अमीश त्रिपाठी एक ऐसे लेखक हैं जिनके लेखन को वीरों के नायक के रूप में देखा जाने लगा है। अमीश त्रिपाठी ने हर बार अपने लेखन से खुद की भीतर की छवि को बखूबी प्रस्तुत किया है। यह एक ऐसे लेखक हैं, जिन्होनें भारत के पौराणिक और सांस्कृतिक इतिहास से जुड़ी घटनाओं को साहित्य के सौंदर्य से सम्मानित और श्रृंगारित किया है। भारत एक ऐसा देश रहा है जिसने सदा ही कला और साहित्य को सम्मान देने के साथ-साथ, इसका विस्तार भी किया है। अमीश त्रिपाठी द्वारा लिखित “राम चंद्र” सीरीज की दूसरी किताब “सीता” है, जो कि अमीश त्रिपाठी की पांचवी किताब है। इस पोस्ट के माध्यम से अमीश त्रिपाठी द्वारा लिखित उपन्यास Sita Mithila ki Yoddha के बारे में जानकारी प्राप्त कर पाएंगे, जो आपको “माँ सीता” के योद्धा स्वरुप से परिचित करवाएगा। इस उपन्यास के बारे में जानने के लिए आप इस पोस्ट को अंत तक पढ़ें।
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कौन हैं अमीश त्रिपाठी?
Sita Mithila ki Yoddha अमीश त्रिपाठी दवारा रचित एक ऐसा उपन्यास है जिसके बारे में जानने से पहले आपको अमीश त्रिपाठी के बारे में जान लेना अति आवश्यक है। अमीश त्रिपाठी का जन्म 18 अक्टूबर 1974 को महाराष्ट्र के मुंबई में हुआ था। अमीश त्रिपाठी एक सुप्रसिद्ध भारतीय लेखक और राजनयिक हैं। उन्हें द शिवा ट्राइलॉजी और Ram Chandra Series के लिए जाना जाता है। द इम्मोर्टल्स ऑफ़ मेलुहा, अमीश त्रिपाठी द्वारा रचित पहला उपन्यास है।
अमीश त्रिपाठी एक प्रमुख भारतीय उपन्यासकार और कहानीकार हैं। अमीश त्रिपाठी एक ऐसे भारतीय लेखकों की श्रेणी में आते हैं, जिनकी लिखी कहानी पर हॉलीवुड फिल्म भी बन चुकी है। इनकी सुप्रसिद्ध रचनाओं में से ‘The Immortals Of Meluha’ भी है, जो वर्ष 2010 में प्रकाशित हुई थी, ‘द सीक्रेट ऑफ नागाज’ और ‘द ओथ ऑफ द वायुपुत्राज’ इसके भाग थे। अमीश त्रिपाठी के लेखन की सरहाना राम चंद्र सीरीज के प्रकाशित होते ही बढ़ने लगी।
Sita Mithila ki Yoddha
अमीश त्रिपाठी द्वारा रचित उपन्यासों की एक श्रृंखला “राम चंद्र” है, इसी सीरीज का दूसरा भाग Sita Mithila ki Yoddha है। इस पुस्तक में अमीश त्रिपाठी ने बड़े ही सुन्दर तरीके से माता सीता के पराक्रमी और वीर योद्धा स्वरुप गुण को दर्शाया है। यह पुस्तक पौराणिक भारतीय महारानी सीता पर आधारित है, जिन्हें लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। इस पुस्तक का प्रकाशन 29 मई 2017 को प्रकाशक वेस्टलैंड प्रेस द्वारा कराया गया। इस उपन्यास की कहानी को लेखक द्वारा पराक्रमी योद्धा के दृष्टिकोण से दिखाया गया है, जहाँ मुख्य भूमिका में सीता हैं। कहानी में सीता अनेकों संघर्षों को देखने के बाद भी एक पराक्रमी योद्धा की तरह अपना जीवनयापन करने के साथ-साथ, अपनी मातृभूमि मिथिला की रावण और उसकी सेना से रक्षा करती हैं।
कहानी की शुरुआत मिथिला के राजा जनक को एक खेत में एक बच्ची मिलने से होती है, जो कि रहस्यमय ढंग से भेड़ियों के झुंड से एक गिद्ध द्वारा संरक्षित है। राजा जनक उसे गोद ले लेते हैं, यही बच्ची बड़ी होकर एक वीरांगना की भांति राजा रावण की राक्षसी इच्छाओं और क्रूर सेना से, भारत की दिव्य भूमि की रक्षा करती हैं। यह सीता के बचपन और संरक्षण, राम के साथ उनके विवाह और अंततः उनके पति राम और उनके भाई लक्ष्मण के साथ उनके 14 साल के वनवास के बारे में है।
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Sita Mithila ki Yoddha का सार
सीता संघर्ष से शुरू होती है और हर अध्याय उसके संघर्ष को बढ़ाने के साथ उसे योद्धा रूप में स्थापित करता जाता है। पाठक जैसे-जैसे कहानी को पढ़ना शुरू करते हैं, वह इस कहानी के हर पात्र से खुद को जुड़ा हुआ महसूस करते हैं। कहानी में सीता हर प्रकार के संकट में साहसी नजर आती है, जो उनको एक वीरांगना के रूप में निखारता है। गिद्ध और सियारों के संघर्ष के बीच अचानक जा पहुंची जनक रानी सुनयना की ममता गोद उन्हें जनकपुत्री के रूप में मां की छाया से परिचित करवाती है। सीता में योद्धा बनने के गुण अपने भीतर से ही उत्पन्न होते हैं, जिनका विस्तार विभिन्न परिस्थितियां करती हैं।
कहानी के किरदारों में सीता, राम, लक्ष्मण, राजा दशरथ, राजा जनक, रानी सुनयना, मंथरा, रावण, कुंभकरण, विभीषण, समिची, हनुमान, शूर्पनखा, जटायु के साथ-साथ, मलयपुत्र और अरिष्टनेमि आदि कहानी में अपनी-अपनी अलग मुख्य भूमिका निभाते हैं। सीता की इस नई कहानी में, हर तरह के घुमाव और मोड़ है, जो आपके सामने नारी की पवित्रता और दिव्यता के अतिरिक्त नारी के योद्धा स्वरूप को आपके सामने प्रस्तुत करते हैं।
इस कहानी में सीता हर प्रकार के संघर्ष के केंद्र में है, इसी कारण से उनके साथ राजनैतिक उथल-पुथल और अर्थ-व्यापार की दांव-पेचों को किताब में विस्तृत ढंग से दर्शाया गया है। यहां कहानी ईश्वरीय रूप की बजाए मानवीय अस्तित्व को केंद्र में रखकर गढ़ी गई है। हालांकि अमीष कहते हैं कि उन्हें इसकी प्रेरणा गोंड रामायण से मिली है। इस कहानी का उद्देश्य समाज के सामने नारी के वीरांगना स्वरुप को प्रस्तुत करना तथा उसे सम्मान देना है।
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FAQs
अमीश त्रिपाठी ने अब तक लगभग अपनी लिखी 9 पुस्तकों का विमोचन कर दिया है।
Sita Mithila ki Yoddha के लेखक अमीश त्रिपाठी हैं।
29 मई 2017 को Sita Mithila ki Yoddha प्रकाशित हुई थी।
आशा है कि आपको Sita Mithila ki Yoddha की सम्पूर्ण जानकारी मिल गई होगी, साथ ही यह पोस्ट आपको इंफॉर्मेटिव और इंट्रस्टिंग लगी होगी। इसी प्रकार की अन्य जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।