Story of Makar Sankranti : मकर संक्रांति हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है। इस दिन लोग स्नान, ध्यान और दान करते हैं। मकर संक्रांति खरमास के समापन का भी प्रतीक है। खरमास में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है, तो इसके समापन का मतलब है कि शादि-विवाह जैसे शुभ कार्यों होने शुरू होंगे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि मकर संक्रांति के दिन दान करने से सौ गुना वापस मिलता है। मकर संक्रांति को नई ऋतु के आने के तौर पर भी मनाया जाता है। मकर संक्रांति के बाद से मौसम में बदलाव आने लगता है, सर्दियों के मौसम के जाने का संकेत है और बसंत ऋतु का आगमन शुरू हो जाता है। तो चलिए जानते हैं इस ब्लॉग के जरिये Story of Makar Sankranti के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य।
जब भीष्म पितामह ने त्याग दिया था देह – मकर संक्रांति का उल्लेख महाभारत काल में भी मिलती है। युद्ध के दौरान जब वो बाणों की शैय्या पर लेटे हुए थे तब उन्होंने देह त्याग के लिए मकर संक्रांति का दिन चुना था। बाणों की शैया पर लेटे-लेटे उन्होंने उत्तरायण के दिन की प्रतीक्षा की और मकर संक्रांति की तिथि को उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया था। ऐसी मान्यता है कि उत्तरायण में देह त्याग करने वाली आत्माएं देवलोक चली जाती है या फिर पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति मिल जाती है।
गंगासागर में भव्य मेले का आय़ोजन – मकर संक्रांति के दिन भागीरथ के साथ चलते हुए गंगा जी कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई समुद्र में मिली थीं। इस दिन महाराज भागीरथ ने अपने पूर्वजों का तर्पण किया था। इसी अपलक्ष्य में पश्चिम बंगाल के गंगासागर में भव्य मेले का आय़ोजन किया जाता है।
मकर संक्रांति पर पिता-पुत्र का होता है मिलन– मकर संक्रांति का त्योहार इसलिए और महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि इस दिन को पिता-पुत्र के मिलन के रूप में भी देखा जाता है। इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि की राशि मकर में पूरे एक माह के लिए प्रवेश करते हैं। शनिदेव कुंभ और मकर राशि के स्वामी हैं। इस कारण से इसे मकर संक्रांति पिता और पुत्र मिलन के रूप में देखा जाता है।
सूर्य उत्तरायण – हिंदू धर्म में सूर्य भगवान खास महत्व रखते हैं। सूर्य भगवान से जुड़े कई त्योहार मनाए जाते हैं, इन्हीं में से एक है मकर संक्रांति। मकर राशि में सूर्य के प्रवेश होने पर मकर संक्रांति त्योहार मनाया जाता है। इस दिन को देवताओं के दिन के रूप में भी माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस इस दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाता है। उत्तरायण को देवताओं का दिन और दक्षिणायन को देवताओं की रात माना जाता है। मकर संक्रांति को देवताओं की सुबह की तरह देखा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन को उत्तरायण तिथि होती है।
दान पुण्य का होता है महत्व : मकर संक्रांति के इस पर्व पर दान का बहुत महत्व होता है। माना जाता है कि मकर संक्रांति पर दान देना शुभ फल देता है, कहते हैं कि इस दिन दान-पुण्य करने से व्यक्ति के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और जीवन में संपन्नता आती है।
किस दिन मनाई जाएगी मकर संक्रांति?
मकर संक्रांति के त्योहार को देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। कई जगह इस त्योहार को माघे संक्रांति और कई जगह इसे मगही कहा जाता है। भारत के उत्तर क्षेत्र में इस पर्व को मकर संक्रांति कहते हैं ते वहीं गुजरात राज्य में इसे उत्तरायण नाम से धूमधाम से मनाया जाता है। वहीं पंजाब राज्य में इसे लोहड़ी के नाम से और केरल में पोंगल नाम से मनाते हैं। यह त्योहार ज्यादातर जनवरी के 14 तारीख को ही होता है परंतु इस बार यह पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा।
मकर संक्रांति पर भूलकर भी न करें ये काम –
- मकर संक्रांति के दिन कभी भी शराब, तंबाकू आदि चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए ऐसा करना वर्जित माना जाता है।
- मकर संक्रांति के दिन दान-पुण्य का बहुत महत्व हमारे शास्त्रों में बताया गया है।
- इस दिन लोगों का मनना है की फसल या किसी भी तरह के पेड़-पौधों को काटने नहीं काटना चाहिए।
- मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होता है, इसलिए इस दिन सुबह उठकर स्नान और दान करने के बाद ही कुछ खाना पीना चाहिए।
- घर में आए किसी भी व्यक्ति को दरवाजे से खाली हाथ नहीं जाने देना चाहिए।
FAQs
भगवान सूर्य की पूजा के लिए समर्पित है।
काले तिल का दान।
सूर्य देव का।
काले तिलों से सूर्य की पूजा।
पीले वस्त्र पहने जाते हैं।
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