Chandrayaan-3: भारत चंद्रमा पर पहली बार दक्षिणी ध्रुव लैंडिंग के आखिरी 17 मिनट 21 सेकंड सबसे बेहद अहम होगा। इन्हें डर का 17 मिनट भी कहा जा रहा है। 2019 में चंद्रयान-2 भी इस आखिरी पल में अपने लक्ष्य से चूक गया था और चांद की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग नहीं कर सका था। हालांकि, चंद्रयान-2 से सबक लेते हुए चंद्रयान-3 में बहुत बड़े बदलाव किए गए हैं।
चांद के पास पहुंचते ही लैंडर की स्पीड होगा क्या बदलाव?
थ्रस्टर इंजनों की रेट्रो फायरिंग तब शुरू की जाएगी, जब चांद के पास पहुंचते ही लैंडर की गति को धीमा करा जाएगा। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक नीलेश एम. देसाई ने 17 मिनटों का महत्व बताया है, कि विक्रम लैंडर चांद की सतह से महज 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर जब होगा, जहां उसकी स्पीड 1.68 किमी प्रति सेकंड की रफ्तार से होगी। तब लैंडर को चांद की सतह पर उतरने का प्रयास किया जायेगा। चांद का गुरुत्वाकर्षण लैंडर को अपनी तरफ खींचेगा, तब थ्रस्टर इंजनों की रेट्रो फायरिंग करनी होगी जिससे इसकी गति कम होती जाए।
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