होली के रंग : जानिए कैसे मनाएं रंगों के साथ होली और बरतें कौनसी सावधानियां 

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होली के रंग

होली भारत का प्रमुख त्यौहार है। यह हिन्दू धर्म के खास उत्सवों में से एक है। होली रंगों का त्यौहार है। इस दिन लोग एक दूसरे को रंग और गुलाल आदि लगाते हैं। इस दिन घरों में विभिन्न प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं। गुजिया होली पर बनाई जाने वाली खास मिठाई है। होली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यहाँ होली के रंग के साथ होली कैसे मनाएं और इससे जुड़ी सावधानियों एवं अन्य बातों के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है।  

होली के पीछे की पौराणिक कहानी 

होली से जुड़ी पौराणिक कथा यह है कि स्वयं को भगवान मानने वाला राक्षस हिरण्यकश्यप अपने पुत्र से घृणा करता था। इसके पीछे का कारण यह है कि उसका पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। हिरण्यकश्यप को अपने पुत्र की यह बात बिलकुल पसंद नहीं थी। उसने कई बार अपने पुत्र से ऐसा करने से मना किया। लेकिन वह नहीं माना। हिरण्यकश्यप की एक बहन थी होलिका। उसे यह वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं जल सकती। हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को जलाकर मारने की योजना बनाई। उसने अपनी बहन होलिका से कहा कि वह प्रहलाद को गोदी में लेकर आग की चिता में बैठा जाए। होलिका ने अपने भाई के कहने पर ऐसा ही किया। किन्तु भगवान विष्णु ने अपने भक्त की रक्षा की और होलिका अग्नि में जलकर मर गई और भगवान के भक्त हिरण्यकश्यप पर आंच तक नहीं आई। इसी बात की याद की में होली पर होलिका दहन किया जाता है। यह बुराई पर सच्चाई की जीत का प्रतीक है। होलिका दहन के अगले दिन रंगों वाली होली खेली जाती है जिसे धुलैंडी या दुलहंडी भी कहा जाता है। 

होली का महत्व 

होली के रंग में अब जानिए  होली का महत्व-

  • होली प्रेम और सौहार्द का त्यौहार है।  
  • होली लोगों को मिलजुलकर रहने का सन्देश देता है।  
  • होली के दिन हर वर्ग के लोग बिना किसी भेदभाव के रंग लगाते हैं और एक दूसरे को गले मिलकर होली की बधाइयां देते हैं।
  • होली बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है। 

होली में रंगों की शुरुआत कब हुई? 

होली में रंगों की शुरुआत कब से हुई इस बारे में अलग अलग पौराणिक कथाएं मौजूद हैं। पहली पौराणिक कथा के अनुसार एक दिन बालक रूपी भगवान कृष्ण ने मैया यशोदा से पूछा कि राधा गोरी क्यों हैं और वे सांवले क्यों हैं? इस पर यशोदा मैया ने उन्हें हँसते हुए कह दिया कि तू राधा चेहरे को रंग लगा दे तो वो भी तेरे जैसे रंग की हो जाएगी। तब भगवान कृष्ण ने राधा के चेहरे पर रंग लगा दिया। कहा जाता है कि तभी से होली पर रंग लगाने की प्रथा की शुरुआत हुई।  

दूसरी कहानी के अनुसार अहंकारी राक्षस हरण्यकश्यप खुद को भगवान मानता था। उसका पुत्र भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। हिरण्यकश्यप को यह बात पसंद नहीं थी। उसने कई बार उसे भगवान विष्णु की  स्तुति छोड़कर उसकी आराधना करने के लिए कहा। जब वह नहीं माना तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन से बात की। उसकी बहन को वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं जल सकती। उसकी बहन ने आग में बैठकर भक्त प्रहलाद को गोदी में लेकर बैठकर जालकर मारने की योजना बनाई। लेकिन भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ बल्कि खुद हिरण्यकश्यप की बहन होलिका आग में जलकर मर गई। उसी याद में बुराई पर भलाई की जीत के रूप में होली जलाई जाती है। लोगों का ऐसा मानना है कि होलिका के जलने के अगले दिन ही लोगों ने एक दूसरे को गुलाल लगाकर होली मनाई और तभी से होली पर रंग लगाने ली प्रथा की शुरुआत हुई।  

होली के त्यौहार में रंगों का महत्व 

यहाँ होली के रंग के महत्व के बारे में बताया जा रहा है-

  • होली के रंगों का धार्मिक महत्व : होली के रंगों का धार्मिक महत्व भी काफी है। लाल रंग ऊर्जा का प्रतीक  माना जाता है। हरा रंग प्रकृति का सूचक है। पीला रंग खुशी और उल्लास का प्रतीक है। नीला रंग ज्ञान और धैर्य का प्रतीक माना जाता है।  
  • रंगों से स्वास्थ्य लाभ : होली पर ऑर्गनिक कलर्स लगाने के कई स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं। हल्दी और पलाश के फूलों से बने रंग को लगाने से त्वचा में निखार आता है। 
  • रंगों का मनोवैज्ञानिक प्रभाव : मनोवैज्ञानिक रूप से लाल रंग ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। वहीं नारंगी रंग उत्साह का प्रतीक माना जाता है। उसी प्रकार से पीले रंग को मनोविज्ञान में उत्साह और उम्मीद का सूचक माना गया है। 

रंगों से होली खेलते समय बरती जाने वाली सावधानियां 

यहाँ होली के रंग से जुड़ी सावधानियों के बारे में बताया जा रहा है-

  • केमिकल वाला रंग प्रयोग करने से बचें।  
  • ऑर्गनिक रंगों का प्रयोग करें। ये त्वचा के लिए सुरक्षित होते हैं।  
  • जहाँ होली खेल रहे हों, यह ध्यान रखें कि वह जगह फिसलन वाली न हो। होली में लोग एक दूसरे पर रंग लगाने के लिए एक दूसरे के पीछे भागते हैं। ऐसे में अगर आप फिसलन वाली सतह पर होली खेलेंगे तो फिसलकर गिरने का और चोट लगने का डर है।  

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ऑफिस में रंगों के साथ होली खेलते समय इन बातों का रखें ध्यान 

यहाँ ऑफिस में होली के रंग से होली खेलते समय बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में बताया जा रहा है-

  • ऑफिस में सूखे रंग या गुलाल का प्रयोग करें गीले रंगों की तुलना में सूखे रंगों और गुलाल को छुड़ाना आसान होता है। 
  • ऑफिस में पक्के रंगों से होली न खेलें। पक्के रंगों को छुटाना मुश्किल होता है। 
  • ऑफिस में महिला सहकर्मियों के साथ होली खेलते समय मर्यादा का ध्यान रखें। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि वे कहीं से भी असहज महसूस न करें। 

FAQs 

होली का रंग क्या होता है?

होली के दिन ज्यादातर लोगों लाल रंग का इस्तेमाल करते हैं। धार्मिक नजरिए से लाल रंग बहुत शुभ माना जाता है।

होली के लिए सबसे अच्छा रंग कौन सा है?

होली के त्यौहार के लिए सबसे अच्छे रंग ऑर्गनिक रंग माने जाते हैं। इनमें केमिकल नहीं होते और ये त्वचा के लिए अच्छे माने जाते हैं।

होली का रंग लगाने से पहले क्या लगाना चाहिए?

होली का रंग लगाने से पहले सरसों या नारियल के तेल से मालिश कर लेनी चाहिए। इससे होली के बाद रंग छुड़ाने में आसानी होती है। चाहे तो तेल की जगह क्रीम का प्रयोग भी कर सकते हैं। 

आशा है कि आपको छोटी होली के रंग की जानकारी मिली होगी जो आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ाने का काम करेगी। इसी प्रकार के अन्य ट्रेंडिंग इवेंट्स पर ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।

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