Milkha Singh: भारत के महान धावक मिल्खा सिंह का संपूर्ण जीवन परिचय

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Milkha Singh Biography in Hindi

Milkha Singh Biography in Hindi : मिल्खा सिंह भारत के उन नामचीन एथलीट में से है, जिन्होंने भारत के धावकों के नाम का परचम दुनिया भर में फैलाया है। कुछ लोग असाधरण प्रतिभा के स्वामी होते है उनमे में से ही एक थे- मिल्खा सिंह। संघर्ष और जज्बे की एक अनूठी मिसाल है , जिन्होंने भारत – पाक बँटवारे के साये अपने माता पिता को खो दिया इसके बावजूद इसे अपनी ताकत बनाया और बुलंदियों को छुआ।

बता दें कि मिल्खा सिंह ‘कामनवेल्थ गेम्स’ में स्वर्ण पदक जीतने वाले एकमात्र भारतीय एथलीट थे। इसके साथ ही उन्होंने वर्ष 1958 और 1962 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक अपने नाम किया था। भारत सरकार ने वर्ष 1959 में उन्हें देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया था। आइए अब इस लेख में ‘फ्लाइंग सिख’ मिल्खा सिंह का जीवन परिचय (Milkha Singh Biography in Hindi) और उनकी उपलब्धियों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

नाम मिल्खा सिंह (Milkha Singh) 
उपनामफ्लाइंग सिख
जन्म 20 नवंबर, 1929 
जन्म स्थान गोविंदपुरा, ब्रिटिश भारत (वर्तमान पाकिस्तान) 
पत्नी का नाम निर्मल कौर सैनी
संतान जीव मिलखा सिंह (पुत्र) और सोनिया संवाल्का (पुत्री)
पुरस्कार पद्मश्री (वर्ष 1959)
आत्मकथा द रेस ऑफ़ माई लाइफ़: एन ऑटोबायोग्राफ़ी 
जीवन पर बनी फिल्म भाग मिल्खा भाग (Bhaag Milkha Bhaag)
निधन 18 जून, 2021 चंडीगढ़, पंजाब 
जीवनकाल 91 वर्ष 

जख्म से प्रेरणा तक का सफ़र – Milkha Singh Biography in Hindi

मिल्खा सिंह
Source: Indiatimes.com

मिल्खा सिंह का जन्म 29 नवंबर 1929 गोविंदपुर , पाकिस्तान में एक शिख राठौर परिवार में हुआ।कुछ दस्तावेज़ो के अनुसार 17 अक्टूबर 1935 माना जाता है। पाकिस्तान से भारत शरणार्थी के रूप में ट्रेन से दिल्ली आये और  शरणार्थी शिविरों में छोटे- मोटे अपराध करके गुज़ारा और उसके बाद शाहदरा पुनर्वास कॉलोनी में रहे । उनके अन्दर अपने परिवार को खोने का आघात लगा और उन्होंने एक समय डाकू बनाने का मन बना लिया था लेकिन उनके भाई मलखान सिंह ने उन्हें भारतीय सेना में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया। लगातार तीन बार सेना में शामिल होने का प्रयास किया जिसमे वो विफल हुए चौथे प्रयास में सफल होने के बाद 1951 में सेना में भर्ती हुए । भर्ती के वक़्त क्रॉस कंट्री रचे में छठा स्थान हासिल किया , इसके बाद सेना की स्पेशल ट्रेनिंग के लिए चुना था। इस बात पर यकीन करना मुश्किल की इतनी  छोटी सी उम्र में सब देखने के बाद कोई “फ्लाइंग सिख” बन सकता है।  

मिल्खा सिंह निजी जीवन

मिल्खा सिंह
Source: Haryana Express

भारतीय महिला वॉलीबॉल टीम की कप्तान निर्मित कौर से 1955 मे चंडीगढ़ में मुलाकात हुई। 1962 में दोनों शादी के बंधन में बंध गए, उनके चार बच्चे है जिसमे से 3 बेटियाँ और1बेटा है , गोल्फर जीव मिल्खा सिंह।1999 में उन्होंने एक बच्चे को कोद लिया जिनका नाम हविलदार बिक्रम सिंह था जो टाइगर हिल युद्ध में शहीद हो गए।     

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मेडल्स का सिलसिला  

 आर्मी कोच हवलदार गुरुदेव सिंह की ट्रेनिंग के अन्दर और कड़ी मेहनत के बाद 1956 में मेलबर्न कामनवेल्थ गेम्स में 100मीटर और 200मीटर में भारत का प्रतिनिधित्व किया इस प्रतिस्पर्धा में उन्होंने कोई मैडल तो  नही जीता।लेकिन ४०० मीटर रेस के समय चार्ल्स जेकिंस से हुई मुलाकात ने उन्हें न सिर्फ प्रेरित किया बल्कि उन्खे ट्रेनिंग के नए तरीकों से अवगत कराया। इससे प्रेरणा के चलते 1957 में 400मीटर रचे को 5 सेकंड में पूरा करके नया राष्ट्र कीर्तिमान स्थापितं किया। कटक में 1958राष्ट्री खेल में उन्होंने 400मीटर और 200मीटर रेस में भाग लिया और स्वर्ण मैडल जीता। 1958 में ब्रिटिश कामनवेल्थ प्रतिश्पर्धा में उन्होंने 400मीटर रेस में स्वर्ण पदक जीता, इस तरह आज़ाद भारत के स्वर्ण पदक जीतने वाले पहली ख़िलाड़ी बने। साल 1958 टोक्यों ओलंपिक में इन्ही श्रेणी में स्वर्ण पदक जीता और कीर्तिमान स्थापितं किया, इसके फलस्वरूप उन्हें कमीशंड ऑफिरसर के तौर पर  प्रमोशन दिया गया और कुछ समय बाद पंजाब में शिक्षा विभाग में खेल निदेशक के में चयनित किया। मिल्खा सिंह ने साल 1960 में रोम ओलिंपिक में 400 मीटर रेस में भाग लिया , इसमें वो अपनी लाल टोपी की वजह से काफ़ी प्रसिद्ध हुए लोग हेरान थे की टोपी पहन कर कोई इतना तेज़ कैसे भाग सकता है।1962 जकार्ता में भी विजेता रहे।

नेहरु ने उन्हें पाकिस्तान जाने की सलाह दी थी-

मिल्खा सिंह
Source: Statustown.com

उनकी कहानी 1960 भारत पाक प्रतियोगिता के बिना अधूरी है।उन्हें अब्दुल खालिद  सबसे तेज़ पाकिस्तानी धावक के साथ प्रतिस्पर्धा में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया, लेकिन भारत पाक बटंँवारे की बुरी यादे उनके मन में कही न कही जिंदा थी और उन्होनें भाग लेने से मना कर दिया लेकिन उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल लाल नेहरु के कहने पर उन्होंने रेस में हिस्सा लिया और उसे जीता भी। पाकिस्तान के तत्कालिम प्रधानमंत्री अयूब खान ने उनकी तारीफ़ करते हुए कहा -“आज तुम दौड़े नहीं, उड़े थे ।”इसके बाद उन्हें “फ्लाइंग सिख” कहा जाने लगा।

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मिल्खा सिंह की उपलब्धियां और कीर्तिमान 

मिल्खा सिंह
Source: Multi Knowledge

मिल्खा सिंह की उपलब्धियां

1957 में 400 मीटर की रेस 47.5 सेकंडमें खत्म करके नया कीर्तिमान अपने नाम दर्ज कराया।भारत सरकार द्वारा 1959 में  अद्भुत् प्रतिभा के मालिक और भारत का नाम रोशन करबे के लिए पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित किया गया, उसी वर्ष हेल्म्स अवार्ड से भी सम्मानित किया गया जिसे वर्ल्ड ट्रॉफी के नाम से भी जाना जाता है। मिल्खा सिंह ने अपने करियर में 80 में से 77 रेस जीती उन्हें रोम ओलंपिक न जीतने पर अफ़सोस ज़रूर रहा। उन्होंने कहा था “’ये सब दिखाने की चीजें नहीं हैं, मैं जिन अनुभवों से गुजरा हूं उन्हें देखते हुए वे मुझे अब भारत रत्न भी दे दें तो मेरे लिए उसका कोई महत्व नहीं है।”2001 में अर्जुन पुरस्कार दिया गया। उन्होंने इसे ठुकरा दिया था।साल 2013 में अपने जीवन पर आधारित एक पुस्तक ‘द रेस ऑफ माइ लाइफ’ लिखी थी, जिस पर साल 2014 में ‘भाग मिल्खा भाग’ के नाम से एक फिल्म भी बन चुकी है । इस फ़िल्म को लोगो द्वारा काफी सरहाया गया । 

वह ओलम्पिक रिकॉर्ड बनाने वाले अकेले भारतीय धावक हैं । उनके बेटे  जीव मिल्खा सिंह ने उनके बारे में सच ही कहा है- “मिल्खा सिंह कई पीढ़ियों में एक बार ही पैदा होता है ।” अब वो हमरे बीच में नही रहे है लेकिन वो अपनी ऐसी छाप छोड़ गए है हर किसी के दिल में सदैव जीवित रहेगें  भारत को अपने इस अभूतपूर्व धावक पर सदा गर्व रहेगा।

FAQs

मिल्खा सिंह का जन्म कब हुआ था?

मिल्खा सिंह का जन्म 20 नवंबर, 1929 को गोविंदपुरा (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था।

मिल्खा सिंह की आत्मकथा का नाम क्या है?

मिल्खा सिंह की आत्मकथा का नाम ‘द रेस ऑफ़ माई लाइफ़: एन ऑटोबायोग्राफ़ी’ है, इसे उन्होंने अपनी बेटी सोनिया संवाल्का के साथ मिलकर लिखा था। 

मिल्खा सिंह की हाइट कितनी थी?

मिल्खा सिंह की हाइट 1.72 m थी। 

मिल्खा सिंह के कितने बच्चे हैं?

मिल्खा सिंह की दो संताने हैं, जीव मिलखा सिंह (पुत्र) और सोनिया संवाल्का (पुत्री)। 

मिल्खा सिंह की मृत्यु कब हुई?

मिल्खा सिंह का 18 जून, 2021 को चंडीगढ़ में निधन हुआ था। 

आशा है कि आपको भारत के महान धावक मिल्खा सिंह का जीवन परिचय (Milkha Singh Biography in Hindi) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचयको पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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