हिंदी साहित्य में सहज लेखन और सहज व्यक्तित्व का नाम ‘भवानी प्रसाद मिश्र’ है। वह ‘छायावादोत्तर काल’ के अग्रणी रचनाकार और गांधीवादी विचारक माने जाते हैं। इसके साथ ही वे ‘दूसरे तार सप्तक’ के प्रमुख कवियों में से एक थे। उन्होंने हिंदी साहित्य में गद्य और पद्य दोनों विधाओं में ही अनुपम कृतियों का सृजन किया हैं। वहीं, साहित्य जगत में अपना विशेष योगदान देने के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा ‘पद्मश्री’ और ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
भवानी प्रसाद मिश्र उन चुनिंदा साहित्यकारों में से एक थे जिन्होंने साहित्य सृजन के साथ ही भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी अपनी अहम भूमिका निभाई थीं। बता दें कि भवानी प्रसाद मिश्र की कई रचनाओं को जिनमें ‘गीतफ़रोश’, ‘सतपुड़ा के जंगल’, ‘सन्नाटा’, ‘बुनी हुई रस्सी’ व ‘खुशबू के शिलालेख’ (काव्य-संग्रह) आदि को विद्यालय के अलावा बी.ए. और एम.ए. के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं।
वहीं बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी भवानी प्रसाद मिश्र का जीवन परिचय और उनकी साहित्यिक रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। आइए अब हम छायावादोत्तर काल के प्रतिष्ठित कवि और लेखक भवानी प्रसाद मिश्र का जीवन परिचय (Bhavani Prasad Mishra Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नाम | भवानी प्रसाद मिश्र (Bhavani Prasad Mishra) |
जन्म | 29 मार्च 1913 |
जन्म स्थान | टिगरिया गांव, होशंगाबाद जिला, मध्य प्रदेश |
पिता का नाम | सीताराम मिश्र |
माता का नाम | गोमती देवी |
शिक्षा | बी.ए |
पेशा | लेखक, संपादक, स्वतंत्रता सेनानी |
भाषा | हिंदी |
विधाएँ | कविता, निबंध, संस्मरण, बाल साहित्य, अनुवाद |
साहित्यिक काल | छायावादोत्तर काल |
काव्य-संग्रह | ‘गीतफ़रोश’, ‘सतपुड़ा के जंगल’, ‘सन्नाटा’, ‘बुनी हुई रस्सी’ व ‘खुशबू के शिलालेख’ आदि। |
संस्मरण | जिन्होंने मुझे रचा |
निबंध | कुछ नीति कुछ राजनीति |
बाल साहित्य | तुकों का खेल |
संपादन | कल्पना (साप्ताहिक), विचार (साप्ताहिक) |
पुरस्कार एवं सम्मान | ‘पद्मश्री’, ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘शिखर सम्मान’, व ‘ग़ालिब पुरस्कार’ आदि। |
निधन | 20 फरवरी 1985 |
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मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में हुआ था जन्म
समादृत कवि और लेखक भवानी प्रसाद मिश्र का जन्म 29 मार्च 1913 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के टिगरिया गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘सीताराम मिश्र’ और माता का नाम ‘गोमती देवी’ था। बताया जाता है कि भवानी प्रसाद मिश्र के पिता उन्हें घर पर ही रामायण का पाठ करते थे और उन्हें कविता सुनाया व याद कराते थे।
बाल्यावस्था से लेखन की शुरुआत
भवानी प्रसाद जी को घर से ही साहित्यिक वातावरण मिला था। इसलिए साहित्य के प्रति उनका विशेष लगाव रहा। बता दें कि उन्होंने बाल्यावस्था से ही लेखन की शुरुआत कर दी थी। वहीं बी.ए की पढ़ाई के दौरान उनकी भेंट विख्यात साहित्यकार माखनलाल चतुर्वेदी से हुई जिसका उनपर व्यापक प्रभाव पड़ा। इस तरह राष्ट्रीय जागरण पर लिखना उनका पर्याय बन गया।
कविता का गांधी
भवानी प्रसाद मिश्र एक गांधीवादी विचारक थे। बता दें कि वे युवावस्था से ही गांधी जी के विचारों से बहुत प्रभावित थे इसलिए उन्होंने कुछ एक विद्यालय खोलकर अध्यापन का कार्य भी किया। इसके साथ ही उन्होंने गांधी वाड्मय के हिंदी खंडों का संपादन कर कविता और महात्मा गांधी के बीच सेतु का कार्य किया था। इसलिए उन्हें ‘कविता का गांधी’ भी कहा गया है।
भवानी प्रसाद मिश्र का साहित्यिक परिचय
भवानी प्रसाद मिश्र ने हिंदी साहित्य के छायावादोत्तर काल में मुख्य रूप से काव्य का सृजन किया। वहीं उनकी कविताओं में सामान्य बोलचाल के गद्यात्मक से लगते वाक्य विन्यास को ही कविता का रूप देने की अद्भुत क्षमता थी। यहीं कारण था जो उनकी कविताएं लोक जीवन के बहुत करीब से लगती हैं।
भवानी प्रसाद मिश्र की प्रमुख रचनाएँ
यहाँ छायावादोत्तर काल के प्रतिष्ठित कवि और लेखक भवानी प्रसाद मिश्र का जीवन परिचय (Bhavani Prasad Mishra Ka Jivan Parichay) के साथ ही उनकी प्रमुख रचनाओं के बारे में बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:
काव्य-संग्रह
- गीतफ़रोश
- सतपुड़ा के जंगल
- सन्नाटा
- बुनी हुई रस्सी
- खुशबू के शिलालेख
- चकित है दुख
- त्रिकाल संध्या
- व्यक्तिगत
- अनाथ तुम आते हो
- इदं न मम
- शरीर कविता फ़सलें और फूल
- मान सरोवर दिन
- सम्प्रति
निबंध
- कुछ नीति कुछ राजनीति
संस्मरण
- जिन्होंने मुझे रचा
बाल साहित्य
- तुकों के खेल
संपादन
- संपूर्ण गांधी वाङमय
- कल्पना (साप्ताहिक पत्रिका)
- विचार (साप्ताहिक पत्रिका)
- महात्मा गांधी की जय
- समर्पण और साधना
- गगनांचल
पुरस्कार एवं सम्मान
भवानी प्रसाद मिश्र ( Bhavani Prasad Mishra Ka Jivan Parichay) को हिंदी साहित्य में विशेष योगदान देने के लिए सरकारी और ग़ैर सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं:-
- पद्मश्री
- साहित्य अकादमी पुरस्कार – भवानी प्रसाद मिश्र को ‘बुनी हुई रस्सी’ काव्य-संग्रह के लिए वर्ष 1972 के साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- मध्य प्रदेश शासन का शिखर सम्मान
- ग़ालिब पुरस्कार
निधन
भवानी प्रसाद मिश्र ने हिंदी साहित्य जगत में कई दशकों तक अनुपम काव्य कृतियों का सृजन किया। वहीं 20 फरवरी 1985 को 71 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ। लेकिन साहित्य जगत में वह अपनी लोकप्रिय रचनाओं के लिए आज भी याद किए जाते हैं।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ छायावादोत्तर काल के प्रतिष्ठित कवि और लेखक भवानी प्रसाद मिश्र का जीवन परिचय (Bhavani Prasad Mishra Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-
FAQs
भवानी प्रसाद मिश्र का जन्म 29 मार्च 1913 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के टिगरिया गांव में हुआ था।
वह हिंदी साहित्य में छायावादोत्तर काल के प्रमुख कवि थे।
उनकी प्रमुख रचनाएँ गीतफरोश, अंधेरी कविताएं, बुनी हुई रस्सी, इदं न मम्, गीतफ़रोश, सतपुड़ा के जंगल, फसलें व फूल, मानसरोवर दिल व तूस की आग आदि हैं।
भवानी प्रसाद मिश्र को ‘कविता का गांधी’ कहा गया है।
20 फरवरी 1985 को 71 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ।
आशा है कि आपको छायावादोत्तर काल के प्रतिष्ठित कवि और लेखक भवानी प्रसाद मिश्र का जीवन परिचय (Bhavani Prasad Mishra Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।