राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भारत की स्वतंत्रता में अहम योगदान दिया था। महात्मा गांधी के 3 बंदर काफी प्रसिद्द थे। गांधीजी के तीन बंदर एक प्रसिद्ध प्रतीक हैं जो बुरा न देखो, बुरा न सुनो, बुरा न बोलो के सिद्धांतों को दर्शाते हैं। इन बंदरों को पहली बार जापान में देखा गया था, और गांधीजी ने उन्हें वर्ष 1900 के दशक की शुरुआत में चीन की यात्रा के दौरान एक मित्र से उपहार के रूप में प्राप्त किया था। गांधीजी ने इन बंदरों को अपने जीवन में बहुत महत्व दिया, और वे अक्सर उनके भाषण और लेखन में उनका उल्लेख करते थे।
इन तीन बंदरों को अक्सर गांधीजी के अहिंसा और शांति के संदेश का प्रतीक माना जाता है। वे हमें यह याद दिलाते हैं कि हमें बुराई से बचना चाहिए, चाहे वह हमारी आंखों के सामने हो, हमारे कानों में हो, या हमारे मुंह से निकले।
गांधीजी के तीन बंदरों का अर्थ
गांधीजी के तीन बंदर एक शक्तिशाली प्रतीक हैं जो हमें बुराई से बचने और एक बेहतर दुनिया बनाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। प्रत्येक बंदर का अर्थ है-
- मिज़ारू: यह बंदर अपनी आंखें बंद करके बुरा नहीं देखता है। यह हमें यह याद दिलाता है कि हमें बुराई को न देखने की कोशिश करनी चाहिए।
- किकाज़ारू: यह बंदर अपने कान बंद करके बुरा नहीं सुनता है। यह हमें यह याद दिलाता है कि हमें बुराई को न सुनने की कोशिश करनी चाहिए।
- इवाज़ारू: यह बंदर अपने मुंह बंद करके बुरा नहीं बोलता है। यह हमें यह याद दिलाता है कि हमें बुराई नहीं बोलनी चाहिए।
गांधीजी का मानना था कि इन सिद्धांतों का पालन करने से हम एक बेहतर दुनिया बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर हम बुराई से बचने के लिए प्रयास करते हैं, तो हम हिंसा और संघर्ष को कम कर सकते हैं।
गांधीजी के चार बंदर
गांधीजी ने कभी भी चौथे बंदर का सीधे-सीधे उल्लेख नहीं किया, लेकिन उन्होंने अक्सर बुराई से बचने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमें बुराई को न तो देखना चाहिए, न सुनना चाहिए, न बोलना चाहिए, और न ही करना चाहिए।
चौथे बंदर के बारे में अलग-अलग व्याख्याएं हैं। कुछ लोग मानते हैं कि यह एक आदर्श है जिसे हम सभी को प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। दूसरों का मानना है कि यह एक असंभव लक्ष्य है। लेकिन चाहे आप इस पर जो भी विश्वास रखें, चौथा बंदर गांधीजी के अहिंसा और शांति के संदेश का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
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FAQs
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात, भारत में हुआ था।
महात्मा गांधी की बेटी नहीं थी, उनके चार बेटे थे।
गांधी जी के पहले पुत्र हीरालाल थे।
महात्मा गांधी का विवाह कस्तूरबा से हुआ था।
महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है।
सत्य के प्रयोग, हिन्द स्वराज, मेरे सपनों का भारत, दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह, गीता बोध आदि कुछ सबसे प्रसिद्द महात्मा गांधी की पुस्तकों के नाम हैं।
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