माइकेल फैराडे, भौतिक विज्ञानी एवं रसायनज्ञ थे। उन्होंने विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव का आविष्कार किया। इन्होंने विद्युत चुंबकीय प्रेरण का अध्ययन करके उसको नियमबद्ध किया।अपने जीवनकाल में फैराडे ने अनेक खोजें की। सन् 1831 में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंडक्शन के सिद्धांत की महत्वपूर्ण खोज की। चुंबकीय क्षेत्र में एक चालक को घुमाकर विद्युत-वाहक-बल उत्पन्न किया। Faraday ke Niyam फैराडे का नियम इस सिद्धांत पर भविष्य में जनरेटर बना तथा आधुनिक विद्युत इंजीनियरिंग की नींव पड़ी।
विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव के सिद्धांत पर कई प्रकार के यंत्र और मोटर आदि कार्य करते हैं।आज के हमारे इस ब्लॉग Faraday ke Niyam मे हम माइकल फैराडे के चुम्बकीय प्रेरण के नियमों के बारे में चर्चा करेंगे।
This Blog Includes:
- फैराडे के नियम किसे कहते हैं?
- इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंडक्शन किसे कहते हैं?
- विद्युत चुंबकीय प्रेरण की परिभाषा
- फैराडे के प्रथम नियम को बताइये?
- फैराडे का प्रयोग
- समीकरणों में प्रयुक्त भौतिक राशियों का अर्थ
- फैराडे के द्वितीय नियम को बताए?
- फैराडे के नियमों को संक्षेप में इस प्रकार लिख सकते हैं
- 1 फैराडे किसके बराबर होता है?
- फैराडे के विद्युत चुंबकीय प्रेरण के नियम बताइए
फैराडे के नियम किसे कहते हैं?
माइकल फैराडे ने सन् 1831 में विद्युत चुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत की महत्वपूर्ण खोज की। चुंबकीय क्षेत्र में एक कंडक्टर को घुमाकर एलेक्ट्रोमॅटिव फाॅर्स उत्पन्न किया। इस सिद्धांत पर अभी तक जनरेटर बन चुके हैं। इन्होंने विद्युद्विश्लेषण पर महत्वपूर्ण कार्य किए तथा विद्युत विश्लेषण के नियमों की स्थापना की, जो फैराडे के नियम कहलाते हैं। फैराडे ने अनेक पुस्तकें लिखी , जिनमें सबसे उपयोगी पुस्तक “विद्युत में प्रायोगिक गवेषणा” (Experimental Researches in Electricity) है।
विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के प्रयोगों में विद्युत वाहक बल के उत्पन्न होने के कारण एवं परिणाम ज्ञात करने के लिए माइकल फैराडे ने सन् 1831 में विद्युत चुम्बकीय प्रेरण से संबंधित दो नियम दिए हैं–
- फैराडे का प्रथम विद्युत अपघटन नियम
- फैराडे का द्वितीय विद्युत अपघटन नियम
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंडक्शन किसे कहते हैं?
ओस्टेंड ने 1832 में बताया कि जब किसी चालक में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो उसके चारों ओर एक मैग्नेटिक फील्ड स्थापित हो जाता है।
विद्युत धारा के इसी चुम्बकीय प्रभाव से प्रेरित होकर फैराडे ने अपना विचार प्रस्तुत किया कि इसके विपरीत चुम्बकीय क्षेत्र से भी विद्युत धारा उत्पन्न हो सकती है।अपने प्रयोगों से फैराडे ने यह निष्कर्ष निकाला कि जब किसी चुंबक को किसी धारामापी से जुड़ी कुंडली के पास लाते हैं या दूर ले जाते हैं तो धारामापी में विक्षेप होता है और कुंडली में एक विद्युत वाहक बल (EMF) उत्पन्न होता है जिसके कारण से कुंडली में एक धारा प्रवाहित होती है। धारामापी में यह विक्षेप तब तक रहता है जब तक चुम्बक गतिशील रहता है। चुम्बक को स्थिर कर देने पर धारामापी में विक्षेप बन्द हो जाता है।
इससे फैराडे ने यह निष्कर्ष निकाला कि जब किसी कुण्डली व चुम्बक के बीच आपेक्षिक गति होती है तो कुण्डली में एक विद्युत वाहक बल(Electromotive Force) उत्पन्न हो जाती है जिसे प्रेरित विद्युत वाहक बल कहते हैं।
इसी विद्युत वाहक बल के कारण कुंडली में एक धारा प्रवाहित होती है जिसे प्रेरित धारा कहते हैं। इस घटना को ही विद्युत चुम्बकीय प्रेरण कहा जाता हैं।
विद्युत चुंबकीय प्रेरण की परिभाषा
किसी बंद कुंडली और चुंबक के बीच सापेक्ष गति होने से कुंडली में विद्युत वाहक बल के प्रेरित होने की घटना को विद्युत चुंबकीय प्रेरण(Electromagnetic induction) कहा जाता है।
फैराडे के प्रथम नियम को बताइये?
फैराडे का विद्युतचुम्बकीय प्रेरण नियम या फैराडे का प्रेरण नियम, विद्युत चुम्बकत्व का एक मौलिक नियम है। ट्रांसफार्मर, विद्युत जनित्र आदि की कार्यप्रणाली इसी सिद्धांत पर आधारित होती है। इस नियम के अनुसार, जब किसी परिपथ से संबद्ध चुंबकीय फ्लक्स में समय के साथ परिवर्तन होता है तो परिपथ में एक विद्युत वाहक बल प्रेरित हो जाता है। यह प्रेरित विद्युत वाहक परिपथ में तब तक रहता है जब तक इससे संबद्ध चुंबकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता रहता है। अर्थात
जब किसी विद्युत अपघट्य के विलयन में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो इलेक्ट्रोडो पर इकठ्ठे होने वाले पदार्थ की मात्रा W , आवेश की मात्रा Q के प्रोपोर्शनेट होती हैं।
अर्थात
W ∝ Q
आवेश की मात्रा = धारा x समय
Q = I x t
Image source: Wikipedia
W ∝ I x t
W = ZIt
यहाँ , Z एक स्थिरांक (constant) है जिसे विधुत रासायनिक तुल्यांक कहते है।इसे निम्न प्रकार से परिभाषित किया जाता हैं।
यदि I = 1 ऐम्पियर तथा
t = 1 सेकण्ड तो
W = Z
अतः जब किसी विद्युत अपघट्य के विलयन में 1 एम्पियर की धारा 1 सेकंड तक प्रवाहित की जाती है तो निक्षेपित (इक्क्ठे) हुए पदार्थ की मात्रा को विधुत रासायनिक तुल्यांक कहते है।
फैराडे का प्रयोग
- फैराडे ने तार की दो कुंडलियाँ ली।
- किसी बन्द परिपथ में उत्पन्न विद्युत वाहक बल (EMF) उस परिपथ से होकर प्रवाहित चुम्बकीय फ्लक्स के परिवर्तन की दर के बराबर होता है।
फैराडे के नियम का गणितीय रूप निम्न है-
जहाँ,
E=विद्युतवाहक बल है (वोल्ट में)।
Φ =परिपथ से होकर गुजरने वाला चुम्बकीय फ्लक्स है (Weber / (Wb) में)।
लेंज नियम के अनुसार “उत्पन्न विद्युत वाहक बल की दिशा ऐसी होती है जो उत्पन्न करने वाले कारण का विरोध कर सके।”
समीकरणों में प्रयुक्त भौतिक राशियों का अर्थ
‘Faraday ke Niyam कई चरणों में विकसित होने के बाद अपने वर्तमान रूप में आया है। 1831 में फैराडे द्वारा प्रस्तुत प्रेरण के नियम के अनुसार किसी बन्द परिपथ में उत्पन्न विभव उस परिपथ को पार करने वाले चुम्बकीय फ्लक्स रेखाओं की संख्या के समानुपाती होता है क्योंकि फैराडे ने यह नियम मौखिक रूप से दिया था और स्वयं द्वारा परिकल्पित ‘चुम्बकीय फ्लक्स रेखाओं की संख्या’ की बात की थी इसी कारण से फैराडे का नियम का प्रसार नहीं हुआ और बाद में फिर सन् 1845 में जाकर न्यूमान ने इस नियम को गणितीय रूप में प्रस्तुत किया-
जहां, фB चुम्बकीय फ्लक्स है जिसे निम्न तरह से परिभाषित किया जाता है-
विभवान्तर की परिभाषा से, निम्नलिखित समीकरण लिख सकते हैं-
जहाँ, E= परिपथ के किसी बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र है।
स्टोक्स प्रमेय के द्वारा, फैराडे के नियम को निम्न प्रकार से भी लिख सकते हैं:
यहाँ प्रयुक्त ऋण चिह्न (-) हेनरिक लेन्ज का मौलिक योगदान है। लेंज ने बताया कि यदि परिपथ को बंद किया जाए तो परिपथ में उत्पन्न धारा की दिशा ऐसी होती है जो उस कारण का विरोध करती है जिसके कारण वह उत्पन्न हुई है।
अर्थात यदि किसी बंद परिपथ में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो वह उस कारण का विरोध करती है जिससे इसकी उत्पत्ति हुई है।
फैराडे के द्वितीय नियम को बताए?
फैराडे के द्वितीय नियम के अनुसार जब परिपथ में प्रेरित विद्युत वाहक बल का परिमाण उस परिपथ से संबद्ध चुंबकीय फ्लक्स के परिवर्तन के दर के अनुक्रमानुपाती होता है।
अर्थात जब दो या दो से अधिक विद्युत अपघट्य के विलयन में समान मात्रा की विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो इलेक्ट्रोड पर निक्षेपित होने वाले पदार्थ की मात्रा (W) उनके रासायनिक तुल्यांक (E) के समानुपाती होती हैं। प्रेरित विद्युत वाहक बल, फ्लक्स परिवर्तन की ऋणात्मक दर के बराबर होता है
अर्थात
W ∝ E
प्रथम विद्युत अपघट्य के लिए W1 ∝ E1
द्वितीय विद्युत अपघट्य के लिए W2 ∝ E2
फैराडे के नियमों को संक्षेप में इस प्रकार लिख सकते हैं
जहाँ
- m= किसी विद्युताग्र पर जमा हुए पदार्थ का दर्व्यमान है।
- Q =विलयन से होकर प्रवाहित कुल आवेश की मात्रा है।
- F = 96485 C mol-1 को फैराडे नियतांक कहते हैं।
- M= पदार्थ का मोलर द्रव्यमान है।
- z = आयानो की संयोजकता की संख्या है जो कि दर्शाती है कि प्रति आयन कितने इलेक्ट्रॉन ट्रांसफर होते हैं।
- M / z जमा हुए पदार्थ का तुल्यांकी भार(equivalent weight) है।
- फैराडे के प्रथम नियम के लिये, M, F, तथा z नियत(constant) हैं और Q जितना अधिक होगा, उतना ही अधिक m भी होगा।
- फैराडे के द्वितीय नियम के लिये, Q, F, तथा z नियतांक हैं; अत: M / z (तुल्यांकी भार) जितना ही अधिक होगा , m भी उतना ही अधिक होगा।
एक साधारण स्थिति जिसमें विद्युत धारा नियत रहती हो, तो
और
जहाँ
- n मोलों की संख्या है : n = m / M
- t वह समयावधि है जितने समय तक विद्युत प्रवाहित होती है,
- किन्तु यदि परिवर्ती (variable) धारा बह रही हो तो कुल आवेश Q का मान
1 फैराडे किसके बराबर होता है?
- 1 फैराडे = 96,500 कूलाम ।
- यह 1 मोल इलेक्ट्रॉनों का एक आवेश है।
- 1 फैराडे , एक इलेक्ट्रोड पर, पदार्थ के बराबर एक ग्राम को मुक्त करता है।
- चार्ज के एक फैराडे को पारित करने पर, पदार्थ का एक ग्राम तिल कैथोड पर जमा किया जाता है।
फैराडे के विद्युत चुंबकीय प्रेरण के नियम बताइए
फैराडे का विद्युतचुम्बकीय प्रेरण का नियम या अधिक प्रचलित नाम फैराडे का प्रेरण का नियम, विद्युतचुम्बकत्व (electromagnetism) का एक मौलिक नियम है। ट्रान्सफार्मरों, इलेक्ट्रिक जनरेटर आदि की कार्यप्रणाली इसी सिद्धान्त पर आधारित है। इस नियम के अनुसार, किसी बन्द परिपथ में उत्पन्न विद्युतवाहक बल (EMF) उस परिपथ से होकर प्रवाहित चुम्बकीय फ्लक्स के परिवर्तन की दर के बराबर होता है।
विद्युतचुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त की खोज माइकल फैराडे ने सन् 1831 में की, और जोसेफ हेनरी ने भी उसी वर्ष स्वतन्त्र रूप से इस सिद्धान्त की खोज की। फैराडे ने इस नियम को गणितीय रूप में निम्नवत् प्रस्तुत किया – जहाँ विद्युतवाहक बल है (वोल्ट में) ΦB परिपथ से होकर गुजरने वाला चुम्बकीय फ्लक्स है (वेबर / Weber / (Wb) में) उत्पन्न विद्युतवाहक बल की दिशा के लिये लेंज का नियम लागू होता है। संक्षेप में लेंज का नियम यही कहता है कि उत्पन्न विद्युतवाहक बल की दिशा ऐसी होती है जो उत्पन्न करने वाले कारण का विरोध कर सके। उपरोक्त सूत्र में ऋण चिन्ह इसी बात का द्योतक है।
आशा करते हैं किस ब्लॉग से आपको Faraday ke Niyam के बारे में जानकारी मिल गई होगी। ऐसे ही अन्य तरह के ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu पर बने रहिए।
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Nyc
8 comments
Good
1farade brabar kaya hota hai
रौशन जी, 1 फैराडे की वैल्यू “फोर्थ पावर एम्पीयर वर्ग प्रति किलोग्राम मीटर वर्ग के लिए 1 सेकंड (s4 x A2 / kg x m2)” होती है।
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