जन्तुओं में विभिन्न शारीरिक क्रियाओं का नियंत्रण एवं समन्वयन तंत्रिका, तंत्र के अतिरिक्त कुछ विशिष्ट रासायनिक यौगिकों के द्वारा भी होता है। ये रासायनिक यौगिक हार्मोन कहलाते हैं। हार्मोन शब्द ग्रीक भाषा (Gr. Hormone = to stimulate or excite) से लिया गया है, जिसका अर्थ है- उत्तेजित करने वाला पदार्थ। हार्मोन का स्राव शरीर की कुछ विशेष प्रकार की ग्रन्थियों द्वारा होता है, जिन्हें अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ कहते हैं। अन्तःस्रावी ग्रन्थियों को नलिकाविहीन ग्रन्थियाँ के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इनमें स्राव के लिए नलिकाएँ नहीं होती हैं। नलिकाविहीन होने के कारण ये ग्रन्थियाँ अपने स्राव हार्मोन्स को सीधे रुधिर परिसंचरण में मुक्त करती है। रुधिर परिसंचरण तंत्र द्वारा ही इनका परिवहन सम्पूर्ण शरीर में होता है। चलिए जानते हैं Endocrine System in Hindi के बारे में।
This Blog Includes:
- एंडोक्राइन सिस्टम क्या है?
- एंडोक्राइन सिस्टम के कार्य
- बधिर स्राव ग्रंथि
- अंतः स्रावी ग्रंथियां
- मिश्रित ग्रंथि
- 1. पीयूष ग्रन्थि
- 2. थाइराइड ग्रन्थि
- 3. पेराथाॅइराइड ग्रन्थि
- 4. थाइमस ग्रन्थि
- 5. अग्नाश्य ग्रन्थि
- 6. एड्रिनलिन ग्रन्थि
- 7. पीनियल ग्रन्थि
- 8. जनन ग्रन्थियां
- 9. पैंक्रियास ग्रंथि
- 10. हाइपोथैलेमस
- पौधों के हारमोंस
- एंडोक्राइन सिस्टम के महत्वपूर्ण तथ्य
- एंडोक्राइन सिस्टम को स्वस्थ कैसे बनाये रखें
- अंतःस्रावी और तंत्रिका तंत्र के बीच अंतर
- FAQ
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एंडोक्राइन सिस्टम क्या है?
Endocrine System in Hindi को हार्मोन सिस्टम भी कहा जाता है। यह सिस्टम कई ग्रंथियों से बना होता है जो हार्मोन्स को बनाता है और निकालता है। हार्मोन्स शरीर के केमिकल संदेशवाहक होते हैं जो कोशिकाओं के एक समूह से दूसरे समूह तक सूचना और निर्देश ले कर जाते हैं। इन हार्मोन्स से शरीर के कई कार्य नियंत्रित होते हैं जैसे:
- श्वसन
- मेटाबोलिज्म
- प्रजनन
- संवेदन
- चलना-फिरना
- यौन विकास
- ग्रोथ
एंडोक्राइन सिस्टम के कार्य
एंडोक्राइन सिस्टम फैक्ट्स में सबसे पहले जानिये एंडोक्राइन सिस्टम के कार्यों के बारे में। एंडोक्राइन ग्लैंड ब्लडस्ट्रीम में हार्मोन्स को स्रावित करने में मदद करता है। इससे हार्मोन्स शरीर के दूसरे भाग की कोशिकाओं तक पहुंचते हैं। डोक्राइन हार्मोन्स हमारे मूड, विकास और ग्रोथ को नियंत्रित करते हैं, जिससे हमारी ग्रंथियां, मेटाबॉलिज्म और प्रजनन सही से काम कर पाते हैं। एंडोक्राइन सिस्टम इस बात को भी नियंत्रित करता है कि कितने हार्मोन्स निकलने चाहिए। ऐसा खून में मौजूद हॉर्मोन्स के स्तर या अन्य तत्वों के स्तर जैसे कैल्शियम पर निर्भर करता है। हार्मोन लेवल को कई चीज़ें प्रभावित करती हैं जैसे तनाव, इन्फेक्शन, खून में मिनरल या तरल पदार्थों के संतुलन में बदलाव आदि।
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अंतःस्त्रावी तंत्र ( Endocrine system )
ग्रंथियां एवं हार्मोन्स ( glands and hormones )
ग्रंथि :- शरीर की ऐसी संरचना जो शारीरिक पदार्थों से कुछ नया निर्मित करें ग्रंथि कहलाती है । ग्रंथियों में पसीना सीबम तेल दूध विभिन्न प्रकार के एंजाइम तथा हार्मोन का निर्माण हो सकता है ।
ग्रंथियां मुख्यतः तीन प्रकार की होती है
- बहिर स्रावी ग्रंथि ( Deaf secretion gland )
- अंतः स्रावी ग्रंथि ( Endocrine glands )
- मिश्रित ग्रंथि ( Blended glands )
बधिर स्राव ग्रंथि
ऐसी ग्रंथियां जिनमें अपना स्राव ले जाने के लिए नलिका जैसी संरचना होती है ।यह अपना स्राव किसी निश्चित स्थान पर अथवा निश्चित अंग पर ले जाते हैं ।इसलिए इन्हें नलिका युक्त ग्रंथियां भी कहते हैं।
उदाहरण स्वरुप स्वेद ग्रंथियां अपना स्राव त्वचा के ऊपर छोड़ देती हैं। दुग्ध ग्रंथियां अपना स्राव स्तनों में लेकर जाती हैं । इनका प्रभाव स्थान विशेष पर पड़ता है।
अंतः स्रावी ग्रंथियां
वे ग्रंथियां जिनमें अपना स्राव ले जाने के लिए नलिका जैसी संरचना नहीं होती ।यह अपना स्राव सीधे रुधिर में छोड़ देते हैं। इसलिए इनका प्रभाव संपूर्ण शरीर पर पड़ता है। इनसे निकलने वाले स्राव हारमोंस होते हैं। इन ग्रंथियों को नलिका विहीन ग्रंथि अभी कहते हैं।
मिश्रित ग्रंथि
यह हमारे शरीर में एक ही होती है पेनक्रियाज / अग्नाशय ग्रंथि यह ग्रंथि अंतः स्रावी तथा बहिर स्रावी दोनों ही कार्य करती है इसलिए इसे मिश्रित ग्रंथि कहते हैं। थामस एडिसनको अन्तःस्त्रावी विज्ञान का जनक कहा जाता है। अंतःस्त्रावी तंत्र के अध्ययन को एन्ड्रोक्राइनोलोजी कहते है मानव शरीर की मुख्य अन्तःस्त्रावी ग्रंथि Endocrine System in Hindi एवं उनसे स्त्रावित हार्मोन्स एवं उनके प्रभाव निम्न है।
- हाइपोथैलेमस
- पीयूष ग्रंथि
- थायराइड ग्रंथि
- पैरा थायराइड ग्रंथि
- थाइमस ग्रंथि
- अग्नाशय ग्रंथि
- एड्रिनल / अधिवृक्क ग्रंथि
- मादा में अंडाशय
- नर में वृषण
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1. पीयूष ग्रन्थि
पीयूष ग्रन्थि मस्तिष्क में पाई जाती है।यह मटर के दाने के समान होती है। यह शरीर की सबसे छोटी अतःस्त्रावी ग्रंथी है। इसे मास्टर ग्रन्थि भी कहते है।
इसके द्वारा आक्सीटोसीन, ADH/वेसोप्रेसीन हार्मोन, प्रोलेक्टीन होर्मोन, वृद्धि हार्मोन स्त्रावित होते है। इन्हें संयुक्त रूप से पिट्यूटेराइन हार्मोन कहते है।
(i) आक्सीटोसीन हार्मोन
यह हार्मोन मनुष्य में दुध का निष्कासन व प्रसव पीड़ा के लिए उत्तरदायी होता है। इसे Love हार्मोन भी कहते है। यह शिशु जन्म के बाद गर्भाशय को सामान्य दशा में लाता है।
(ii) ADH/ वैसोप्रेसीन
यह हार्मोन वृक्क नलिकाओं में जल के पुनरावशोषण को बढ़ाता है व मूत्र का सांद्रण करता है इसकी कमी से बार-बार पेशाब आता है।
(iii)वृद्धि हार्मोन(सोमेटाट्रोपिन)
इसकी कमी से व्यक्ति बोना व अधिकता से महाकाय हो जाता है।
(iv) प्रोलैक्टिन(PRL)/LTH/MTH
वृद्धि हार्मोन जो गर्भावस्था में स्तनों की वृद्धि व दुध के स्त्रावण को प्रेरित करता है।
(v)L-H हार्मोन(ल्यूटीनाइजिंग हार्मोन)
यह हार्मोन लिंग हार्मोन के स्त्रवण को प्रेरित करता है।
(vi) F-SHहार्मोन
यह हार्मोन पुरूष में शुक्राणु व महिला में अण्डाणु के निर्माण को प्रेरित करता है। एक उदाहरण 12 साल की उम्र में इससे एक हार्मोन निकलता है ।जिसे फॉलिकल स्टिम्युलेटिंग हार्मोन अर्थात एफ एस एच के नाम से जाना जाता है ।यह हार्मोन अंडाशय तथा वृषण को गेमेटोजेनेसिस की क्रिया प्रेरित करने के लिए उद्दीप्त कर देता है।
2. थाइराइड ग्रन्थि
यह ग्रन्थि गले में श्वास नली के पास होती है यह शरीर की सबसे बड़ी अंतरस्त्रावी ग्रन्थि है। इसकी आकृति एच होती है। इसके द्वारा थाइराॅक्सीन हार्मोन स्त्रावित होता है। ये भोजन के आक्सीकरण व उपापचय की दर को नियंत्रित करता है। कम स्त्रवण से गलगण्ड रोग हो जाता है।
इसके कम स्त्रवण से बच्चों में क्रिटिनिज्म रोग व वयस्क में मिक्सिडीया रोग हो जाता है। अधिकता से ग्लुनर रोग, नेत्रोन्सेधी गलगण्ड रोग हो जाता है।
यदि इस हार्मोन की सक्रियता हो जाए तो शरीर भीम काय हो जाता है और यदि इस हार्मोन की कमी हो जाए तो शरीर बना रह जाता है और बुद्धि कम विकसित होती है इस हार्मोन के निर्माण के लिए आयोडीन की आवश्यकता होती है आयोडीन की कमी से घेंघा नामक रोग हो जाता है और यह ग्रंथि खराब हो जाती है इसे थायराइड डेथ के नाम से भी जाना जाता है
3. पेराथाॅइराइड ग्रन्थि
यह ग्रन्थि गले में थाइराॅइड ग्रन्थि के पीछे स्थित होती है। इस ग्रन्थि से पैराथार्मोन हार्मोन स्त्रावित होता है। यह हार्मोन रक्त में Ca++ बढ़ाता है जो विटामिन डी की तरह कार्य करता है। इस हार्मोन की कमी से टिटेनी रोग हो जाता है।
यह हमारे शरीर में कैल्शियम का नियंत्रण करती है यदि इसकी अधिकता हो जाती है । तो यह हड्डियों से कैलशियम को निकाल कर शरीर में डाल देती है । जिससे हड्डियां कमजोर हो जाती है इस रोग को ऑस्टियोपोरोसिस कहा जाता है।
4. थाइमस ग्रन्थि
थाइमस ग्रन्थि को प्रतिरक्षी ग्रन्थि भी कहते है। इससे थाइमोसिन हार्मोन स्त्रावित होता है। यह हृदय के समीप पाई जाती है। यह ग्रन्थि एंटीबाॅडी का स्त्रवण करती है। यह ग्रन्थि बचपन में बड़ी व वयस्क अवस्था में लुप्त हो जाती है। यह ग्रन्थि टी-लिम्फोसाडट का परिपक्वन करती है। इसका प्रभाव लैंगिक परिवर्धन व प्रतिरक्षी तत्वों के परिवर्धन पर पड़ता है।
यह हमारे श्वेत रुधिर कणिकाओं को ट्रेनिंग देने का कार्य करती है । इससे निकलने वाला हार्मोन थाईमोसिन हार्मोन कहलाता है । इस हार्मोन की कमी से प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर हो जाता है।
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5. अग्नाश्य ग्रन्थि
- अग्नाश्य ग्रन्थि को मिश्रत(अन्तः व बाहरी) ग्रन्थि कहते है। यकृत के बाद दुसरी सबसे बड़ी ग्रन्थि है। इस ग्रन्थि में लैग्रहैन्स द्वीप समुह पाया जाता है। इसमें α व β कोशिकाएं पाई जाती है। जिनमें α कोशिकाएं ग्लुकागाॅन हार्मोन का स्त्रवण करती है। जो रक्त में ग्लुकोज के स्तर को बढ़ाता है।
- β कोशिकाएं इंसुलिन हार्मोन का स्त्राव करती है। जो रक्त में ग्लुकोज को कम करता है। यह एक प्रकार की प्रोटिन है। जो 51 अमीनो अम्ल से मिलकर बनी होती है। इसका टीका बेस्ट व बेरिंग ने तैयार किया ।
- इंसुलिन की कमी से मधुमेह(डाइबिटिज मेलिटस) नामक रोग हो जाता है व अधिकता से हाइपोग्लासिनिया रोग हो जाता है।
6. एड्रिनलिन ग्रन्थि
इसे अधिवृक्क ग्रन्थिभी कहते है। यह वृक्क अर्थात किडनी के ऊपरस्थित होती है। यह ग्रन्थि संकट, क्रोध के दौरान सबसे ज्यादा सक्रिय होती है। इस ग्रन्थि के बाहरी भाग को कार्टेक्स व भीतरी भाग को मेड्यूला कहते है।
कार्टेस से कार्टीसोल हार्मोन स्त्रावित होता है। जिसे जिवन रक्षक हार्मोन कहते है। मेड्यूला में एड्रिनलीन हार्मोन स्त्रावित होता है हार्मोन कभी-कभी निकलता है इस हार्मोन के निकलते ही भूख बंद हो जाती हैं और हमारी will power बढ़ जाती है जिसे करो या मरो हार्मोन भी कहते है। यह मनुष्य में संकट के समय रक्त दाब हृदयस्पंदन, ग्लुकोज स्तर, रक्त संचार आदि बढ़ा कर शरीर को संकट के लिए तैयार करता है।
7. पीनियल ग्रन्थि
यह ग्रन्थि अग्र मस्तिष्क के थैलेमस भागमें स्थित होती है। इसे तीसरी आंखभी कहते है। यह मिलैटोनिन हार्मोन को स्त्रावित करती है। जो त्वचा के रंग को हल्का करता है व जननंगों के विकास में विलम्ब करता है। इसे जैविक घड़ीभी कहते है।
8. जनन ग्रन्थियां
पुरूष – वृषण – टेस्टोस्टीराॅ
मादा – अण्डाश्य – एस्ट्रोजन व प्रोजेस्ट्रान
- जनद – यह भी अंतः स्रावी ग्रंथियां हैं जो हमारे द्वितीयक लैंगिक लक्षणों को उत्पन्न करती है पुरुषों में जैसे आवाज का भारी होना दाढ़ी मूछ का आन, महिलाओं में आवाज का पतला होना और दाढ़ी मूछ का नहीं आना
- वृषण- यह पुरुषों की अंतः स्रावी ग्रंथि होती है जो उन में द्वितीयक लैंगिक लक्षण के लिए उत्तरदाई होती है इसमें निकलने वाला हार्मोन टेस्टोस्टेरोन कहलाता है या हार्मोन पुरुषों में दाढ़ी मूछ का आना, आवाज का भारी होना आदि के लिए उत्तरदाई होता है साथ ही वृषण में स्पर्मेटोजेनेसिस अर्थात शुक्राणु निर्माण की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है।
- अंडाशय – यह दो गुलाबी संरचनाएं होती है जो शरीर के अंदर स्थित होती है ।इसमें दो हार्मोन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन निकलते हैं जो मादा में द्वितीय लक्षण के लिए आवश्यक है।
9. पैंक्रियास ग्रंथि
यह एक मिश्रित ग्रंथि होती है जिसकी लैंगर हैंस दीप कोशिकाओं में स्थित अल्फा और बीटा कोशिकाएं क्रम से ग्लूकेगन और इंसुलिन हार्मोन का श्रवण करती है । Endocrine System in Hindi में ग्लूकेगन शरीर में शुगर की मात्रा को बढ़ाकर तथा इंसुलिन बढ़ी हुई शुगर को कम करके रक्त में शुगर की मात्रा का नियमन करता है । इस हार्मोन की कमी से मधुमेह नामक रोग हो जाता है।
सामान्य भाषा में कहें तो व्यक्ति चाहे कितना भी भोजन करें यदि वह प्रतिदिन व्यायाम और रनिंग करता है । तो उसके शरीर में शर्करा की मात्रा के नियमन के लिए सही मात्रा में हार्मोन बनते रहेंगे और व्यक्ति को कभी मधुमेह से जूझना ही नहीं पड़ेगा।
10. हाइपोथैलेमस
यह ग्रंथि थैलेमस के नीचे मस्तिष्क में स्थित होती है यह ग्रंथि हमारी मास्टर ग्रंथि अर्थात पीयूष ग्रंथि पर कंट्रोल करती है इसलिए इसे सुपर मास्टर ग्रंथि भी कहते हैं।
हारमोंस के शरीर पर प्रभाव के बारे में वैज्ञानिक अभी तक रिसर्च कर रहे हैं बहुत ज्यादा सफलता प्राप्त नहीं हुई है क्योंकि प्रकृति और शरीर में कितनी मात्रा में इनका प्रभाव क्या होता है इस पर खोज अभी जारी है।
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पौधों के हारमोंस
पौधों में किसी भी प्रकार का अंतः स्रावी तंत्र नहीं पाया जाता है उसके बावजूद भी पौधों में हारमोंस बनते हैं जिन्हें पादप हार्मोन कहा जाता है सभी प्रकार के पादप हारमोंस या तो पौधों की वृद्धि को प्रेरित करते हैं या पौधों में प्रीति को संदमित करते हैं- उदाहरण जिबरेलिन
एंडोक्राइन सिस्टम के महत्वपूर्ण तथ्य
- हार्मोन नाम बेलिस व स्टारलिंग ने दिया।
- हार्मोन को रासायनिक संदेश वाहक भी कहते है।
- हार्मोन क्रिया करने के बाद नष्ट हो जाते है।
- किटों द्वारा विपरित लिंग को आकर्षित करने के लिए स्त्रावित किया गया पदार्थ फिरोमोन्स कहलाता है।
- मानव शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि यकृत है।
- मानव शरीर की सबसे बड़ी अन्तः स्त्रावी ग्रंथी थायरॅाइड ग्रंथि है।
एंडोक्राइन सिस्टम को स्वस्थ कैसे बनाये रखें
यह सब तो था Endocrine System in Hindi फैक्ट्स के बारे में, अब जानिये अपने एंडोक्राइन सिस्टम को स्वस्थ बनाये रखने के लिए आप क्या उपाय कर सकते हैं:
- एक्सरसाइज या योग करें।
- हमेशा संतुलित और पौष्टिक आहार लें।
- नियमित रूप से अपना मेडिकल चेकअप कराएं।
- कोई भी सप्लीमेंट या हर्बल उपचार लेने से पहले अपने डॉक्टर की राय अवश्य लें।
- डॉक्टर को एंडोक्राइन समस्याओं से जुड़ी अपनी फैमिली हिस्ट्री जरूर बताएं जैसे डायबिटीज या थायरॉइड आदि।
अंतःस्रावी और तंत्रिका तंत्र के बीच अंतर
अंतःस्त्रावी प्रणाली: एंडोक्राइन सिस्टम ग्रंथियों के संग्रह को संदर्भित करता है जो शरीर के कार्यों को नियंत्रित करने के लिए हार्मोन का उत्पादन करते हैं। अंतःस्त्रावी प्रणाली एंडोक्राइन सिस्टम ग्रंथियों से बना होता है। एंडोक्राइन सिस्टम प्रभावकारी अंग को संकेत प्रेषित करने के लिए हार्मोन नामक रासायनिक पदार्थों का उपयोग करता है। संपूर्ण अंतःस्रावी तंत्र शारीरिक रूप से जुड़ा नहीं है। अंतःस्रावी तंत्र वृद्धि, जलयोजन स्तर, ग्लूकोज स्तर, गर्मी उत्पादकता, यौन परिपक्वता और युग्मकों के उत्पादन को नियंत्रित करता है।
तंत्रिका तंत्र: तंत्रिका तंत्र तंत्रिका कोशिकाओं के नेटवर्क को संदर्भित करता है जो तंत्रिका आवेगों को संचारित करके शरीर के कार्यों का समन्वय करता है। तंत्रिका तंत्र, तंत्रिका कोशिकाओं से बना होता है जो मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और परिधीय तंत्रिकाओं में व्यवस्थित होते हैं। तंत्रिका तंत्र बिजली के आवेगों और रासायनिक पदार्थों का उपयोग करता है, जिसे न्यूरोट्रांसमीटर कहा जाता है ताकि प्रभाव अंग को संकेत प्रेषित किया जा सके। संपूर्ण तंत्रिका तंत्र शारीरिक रूप से जुड़ा हुआ है। तंत्रिका तंत्र मांसपेशियों की गति, दिल की धड़कन, पाचन, श्वास, इंद्रियों, भाषण और स्मृति को नियंत्रित करता है।
FAQ
(a) थॉमस एडीसन
(b) रॉर्बट हुक
(c) एन्टॉनी वॉन ल्यूवेनहॉक
(d) लुई पाश्चर
उत्तर: (a) थॉमस एडीसन
(a) नलिकाविहीन ग्रन्थियाँ
(b) नलिकायुक्त ग्रन्थियाँ
(c) अपना स्राव रुधिर में डालती हैं
(d) ‘a’ तथा ‘c’ दोनों
उत्तर:(c) अपना स्राव रुधिर में डालती हैं
(a) पिट्यूटरी
(b) थायरॉइड
(c) पैराथायरॉइड
(d) लार ग्रन्थि
उत्तर:(d) लार ग्रन्थि
(a) अग्न्याशय
(b) तेल ग्रन्थि
(c) थायरॉइड
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:(a) अग्न्याशय
(a) पिट्यूटरी
(b) अग्न्याशय
(c) थायरॉइड
(d) वृक्क
उत्तर:(a) पिट्यूटरी
(a) ADH हॉर्मोन की कमी से
(b) पिट्यूटरी के न्यूरोहाइपोफाइसिस से
(c) अग्न्याशय से
(d) ‘a’ तथा ‘b’ दोनों से
उत्तर:(d) ‘a’ तथा ‘b’ दोनों से
(a) थायरॉक्सिन हॉर्मोन से
(b) पिट्यूटरी से
(c) अग्न्याशय से
(d) ‘a’ तथा ‘b’ दोनों से
उत्तर:(c) अग्न्याशय से
(a) हापोथैलेमस
(b) थाइमस
(c) लैंगरहैन्स की 8-कोशिकाएँ
(d) पिट्यूटरी
उत्तर:(c) लैंगरहैन्स की 8-कोशिकाएँ
(a) मस्तिष्क में
(b) आमाशय में
(C) अण्डाशय में
(d) अग्न्याशय में
उत्तर:(d) अग्न्याशय में
(a) वेसोप्रेसिन
(b) सोमेटोट्रॉपिक हॉर्मोन
(c) FSH
(d) टेस्टोस्टीरॉन
उत्तर:(d) टेस्टोस्टीरॉन
(a) वर्णान्धता
(b) साधारण घेंघा
(c) नेत्रोत्संगी घेंघा
(d) कैन्सर
उत्तर:(b) साधारण घेंघा
(a) इन्सुलिन के अल्पस्रावण का
(b) थायरॉक्सिन के अल्पस्रावण का
(c) एस्ट्रोजन के अल्पस्रावण का
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:(a) इन्सुलिन के अल्पस्रावण का
(a) भेकशिशु, बौने मेंढक में परिवर्तित हो जाएगा
(b) लारवा से बड़ा मेंढक बनेगा
(c) यह लारवा अवस्था में अनन्तकाल तक रहेगा
(d) लारवा मर जाएगा
उत्तर:(a) भेकशिशु, बौने मेंढक में परिवर्तित हो जाएगा
(a) बच्चों में GH का अतिस्रावण
(b) वयस्कों में GH का अतिस्रावण
(C) GH का अल्पस्रावण
(d) विटामिन D की कमी
उत्तर:(b) वयस्कों में GH का अतिस्रावण
(a) लेडिग कोशिकाओं के द्वारा
(b) सर्टोली कोशिकाओं के द्वारा
(c) शुक्रजनक कोशिकाओं के द्वारा
(d) ‘a’ तथा ‘b’ दोनों के द्वारा
उत्तर:(a) लेडिग कोशिकाओं के द्वारा
(a) कुशिंग का रोग
(b) कान का रोग
(c) एडीसन का रोग
(d) साइमण्ड का रोग
उत्तर:(c) एडीसन का रोग
(a) TSH
(b) LTH
(c) ADH
(d) GH
उत्तर:(d) GH
(a) प्रोलैक्टिन
(b) ल्यूटीनाइजिंग हॉर्मोन
(c) एस्ट्रोजन
(d) टेस्टोस्टीरॉन
उत्तर:(a) प्रोलैक्टिन
(a) ADH CAT
(b)GH का
(c) प्रोलैक्टिन का
(d) FSH का
उत्तर:(a) ADH CAT
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बहुत ही अच्छी माहिति हैं मूँजें बहुत अंतस्ट्राव ग्रंथियों के बारे
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