दीपक पुनिया का जन्म हरियाणा के झज्जर क्षेत्र में हुआ था। झज्जर गांव में कुश्ती हमेशा लोगों के लिए एक विकल्प है। दीपक के पिता सुभाष पुनिया एक डेयरी किसान हैं जो युवा दीपक को दंगल पर ले जाते थे। दीपक ने अपने कुश्ती करियर की शुरुआत पांच साल की उम्र में अपने गृहनगर अर्जुन अवार्डी वीरेंद्र सिंह छारा के नेतृत्व वाले एक अखाड़े में की थी। चलिए जानते हैं ओलम्पिक पहलवान दीपक पुनिया का सफर के बारे में।
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दीपक पुनिया ने CWG 2022 में जीता गोल्ड
राष्ट्रमंडल खेल 2022 पुरे हो चुके हैं और अब तक भारतीय खिलाड़ी ने शानदार काम किया है। कुश्ती में छह पदकों के साथ भारत के कुल पदकों की संख्या 26 हो गई है। भारत फिलहाल पदक तालिका में पांचवें स्थान पर है। पहलवान दीपक पूनिया की जीत के साथ भारत के पदकों की संख्या बढ़ गई है। दीपक पूनिया ने कुश्ती में 86 किलोग्राम भारवर्ग के फाइनल में पाकिस्तान के मोहम्मद इनाम को 3-0 से हराकर चौथा स्वर्ण जीता है। यह राष्ट्रमंडल खेलों में दीपक का पहला पदक है और उन्होंने सीधे स्वर्ण के साथ शुरुआत की है।
पहला मैच
दीपक पुनिया ने बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेल 2022 की शुरुआत धमाकेदार गोल्ड मेडल से की है। पहले मैच में दीपक ने न्यूजीलैंड के मैथ्यू ओक्सेनहैम को तकनीकी दक्षता के आधार पर 10-0 से हराया था। दीपक और मैथ्यू का यह मैच 3 मिनट 22 सेकेंड चला।
दूसरा मैच
इसके बाद दूसरे मैच यानी क्वार्टर फाइनल में दीपक ने सिएरा लियोने के शेखू कासेगबामा को भी 10-0 से हराया। यह मैच दीपक ने 1 मिनट 33 सेकेंड में ही जीत लिया।
सेमीफाइनल
दीपक का सेमीफाइनल मैच कनाडा के अलेक्जेंडर मूर के साथ था। कुश्ती में 86 किलोग्राम भारवर्ग के सेमीफाइनल में कनाडा के अलेक्जेंडर मूर को दीपक पुनिया ने पॉइंट्स के आधार पर 3-1 से हराया। यह मैच पूरे छह मिनट तक चला।
फाइनल
फाइनल में दीपक के सामने पाकिस्तान के मोहम्मद इनाम थे। इनाम ने सेमीफाइनल में दक्षिण अफ्रीका के एडवर्ड लेसिंग को 5-3 से हराया था। दीपक और मोहम्मद का मैच काफी दिलचस्प था क्योंकि दोनों बराबर की टक्कर के प्लेयर है। लेकिन इस मैच में भी दीपक ने मोहम्मद इनाम को 3-0 हराकर गोल्ड अपने नाम कर लिया। हालांकि मुकाबला टक्कर का था लेकिन दीपक के सामने मोहम्मद इनाम की एक न चली।
दीपक पुनिया का जीवन परिचय
एक छोटी सी डेयरी चलाने वाले पिता का बेटा रेसलिंग में अपना नाम रोशन कर रहा है जिसका नाम है दीपक पुनिया। दो बेटियों के बाद 19 अप्रैल 1999 में हरियाणा के झज्जर में दीपक पुनिया का जन्म हुआ। जो बचपन से ही कुश्ती की तरफ झुकाव रखता था। जिसके चलते 5 वर्ष की उम्र से ही उन्होंने कुश्ती को अपना लक्ष्य साधते हुए आने वाले भविष्य की तैयारी शुरू कर दी। 7 साल की उम्र तक तो उन्होंने कुश्ती के काफी सारे दांव पेंच सीख लिए थे और आसपास के लोगों ने उन्हें उनकी कुश्ती की प्रतिभा के लिए जानने भी लगे थे।
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शिक्षा और ट्रेनिंग
गांव के एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे दीपक पुनिया कुश्ती से बेहद प्यार करते थे। वहीं के एक छोटे से स्कूल में उनकी प्रारंभिक शिक्षा पूरी हुई अपने स्कूल के दिनों में भी वे दंगल कुश्ती जैसे प्रतियोगिता में भाग लिया करते थे। उनका सपना था इंटरनेशनल लेवल पर खेलकर अपने देश के लिए मैडम लाना और भारत का नाम दूसरे देशों में उज्जवल करना। इसी के चलते उन्होंने अपनी बेहतर ट्रेनिंग के लिए छत्रसाल स्टेडियम के फेमस रेसलर गुरु सतपाल जी को आगे की ट्रेनिंग के लिए चुना। दीपक ने वर्ल्ड कैडेट चैंपियनशिप इमेज में अपनी प्रतिभा दिखाई परंतु उसमें उन्हें जीत नहीं मिली लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी।
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दीपक पुनिया के करियर की शुरुआत
साल 2015 में छत्रसाल स्टेडियम के जाने-माने पहलवान के नेतृत्व में ट्रेनिंग शुरू करने के बाद उन्होंने सबसे पहले वर्ल्ड कैडेट चैंपियनशिप का हिस्सा बनकर अपना हुनर दिखाया हालांकि सफलता नहीं मिली लेकिन फिर भी हार नहीं मानी।
उसी साल उन्होंने सब जूनियर विश्व चैंपियनशिप में भी अपना हुनर दिखाने के लिए आगे बढ़े और विश्व जूनियर चैंपियनशिप में उन्होंने तीन बार हिस्सा लेकर तीनों बार मेडल हासिल किया। एशियाई जूनियर चैंपियनशिप साल 2018 के दौरान दीपक पुनिया ने फिर से अपने हुनर का प्रदर्शन भारत देश की तरफ से किया और भारत देश के सम्मान में गोल्ड मेडल अपने नाम किया।
इसी वर्ष विश्व जूनियर चैंपियनशिप का हिस्सा बनकर उन्होंने रजत पदक को अपने नाम किया था। साल 2019 में भी एशियाई चैंपियनशिप के दौरान अपने बेहतरीन प्रदर्शन के चलते उन्हें कांस्य पदक से नवाजा गया था। उनकी प्रतिभा को देखते हुए उसी साल कजाकिस्तान के नूरसुल्तान ने उन्हें विश्व चैंपियनशिप 2019 में हिस्सा बनने के लिए न्यौता दिया परंतु उनकी बदकिस्मती थी कि वह अपने टखने में लगी चोट की वजह से वहां नहीं जा पाए।
ईरानी पहलवान हसन याद दानी ने दीपक पुनिया के खिलाफ विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता और दीपक को रजत पदक प्राप्त हुआ। हालांकि इस दौरान उन्होंने अपने प्रदर्शन के चलते 82 अंक अपने नाम किए जो जीतने वाले कैंडिडेट से भी अधिक थे। उन्होंने 86 किलो भार वर्ग मैं अपना प्रदर्शन दिखाते हुए विश्व खिताब अपने नाम कर लिया।
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गोल्ड मेडल जीतने का सपना रहा अधूरा
टोक्यो ओलंपिक में दीपक को सेमीफाइनल मुकाबले में अमेरिका के डेविड टेलर के हाथों हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन दीपक से कांस्य पदक जीतने की उम्मीद थी । हालांकि, इस हार के साथ ही उनसे कांस्य लाने की उम्मीद भी टूट गई। कांस्य पदक के मुकाबले में दीपक ने पहले पीरियड में शुरूआती दो अंक जुटाए लेकिन अमीन ने भी एक अंक हासिल किया. इसके साथ ही दीपक पहले पीरियड में अमीन पर भारी रहे और उन्होंने 2-1 की बढ़त ली।
दूसरे पीरियड में अमीन ने वापसी कर दो अंक जुटाकर 3-2 की बढ़त बनाई। इसके बाद उन्होंने फिर दीपक को चित्त कर एक अंक बटोरा और 4-2 की बढ़त लेकर मुकाबले को जीत कांस्य पदक हासिल किया। दीपक अपनी शुरूआती बढ़त को बरकरार नहीं रख सके और उनका टोक्यो ओलंपिक में सफर यहीं समाप्त हो गया।
भारतीय पहलवान दीपक पूनिया ने टोक्यो ओलंपिक के पुरुष फ्रीस्टाइल कुश्ती 86 किग्रा वर्ग के पहले दौर में नाइजीरिया के रेसलर एकरेकेम एगियोमोर को 12-1 से हराकर क्वार्टर फाइनल में धमाकेदार एंट्री कर ली थी। दीपक इस पूरे मुकाबले में नाइजीरिया के रेसलर पर हावी रहे. दीपक ने पहले राउंड में 4 और दूसरे राउंड में 8 अंक बटोरे. दीपक पूनिया (Deepak Punia) का क्वार्टर फाइनल मुकाबला चीन के पहलवान जुशेन लिन से होगा।
दीपक पूनिया ने पहले राउंड में 3-1 की बढ़त लेने के बाद दूसरे राउंड में नाइजिरिया के पहलवान को एक भी अंक अपने खिलाफ नहीं लेने दिया।
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कुश्ती ने दिलाया सम्मान
दीपक पूनिया हरियाणा के झज्जर जिले के रहने वाले हैं। 22 साल के दीपक ने कहा कि, “2015 तक मैं जिला स्तर पर भी पदक नहीं जीत पा रहा था। मैं किसी भी हालत में नतीजा हासिल करना चाहता था ताकि कहीं नौकरी मिल सके और अपने परिवार की मदद कर सकूं। मेरे पिता दूध बेचते थे। वह काफी मेहनत करते थे।” मैट पर मिली सफलता से दीपक के परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। साल 2018 में वो भारतीय सेना में नायब सूबेदार के पद पर तैनात हुए हैं। दीपक ने एसयूवी कार भी खरीदी है। दीपक कहते हैं कि मुझे यह नहीं पता कि मैंने कितनी कमाई की है क्योंकि मैंने कभी उसकी गिनती नहीं की लेकिन यह ठीक-ठाक रकम है।
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दीपक पुनिया रेसलर मैडल
दीपक पुनिया के अब तक के मैडल की लिस्ट की जानकारी नीचे दी गई है:
- उनकी इस सफलता की सुरुवात होती है सन 2015 से इस वर्ष उन्होंने स्कूल नेशनल में गोल्ड मैडल हासिल किया |
- 2016 में कैडेट नेशनल में गोल्ड मैडल और उसी वर्ष सब-जूनियर के वर्ल्ड चैंपियन बने और एशियाई खेलो में गोल्ड मैडल देश के नाम कराया |
- 2017 में जूनियर एसियन गेम्स में सिल्वर मैडल |
- 2018 में जूनियर एसियन गेम्स में गोल्ड मैडल और उसी वर्ष वर्ल्ड चैंपियनसीप में सिल्वर मैडल हासिल किया |
- 2019 में सीनियर एसियन गेम्स में ब्रोंज मैडल, जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मैडल और सीनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर मैडल हासिल कर एक वर्ष में एक ही केटेगरी में देश को तीन तीन मैडल देश के नाम कराए |
- इस वर्ष 2021 में हाल ही में काजिकिस्तान आयोजित सीनियर एसियन गेम्स में सिल्वर मैडल अपने नाम किया |
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FAQs
Ans : 19 अप्रैल 1999
Ans : 22 साल
Ans : छत्रसाल स्टेडियम के जाने-माने गुरु सतपाल जी से
Ans : 86 किलो की कैटेगरी में फ्रीस्टाइल रेसलिंग में नंबर वन पर आने की वजह से
Ans : छारा गांव
Ans : जाट
Ans : अपने गांव में दंगल की फाइट लड़कर पैसे कमाते थे.
आशा करते हैं कि ओलम्पिक पहलवान दीपक पुनिया का सफर का ब्लॉग अच्छा लगा होगा। हमारे Leverage Edu में आपको ऐसे कई प्रकार के ब्लॉग मिलेंगे जहां आप अलग-अलग विषय की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं ।