निंदा प्रस्ताव क्या है और जानिए इसका उद्देश्य, चर्चा का समय, कब लाया जाता है

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निंदा प्रस्ताव

सदन में कई ऐसी प्रक्रिया हैं जिनसे सरकार को सवाल-जवाब देना पड़ता है या फिर आसान शब्दों में समझें कि किसी बड़े मुद्दे पर सरकार को घेरा जाता है। इन प्रक्रियाओं में निंदा प्रस्ताव भी शामिल है जो कई बार हम सुनते हैं और इससे जु़ड़े प्रश्न परीक्षाओं में भी पूछे जाते हैं। यूपीएससी आईएएस परीक्षा के लिए सदन और उससे जुड़ी सभी प्रक्रियाओं पर मजबूत पकड़ होनी चाहिए, इसलिए इस ब्लाॅग में आप censure motion in hindi के बारे में विस्तृत जानेंगे।

निंदा प्रस्ताव क्या है?

निंदा का शाब्दिक अर्थ है “कड़ी अस्वीकृति” या “कठोर आलोचना”। निंदा प्रस्ताव का अर्थ है कर्तव्यों का पालन करने में विफलता के लिए मंत्रिपरिषद, मंत्रियों के समूह या व्यक्तिगत मंत्री के खिलाफ लाया गया प्रस्ताव। निंदा प्रस्ताव लोकसभा या राज्य विधानसभा में पेश किया जा सकता है। यह किसी विधायिका की कड़ी फटकार हो सकती है, या यह सरकार या किसी व्यक्तिगत मंत्री की नीतियों का सामान्य विरोध हो सकता है।

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निंदा प्रस्ताव का उद्देश्य क्या है?

भारत में निंदा प्रस्ताव संसद या राज्य विधानसभा में पेश किया जाता है। निंदा प्रस्ताव या आलोचना एक अभिव्यक्ति है। यहां इसके उद्देश्य इस प्रकार हैंः

  • निंदा अस्वीकृति या कठोर आलोचना की एक मजबूत अभिव्यक्ति है।
  • विपक्ष सरकार, किसी मंत्री या संपूर्ण मंत्रिपरिषद की किसी विशिष्ट नीति के विरुद्ध निंदा प्रस्ताव प्रस्तुत करता है। इसे केवल संसद के निचले सदन में ही पेश किया जा सकता है। 
  • निंदा के कारणों का सटीक वर्णन करने के लिए प्रस्ताव स्पष्ट होना चाहिए।
  • इसे किसी एक मंत्री, मंत्रियों के समूह या पूरे मंत्रिपरिषद पर निर्देशित किया जा सकता है।
  • विशिष्ट नीतियों (specific policies) और कार्यों के लिए मंत्रिपरिषद की निंदा करने का प्रस्ताव है।
  • यदि यह लोकसभा में पारित हो जाता है तो मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देने की आवश्यकता नहीं है।
  • निंदा प्रस्ताव के लिए सदन की अनुमति की आवश्यकता नहीं होती है।

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निंदा प्रस्ताव का इतिहास क्या है?

1991 के बाद से 4 निंदा प्रस्ताव आए हैं। इनमें से सभी को कुछ अच्छे संसदीय कदमों से टाल दिया गया था। तीसरा नियम 184 (संसदीय नियम पुस्तिका) के तहत प्रस्ताव है, जो नियम 193 से थोड़ा नीचे है। भले ही सरकार नियम 184 के तहत हार जाती है, लेकिन वह इस्तीफा देने के लिए बाध्य नहीं है। 

यदि किसी सरकार के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया जाता है तो सदन का विश्वास दोबारा प्राप्त करने के लिए मंत्रिपरिषद तुरंत विश्वास प्रस्ताव पारित करेगी। एक सत्र में पेश किए जा सकने वाले निंदा प्रस्तावों की संख्या की कोई सीमा नहीं है।

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निंदा प्रस्ताव कब लाया जाता है?

निंदा प्रस्ताव विधायिका द्वारा कड़ी फटकार हो सकती है, आम तौर पर सरकार या किसी व्यक्तिगत मंत्री की नीतियों के खिलाफ विरोध होने पर निंदा प्रस्ताव लाया जाता है। इसे किसी कार्य की आलोचना, निंदा करने के लिए भी पारित किया जा सकता है। सदन द्वारा किसी मंत्री या मंत्रियों की विफलता पर रोष या आश्चर्य प्रकट किया जाता है।

निंदा प्रस्ताव कहां लाया जाता है?

निंदा प्रस्ताव समझने के साथ ही यहां कहां लाया जाता है भी जानना जरूरी है। भारत में निंदा प्रस्ताव निचले सदन या राज्य विधानसभा में पेश किया जाता है। राज्यसभा संसद का ऊपरी सदन है क्योंकि इस सदन के सदस्य अधिकतर राष्ट्रपति द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित या मनोनीत होते हैं। लोकसभा निचला सदन है और इसे लोकप्रिय सदन भी कहा जाता है क्योंकि इसके सदस्य सीधे आम जनता द्वारा मतदान के माध्यम से चुने जाते हैं। निंदा प्रस्ताव में सरकार की आलोचना करने का तत्व है।

अब तक कितनी बार निंदा प्रस्ताव लाया जा चुका है?

एक सत्र में पेश किए जा सकने वाले निंदा प्रस्तावों की संख्या की कोई सीमा नहीं है। लोकसभा में इसे स्वीकारने का कारण बताना आवश्यक होता है। अब तक कितनी बार निंदा प्रस्ताव लाया गया इसकी निश्चित संख्या उल्लेखित नहीं है। 2019 में 50 लोकसभा सांसदों ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का अपमान करने पर निंदा प्रस्ताव का उल्लेख किया था।

निंदा प्रस्ताव पर चर्चा का समय क्या है?

सदन की किसी भी प्रक्रिया के लिए समय निर्धारित किया जाता है। निंदा प्रस्ताव पर चर्चा का समय निर्धारित है, जोकि इस प्रकार हैः

  • कोई भी संसद सदस्य (सांसद) निंदा प्रस्ताव पेश कर सकता है।
  • यह सरकारी नीतियों के खिलाफ विरोध है।
  • इस प्रस्ताव में सरकार के खिलाफ आरोपों का उल्लेख होना चाहिए।
  • आम तौर पर प्रारंभिक दिवस प्रस्ताव के रूप में पेश किया जाता है।
  • इसके लिए किसी विशेष दिन पर बहस निर्धारित नहीं है और एक सांसद को किसी विशेष मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त करने की अनुमति मिलती है।
  • यदि सांसदों को निंदा प्रस्ताव पर बहस करने और मतदान करने का समय मिल सके तो इसे पारित होने के लिए केवल साधारण बहुमत से वोट की आवश्यकता होगी। 
  • निंदा प्रस्तावों का कोई बाध्यकारी प्रभाव नहीं होता।

निंदा प्रस्ताव की प्रक्रिया क्या है?

निंदा प्रस्ताव समझने के साथ ही इसकी प्रक्रिया जानना जरूरी है। निंदा प्रस्ताव कब और कैसे लाया जाता है, और इसके लिए क्या जरूरते हैं के बारे में इस प्रकार बताया गया हैः

  • संसद के एक सत्र में इसे लाने की कोई संख्या निर्धारित नहीं है।
  • लोकसभा में इसे स्वीकारने का कारण बताना आवश्यक है।
  • यदि प्रस्ताव पीठासीन अधिकारी की निंदा करने के लिए किया जाता है तो उसे प्रस्ताव का निपटारा होने तक उपराष्ट्रपति के लिए कुर्सी छोड़नी होगी।
  • यह किसी एक मंत्री, मंत्रियों के समूह या संपूर्ण मंत्रिपरिषद के खिलाफ लाया जा सकता है।
  • यदि यह लोकसभा में पारित हो जाता है तो मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देने की आवश्यकता नहीं है।
  • निंदा प्रस्ताव के लिए सदन की अनुमति की आवश्यकता नहीं होती है। यदि यह पारित हो जाता है तो मंत्रिपरिषद लोकसभा का विश्वास प्राप्त करने के लिए बाध्य है।

निंदा प्रस्ताव की सीमाएं क्या हैं?

निंदा प्रस्ताव की कुछ सीमाएं भी निर्धारित की गई हैं, जोकि इस प्रकार हैंः

  • निंदा प्रस्ताव केवल लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है, राज्यसभा में नहीं।
  • इसमें व्यक्तिगत सदस्यों के कार्यों की केवल निंदा की जा सकती है।
  • लोकसभा में पारित होने के बाद भी मंत्रिपरिषद को पद से इस्तीफा देने की आवश्यकता नहीं है।
  • निंदा सिर्फ चेतावनी है, यह कार्यवाही नहीं है।
  • निंदा प्रस्ताव का उपयोग संसद सदस्यों द्वारा सदन के नियमों के अनुसार कार्य करने के लिए किया जा सकता है।

FAQs

भारतीय संसद में निंदा प्रस्ताव लाने का क्या उद्देश्य है?

यह किसी भी मुद्दे पर या सरकारी नीतियों के खिलाफ कठोर आलोचना करने का प्रस्ताव है।

निंदा प्रस्ताव किस सदन में लाया जाता है?

लोकसभा (लोअर हाउस)

निंदा प्रस्ताव को इंग्लिश में क्या कहा जाता है?

निंदा प्रस्ताव को इंग्लिश में सेंशर मोशन (censure motion) कहा जाता है। 

उम्मीद है कि इस ब्लाॅग में आपको निंदा प्रस्ताव के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। ऐसे ही UPSC से जुड़े ब्लॉग पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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