भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को कौन नहीं जानता! उन्होंने अपने असाधारण कार्यों और सेवा से भारतीय इतिहास में अपना नाम स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज करवाया है। डॉ. राजेंद्र प्रसाद न केवल एक कुशल राजनेता थे, बल्कि वे एक विद्वान और सादगीपूर्ण जीवन जीने वाले व्यक्ति भी थे। इसके आवला भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी उन्होंने अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और आज़ादी के बाद वे 1950 में देश के पहले राष्ट्रपति बने। उनका योगदान सभी के लिए प्रेरणास्रोत है। ऐसे में कई बार स्टूडेंट्स को राजेंद्र प्रसाद पर निबंध लिखने को दिया जाता है। इस ब्लॉग में 100, 200 और 500 शब्दों में डॉ. राजेंद्र प्रसाद पर निबंध (Essay on Dr Rajendra Prasad in Hindi) के सैम्पल्स दिए गए हैं।
This Blog Includes:
100 शब्दों में डॉ राजेंद्र प्रसाद पर निबंध
छात्र 100 शब्दों में डॉ राजेंद्र प्रसाद पर निबंध (Essay on Dr Rajendra Prasad in Hindi) ऐसे लिख सकते हैं –
डॉ राजेंद्र प्रसाद, भारत के पहले राष्ट्रपति और एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका जन्म 3 दिसंबर 1884 को बिहार के सिवान जिले के जीरादेई गाँव में हुआ था। वे बहुत ही सरल स्वभाव के और ईमानदार व्यक्ति थे। स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने महात्मा गांधी के साथ मिलकर भारत को आज़ादी दिलाने में बड़ा योगदान दिया। आज़ादी के बाद, 1950 में वे देश के पहले राष्ट्रपति बने और 1962 तक इस पद पर रहे। वहीं राष्ट्रपति पद से सेवानिवृत्त होने के बाद, उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। उनकी स्वास्थ्य स्थिति खराब होने के कारण 28 फरवरी 1963 को उनका निधन हो गया।
200 शब्दों में डॉ राजेंद्र प्रसाद पर निबंध
छात्र 200 शब्दों में डॉ राजेंद्र प्रसाद पर निबंध (Essay on Dr Rajendra Prasad in Hindi) ऐसे लिख सकते हैं –
डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारतीय राजनीति के महान नेता और देश के पहले राष्ट्रपति थे। उनका जन्म 3 दिसंबर 1884 को बिहार के छोटे से गांव जीरादेई में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा जीरादेई और पटना से ही प्राप्त की थी, और फिर उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए कोलकाता चले गए। वे एक महान विद्वान, कुशल राजनेता और सादगी से जीवन जीने वाले व्यक्ति थे। इसी के साथ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनका अत्यधिक महत्वपूर्ण योगदान था। भारत की स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए उन्होंने राजनीति में कदम रखा और 1934 में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष बने। वहीं गांधीजी के विचारों से प्रेरित होकर वे स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुए और नमक सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन सहित कई आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई।
भारत के स्वतंत्र होने के बाद, डॉ. राजेंद्र प्रसाद को 1950 में देश का पहला राष्ट्रपति चुना गया। उनका कार्यकाल 1962 तक रहा, और इस दौरान उन्होंने भारतीय लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए। उनके अद्वितीय कार्यों के कारण, 1962 में उन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया। 28 फरवरी 1963 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनका जीवन सादगी, ईमानदारी और राष्ट्र सेवा का उदाहरण है। उनका योगदान भारतीय राजनीति में हमेशा याद रखा जाएगा।
यह भी पढ़ें : जानें 2024 में भारत रत्न से सम्मानित हस्तियों के बारे में
500 शब्दों में डॉ राजेंद्र प्रसाद पर निबंध
छात्र 500 शब्दों में डॉ राजेंद्र प्रसाद पर निबंध (Essay on Dr Rajendra Prasad in Hindi) ऐसे लिख सकते हैं –
प्रस्तावना
डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जीवन बहुत ही सरल और समाज सेवा से भरा हुआ था। वे भारत के पहले राष्ट्रपति बने और 12 वर्षों तक इस पद पर रहे। उनका जीवन सादगी, समर्पण, और देशभक्ति का प्रतीक है। वे न केवल एक कुशल नेता, बल्कि एक महान शिक्षक, विद्वान और समाजसेवी भी थे। उनका जीवन हमें सच्ची ईमानदारी और समर्पण का महत्व सिखाता है।
डॉ राजेंद्र प्रसाद का शुरूआती जीवन और विवाह
डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर 1884 को बिहार के सिवान जिले के जीरादेई गाँव के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम महादेव साह और उनकी माता कमलेश्वरी देवी, एक धर्मनिष्ठ हिंदू महिला थीं। बचपन से ही राजेंद्र प्रसाद को पढ़ाई में बहुत रुचि थी। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय स्कूल से प्राप्त की और बाद में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए कोलकत्ता चले गए।
राजेंद्र प्रसाद की शादी 16 साल की उम्र में हो गई थी लेकिन दुर्भाग्यवश उनकी पत्नी का निधन हो गया। इसके बाद डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने अपने जीवन का अधिकांश समय देश की सेवा और स्वतंत्रता संग्राम में समर्पित कर दिया।
डॉ राजेंद्र प्रसाद का राजनीतिक जीवन
डॉ. राजेंद्र प्रसाद का राजनीतिक जीवन बहुत ही प्रेरणादायक था। महात्मा गांधी के नेतृत्व में स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेते हुए उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े। इस तरह उन्होंने चंपारण सत्याग्रह, नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लिया। उनकी कड़ी मेहनत और संघर्ष ने उन्हें भारतीय राजनीति में एक प्रमुख स्थान दिलाया। 1934 में उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया और बाद में वे स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता बन गए।
भारत के प्रति उनका योगदान और सफलता
भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद, डॉ. राजेंद्र प्रसाद को देश के पहले राष्ट्रपति के रूप में चुना गया। उनका राष्ट्रपति पद का कार्यकाल 1950 से 1962 तक रहा। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने भारतीय लोकतंत्र की रक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उनके अद्वितीय कार्यों के कारण, 1962 में उन्हें ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया। 28 फरवरी 1963 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
निष्कर्ष
डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जीवन भारतवासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनका सादगी भरा जीवन और समर्पण आज भी भारतीय नागरिकों के लिए एक आदर्श बना हुआ है। वे न केवल एक महान नेता थे, बल्कि एक महान शिक्षक और एक सच्चे देशभक्त भी थे। डॉ. राजेंद्र प्रसाद का नाम हमेशा भारतीय इतिहास में एक आदर्श और प्रेरणास्त्रोत के रूप में रहेगा।
डॉ राजेंद्र प्रसाद के बारे में 10 लाइन
डॉ राजेंद्र प्रसाद के बारे में 10 लाइन इस प्रकार हैं :
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद, भारत के पहले राष्ट्रपति थे, जो 26 जनवरी 1950 से 13 मई 1962 तक इस पद पर रहे।
- उनका जन्म 3 दिसंबर 1884 को बिहार के जिलाजमिन गाँव में हुआ था।
- उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा हिंदी और संस्कृत में प्राप्त की थी।
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कोलकाता विश्वविद्यालय से अपनी मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की थी।
- राजेंद्र प्रसाद का विवाह 1903 में राजवंशी देवी से हुआ था, लेकिन कुछ ही समय बाद उनकी पत्नी का निधन हो गया।
- राजेंद्र प्रसाद का कार्यकाल 1952 से 1962 तक था, और वह दो बार राष्ट्रपति चुने गए।
- स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भागीदारी 1916 में हुई, जब उन्होंने महात्मा गांधी से प्रेरणा लेकर कांग्रेस से जुड़ने का निर्णय लिया।
- 1962 में डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया और राजनीति से दूर हो गए।
- उनके योगदान के कारण, 1962 में उन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद का निधन 28 फरवरी 1963 को हुआ।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद पर निबंध कैसे तैयार करें?
डॉ. राजेंद्र प्रसाद पर निबंध कैसे लिखें, इसके बारे में नीचे बताया गया है-
- निबंध लिखने के लिए सबसे पहले स्ट्रक्चर बनाएं।
- स्ट्रक्चर के अनुसार सभी जानकारी इक्कठा कर लें।
- इसके बाद निबंध की शुरुआत राजेंद्र प्रसाद के जीवन परिचय से करें।
- उनकी शिक्षा, कार्य और योगदान का उल्लेख करें।
- कोई भी जानकारी निबंध में लिखने से पहले उसकी अच्छी तरह से पुष्टि कर लें।
- निबंध लिखने से पहले ध्यान रखें कि भाषा सरल हों।
- निबंध के अंत में राजेंद्र प्रसाद के जीवन का सारांश दें।
FAQs
राजवंशी देवी, डॉ राजेंद्र प्रसाद की पत्नी थी। वह एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थीं।
उनकी स्वास्थ्य स्थिति धीरे-धीरे बिगड़ने के कारण 28 फरवरी 1963 को डॉ राजेंद्र प्रसाद का निधन हो गया।
डॉ राजेंद्र प्रसाद एक भारतीय राजनीतिज्ञ, वकील, भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता, पत्रकार और पत्रकार थे। इसी के साथ वह भारत के प्रथम राष्ट्रपति भी थे।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारतीय संविधान निर्माण में एक प्रमुख भूमिका निभाई। वह संविधान सभा के अध्यक्ष थे और उनके नेतृत्व में भारतीय संविधान को तैयार किया गया, जो भारतीय लोकतंत्र और सामाजिक न्याय का आधार बना।
वे 26 जनवरी 1950 से 13 मई 1962 तक राष्ट्रपति के पद पर रहे।
राजेंद्र प्रसाद को उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए वर्ष 1962 में भारत रत्न मिला था।
राजेन्द्र प्रसाद के चार भाई-बहन थे, एक बड़े भाई महेंद्र प्रसाद और तीन बड़ी बहनें और वह अपने माता-पिता के सबसे छोटे पुत्र थे।
11 दिसंबर 1946 को उन्हें संविधान सभा का अध्यक्ष चुना गया।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती हर साल 3 दिसंबर को मनाई जाती है।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने वकालत इसलिए छोड़ी थी क्योंकि उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने का निर्णय लिया था।
डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा लिखी गई पहली पुस्तक का नाम ‘इंडिया डिवाइडेड‘ है।
भारत के राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के बाद डॉ राजेंद्र प्रसाद, पटना के सदाकत आश्रम में रहते थे।
डॉ राजेंद्र प्रसाद तीन बार कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे।
सम्बंधित आर्टिकल्स
आशा हैं कि आपको इस ब्लाॅग में डॉ राजेंद्र प्रसाद पर निबंध (Essay on Dr Rajendra Prasad in Hindi) के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी प्रकार के हिंदी निबंध के ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।