जानिए रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म कब हुआ था और विश्व कल्याण में उनका योगदान  

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रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म कब हुआ था

रवीन्द्रनाथ टैगोर को दुनिया के सबसे महान समाज सुधारकों, विचारकों और साहित्यकारों में से एक माना जाता है। रवींद्रनाथ टैगोर को भारत के लोग सम्मान से गुरुदेव भी बुलाते हैं। रवींद्र नाथ टैगोर उन बहुत कम भारतीयों में से एक थे जिनके आगे अंग्रेज भी सम्मान करते थे। भारत और बांग्लादेश दोनों देशों का राष्ट्रगान रवींद्रनाथ टैगोर ने ही लिखा है। यहाँ रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म कब हुआ था के तहत रवींद्र टैगोर के जन्म के समय के साथ साथ विश्व कलयाण में उनका योगदान और उनके जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बताया जा रहा है। 

रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म कब हुआ था? 

रवींद्र नाथ टैगोर का जन्म वर्ष 1861 में 18 मई के दिन पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में एक बंगाली परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम देवेंद्रनाथ और माता का नाम शारदा देवी था। रवींद्रनाथ टैगोर बचपन से कुशाग्र बुद्धि थे और उन्होंने बहुत छोटी उम्र में ही लिखना शुरू कर दिया था। रवीन्द्रनाथ टैगोर के माता पिता ने सदा अपने पुत्र का प्रोत्साहन किया। 

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वैश्विक कल्याण में रवीन्द्रनाथ टैगोर का योगदान 

रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म कब हुआ था जानने के बाद अब जानिए वैश्विक कल्याण में उनका योगदान : 

  • रवीन्द्रनाथ टैगोर आने रचनाएं लिखीं जो विश्व शान्ति और कल्याण की प्रेरणा देती हैं। 
  • उनके द्वारा लिखी गईं आध्यात्मिक पुस्तकों से आज भी विश्व के तमाम छात्र शिक्षा प्राप्त करते हैं। 
  • उनके द्वारा बनाए गए शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय में आज भी देश विदेश के अनेक छात्र पढ़ने आते हैं। 
  • उन्होंने भारत के अलावा श्रीलंका और बांग्लादेश का भी राष्ट्रगान लिखा था। 

रवीन्द्रनाथ टैगोर के जीवन से जुड़े रोचक तथ्य 

रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म कब हुआ था जानने के बाद अब जानिए उनके जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य : 

  • रवींद्रनाथ टैगोर नोबल पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय थे।  
  • रवींद्रनाथ टैगोर को हिंदी, अंगरेजी, बंगाली और संस्कृत के अलावा भी अन्य कई भारतीय और विदेशी भाषाओं का भी ज्ञान था। 
  • रवींद्रनाथ टैगोर ने भारत के अलावा बांगलादेश और श्रीलंका का भी राष्ट्रगान लिखा था। 
  • रवीन्द्रनाथ टैगोर के द्वारा कोलकाता में स्थापित शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय खुले आसमान के नीचे चलती थी और यह आज भी वैसे ही चलती है। 
  • जलियांवाला हत्याकांड से दुखी होकर उन्होंने अंग्रेजों के द्वारा साहित्य में उनके योगदान के लिए प्रदान की गई सर की उपाधि वापस कर दी थी। 
  • रवीन्द्रनाथ टैगोर कितने प्रतिभाशाली थे यह इसी बात से पता चलता है कि मात्र 16 वर्ष की आयु  में उन्होंने छद्म नाम ‘ भानुसिम्हा ‘ से अपनी कविताएँ लिखना शुरू कर दिया था। 

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