होमरूल आंदोलन ‘अखिल भारतीय होम रूल लीग संगठन’ द्वारा चलाया गया था। होमरूल का तात्पर्य एक ऐसी स्थिति से है जिसमें किसी देश का शासन वहाँ के स्थायी नागरिकों के द्वारा ही चलाया जाता है। होम रूल लीग की स्थापना बाल गंगाधर तिलक और एनी बेसेंट के द्वारा वर्ष 1916 में की गई थी। इसका आंदोलन का उद्देश्य देश में स्वराज स्थापित करना था। होमरूल आंदोलन भारत के इतिहास की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक है। यहाँ होमरूल आंदोलन के बारे में विस्तार से बताया जा रहा हैं।
This Blog Includes:
होमरूल आंदोलन के बारे में
‘श्रीमती ऐनी बेसेंट’ आयरलैंड की रहने वाली थीं। वे भारत में ‘थियोसोफिकल सोसायटी’ की संचालिका थीं। वह भारतीय संस्कृति से बहुत प्रभावित थी इसलिए वह अपना देश छोड़कर भारत में आ बसीं। श्रीमती ऐनी बेसेंट भारत को ही अपनी मातृभूमि मानती थीं। उस समय आयरलैंड में आयरिस नेता रेडमाण्ड के नेतृत्व में होमरूल लीग की स्थापना हुई थी जो वैधानिक तथा शांतिमय उपायों से आयरलैंड के लिए होमरूल तथा स्वशासन प्राप्त करना चाहती थी।
इससे प्रेरित होकर ऐनी बेसेंट ने भारत में भी होमरूल आंदोलन शुरू करने के बारे में सोचा। इसी उद्देश्य से वे भारत लौटने के बाद कांग्रेस के साथ जुड़ गईं और वर्ष 1916 में उन्होंने स्वराज के लिए ‘होमरूल आंदोलन’ की शुरुआत की।
होमरूल आंदोलन के उदय का एक कारण यह भी था कि प्रथम विश्वयुद्ध तथा इसके बाद अंग्रेजों के अत्याचार में भी वृद्धि हुई थी। इसके साथ ही जनता के लिए और अधिक कड़े नियम बना दिए गए वहीं जनता बढ़ती महंगाई से भी त्रस्त थी। इन कारणों ने जनता को होमरुल आंदोलन के लिए और भी अधिक प्रेरित किया।
होमरूल आंदोलन के उद्देश्य
होमरूल आंदोलन के उद्देश्य नीचे बिंदुओं में दिए जा रहे हैं:-
- इसका पहला उद्देश्य भारत के लिए स्वशासन हासिल करना था।
- इसके द्वारा एनी बेसेंट भारत को वैसा ही स्वराज दिलाना चाहती थीं जैसा कि अंग्रेजों के अधीन दूसरे देशों में था।
- होमरूल आंदोलन को शुरू करने के पीछे का एक उद्देश्य भारतीय राजनीति को उग्रता से बचाना भी था। ऐनी बेसेंट ऐसा मानती थीं कि भारतीय राजनीति को अगर अनुशासित और संवैधानिक ढंग से आगे नहीं बढ़ाया गया तो भारत की राजनीति पर क्रांतिकारियों का कब्जा हो जाएगा।
होमरूल आंदोलन एक भारत पर प्रभाव
होमरूल आंदोलन के भारत पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े:-
- 10 वर्षों के अलगाव तथा गलतफहमी के बाद हिन्दू मुसलामानों में भाईचारा बढ़ा और वे फिर से एकता के साथ मिलकर रहने लगे
- इस आंदोलन के बाद अंग्रेजों के रुख में कुछ नरमी आई और वे स्वराज की बात पर भारत के साथ समझौता करने के लिए तैयार हो गए।
- इस आंदोलन ने भारत के सभी लोगों के बीच स्वराज और देशप्रेम की भावना को उजागर किया।
- होमरूल आंदोलन के दौरान पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से स्वराज के महत्त्व का व्यापक स्तर पर प्रचार हुआ जिससे जनता में राष्ट्रीय चेतना बढ़ी।
होमरूल लीग के लाभ
होमरूल लीग कई प्रकार से लाभदायक सिद्ध हुई थी :
- इसने भविष्य के संघर्ष के लिए रीढ़ की हड्डी तैयार की क्योंकि इसने राजनीतिक शिक्षा को बढ़ावा देकर राष्ट्रवादी बनाया, जिसके कारण गांधीवादी युग में एक जन संघर्ष का निर्माण हुआ।
- यह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के निष्क्रिय चरण और बाद के चरण के दौरान जन संघर्ष के बीच एक पूरक के रूप में उभरकर सामने आया।
- यह बाद में हुए विद्रोह की शुरुआत का कारण बना जिसकी वजह से स्वतंत्रता प्राप्त हुई।
- होम रूल लीग ने विभिन्न शहरों के बीच संपर्क बढ़ाया जो बाद के वर्षों में भारत की आज़ादी की लड़ाई के लिए फायदेमंद साबित हुआ।
- इससे देश में राष्ट्रवादी माहौल तैयार करने में मदद मिली।
- 1920 में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ संयुक्त मोर्चा बनाने के लिए इसे कांग्रेस में मिला दिया गया जिसके कारण कांग्रेस मजबूत हुई।
- 1921 में अखिल भारतीय होमरूल लीग ने अपना नाम बदलकर स्वराज्य सभा कर लिया और आगे चलकर यह आंदोलन शिक्षित लोगों से हटकर आम जनता का आंदोलन बन गया।
FAQs
होमरूल लीग आंदोलन का उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन रहते हुए संवैधानिक तरीक़े से स्वशासन को प्राप्त करना था।
लोकमान्य तिलक के वैलेंटाइन चिरोल के खिलाफ मानहानि के मुकदमे के लिए इंग्लैंड चले जाने के बाद होम रूल आंदोलन पटरी से उतर गया और एनी बेसेंट मजबूत नेतृत्व कौशल का प्रदर्शन नहीं कर सकी।
होमरूल का तात्पर्य एक ऐसी स्थिति से है जिसमें किसी देश का शासन वहाँ के स्थायी नागरिकों के द्वारा ही चलाया जाता है।
होम रूल आंदोलन 1916 में शुरू किया गया था। होम रूल आंदोलन का मुख्य उद्देश्य संवैधानिक तरीकों का उपयोग करके ब्रिटिश साम्राज्य में भारत के लिए स्वशासन की स्थापना करना था। 1916 में एनी बेसेंट और बाल गंगाधर तिलक के नेतृत्व में देश में होम रूल आंदोलन चलाया गया।
आशा है इस ब्लॉग से आपको होमरूल आंदोलन और इससे जुड़ी अहम घटनाओं के बारे में बहुत सी जानकारी प्राप्त हुई होगी। भारत के इतिहास से जुड़े हुए ऐसे ही अन्य ब्लॉग पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।