किसी भी जीव के शरीर की मजबूती और आकार उसके कंकाल तंत्र पर निर्भर करती है, फिर चाहे वह मनुष्य है या कोई पशु उसके सीधे चलने का कारण उसका कंकाल तंत्र होता है। एक मानव के शरीर में 206 हड्डियाँ होती हैं और विभिन्न जोड़ों की विविधता होती है। Kankal Tantra को दो घटकों में विभाजित किया जा सकता है: अक्षीय कंकाल और उपांग कंकाल। साधारण भाषा में कंकाल तंत्र का कार्य शरीर को आकृति देना, सहारा प्रदान करना, चलने-फिरने में योगदान देना और कोमल अंगों को सुरक्षा प्रदान करना, आदि है। शरीर की सभी पेशियां मिल कर पेशी-तंत्र बनाती हैं। पेशियां शरीर को गति देतीं और हृदय में धड़कन भी पैदा करती हैं। इस ब्लॉग के माध्यम से Kankal Tantra के बारे में विस्तृत रूप से जानते हैं।
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कंकाल तंत्र
कंकाल की रचना में हड्डियों के अतिरिक्त कुछ स्थानों पर कार्टिलेज या उपास्थि का भी योग रहता है। Kankal Tantra को दो मुख्य भागों में बाँटा गया है-
- अक्षीय कंकाल (Axial Skeleton) : जिसमें शरीर के दीर्घ एवं लम्बे एक्सिस में विद्यमान हड्डियाँ आती हैं। इसमे कपाल या खोपड़ी, उरोस्थि तथा पसलियाँ, मेरुदण्ड, कण्ठिका अस्थि है।
- अनुबन्धी कंकाल(Appendicular Skeleton) : कंकाल में ऊपर और नीचे की शाखाएं तथा उनकी मेखलाएँ होती हैं। इनके अतिरिक्त प्रत्येक कान के मध्य भाग में तीन छोटी-छोटी अस्थियाँ होती हैं। अस्थियों को दीर्घ, लघु, चपटी, बेडौल एवं सीजेमौयड अस्थियों में बाँटा गया है।
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मानव कंकाल तंत्र के प्रकार
मानव शरीर में उपलब्ध हड्डियों के अनुसार कंकाल तंत्र के दो प्रकार होते हैं:
- बाह्य कंकाल: शरीर के ऊपरी सतह पर पाए जाने वाले कंकाल को बाह्य कंकाल कहते हैं जैसे- मनुष्य शरीर में त्वचा, पक्षियों में पंख, पशुओं में बाल। बाह्य कंकाल का कार्य शरीर के आंतरिक अंगों की रक्षा करना है।
- अन्तः कंकाल: शरीर के आंतरिक हिस्से में पाए जाने वाले कंकाल को अन्तः कंकाल कहते हैं। इससे शरीर का मुख्य ढांचा बनता है। अन्तः कंकाल दो भागों से मिलकर बनता है:
- अस्थि
- उपास्थि
अस्थि:- अस्थि ठोस, कठोर और मजबूत होती है, जिन्हें सामान्यतः हम हड्डियां कहते हैं। अस्थि कैल्शियम और मैग्नीशियम से बानी होने के कारण इतनी ठोस और मजबूत होती हैं की शरीर का वजन उठा सकती है। मोटी और लंबी अस्थियां अंदर से खोखली होती है, जिनमें एक तरल पदार्थ पाया जाता है, जिसे अस्थि मज्जा कहते हैं। अस्थि दो प्रकार की होती है: कलाजात अस्थि और उपास्थि जात अस्थि। वयस्क अवस्था में मनुष्य शरीर में 206 अस्थियां होती हैं जबकि अभी जन्मे शिशु में लगभग 300 अस्थियां पाई जाती हैं।
उपास्थि:- उपास्थि का निर्माण कंकाल के संयोजी ऊतकों से होता है। यह अर्द्ध ठोस, लचीला पारदर्शी होता है।
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मानव कंकाल तंत्र के भाग
मानव Kankal Tantra के दो भाग है:
- अक्षीय कंकाल (एक्सियल स्केलेटन)
- उपांगीय कंकाल (अपेंडिकुलर स्केलेटन)
अक्षीय कंकाल
अक्षीय कंकाल शरीर के केंद्रीय अक्ष के आसपास बनता है और इस प्रकार खोपड़ी, रीढ़ और राइबेज शामिल हैं। यह मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी, हृदय, फेफड़े, अन्नप्रणाली और आंख, कान, नाक और जीभ जैसे प्रमुख अंगों की रक्षा करता है। अक्षीय कंकाल में खोपड़ी, मेरुदंड, पसलियां और उरोस्थि को मिलकर लगभग 80 अस्थियां होती हैं। जो दो भागो में विभाजित होती हैं:
- खोपड़ी
- कशेरुक दंड
- पसलियां
खोपड़ी (Skull)
- यह दो भागो में विभाजित होताे हैं इसमें टोटल 22 अस्थियां पाई जाती हैं।
- क्रेनियल (कपाल) – इसमें 8 हड्डी होती हैं ।
- फेशियल बोन – इसमें 14 अस्थियां होती हैं ।
- इसके अलावा 3-3 जोड़ी कान की होती हैं
- इसके अतिरिक्त एक और होती है जिसे होयड कहते हैं।
- कर्ण अस्थियां कर्ण के के मध्य भाग में स्थित होती हैं। कर्ण की स्टेप्स हड्डी हमारे शरीर की सबसे छोटी होती है।
खोपड़ी की मुख्य अस्थियां
- फ्रॉन्टल
- पेराइटल
- ऑक्सिपिटल
- टेम्पोरल
- मेलर
- मैक्सिला
- डेंटरी
- नेजल
कशेरुक दंड
- इसकी लंबाई 70 सेंटीमीटर होती है तथा 26 अस्थियां होती हैं कशेरुकी की कुल संख्या 33 होती है ।
- पहली कशेरुकी का नाम एटलस तथा अंतिम का नाम काँक्सियल होता है इसे टेल कशेरुकी भी कहा जाता है।
- कशेरुकी में एक होल होता है जिसमें से मेरुरज्जु या स्पाइनल कॉर्ड गुजरता है ।
कशेरुक दंड निम्न भागों में विभाजित होता है:-
- गर्दन- इसमें 7 कशेरुकी और 7 अस्थि होती हैं
- वक्ष- इसमें 12 कशेरूकी और 12 अस्थि होती हैं
- कटि- इसमें 5 कशेरुकी और 5अस्थि होती हैं
- त्रिक- इसमें 5 कशेरूकी और 1 अस्थि होती हैं
- अनुत्रिकास्थि- इसमें 4 कशेरूकी और 1 अस्थि होती हैं
- इस तरह कुल मिलाकर 33 कशेरूकी और 26 अस्थि होती हैं। उरोस्थि में केवल 1 अस्थि होती है।
पसलियां (Ribs)
इनकी कुल संख्या 24 या 12 जोड़ी होती है है यह पिंजरा बनाती है जिसे पसलियों का पिंजरा कहा जाता है।
- यह रिब केथ पसलियां स्टर्नम और थोरेसिक वेर्टेब्रा से मिलकर बनती हैं।
- 1 से 7 तक की पसलियों को सत्य या यथार्थ पसलियां कहा जाता है।
- 8वीं, 9वीं और 10वीं जोड़ी को फाल्स या गौण पसलियां कहा जाता है ।
- तथा 11वीं और 12वीं जोड़ी को फ्लोटिंग या चाल्य पसलियां कहा जाता है।
- इस तरह कुल मिलाकर 80 हड्डियों से अक्षीय कंकाल बना होता है।
उपांगीय कंकाल
उपांगीय कंकाल में हाथ और पैर की हाड़ियाँ शामिल है। इसमें कुल 126 अस्थियां होती हैं ।
1.मेखलाएं– इसमें पैर की अस्थियां आती है।
2.अंसमेखला- इसमें हाथ की अस्थियां आती हैं।
मेखलाएं
यह पादो को मुख्य अक्ष से जुड़ती हैं साथ ही यह एक दो भागों में विभाजित होती है ।
1.अंश मेखला
2.श्रोणि मेखला
- अंश मेखला: इस में कुल 4 अस्थि होती हैं यह अग्र पादो को मुख्य अक्ष से जोड़ता हैं। इसमें दो प्रकार की अस्थि होती हैं।
- हंसुली अस्थि– इसे कॉलर बोन भी कहा जाता है या इसे कभी कभी ब्यूटी बोन भी कहती हैं। इसमें दोनों तरफ एक-एक अस्थि होती हैं। यह हाथों को स्टर्नम से जोड़ती हैं।
- स्कंधास्थि – इसे शोल्डर बोन या कंधे की अस्थि कहा जाता है यह केविकल को ह्यूमरस से जोड़ती है।
- कोक्सल बोन- इसे हिप बोन या नितम्ब अस्थियां कहा जाता है। यह दोनो तरफ एक-एक होती हैं। श्रोणि मेखला में एक प्यूविक आर्च या कोण होता यह नर में 90 डिग्री तथा मादा में 100 डिग्री होता है यही दोनों के कंकाल तंत्र में अन्तर होता है।
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कंकाल तंत्र के कार्य
Kankal Tantra के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं :-
- कंकाल तंत्र के शरीर को मजबूत बनाने के साथ और भी कई कार्य हैं जिनके बारे में नीचे बताया गया है:
- कंकाल तंत्र शरीर को मजबूती और आकार प्रदान करता है।
- बाह्य कंकाल आंतरिक अंगों की सुरक्षा करते हैं।
- यह पेशियों की सहायता से सम्पूर्ण शरीर को गति प्रदान करता है।
हड्डियों के कार्य
- हड्डियां शरीर को सीधा खड़े रहने में मदद करती है।
- शरीर को मजबूती प्रदान करती है।
- हड्डियां शरीर को एक आकार देती है।
- शरीर के अन्य आंतरिक अंगों की रक्षा करती है।
मानव कंकाल तंत्र की प्रमुख संधियाँ
Kankal Tantra की अस्थियाँ जिनसे आपस में जुड़ती है, उन्हें संधि कहते हैं। सामान्य शब्दों कोहनी, घुटना गर्दन आदि के जोड़ को ही संधि कहते हैं। संधि 2 प्रकार होती है:
- चल संधि– जो जोड़ अस्थियों को गति प्रदान करता है, उन्हें चल संधि कहते हैं जैसे- घुटना, गर्दन, कोहनी, कंधे आदि।
- अचल संधि– यह जोड़ शरीर के नाजुक अंगों को सुरक्षा प्रदान करते हैं जैसे- मुख, खोपड़ी, वक्ष आदि।
कंकाल तंत्र पीडीएफ
FAQs
उत्तर- अस्थियाँ
उत्तर- बाह्य तथा अन्तः कंकाल
उत्तर- मीजनकाइम
उत्तर- मीसोडर्म
उत्तर- ओसीन
उत्तर- काइटिन
उत्तर- कशेरुक दंड
उत्तर- तंतुपस्थि पैड
उत्तर- 60-70 सेमी
उत्तर- 33
उत्तर- रीढ़ खम्ब
उत्तर- खोपड़ी
उत्तर- चेहरा
उत्तर- धड़
उत्तर- 24
उत्तर- हाथ
उत्तर- पैर
उत्तर- 8
उत्तर- 8
उत्तर- 14
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उत्तर- 206
आशा करते हैं कि इस ब्लॉग के माध्यम से आपको Kankal Tantra कैसे काम करता है इसकी सम्पूर्ण जानकारी मिल गई होगी। यदि आप इसी तरह के और ब्लॉग पढ़ना चाहते हैं तो Leverage Edu की वेब साइट पर बनें रहें।
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excellent 👌👍
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