जन्माष्टमी एक ऐसा पर्व है जो भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है, इस दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा नगरी में हुआ था। श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी का उत्सव पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व भगवान विष्णु के आठवें अवतार, श्रीकृष्ण के जन्म के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। भगवान श्री कृष्ण का जीवन और शिक्षाएं आज भी हर मानव के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। इस ब्लॉग के माध्यम से आप जन्माष्टमी पर अनमोल विचार (Janmashtami Quotes in Hindi) पढ़ने का अवसर प्राप्त होगा। जन्माष्टमी पर्व पर लिखित अनमोल विचारों को पढ़कर आप अपने जीवन में इस उत्सव को आनंदमय ढंग से मना सकते हैं, जिसके लिए आपको ब्लॉग को अंत तक पढ़ना पड़ेगा।
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जन्माष्टमी पर अनमोल विचार – Janmashtami Quotes in Hindi
जन्माष्टमी पर अनमोल विचार (Janmashtami Quotes in Hindi) पढ़कर आप इस पर्व को पूरे हर्सोल्लास के साथ मना पाएंगे। ये विचार कुछ इस प्रकार हैं –
भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की वह पावन तिथि आ रही है, जिसके लिए मंगल गीत हवाएं गा रहीं हैं। – मयंक विश्नोई
जय हो कंश के काल की, जय हो लड्डू गोपाल की। – मयंक विश्नोई
चारो और देखने को मिले मिठाई की मिठास, तीनों लोकों के स्वामी कान्हा की आओ करें जयजयकार। – मयंक विश्नोई
महकता रहे खुशियों से आँगन, चारों और दया और करुणता के भाव का संचार हो। – मयंक विश्नोई
फिर एक साल बाद वह शुभ दिन आया है, माधव के जन्मोत्सव का सबने हर्ष मनाया है। – मयंक विश्नोई
भारत की सनातन संस्कृति का आधार है, जन्माष्टमी तो सौहार्द का त्योहार है। – मयंक विश्नोई
जन्माष्टमी के पावन पर्व पर जग का उद्धार हो, खुशियों के आगमन से विश्व का कल्याण हो। – मयंक विश्नोई
सृष्टि का कण-कण सकारात्मकता का संचार करे, जन्माष्टमी का पर्व आपके भंडार भरे। – मयंक विश्नोई
हर घर-हर आँगन में खुशियों का वास हो, इस जन्माष्टमी वसुंधरा से अंधेरे का नाश हो। – मयंक विश्नोई
खुश रहें आप और आपका परिवार सदा, जन्माष्टमी की मंगल वेला पर यही मेरी मनोकामना है। – मयंक विश्नोई
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जन्माष्टमी पर सुविचार – Janmashtami Thoughts in Hindi
जन्माष्टमी पर सुविचार (Janmashtami Thoughts in Hindi) स्वलिखित हैं, ये विचार कुछ इस प्रकार हैं-
जन्माष्टमी का पर्व प्रतीक है, धर्म की स्थापना और ज्ञान के संरक्षण का। – मयंक विश्नोई
जन्माष्टमी का पर्व प्रतीक है, संस्कारों और विचारों की संपन्नता का। – मयंक विश्नोई
जन्माष्टमी के पर्व से आप सीख सकते हैं कि कैसे आप अपने लक्ष्य के प्रति पूर्ण समर्पित हो सकते हैं। – मयंक विश्नोई
विद्या को पाना अपने आप में एक महोत्सव के समान होता है। – मयंक विश्नोई
भगवान श्री कृष्ण लीला ही आपको जीवन जीने का उद्देश्य और जीवन में एक लक्ष्य दे सकती है। – मयंक विश्नोई
जन्माष्टमी का पर्व मानव को मानवता का पाठ पढ़ाता है। ये पर्व हमें प्रेम, भक्ति और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। – मयंक विश्नोई
भगवान कृष्ण से मिले ज्ञान को आधार बनाकर ही हम अपने जीवन में सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित कर सकते हैं। – मयंक विश्नोई
भगवान कृष्ण की कृपा से ही मानव को जीवन की हर बड़ी से बड़ी कठिनाई का समाधान मिल जाता है। – मयंक विश्नोई
जन्माष्टमी के पर्व पर ही भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त करके ही मानव अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का उत्तराधिकारी बनता है। – मयंक विश्नोई
कृष्ण का जीवन हमें सिखाता है कि धैर्य और कर्म से हर परिस्थिति का सामना किया जा सकता है।
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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर प्रेरणादायक विचार – Motivational Janmashtami Quotes in Hindi
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर प्रेरणादायक विचार (Motivational Janmashtami Quotes in Hindi) कुछ इस प्रकार हैं, जो कि स्वयं श्री कृष्ण की वाणी हैं –
“जब-जब धरती पर अधर्म बढ़ता है, तब-तब धर्म की स्थापना के लिए मैं अवतार लेता हूँ।” – भगवान श्रीकृष्ण
“जो हुआ, अच्छा हुआ। जो हो रहा है, अच्छा हो रहा है। जो होगा, वह भी अच्छा ही होगा।” – श्रीकृष्ण
“कर्म कर, फल की चिंता मत कर, क्योंकि कर्म ही तेरा धर्म है।” – भगवान कृष्ण
“मनुष्य का जीवन उसके विचारों से निर्मित होता है, इसलिए सदैव सकारात्मक सोचें।” – श्रीकृष्ण
“हर आत्मा अमर है, यह शरीर तो बस नश्वर वस्त्र है।” – श्रीकृष्ण
“जो अपने क्रोध को जीत लेता है, वही सबसे बड़ा विजेता है।” – भगवान कृष्ण
“जीवन में संतुलन बनाए रखना ही सच्चा योग है।” – श्रीकृष्ण
“जो व्यक्ति सच्चे मन से मेरी शरण में आता है, उसे मैं कभी निराश नहीं करता।” – भगवान कृष्ण
“प्रत्येक जीवात्मा मेरे ही अंश हैं, इसलिए सभी में मुझे ही देखो।” – श्रीकृष्ण
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जन्माष्टमी पर संस्कृत में विचार
Janmashtami Quotes in Hindi के इस ब्लॉग में आपको जन्माष्टमी पर संस्कृत में विचार उनके भावार्थ सहित पढ़ने को मिल जाएंगे, जो कि निम्नलिखित हैं और आपको जीवन जीने का एक लक्ष्य देंगे-
श्रीकृष्ण विष्णु मधुकैटभारे भक्तानुकंपिन् भगवान मुरारे।
त्रयस्व माम् केशव लोकनाथ गोविंद दामोदर माधवेति॥भावार्थ : ‘हे श्रीकृष्ण! हे विष्णु ! हे मधुकैटभ का संहार करने वाले!
हे भक्तों के ऊपर अनुकम्पा करने वाले!
हे भगवान! अरे मुरारे! हे केशव ! हे लोकेश्वर ! हे !गोविंद हे दामोदर !
हे माधव ! मेरी रक्षा करो, रक्षा करो’।
जिह्वे सदैवम् भज सुंदराणि,
नामानि कृष्णस्य मनोहराणि।
सर्व भक्तार्ति विनाशनानि,
गोविंद दामोदर माधवेति॥भावार्थ : हे जिह्वा, तू भगवान श्री कृष्ण के आकर्षक रूप, गोविंद, दामोदर,
माधव का जाप कर, जो अपने भक्तों के सारे बच्चों का मूल नाश करने वाले हैं।
सुखवसाने त्विदमेव सारं दुखवसाने त्विदमेव गयम्।
देहावसाने त्विदमेव जप्यं गोविंद दामोदर माधवेति ॥भावार्थ : सुख के अंत में यही सार है, दुख के अंत में यही गाने उपयुक्त हैं और
शरीर का अंत होने के समय भी यही मंत्र जपने योग्य है,
कौन सा मंत्र? यही कि ‘हे गोविंद!’ हे दामोदर ! ‘हे माधव!’ ॥
त्वमेव याचे मम देहि जिह्वे,
समागते दंड – धेरे कृतंते।
जपमेवं मधुरं सुभक्त्या,
गोविंद दामोदर माधवेति।।भावार्थ : हे जिह्वा, मेरी तुझसे यही प्रार्थना है, जब मेरा अंत समय आया,
उस समय संपूर्ण दान से गोविंद, दामोदर और माधव जैसे
मधुर पर्वत को लेकर मेरा कल्याण करना।
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