Amrita Pritam Biography in Hindi: अमृता प्रीतम (Amrita Pritam) 20वीं सदी की प्रतिष्ठित पंजाबी कवियत्री और लेखिका हैं। इनकी प्रसिद्धि केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी हैं, जहाँ उनकी कई रचनाओं का भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। अमृता प्रीतम (Amrita Pritam) ने पंजाबी और हिंदी साहित्य की अनेक विधाओं में साहित्य का सृजन किया जिसमें कविता, कहानियां, उपन्यास, संस्मरण व आत्मकथा शामिल हैं।
वहीं इन्होंने अपने साहित्यिक जीवन में 100 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं। अमृता प्रीतम को अपनी रचनाओं और साहित्य में योगदान देने के लिए कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका हैं, इनमें ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ व ‘पद्म श्री’ अहम हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अमृता प्रीतम पहली महिला थीं जिन्हें वर्ष 1956 में अपने काव्य संग्रह “सुनेहदे” के लिए ‘साहित्य अकदामी पुरस्कार’ मिला था। इसके साथ ही वह पहली पंजाबी महिला थीं, जिन्हें भारत सरकार द्वारा वर्ष 1969 में ‘पद्म श्री’ अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
आइए अब हम अमृता प्रीतम का जीवन परिचय (Amrita Pritam Biography in Hindi) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नाम | अमृता प्रीतम (Amrita Pritam) |
जन्म | 31 अगस्त 1919 |
जन्म स्थान | गुजराँवाला, पंजाब (वर्तमान पाकिस्तान) |
पेशा | लेखिका |
भाषा | पंजाबी, हिंदी |
विधाएँ | कविता, कहानी, उपन्यास |
उपन्यास | पिंजर, बंद दरवाजा, धरती सागर ते सीपियाँ, दिल्ली दियाँ गालियाँ, डॉक्टर देव, कोरे कागज़ आदि। |
कविता संग्रह | सुनेहदे, मैं जमा तू, कस्तूरी, कागज ते कैनवस, लामियां वतन आदि |
कहानी संग्रह | हीरे दी कनी, इक शहर दी मौत, पंज वरा लंबी सड़क, तीसरी औरत आदि। |
आत्मकथा | रसीदी टिकट |
गद्य कृतियाँ | कड़ी धुप दा सफ़र, इकी पत्तिया दा गुलाब, सफ़रनामा, क़िरमिची लकीरें, काला गुलाब आदि |
पिता का नाम | करतार सिंह |
माता का नाम | राज बीवी |
पति का नाम | प्रीतम सिंह (तलाक 1960) |
संतान | नवराज क्वात्रा, कांडला |
सम्मान | ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ ‘पद्मश्री’ व ‘डॉक्टर ऑफ़ लिटरेचर’ आदि |
निधन | 31 अक्तूबर 2005, दिल्ली |
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पंजाब प्रांत के गुजरांवाला में हुआ था जन्म – Amrita Pritam Biography in Hindi
अमृता प्रीतम (Amrita Pritam) का जन्म पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गुजरांवाला में 31 अगस्त, 1919 को हुआ था। उनके पिता का नाम ‘करतार सिंह’ और माता का नाम ‘राज बीवी’ था। अमृता प्रीतम का बचपन लाहौर में बीता और यही पर उनकी औपचारिक शिक्षा भी पूरी हुई। इसके बाद उनकी मात्र 6 वर्ष की अल्प आयु में सगाई हो गई और 11 वर्ष की आयु में उनकी माता राज बीवी का निधन हो गया। जिसके बाद पूरे घर की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गयी।
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जब अमृता के नाम से जुड़ा ‘प्रीतम’
क्या आप जानते हैं कि अमृता प्रीतम (Amrita Pritam) साहित्य जगत की उन विरले साहित्यकारों में से एक हैं जिनकी मात्र 16 वर्ष की आयु में यानी 1935 में किताब प्रकाशित हुई थी। वहीं 16 वर्ष की आयु में ही उनका विवाह लाहौर के कारोबारी ‘प्रीतम सिंह’ से हो गया। अमृता प्रीतम और प्रीतम सिंह की दो संतान हुई लेकिन वर्ष 1960 में वह दोनों एक दूसरे से अलग हो गए। लेकिन अमृता के नाम के साथ पति का नाम ‘प्रीतम’ हमेशा के लिए जुड़ गया जिसे उन्होंने कभी नहीं बदला।
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देश के विभाजन का दर्दनाक मंजर
1947 के भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय अमृता प्रीतम लाहौर से देहरादून आ गई। उनके शुरुआती दिन देहरादून में बीते फिर वह कुछ समय बाद दिल्ली आ गई। यहाँ अमृता प्रीतम (Amrita Pritam) ऑल इंडिया रेडियो दिल्ली केंद्र से जुड़ गई। उनपर विभाजन का बहुत गहरा असर पड़ा। उन्होंने मुल्क के बटवारें के समय विस्थापन का दर्द, दंगे, हत्याएं और बलात्कार देखे थे। इस दर्दनाक मंजर को देखने के बाद उन्होंने अपनी कविता “अज्ज अक्खां वारिस शाह नूं” लिखी जो दोनों ही मुल्कों में रहने वाले लोगों का दर्द बयां करती हैं। इस कविता ने अमृता प्रीतम को भारत और पाकिस्तान में लोकप्रिय बना दिया था।
अमृता प्रीतम (Amrita Pritam) अपने एक साक्षात्कार में बताती हैं, “एक बार मेरे मित्र पाकिस्तान से आए और मेरे सामने थोड़े केले रख दिए, और कहाँ कि ये केले मेरी तरफ से नहीं है। मैं आ रहा था, तो एक केले बेचने वाला भागता हुआ मेरे पास आया और मुझे कहने लगा कि तुम दिल्ली जा रहे हो? तो मैंने कहा हाँ। फिर उसने पूछा की तुम अमृता से मिलोगे? उन्होंने हाँ में जवाब दिया। फिर उस केले वाले ने कहा कि जिसने “वारिस शाह नूं” नज़्म कही थी। फिर मेरी तरफ़ से उसे ये केले दे देना, मैं बस यही दे सकता हूँ, मैं समझूँगा की मेरा आधा हज हो जाएगा।”
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अमृता प्रीतम की साहित्यिक रचनाएं
Amrita Pritam Biography in Hindi में अब हम उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में जानेंगे। क्या आप जानते हैं उनके प्रसिद्ध उपन्यास ‘पिंजर’ पर फिल्म बन चुकी है जिसमें भारत पाकिस्तान के बटवारें के समय ‘पूरो’ नाम की हिंदू लड़की की कहानी है। जो बंटवारे के समय पंजाब में हुए धार्मिक तनाव और दंगों की चपेट में आ जाती है। इसके साथ ही अमृता प्रीतम के कई उपन्यासों पर फिल्म बन चुकी हैं। आइए अब हम अमृता प्रीतम (Amrita Pritam) की रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं:-
कविता संग्रह
- लोक पीड़
- सुनेहदे
- मैं जमा तू
- कस्तूरी
- कागज ते कैनवस
- लामियां वतन
कहानी संग्रह
- हीरे दी कनी
- इक शहर दी मौत
- पंज वरा लंबी सड़क
- तीसरी औरत
- लातियाँ दी छोकरी
उपन्यास
- डॉक्टर देव
- पिंजर
- बंद दरवाजा
- धरती सागर ते सीपियाँ
- दिल्ली दियाँ गालियाँ
- कोरे कागज़
- आशू
- इक सिनोही
- बुलावा
- रंग दा पत्ता
- चक्क नंबर छत्ती
- इक सी अनीता
- यात्री
- जेबकतरे
- आग दा बूटा
- अग दी लकीर
- पक्की हवेली
- इह सच है
- तेहरवां सूरज
- उनींजा दिन
- हरदत्त दा जिंदगीनामा
- कोई नहीं जानदाँ
- कच्ची सड़क
आत्मकथा
- रसीदी टिकट
गद्य विद्याएँ
- कड़ी धुप दा सफ़र,
- इकी पत्तिया दा गुलाब
- सफ़रनामा
- क़िरमिची लकीरें
- मुहब्बतनामा
- काला गुलाब
- औरत: इक दृष्टिकोण
- इक उदास किताब
- इक हथ मेहंदी इक हथ छल्ला
- अपने- अपने चार वरे
- कड़ी जिंदगी केड़ा साहित्य
- अज्ज दे काफ़िर
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पुरस्कार व सम्मान
अमृता प्रीतम (Amrita Pritam) को अपनी रचनाओं के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका हैं। इसके साथ ही उन्हें वर्ष 1986 में राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया गया था। आइए अब हम Amrita Pritam Biography in Hindi उन्हें मिले कुछ प्रमुख पुरस्कार व सम्मान के बारे में जानते हैं-
- साहित्य अकादमी पुरस्कार (1957)
- पद्मश्री (1969)
- डॉक्टर ऑफ़ लिटरेचर ( दिल्ली विश्वविद्यालय – 1973)
- पंजाबी भाषा पुरस्कार (1958)
- बल्गारिया वैरोव पुरस्कार (1988)
- भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार (1982)
- डॉक्टर ऑफ़ लिटरेचर (विश्व भारती शांतिनिकेतन- 1987)
- पद्म विभूषण (2004)
दिल्ली में हुआ निधन
क्या आप जानते हैं कि अमृता प्रीतम (Amrita Pritam) की 100 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इसके साथ ही उन्होंने अपने साहित्यिक जीवन में कई विधाओं में रचना की और जर्मनी, फ्रांस, हंगरी, मोरिशस, चेकोस्लोवाकिया, रूस और बुल्गारिया आदि देशों की यात्राएं की।
अमृता प्रीतम (Amrita Pritam) ने लंबी बीमारी के बाद 31 अक्टूबर 2005 को 86 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह दिया था। उन्होंने अपनी आखिरी नज़्म ‘मैं तुम्हें फिर मिलूंगी’ लिखी थी जो बहुत लोकप्रिय हुई। उनकी रचनाएँ हमेशा ही हमारा मार्गदर्शन करती रहेगी और वह साहित्य जगत में सदा ही जीवित रहेगी।
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FAQs
अमृता प्रीतम मशहूर भारतीय कवियत्री और लेखिका थीं।
अमृता प्रीतम का जन्म 31 अगस्त, 1919 को हुआ था।
अमृता प्रीतम ने निम्नलिखित प्रकार की रचनाएं की थीं-
1. कविता संग्रह
2. कहानी संग्रह
3. उपन्यास
4. आत्मकथा
5. गद्य विद्याएँ
अमृता प्रीतम का विवाह प्रीतम सिंह से हुआ था, जिनसे उन्हें एक बेटा नवराज और एक बेटी कांडला हुई।
‘रसीदी टिकट’ अमृता प्रीतम की बहुचर्चित आत्मकथा है।
सुनेहदे, कस्तूरी, कागज ते कैनवस और लामियां वतन, अमृता प्रीतम के प्रमुख काव्य संग्रह हैं।
आशा है कि आपको मशहूर लेखिका अमृता प्रीतम का जीवन परिचय (Amrita Pritam Biography in Hindi) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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She was very nice and intelligent and brave.
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दीना नाथ जी, आपका आभार। ऐसे ही हमारी वेबसाइट पर बने रहिए।
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