया था, जैसे की मानव सुरक्षा, सूखा और जलवायु।

संयुक्त राष्ट्र महासभा के अनुमान के अनुसार साल 2025 तक दुनिया में हर तीन में से दो लोगों के पास उपयोग करने के लिए पर्याप्त स्वच्छ पानी नहीं होगा।  इससे कुछ दिन ऐसे भी हो सकते हैं जब सभी के लिए पर्याप्त पानी नहीं होगा। इस वजह से, कई लोगों को अपने घरों से दूर जाना पड़ सकता है। 

भारत में लगभग 29.3% भूमि कटाव से क्षतिग्रस्त हो रही है। इसमें  रेगिस्तानीकरण और सूखे जैसी अन्य समस्याओं को रोकने में मदद करने के लिए लोगों को दुनिया भर में इसके बारे में अधिक जानने की आवश्यकता है।

1994 में संयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभा में मरुस्थलीकरण रोकथाम का प्रस्ताव रखा गया, जिसे दिसम्बर 1996 में मंजूरी मिली। वहीं भारत ने 14 अक्टूबर 1994 को इस योजना का पालन करने पर सहमति व्यक्त की और साल 1995 से मरुस्थलीकरण का मुकाबला करने के लिए यह दिवस मनाया जाने लगा।

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विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस क्यों मनाया जाता हैं?

World Day to Combat Desertification and Drought in Hindi को क्यों मनाया जाता है के बारे में यहाँ बताया गया है-

  • विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस का मनाना एक महत्वपूर्ण प्रयास है जो हमें सूखे की समस्या और मरुस्थलीकरण के खतरों के प्रति जागरूक करता है। 
  • मरुस्थलीकरण और सूखे के खतरे वृक्षों, प्राणियों, और जल संसाधनों को प्रभावित करते हैं, जिससे प्राकृतिक संतुलन और जीवन की संरक्षा पर असर पड़ता है। इस दिन का मनाना हमें उन उपायों को ढूंढने के लिए प्रोत्साहित करता है जो संभावित सूखे के प्रभावों को कम कर सकते हैं, जैसे कि जल संचयन, मैनेजमेंट ऑफ़ वाटर ट्रांसमिशन और वृक्षारोपण।
  • सूखा और मरुस्थलीकरण का खतरा आधुनिक समाज के लिए बड़ा मुद्दा बन चुका है और इसलिए इसे समझना, उसकी रोकथाम और प्रबंधन में सहयोग करना महत्वपूर्ण है।

विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस 2024 थीम 

किसी भी दिवस को मनाने के लिए एक थीम निर्धारित की जाती है। विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस 2024 के लिए अभी तक कोई थीम की घोषणा नहीं की गई है। इससे पहले साल 2023 में इस दिवस की थीम ‘हर लैंड, हर राइट्स’ (Her Land. Her Rights) रखी गई थी। 

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सूखे का असर

UNICEF (यूनाइटेड नेशंस इंटरनेशनल चिल्ड्रन्स इमरजेंसी फंड) के अनुसार वर्ष 2040 तक हर 4 में से 1 बच्चे के पास पर्याप्त पानी नहीं होगा। आज कोई भी देश पर्याप्त पानी की कमी से पूरी तरह सुरक्षित नहीं है। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि हर साल 55 मिलियन लोग पर्याप्त पानी की कमी से पीड़ित होते हैं। 

जब ज़मीन धीरे – धीरे खराब होने लगती है और उस पर पौधे नहीं उग पाते, तो इससे धरती अस्वस्थ हो जाती है। इससे हवा भी गंदी हो जाती है और जानवरों और पौधों के लिए जीना मुश्किल हो जाता है। संयुक्त राष्ट्र चाहता है कि इस बड़ी समस्या को ठीक करने के लिए सभी लोग मिलकर काम करें।

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विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम के उपाय 

World Day to Combat Desertification and Drought in Hindi से निपटने के उपाय यहाँ बताए गए हैं-

  • पर्यावरण की मदद के लिए हमें जल्दी और बड़ी संख्या में पेड़ लगाने की ज़रूरत है। 
  • पानी की बचत करना, वर्षा जल को इकट्ठा करना, खारे पानी को ताज़ा पानी में बदलना आदि। 
  • रेत की बाड़ और पेड़ों जैसी चीज़ों का उपयोग करके सॉइल इरोजन को रोकना। 
  • पौधों को बड़ा और मज़बूत होने में मदद करने के लिए मिट्टी में अतिरिक्त पोषक तत्वों की ज़रूरत होती है, लेकिन बहुत ज़्यादा पोषक तत्व उन्हें नुकसान पहुँचा सकते हैं। फ़ार्मर मेन नेचुरल रीजनरेशन (FMNR) बड़े पेड़ों की कुछ शाखाओं को काटकर छोटे पेड़ों को बढ़ने में मदद करता है। बची हुई शाखाओं का उपयोग मिट्टी को ढकने के लिए किया जा सकता है, जो इसे पानी को बेहतर तरीके से बनाए रखने में मदद करता है और इसे सूखने से रोकता है।

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विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस से जुड़े तथ्य 

रिसर्च, स्टडी और रिपोर्ट्स के अनुसार World Day to Combat Desertification and Drought in Hindi से जुड़े तथ्य यहाँ दिए गए हैं-

  • फ़ूड एंड एग्रीकल्चरल आर्गेनाईजेशन ऑफ़ यूनाइटेड नेशंस के अनुसार 95% से अधिक भोजन भूमि पर पैदा होता है और इसकी शुरुआत मिट्टी और पानी से होती है, लेकिन भूमि और जल संसाधनों पर सूखा जैसे दबाव पारिस्थितिकी तंत्र को उनकी उत्पादक सीमा तक धकेल रहे हैं।
  • विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस हर साल 17 जून को मनाया जाता है। 
  • दिसंबर 1994 को संयुक्त राष्ट्र की आम सभा द्वारा विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस पहली बार मनाया गया। 
  • फ़ूड एंड एग्रीकल्चरल आर्गेनाईजेशन ऑफ़ यूनाइटेड नेशंस के अनुसार भूमि क्षरण और जलवायु परिवर्तन के कारण, सूखे की आवृत्ति और गंभीरता में वृद्धि हो रही है, 2000 के बाद से 29% की वृद्धि हुई है, जिससे हर साल 55 मिलियन लोग प्रभावित होते हैं। 
  • फ़ूड एंड एग्रीकल्चरल आर्गेनाईजेशन ऑफ़ यूनाइटेड नेशंस के अनुसार 2050 तक सूखे से दुनिया की अनुमानित तीन-चौथाई आबादी प्रभावित हो सकती है।
  • मरुस्थलीकरण, भूमि क्षरण और सूखा दुनिया भर में 250 मिलियन से अधिक लोगों को प्रभावित करते हैं।
  • मरुस्थलीकरण और सूखे के गंभीर आर्थिक परिणाम हो सकते हैं, जैसे की कृषि उत्पादकता कम हो सकती है, पानी की उपलब्धता कम हो सकती है और धूल भरी आंधी और जंगल की आग जैसी प्राकृतिक आपदाओं की आवृत्ति बढ़ सकती है।
  • मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNCCD) मरुस्थलीकरण, भूमि क्षरण और सूखे को संबोधित करने के लिए प्राथमिक अंतरराष्ट्रीय ढांचा है।

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FAQs

मरुस्थलीकरण और सूखे से निपटने के लिए विश्व दिवस कब मनाया जाता है?

मरुस्थलीकरण और सूखे से निपटने के लिए विश्व दिवस हर साल 17 जून को मनाया जाता है।

मरुस्थलीकरण कैसे होता है?

यह मुख्य रूप से मानवीय गतिविधियों और जलवायु उतार-चढ़ाव के कारण होता है।

मरुस्थलीकरण और सूखे से निपटने के लिए विश्व दिवस का क्या महत्व है?

इस दिन का महत्व उन क्षेत्रों को पुनः प्राप्त करना है जो मरुस्थलीकरण और सूखे के कारण नष्ट हो गए हैं।

विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस किसके द्वारा मनाया जाता है?

विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मनाया जाता है।

आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको World Day to Combat Desertification and Drought in Hindi से जुड़ी पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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