UNESCO विश्व धरोहर स्थल में शामिल है भारत की ऐतिहासिक विरासत कुतुब मीनार

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कुतुब मीनार

भारत में कुल कितने विश्व धरोहर स्थल है इसकी बात की जाये तो, भारत में 33 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक स्थल और 1 मिश्रित विश्व विरासत स्थल हैं। UNESCO World Heritage Sites में सबसे पहले 1983 में अजंता की गुफाएं, एलोरा की गुफाएं, ताजमहल और आगरा के किले को शामिल किया गया था। उसके बाद धीरे धीरे कई स्थल जुड़ते चले गए। इन्हीं में से एक है कुतुब मीनार जिसके बारे में आज हम बताने जा रहे हैं। इसके लिए आपको ये लेख अंत तक पढ़ना होगा।

जानिए क़ुतुबमीनार के इतिहास के बारे में

भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित करीब 73 मीटर ऊंची मीनार क़ुतुबमीनार, दुनिया की सबसे ऊंची इमारतों में से एक है। मुगल काल की प्रमुख निशानियां में से एक क़ुतुबमीनार का निर्माण सन् 1199 से 1220 में शुरू हुआ था। ऐसी शानदार इमारत को बनाने की शुरुआत दिल्ली सल्तनत के संस्थापक क़ुतुब-उद-दिन ऐबक ने की थी। हालाँकि उनकी मृत्यु के बाद इसका निर्माण कार्य उनके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश द्वारा पूरा किया गया लेकिन 1369 में मीनार का अधिकतर भाग एक दुर्घटना के कारण टूट गया जिसके बाद फिरोजशाह तुगलक ने फिर से मीनार का निर्माण करवाना शुरू किया।

कैसे पड़ा इस ऐतिहासिक मीनार का नाम क़ुतुबमीनार?

भारत के इस भव्य मीनार के नाम को लेकर इतिहासकारों के अलग-अलग मत हैं। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इस भव्य मीनार का नाम दिल्ली सल्तनत के पहले मुस्लिम शासक कुतुब-उद-दिन ऐबक के नाम पर रखा गया है जबकि कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इस भव्य इमारत का नाम मशहूर मुस्लिम सूफी संत ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर रखा गया था।

यूनेस्को की विश्व धरोहरों की लिस्ट में भी शामिल

तकरीबन 379 सीढ़ियों वाले क़ुतुब मीनार के निर्माण में लाल बलुआ पत्थर और मार्बल का इस्तेमाल किया गया है। इसकी खूबसूरती केवल देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी मशहूर है। इसी के आर्कषण की वजह से इसे यूनेस्कों ने विश्व धरोहरों की लिस्ट में भी शामिल किया है।

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