सैय्यद वंश: मध्यकालीन भारत में दिल्ली सल्तनत पर शासन करने वाला चौथा वंश

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सैय्यद वंश: मध्यकालीन भारत में दिल्ली सल्तनत पर शासन करने वाला चौथा वंश

प्राचीन भारतीय इतिहास, तमाम राजवंश एवं साम्राज्य के उत्थान और पतन का साक्षी रहा है। इसी प्राचीन इतिहास के अंतर्गत 1206 ई. से लेकर 1526 ई. का युग ‘दिल्ली सल्तनत’ का रहा है, जिसे भारतीय इतिहास का ‘मुस्लिम काल’ भी कहा जाता है। दिल्ली सल्तनत में शासन करने वाले वंश है – गुलाम वंश, खिलजी वंश, तुगलक वंश, सैय्यद राजवंश और लोदी वंश।

आज के इस ब्लॉग में हम पढ़ेंगे सैय्यद राजवंश के बारे में, जिसमें हम जानेंगे कि सैय्यद राजवंश सत्ता में कैसे आया? इस वंश के संस्थापक कौन थे? कितने शासकों ने यहाँ शासन किया आदि। सैय्यद राजवंश के इतिहास से जुड़ी संपूर्ण जानकारी यहाँ सूचीबद्ध है। जिसको जानने के लिए आपको इस लेख को अंत तक पढ़ना होगा। 

वंश का नाम सैयद वंश अथवा सय्यद वंश 
शासन काललगभग 37 वर्ष
सैयद वंश की स्थापना 1414 ई. 
संस्थापक खिज्र खाँ
सैयद वंश के प्रमुख शासकख़िज़्र खाँ , मुबारक़ शाह, मुहम्मद शाह , आलमशाह शाह
प्रथम शासकखिज्र खाँ (1414 -1421 ई.)
अंतिम शासक आलम शाह (1445-51 ई.)
सैयद वंश का पतन   1451 ई.

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सैय्यद वंश की शुरुआत

सैयद वंश अथवा सय्यद वंश दिल्ली सल्तनत का शासन करने वाला चौथा वंश था जिसका कार्यकाल 1414 ई. से 1451 ई.तक रहा। यह वंश तुग़लक़ वंश के बाद दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुआ था। इस राजवंश की स्थापना 1414 ई में ‘खिज्र खान’ ने की थी। खिज्र खान भले ही सैय्यद वंश का संस्थापक था लेकिन उसने कभी सुल्तान की उपाधि नहीं ली।

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सैय्यद वंश का इतिहास

तुगलक वंश के दौरान तैमूर ने भारत पर आक्रमण किया था जिससे दिल्ली सल्तनत की ताकत कमजोर पड़ गयी थी। इसी मौके का फायदा उठाकर 28 मई 1414 ई. को, खिज्र खान ने सैय्यद वंश की स्थापना की और सैय्यद राजवंश दिल्ली सल्तनत पर शासन करने वाला चौथा वंश बन गया। इस वंश की नींव रखने वाला खिज्र खान तैमूर था जो सेनापति और पंजाब का गवर्नर भी था। 

सैय्यद वंश में कुल 4 शासकों का शासन रहा जिन्होंने करीब 37 वर्षों तक दिल्ली की सत्ता पर शासन किया। इस दौरान साम्राज्य के विस्तार के साथ इसका निर्माण कार्य भी हुआ और राजवंश द्वारा विभिन्न उपलब्धियाँ प्राप्त की गई। खिज्र खान के बाद ‘मुबारक शाह’ दिल्ली की सत्ता पर विराजमान हुआ और कई वर्षो तक राज किया लेकिन उनके निधन के बाद से इस वंश का पतन शुरू हो गया और अंत में ‘बहलोल लोधी’ द्वारा सैय्यद वंश का अंत और ‘लोदी वंश’ की स्थापना हुई। 

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सैय्यद वंश के शासक

सैय्यद वंश के शासकों के नाम निम्नलिखित है:-

खिज्र खान (1414-1421 ई.)

खिज्र खान सैय्यद वंश का संस्थापक था जिसने 1414 ईo में ‘सैय्यद वंश’ की स्थापना की और 1421 तक शासन किया। जब खिज्र खान ने गद्दी संभाली, तब पूरी दिल्ली अराजकता, भ्रम और अव्यवस्था की स्थिति में थी। दिल्ली की सत्ता खिज्र खान के हाथ में आने के बाद उन्होंने कानून एवं व्यवस्था स्थापित की और अपने साम्राज्य का विस्तार किया लेकिन इन सब से बावजूद भी उन्होंने कभी सुल्तान की उपाधि धारण नहीं की बल्कि वह ‘रैयत- ए-आला’ (जो शासक किसी अन्य शासक के अधीन हो ) की उपाधि से संतुष्ट थे। 

तैमूर के भारत आक्रमण के बाद दिल्ली सल्तनत कई छोटे छोटे टुकड़ो में विभाजित हो गयी थी जिसे खिज्र खान के एक करने का प्रयास तो किया लेकिन उसे ज्यादा कामयाबी नहीं मिली। इसके बाद उसने कई क्षेत्रो में आक्रमण भी करवाए लेकिन वहां भी उसे इतनी उपलब्धि नहीं मिली। इस तरह 1421 ई. में खिज्र खान की मृत्यु हो गई जिसके बाद उनके पुत्र ‘मुबारक शाह’

ने सत्ता अपने हाथों में ली। 

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मुबारक शाह (1421-1434 ई.)

खिज्र खान की मृत्यु के बाद उनका पुत्र ‘मुबारक शाह’ सैय्यद वंश का दूसरा शासक बन गया और राजवंश के साम्राज्य के विस्तार का प्रयास करने लगा। इस दौरान उसे काफी विरोध और विद्रोह का भी सामना करना पड़ा। मुबारक शाह ने अपने नाम से सिक्के भी चलवाये थे। मुबारक शाह पहला ऐसा शासक था जो दिल्ली के दरबार में हिंदू अमीरों की नियुक्ति करता था लेकिन 1434 ई.में मुबारक शाह की हत्या कर दी गई और ‘मुहम्मद शाह’ (मुबारक शाह का भतीजा) को उसका उत्तराधिकारी बनाया गया। 

मुहम्मद शाह (1434-1445 ई.)

मुहम्मद शाह (मुबारक शाह का भतीजा) सैय्यद वंश का तीसरा शासक था जो बहुत कमजोर शासक माना जाता था। सरवर उल मुल्क की सहायता से भले ही मुहम्मद शाह गद्दी पर बैठ गया लेकिन सरवर उल मुल्क के फैसले मुहम्मद शाह पर हावी होते रहे। वहीं मुहम्मद शाह के शासनकाल में कई विद्रोह और षडयंत्र देखे गए। कुछ समय बाद मुहम्मद शाह ने लाहौर के गवर्नर बहलोल लोदी की मदद से मालवा के शासक को हराया और बहलोल लोदी को खान-ए-खाना की उपाधि दे दी। वर्ष 1445 में मुहम्मद शाह की मृत्यु हो गई। जिसके बाद ‘अलाउद्दीन शाह’ को उसका उत्तराधिकारी बना दिया गया।

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अलाउद्दीन आलम शाह (1445-1451 ई.)

‘अलाउद्दीन आलम शाह’ सैय्यद वंश का चौथा और अंतिम शासक था। एक शासक के रूप में वह पर्याप्त शक्तिशाली नहीं था जिसके कारण 1448 ई. में उसने खुद ही कार्यभार छोड़ दिया और बदायूँ चला गया। कुछ समय बाद बहलोल लोदी दिल्ली की गद्दी पर बैठ गया और इस तरह लोदी राजवंश की शुरुआत हुई। वहीं 1478 में आलम शाह की भी मृत्यु हो गई और सैय्यद वंश का अंत हो गया। 

सैय्यद वंश का पतन

37 वर्षो तक शासन करने वाले सैय्यद वंश का अंत अलाउद्दीन आलम शाह के कारण हुआ। समय के साथ साथ इस शासक का लगातार विरोध और विद्रोह होने से राजवंश का शासन अस्थिर हो गया। इससे यह राजवंश इतना कमज़ोर हो गया कि अलाउद्दीन आलम शाह ने खुद ही अपना कार्यभार छोड़ दिया और अपनी जगह ‘बहलोल लोदी’ को दे दी।

सैय्यद राजवंश के बाद शासन करने वाला वंश 

19 अप्रैल, 1451 को जब सैय्यद राजवंश का सुल्तान अलाउद्दीन शाह, स्वेच्छा से कार्यभार छोड़, बदायूँ चला गया, तो उसके जाने के बाद ‘बहलोल लोदी’ ने लोदी राजवंश की शुरुआत की और दिल्ली के सिंहासन पर विराजमान हुआ। इस प्रकार लोदी वंश ने सैय्यद वंश का स्थान ले लिया। लोदी राजवंश दिल्ली की सत्ता पर राज करने वाला पाँचवाँ और अंतिम राजवंश था जो 1526 ई. तक सत्ता में रहा और सफलतापूर्वक शासन करता रहा।

FAQs 

सैयद वंश का शासनकाल कब से कब तक रहा?

सैयद वंश या सय्यद वंश दिल्ली सल्तनत का चौथा वंश था। इस वंश ने दिल्ली सल्तनत में 1414 से 1451 ई. तक शासन किया।

सैयद वंश के अंतिम शासक कौन थे?

सैयद वंश के अंतिम शासक अलाउद्दीन अलम शाह था जिसने 1445–1451ई. तक शासन किया और 1451 ईसवी में दिल्ली का राजसिंहासन बहलोल लोदी को दे दिया। 

सैय्यद वंश के बाद कौन सा वंश आया?

सैय्यद वंश के बाद लोदी वंश सत्ता में आया। 

सैय्यद वंश के संस्थापक कौन है?

सैयद वंश की स्थापना खिज्र खां ने की थी।

मुबारक शाह के बाद किसने शासन किया। 

मुबारक शाह के बाद उसका भतीजा मुहम्मद शाह दिल्ली के राजसिंहासन पर बैठा जिसने 1434 से 1444 तक शासन किया। 

आशा है कि आपको सैय्यद वंश के बारे में जानकारी मिल गयी होगी। ऐसे ही इतिहास से संबंधित अन्य ब्लॉग्स को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें। 

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