किताबे ज्ञान का भंडार होती है। नियमित रूप से पढ़ने से हमारी कल्पना शक्ति, रचनात्मकता और सोचने की क्षमता विकसित होती है। पढ़ाई हमें समझने में मदद करती है कि कौन सी जानकारी विश्वसनीय है और कौन सी नहीं। ऐसे में पढ़ने और पुस्तकों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए कई बार स्कूल में बच्चों को राष्ट्रीय पठन दिवस पर भाषण तैयार करने के लिए कहा जाता है। यहाँ राष्ट्रीय पठन दिवस पर भाषण (National Reading Day Speech in Hindi) 100, 200 और 500 शब्दों में दिया गया है।
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राष्ट्रीय पठन दिवस के बारे में
हर साल 19 जून को भारत में राष्ट्रीय पठन दिवस मनाया जाता है। यह दिवस केरल के शिक्षक पी.एन. पणिक्कर को श्रद्धांजलि देने और पढ़ने की आदत को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मनाया जाता है। आपको बता दें कि पुथुवयिल नारायण पणिक्कर को केरल में पुस्तकालय आंदोलन के जनक के रूप में जाना जाता है। 19 जून 1995 को उनकी मृत्यु हो गई थी। ऐसे में पी.एन. पणिक्कर के सम्मान में 19 को राष्ट्रीय पठन दिवस के रूप में मनाये जाने का फैसला लिया गया। बता दें कि 2017 में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय पठन दिवस की शुरुआत की थी। तब से लेकर हर साल यह दिवस मनाया जा रहा है।
100 शब्दों में ऐसे दें राष्ट्रीय पठन दिवस पर भाषण
आप 100 शब्दों में राष्ट्रीय पठन दिवस पर भाषण (National Reading Day Speech in Hindi) इस प्रकार दे सकते है :
नमस्कार दोस्तों!
आज हम राष्ट्रीय पठन दिवस मनाने के विशेष अवसर पर एकत्रित हुए हैं। यह दिवस हमें पुस्तकालय आंदोलन के जनक पुथुवयिल नारायण पणिक्कर को श्रद्धांजलि देने और पढ़ने की आदत को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करता है। बता दें कि पी.एन. पणिक्कर, एक शिक्षक और समाजसेवक थे जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन शिक्षण के लिए समर्पित कर दिया था। उन्होंने शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अपने गाँव में 1926 में सनदानधर्मम पुस्तकालय की स्थापना की थी। इस तरह पनिकर ने पढ़ने के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए पूरे देश में यात्रा की और पुस्तकालयों को भारतीय समाज का एक अभिन्न अंग बना दिया।
200 शब्दों में ऐसे दें राष्ट्रीय पठन दिवस पर भाषण
आप 200 शब्दों में राष्ट्रीय पठन दिवस पर भाषण (National Reading Day Speech in Hindi) इस प्रकार दे सकते है :
नमस्कार दोस्तों!
आज 19 जून है, हम सब यहाँ राष्ट्रीय पठन दिवस के महत्वपूर्ण अवसर पर एकत्रित हुए हैं। भारत में हर साल 19 जून को राष्ट्रीय पठन दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य है अधिक से अधिक लोगों को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना। यह दिवस हम सब को पुस्तकों और पढ़ने के महत्व के बारे में जागरूक करता है। यह दिवस विशेष रूप से केरल के पुस्तकालय आंदोलन के जनक पी.एन. पनिकर की पुण्यतिथि के अवसर पर मनाया जाता है। आपको बता दें कि पी.एन. पनिकर एक महान शिक्षाविद और सामाजिक कार्यकर्ता थे, जिन्होंने भारत में शिक्षा और ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। पीएन पैनिकर का जन्म 1 मार्च 1909 को हुआ था और 19 जून 1995 में उनकी मृत्यु हो गयी थी। ऐसे में उनके सम्मान में राष्ट्रीय पठन दिवस के अवसर पर देशभर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इन कार्यक्रमों में पुस्तक प्रदर्शनियां, बुक डिबेट, क्विज प्रतियोगिताएं, लेखन कार्यशालाएं आदि शामिल है। इस दिवस हमें यह याद दिलाता है कि किताबे हमें अधिक खुले विचारों वाले और समझदार बनाने में मदद करती है। किताबें ज्ञान का भंडार होती है जो हमें शिक्षित करने, मनोरंजन करने, प्रेरित करने और मार्गदर्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
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500 शब्दों में ऐसे दें राष्ट्रीय पठन दिवस पर भाषण
आप 500 शब्दों में राष्ट्रीय पठन दिवस पर भाषण (National Reading Day Speech in Hindi) इस प्रकार दे सकते है :
स्पीच की शुरुआत में
किताबे ज्ञान का भंडार है। यह हमें विभिन्न विषयों, संस्कृतियों और विचारों से परिचित कराती है। ज्ञान और मनोरजन के अलावा किताबें हमें प्रेरणा और मार्गदर्शन प्रदान करती है। यह हमें एक बेहतर इंसान बनाने में भी मदद करती है। इसी कड़ी में अधिक से अधिक लोगों को पढने के लिए जागरूक करने लिए हर साल भारत में 19 जून को राष्ट्रीय पठन दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने की शुरुआत कब और कैसे हुई? आईये इसके बारे में यहाँ विस्तार से जानते हैं।
राष्ट्रीय पठन दिवस का इतिहास क्या है?
आपको बता दें कि भारत में राष्ट्रीय पठन दिवस की शुरुआत 1996 में पुथुवयिल नारायण पनिकर के सम्मान में की गई थी। पुथुवयिल नारायण पनिकर को केरल राज्य में ‘पुस्तकालय आंदोलन के जनक’ के रूप में जाना जाता था। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में पुस्तकालय स्थापित करने और लोगों को पढ़ने के महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया था। 1945 में उन्होंने त्रावणकोर लाइब्रेरी एसोसिएशन की स्थापना की। इस एसोसिएशन ने पढ़ने को बढ़ावा देने के लिए काम किया। ऐसे में 19 जून 1995 को पुथुवयिल नारायण पनिकर का निधन हो गया था, जिसके कारण इस दिन को राष्ट्रीय पठन दिवस के रूप में घोषित करने का फैसला लिया गया। वहीं पी.एन. पणिक्कर के सम्मान में 2017 में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय पठन दिवस की शुरुआत की थी। तब से लेकर हर साल यह दिवस मनाया जा रहा है।
राष्ट्रीय पठन दिवस का महत्व क्या है?
राष्ट्रीय पठन दिवस (National Reading Day in Hindi) साक्षरता को बढ़ावा देने और पढ़ने के कौशल के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक मंच प्रदान करता है। बता दें कि पढ़ने से शब्दावली, व्याकरण और समझ सहित भाषा कौशल को बेहतर बनाने में मदद मिलती है। वहीं यह हमें विभिन्न दृष्टिकोणों और विचारों से अवगत कराने में मदद करती है।
राष्ट्रीय पठन दिवस 2024 थीम
किसी भी कार्यक्रम के आयोजन के लिए एक विशेष थीम निर्धारित की जाती है। ऐसे ही 2024 के लिए राष्ट्रीय पठन दिवस की थीम ‘रीडिंग इस दी फाउंडेशन ऑफ आल इन लाइफ’ (Reading is The Foundation of All in Life) रखी गई है।
स्पीच के अंत में
राष्ट्रीय पठन दिवस ज्ञान और शिक्षा का पर्व है। यह दिवस हमें पुस्तकों को पढ़ने की आदत बनाने और पुस्तकों के प्रति प्रेम विकसित करने के लिए प्रेरित करता है। ऐसे में आईये हम सब मिलकर इस दिवस को सार्थक बनाएं और ज्ञान की रौशनी फैलाएं।
राष्ट्रीय पठन दिवस की हार्दिक शुभकामनाये।
धन्यवाद!
नेशनल रीडिंग डे पर स्पीच तैयार करने के टिप्स
नेशनल रीडिंग डे पर स्पीच तैयार करने के टिप्स निम्नलिखित है :
- सबसे पहले नेशनल रीडिंग डे से जुड़े सभी फैक्ट और जानकारी इक्कठा कर लें।
- फिर उन्हें अच्छी तरह से फ्रेम करें और स्पीच को लिखित रूप में में तैयार करें।
- अपने भाषण की शुरुआत, नेशनल रीडिंग डे के बारे में, नेशनल रीडिंग डे का इतिहास, महत्व के बारे में संक्षिप्त जानकारी दें।
- स्पीच लिखते समय शब्दों का सही चयन करें।
- समय का ध्यान रखें और अपने भाषण को निर्धारित समय सीमा के अंदर पूरा करें।
- स्पीच देने से पहले लेखन को अच्छी तरह पढ़ लें।
- अपनी स्पीच के अंत में श्रोताओं का शुक्रिया अदा करना न भूलें।
FAQs
पुस्तकालय आंदोलन के जनक पी.एन. पनिकर की पुण्यतिथि को राष्ट्रीय पठन दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस लोगों को पढ़ने के महत्व के बारे में बताने के लिए समर्पित है।
राष्ट्रीय पठन दिवस पुथुवयिल नारायण पनिकर के सम्मान में मनाया जाता है।
भारत में राष्ट्रीय पठन दिवस की शुरुआत 1996 में पुथुवयिल नारायण पनिकर के सम्मान में की गई थी।
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