झारखंड में अब तक मॉडल गाइडलाइन्स के आधार पर ही प्राइवेट यूनिवर्सिटीज खुलती रही हैं। जिसके कारण उन यूनिवर्सिटीज में बिना बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर, टीचर्स की पर्याप्त फैसिलिटी व अन्य जरूरी सुविधाओं का ध्यान रखे बगैर ही कुछ प्राइवेट यूनिवर्सिटी ऑपरेट होती रही हैं। इसके साथ ही गाइडलाइन्स में दी गई शर्तों को पूरा न करने पर भी उन यूनिवर्सिटी पर कोई उचित कार्यवाई नहीं हो सकी है। लेकिन अब झारखंड सरकार ने प्राइवेट यूनिवर्सिटीज के लिए नया मॉडल एक्ट लागू करने का फैसला किया है।
मॉडल एक्ट ड्राफ्ट बनकर तैयार
झारखंड उच्च शिक्षा निदेशालय की गठित कमेटी ने मॉडल एक्ट का फॉर्मेट बना कर उच्च, तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। अब राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मंजूरी ली जा रही है। उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग का प्रयास इससे संबंधित बिल को विधानसभा के इसी बजट सत्र में पारित कराने का है।
नियमों में हुआ बड़ा बदलाव
झारखंड में अभी तक प्राइवेट यूनिवर्सिटी राज्य सरकार द्वारा दिए जाने वाले लेटर ऑफ इंटेंट के आधार पर ही खुल जाते थे। जिसके आधार पर ही झारखंड विधानसभा में बिल पास कराकर एक्ट लागू कर दिया जाता था। इसके बाद ही उस यूनिवर्सिटी में पढ़ाई शुरू कर दी जाती थी।
इसके अलावा राज्य सरकार द्वारा मॉडल गाइडलाइन की सभी शर्तें पूरी करने के लिए विश्वविद्यालयों को एक तय समय दिया जाता था। लेकिन अब नियमों में बदलाव के कारण किसी यूनिवर्सिटी को लेटर आफ इंटेंट मिलने के बाद एक्ट में दी गई सभी शर्तों को पूरा करना होगा। सभी शर्त पूरी होने के बाद ही बिल विधानसभा से पास होगा, जिसके बाद ही यूनिवर्सिटी खुल सकेगी और पढ़ाई शुरू हो पाएंगी।
नए मॉडल एक्ट के ड्राफ्ट के अनुसार, अब झारखंड में प्राइवेट यूनिवर्सिटी खोलने के लिए म्युनिसिपल काउंसिल क्षेत्रों में 10 एकड़ तथा अन्य क्षेत्रों में 15 एकड़ जमीन ही अनिवार्य होगी। अभी तक राज्य में निजी विश्वविद्यालय खोलने के लिए न्यूनतम 25 एकड़ जमीन अनिवार्य की थी, जिसे अब कम कर दिया गया है।
अब म्युनिसिपल काउंसिल के क्षेत्रों में खुलने वाली प्राइवेट यूनिवर्सिटी के लिए मिनिमम 10 करोड़ तथा इसके बाहरी क्षेत्रों में खुलनेवाली यूनिवर्सिटी के लिए मिनिमम सात करोड़ रुपये का फंड होना अनिवार्य होगा।
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