साहिर लुधियानवी की शायरी युवाओं का मार्गदर्शन करने के साथ-साथ उन्हें प्रेरित करने का भी सफल प्रयास करती हैं। उन्होंने अपनी क्रांतिकारी रचनाओं के बल पर समाज के हर तबके के व्यक्ति की चेतना को जगाने का काम किया। साहिर लुधियानवी की रचनाएं प्रेम, विरह, प्रकृति और जीवन के अन्य पहलुओं पर आधारित हैं, जो आज के समय में भी प्रासंगिक है। विद्यार्थियों को साहिर लुधियानवी के शेर, शायरी और गजलें पढ़कर साहित्य की सुंदरता का अनुभव कर पाएंगे, साथ ही साहिर लुधियानवी की रचनाएं युवाओं को एक लक्ष्य के साथ आगे बढ़ने के लिए भी प्रेरित करती हैं। इस ब्लॉग के माध्यम से आप कुछ चुनिंदा Sahir Ludhianvi Shayari पढ़ पाएंगे, जो आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का सफल प्रयास करेंगी।
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साहिर लुधियानवी का जीवन परिचय
साहिर लुधियानवी को “ग़ज़ल सम्राट” के रूप में भी जाना जाता है, उन्होंने अपनी ग़ज़लों में सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर बेबाक राय दी। उन्होंने अनेक कालजयी रचनाएं लिखीं। साहिर लुधियानवी का जन्म 18 अगस्त 1923 को पंजाब के लुधियाना शहर में हुआ था। साहिर लुधियानवी का मूल नाम अब्दुल हई फ़ज़ल मुहम्मद था।
साहिर लुधियानवी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा लुधियाना से प्राप्त की, जिसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। साहिर लुधियानवी ने अपनी कविताओं का लेखन उर्दू से आरंभ किया था, हालाँकि बाद में वह हिंदी में भी अत्यंत लोकप्रिय हुए।
साहिर लुधियानवी एक ऐसे क्रांतिकारी कवि थे, जिन्होंने अपनी कविताओं में सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर बड़ी ही बेबाकी से अपनी राय राखी। उन्होंने गरीबी, भ्रष्टाचार और अन्य सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाई। 18 दिसंबर 1981 को दिल्ली में साहिर लुधियानवी का निधन हुआ।
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साहिर लुधियानवी की शायरी – Sahir Ludhianvi Shayari
साहिर लुधियानवी की शायरी पढ़कर युवाओं में साहित्य को लेकर एक समझ पैदा होगी, जो उन्हें उर्दू साहित्य की खूबसूरती से रूबरू कराएगी, जो इस प्रकार है:
“वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन
उसे इक ख़ूब-सूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा…”
-साहिर लुधियानवी
“देखा है ज़िंदगी को कुछ इतने क़रीब से
चेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से…”
-साहिर लुधियानवी
“हज़ार बर्क़ गिरे लाख आँधियाँ उट्ठें
वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं…”
-साहिर लुधियानवी
“ले दे के अपने पास फ़क़त इक नज़र तो है
क्यूँ देखें ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम…”
-साहिर लुधियानवी
“हम अम्न चाहते हैं मगर ज़ुल्म के ख़िलाफ़
गर जंग लाज़मी है तो फिर जंग ही सही…”
-साहिर लुधियानवी
“मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया
हर फ़िक्र को धुएँ में उड़ाता चला गया…”
-साहिर लुधियानवी
“इस तरह ज़िंदगी ने दिया है हमारा साथ
जैसे कोई निबाह रहा हो रक़ीब से…”
-साहिर लुधियानवी
“तुम मेरे लिए अब कोई इल्ज़ाम न ढूँडो
चाहा था तुम्हें इक यही इल्ज़ाम बहुत है…”
-साहिर लुधियानवी
“औरत ने जनम दिया मर्दों को मर्दों ने उसे बाज़ार दिया
जब जी चाहा मसला कुचला जब जी चाहा धुत्कार दिया…”
-साहिर लुधियानवी
“बे पिए ही शराब से नफ़रत
ये जहालत नहीं तो फिर क्या है…”
-साहिर लुधियानवी
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मोहब्बत पर साहिर लुधियानवी की शायरी
मोहब्बत पर साहिर लुधियानवी की शायरियाँ जो आपका मन मोह लेंगी –
“हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन को
क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया…”
-साहिर लुधियानवी
“ग़म और ख़ुशी में फ़र्क़ न महसूस हो जहाँ
मैं दिल को उस मक़ाम पे लाता चला गया…”
-साहिर लुधियानवी
“आप दौलत के तराज़ू में दिलों को तौलें
हम मोहब्बत से मोहब्बत का सिला देते हैं…”
-साहिर लुधियानवी
“आप दौलत के तराज़ू में दिलों को तौलें
हम मोहब्बत से मोहब्बत का सिला देते हैं…”
-साहिर लुधियानवी
“तुम हुस्न की ख़ुद इक दुनिया हो शायद ये तुम्हें मालूम नहीं
महफ़िल में तुम्हारे आने से हर चीज़ पे नूर आ जाता है…”
-साहिर लुधियानवी
“फिर खो न जाएँ हम कहीं दुनिया की भीड़ में
मिलती है पास आने की मोहलत कभी कभी…”
-साहिर लुधियानवी
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साहिर लुधियानवी के शेर
साहिर लुधियानवी के शेर पढ़कर युवाओं को साहिर लुधियानवी की लेखनी से प्रेरणा मिलेगी। साहिर लुधियानवी के शेर युवाओं के भीतर सकारात्मकता का संचार करेंगे, जो कुछ इस प्रकार हैं:
“वैसे तो तुम्हीं ने मुझे बर्बाद किया है
इल्ज़ाम किसी और के सर जाए तो अच्छा…”
-साहिर लुधियानवी
“हम ग़म-ज़दा हैं लाएँ कहाँ से ख़ुशी के गीत
देंगे वही जो पाएँगे इस ज़िंदगी से हम…”
-साहिर लुधियानवी
“जंग तो ख़ुद ही एक मसअला है
जंग क्या मसअलों का हल देगी…”
-साहिर लुधियानवी
“गर ज़िंदगी में मिल गए फिर इत्तिफ़ाक़ से
पूछेंगे अपना हाल तिरी बेबसी से हम…”
-साहिर लुधियानवी
“अभी न छेड़ मोहब्बत के गीत ऐ मुतरिब
अभी हयात का माहौल ख़ुश-गवार नहीं…”
-साहिर लुधियानवी
“इक शहंशाह ने दौलत का सहारा ले कर
हम ग़रीबों की मोहब्बत का उड़ाया है मज़ाक़…”
-साहिर लुधियानवी
“उन के रुख़्सार पे ढलके हुए आँसू तौबा
मैं ने शबनम को भी शोलों पे मचलते देखा…”
-साहिर लुधियानवी
“चंद कलियाँ नशात की चुन कर मुद्दतों महव-ए-यास रहता हूँ
तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही तुझ से मिल कर उदास रहता हूँ…”
-साहिर लुधियानवी
“बर्बादियों का सोग मनाना फ़ुज़ूल था
बर्बादियों का जश्न मनाता चला गया…”
-साहिर लुधियानवी
“जब तुम से मोहब्बत की हम ने तब जा के कहीं ये राज़ खुला
मरने का सलीक़ा आते ही जीने का शुऊर आ जाता है…”
-साहिर लुधियानवी
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साहिर लुधियानवी की दर्द भरी शायरी
साहिर लुधियानवी की दर्द भरी शायरियाँ कुछ इस प्रकार हैं:
“तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही
तुझ से मिल कर उदास रहता हूँ…”
-साहिर लुधियानवी
“ले दे के अपने पास फ़क़त इक नज़र तो है
क्यूँ देखें ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम…”
-साहिर लुधियानवी
“तंग आ चुके हैं कशमकश-ए-ज़िंदगी से हम
ठुकरा न दें जहाँ को कहीं बे-दिली से हम…”
-साहिर लुधियानवी
“कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त
सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया…”
-साहिर लुधियानवी
“अपनी तबाहियों का मुझे कोई ग़म नहीं
तुम ने किसी के साथ मोहब्बत निभा तो दी…”
-साहिर लुधियानवी
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साहिर लुधियानवी की गजलें
साहिर लुधियानवी की गजलें आज भी प्रासंगिक बनकर बेबाकी से अपना रुख रखती हैं, जो नीचे दी गई हैं-
कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया
कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया बात निकली तो हर इक बात पे रोना आया हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन को क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया किस लिए जीते हैं हम किस के लिए जीते हैं बारहा ऐसे सवालात पे रोना आया कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया
-साहिर लुधियानवी
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तंग आ चुके हैं कशमकश-ए-ज़िंदगी से हम
तंग आ चुके हैं कशमकश-ए-ज़िंदगी से हम ठुकरा न दें जहाँ को कहीं बे-दिली से हम मायूसी-ए-मआल-ए-मोहब्बत न पूछिए अपनों से पेश आए हैं बेगानगी से हम लो आज हम ने तोड़ दिया रिश्ता-ए-उमीद लो अब कभी गिला न करेंगे किसी से हम उभरेंगे एक बार अभी दिल के वलवले गो दब गए हैं बार-ए-ग़म-ए-ज़िंदगी से हम गर ज़िंदगी में मिल गए फिर इत्तिफ़ाक़ से पूछेंगे अपना हाल तिरी बेबसी से हम अल्लाह-रे फ़रेब-ए-मशिय्यत कि आज तक दुनिया के ज़ुल्म सहते रहे ख़ामुशी से हम
-साहिर लुधियानवी
चेहरे पे ख़ुशी छा जाती है आँखों में सुरूर आ जाता है
चेहरे पे ख़ुशी छा जाती है आँखों में सुरूर आ जाता है जब तुम मुझे अपना कहते हो अपने पे ग़ुरूर आ जाता है तुम हुस्न की ख़ुद इक दुनिया हो शायद ये तुम्हें मालूम नहीं महफ़िल में तुम्हारे आने से हर चीज़ पे नूर आ जाता है हम पास से तुम को क्या देखें तुम जब भी मुक़ाबिल होते हो बेताब निगाहों के आगे पर्दा सा ज़रूर आ जाता है जब तुम से मोहब्बत की हम ने तब जा के कहीं ये राज़ खुला मरने का सलीक़ा आते ही जीने का शुऊ'र आ जाता है
-साहिर लुधियानवी
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आशा है कि इस ब्लॉग में आपको Sahir Ludhianvi Shayari पढ़ने का अवसर मिला होगा। Sahir Ludhianvi Shayari को पढ़कर आप उर्दू साहित्य के क्षेत्र में साहिर लुधियानवी की भूमिका को जान पाए होंगे। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।