किरण मजूमदार शॉ भारत की पहली स्व-निर्मित महिला अरबपति

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भारत की पहली स्व-निर्मित महिला अरबपति और बायोकॉन की सीईओ किरण मजूमदार शॉ कई लोगों के लिए प्रेरणा हैं।  लेकिन क्या आप जानते हैं, कि वह मेडिकल कॉलेज में दाखिला नहीं ले सकी थी। क्योंकि वह इसका ख़र्च वहन नहीं कर सकती थी? जबकि आज उनकी कंपनी, क्लीनिकल रिसर्च में सफलता हासिल करने वाली सूची में शामिल होती हैं। एक बार जब वह नौकरी का ऑफर लेकर गई तो, उन्हें नौकरी से भी मना कर दिया गया था, क्योंकि किरण अपने पिता की तरह ब्रूमास्टर बनने की राह पर चल रही थी। लेकिन आज किरण बायोटेक्नोलॉजी कंपनी बायोकॉन लिमिटेड की चेयरमैन और प्रबंध निदेशक हैं। अगर आप किरण मजूमदार शॉ और उनके जीवन के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो यह ब्लॉग आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। आइये विस्तार से जानते हैं किरण मजूमदार शॉ कि बारे में।

नामकिरण मजूमदार शॉ
जन्म23 मार्च, 1953, बेंगलुरु (कर्नाटक), भारत
व्यवसायजैव-प्रौद्योगिकी कंपनी ‘बायोकॉन लिमिटेड’ की अध्यक्ष और प्रबंध
निवासबेंगलुरु
किसके लिए जाना जाता हैप्रमुख महिला दवा कारोबारी के रूप में पहचान
जीवनसाथीजॉन शॉ
माता – पितायामिनी मजूमदार(माता), रसेंद्र मजूमदार (पिता)
पुरस्कारपद्म श्री, ओथमेर स्वर्ण, पद्म भूषण, डॉक्टरेट उपाधि

कौन हैं किरण मजूमदार शॉ?

किरण मजूमदार शॉ एक भारतीय उद्यमी और आईआईएम-बैंगलोर की अध्यक्ष हैं, बायोटेक्नोलॉजी कंपनी बायोकॉन लिमिटेड की चेयरमैन और प्रबंध निदेशक हैं। 2014 में, उन्हें विज्ञान और रसायन विज्ञान की प्रगति में उत्कृष्ट योगदान के लिए ओथम गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया। वह फाइनेंशियल टाइम्स की शीर्ष 50 महिलाओं की व्यवसाय सूची में हैं। 2015 तक, उन्हें फोर्ब्स द्वारा दुनिया की 85 वीं सबसे शक्तिशाली महिला के रूप में सूचीबद्ध किया गया था । 2016 में, वह “फोर्ब्स” में एक बार फिर सूचीबद्ध हुई है दुनिया की सबसे शक्तिशाली महिला के रुप में वह 77 वें स्थान पर आती हैं।

किरण मजूमदार शॉ का प्रारंभिक जीवन 

किरण मजूमदार शॉ का जन्म 23 मार्च 1953 को बेंगलुरू में हुआ था। उन्होंने 1968 में बेंगलुरू के ‘बिशप कॉटन गर्ल्स हाई स्कूल’ से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और फिर 1973 में बंगलोर विश्वविद्यालय से जंतुविज्ञान में बैचलर की पढ़ाई की। बाद में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न शहर से उच्च शिक्षा प्राप्त की। साल 1978 में शॉ ने बायोकॉन कंपनी की शुरुआत की, इस कंपनी ने मधुमेह, कैंसर-विज्ञान और प्रतिरोधभंजक बीमारियों पर कई शोध किए हैं। 

उन्होंने औद्योगिक एंजाइमों की निर्माण कंपनी से शुरुआत की। अपने काम को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने इसे विकसित कर पूरी तरह से एकीकृत जैविक दवा कंपनी बनाई। जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने और भी कई उत्कृष्ट कार्य किए। किरण मजूमदार शॉ कर्नाटक राज्य के ‘विजन ग्रुप ऑन बायोटेकनॉलॉजी’ की अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सलाहकार परिषद के सदस्य के तौर पर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत सरकार ने इस क्षेत्र में अग्रणी कार्यों के लिए उन्हें 1989 में पद्मश्री और 2005 में पद्म भूषण से सम्मानित किया है।

किरण मजूमदार शॉ की शिक्षा

एक युवा किरण मजूमदार शॉ अपने पिता के नक्शेकदम पर चलना चाहती थी और एक ब्रूमास्टर बनना चाहती थी।  उसने ऑस्ट्रेलिया में मेलबर्न विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और अपनी कक्षा में टॉप किया जिसमें वह अकेली महिला थी।  उसने वापस आकर कोशिश की, लेकिन भारत उन युवतियों के लिए एक क्षमाशील जगह है जो सीमाओं को तोड़ने और परंपराओं को हिला देने की कोशिश कर रही हैं।  उन्हें भारत में एक मास्टर ब्रेवर की नौकरी देने से मना कर दिया गया था क्योंकि इसे “पुरुषों का काम” माना जाता था। फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और एक सफल भविष्य के लिए शिक्षा ली। किरण मजूमदार शॉ के नाम कई डिग्रियां हैं। उनकी सभी डिग्री की सूची नीचे दी गई है-

  • बीएससी  (जूलॉजी ऑनर्स), बैंगलोर यूनिवर्सिटी
  • पोस्ट-ग्रेजुएट डिप्लोमा, माल्टिंग एंड ब्रूइंग, बैलेराट इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस एजुकेशन, मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया

कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से मानद डॉक्टरेट, जिनमें शामिल हैं:

किरण मजूमदार शॉ का करियर

उन्होंने 1978 में बायोकॉन की स्थापना की थी। वे जैव प्रौद्योगिकी को एक क्षेत्र के रूप में बढ़ावा देने में रुचि रखती हैं। भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सलाहकार परिषद की एक सदस्य के रूप में, उन्होंने भारत में जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विकास के मार्गदर्शन के लिए भारत सरकार, उद्योग और शिक्षा को एक साथ लाने में एक निर्णायक भूमिका निभाई है। 

इस क्षेत्र में अपने कार्यों के लिए उन्हें भारत सरकार से प्रतिष्ठित पद्मश्री (1989) और पद्म भूषण (2005) समेत कई पुरस्कार मिले हैं। टाइम पत्रिका के दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में इनका नाम भी शामिल किया गया था। वे दुनिया की 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं की फोर्ब्स की सूची और फाइनेंशियल टाइम्स के कारोबार में शीर्ष 50 महिलाओं की सूची में भी शामिल हैं। 

वर्ष 1978 में, वे आयरलैंड के कॉर्क के बायकॉनकैमिकल्स लिमिटेड से एक प्रशिक्षु प्रबंधक के रूप में जुड़ीं। उसी वर्ष बेंगलुरु में केवल 10 हजार की पूंजी से किराये के मकान के गैरेज में बायोकॉन की शुरुआत की। हालांकि शुरुआत काफी आसान नहीं रही थी। कम उम्र, महिला और नए व्यापार मॉडल के कारण उन्हें विश्वसनीयता संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। कोई भी बैंक उन्हें लोन नहीं देना चाहता था, इसलिए समस्या केवल धन की ही नहीं थी, बल्कि अपने नए काम पर लोगों को नियुक्त करना भी कठिन था। वे किसी भी चीज को आसानी से जाने देने वाली नहीं रही हैं, इसीलिए उन्होंने तमाम चुनौतियों का सामना किया और सीमित परिस्थिति में बायोकॉन को नई और प्रगति की ऊंचाइयों पर पहुंचाने का काम किया।

‘बायोकॉन लिमिटेड’ की प्रगति में किरण मजूमदार शॉ का योगदान 

स्थापना के एक वर्ष के अन्दर ‘बायोकॉन लिमिटेड’ एंजाइमों का विनिर्माण करने वाली और संयुक्त राज्य अमेरिका तथा यूरोप को उनका निर्यात करने वाली भारत की पहली कंपनी बन गई। वर्ष 1989 में ‘बायोकॉन लिमिटेड’ भारत की पहली जैव-प्रौद्योगिकी कंपनी बनी, जिसे ट्रेडमार्क युक्त प्रौद्योगिकियों के लिए अमेरिका से धन प्राप्त हुआ। वर्ष 1990 में इन्होंने ‘बायोकॉन लिमिटेड’ के उन्नत आन्तरिक अनुसंधान कार्यक्रम को ट्रेडमार्क युक्त कॉन्सेन्टरटेड सब्सट्रेटम फर्मेंटेशन टेक्नोलॉजी पर आधारित बनाया। वर्ष 1997 में इन्होंने मानव स्वास्थ्य के क्षेत्र में पहल की।

वर्ष 1998 में जब यूनीलीवर अपनी हिस्सेदारी ‘बायोकॉन लिमिटेड’ में बेचने को तैयार हुआ तो यह एक स्वतंत्र संस्था बन गई। दो साल बाद इसका ट्रेडमार्क युक्त सान्द्र मैट्रिक्स खमीरण पर आधारित बायो-रिएक्टर बना, जिसका नामकरण ‘प्लैफरेक्टर टीएम’ किया गया था। किरण मजूमदार-शॉ ने कंपनी को विशेष दवाइयों के उत्पादन के लिए पहला पूरी तरह से स्वचालित जलमग्न खमीरण संयंत्र बनाया। वर्ष 2003 तक ‘बायोकॉन लिमिटेड’ मानव इंसुनिल विकसित करने वाली दुनिया की पहली कंपनी बन गई।

वर्ष 2004 में इन्होंने पूंजी बाजार तक पहुंचने के लिए ‘बायोकॉन लिमिटेड’ के शोध कार्यक्रमों को विकसित करने का फैसला किया। बायोकॉन का आईपीओ 32 बार ओवर सब्सक्राइब हुआ और पहले दिन 1.11 बिलियन डॉलर के बाजार मूल्य के साथ बंद हुआ, सूचीबद्ध होने के पहले ही दिन ‘बायोकॉन लिमिटेड’ 1 बिलियन डॉलर के निशान को पार करने वाली भारत की दूसरी कंपनी बन गई।

Source : Femina India

निजी जीवन‍ 

  • उन्होंने भारत के एक बड़े प्रशंसक और स्कॉटलैंड निवासी जॉन शॉ से शादी की, जो 1991-1998 तक मदुरा कोट्स के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक रहे। वर्तमान समय में जॉन शॉ बायोकॉन लिमिटेड के उपाध्यक्ष हैं।
  • किरण मजूमदार शॉ कला पारखी है और उनके पास चित्रों और कला से संबंधित चीजों का बहुत विशाल संग्रह है। वे एक कॉफी टेबल पुस्तक, एले एंड आर्टि, द स्टोरी ऑफ बीयर की लेखिका भी हैं।
  • वे एक नागरिक कार्यकर्ता के रूप में, बंगलौर शहर के विकास के लिए बंगलौर एजेंडा टास्क फोर्स (BATF) जैसे विभिन्न कार्यक्रमों से वे जुड़ी हुई हैं।

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समाज सेवा के क्षेत्र में योगदान

किरण मजूमदार शॉ  के समाज सेवा के क्षेत्र में क्या योगदान रहा है, इसके बारे में नीचे बताया गया है –

  • वर्ष 2004 में इन्होंने समाज के गरीब और कमजोर वर्गों को लाभ पहुंचाने के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छता और पर्यावरण कार्यक्रम संचालित करने के लिए ‘बायोकॉन फाउंडेशन’ शुरू किया। फाउंडेशन के ‘सूक्ष्म-स्वास्थ्य बीमा’ कार्यक्रम के अंतर्गत 70,000 ग्रामीण सदस्यों का नामांकन किया गया है।
  • इन्होंने वर्ष 2007 में डॉ. देवी शेट्टी के. नारायण दृदयालय के साथ मिलकर बंगलौर के बूम्मसंद्रा के नारायण हेल्थ सिटी परिसर में 1,400 बिस्तरों वाले कैंसर देखभाल केंद्र की स्थापना की है। यह मजूमदार-शॉ कैंसर सेंटर (MSCC) के नाम से जाना जाता है।

दवा व्यवसाय के क्षेत्र में योगदान 

किरण मजूमदार शॉ  का दवा व्यवसाय के क्षेत्र में क्या योगदान रहा है, इसके बारे में नीचे बताया गया है –

  • इंग्लैंड की मशहूर पत्रिका ‘द मेडिसिन मेकर’ ने दवा क्षेत्र की 100 हस्तियों की सूची में किरण को दूसरे नंबर पर रखा है। खास बात यह है कि पत्रिका ने भारत से सिर्फ किरण मजूमदार को इस सूची में जगह दी है।
  • भारतीय कंपनी ‘बायोकॉन लिमिटेड’ की सीएमडी किरण मजूमदार-शॉ दवा बनाने वाली दुनिया की दूसरी सबसे शक्तिशाली हस्ती हैं, जो एंथनी फॉची (डायरेक्टर) नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इन्फेक्शस डिजीज, अमेरिका, के बाद दूसरे स्थान पर हैं।

अन्य क्षेत्रों में योगदान 

किरण मजूमदार शॉ अन्य क्षेत्र में क्या योगदान रहा है, इसके बारे में नीचे बताया गया है –

  • किरण मजूमदार शॉ भारत सरकार की एक स्वायत्त निकाय ‘इंडियन फार्माकोपिया कमीशन’ के प्रबंध निकाय और सामान्य निकाय की सदस्य हैं। ये स्टेम सेल बायोलॉजी एंड रिजेनरेटिव मेडिसीन के लिए बने संस्थान की सोसाइटी की संस्थापक सदस्य भी हैं।
  • ये भारत सरकार के नेशनल इनोवेशन कौंसिल की एक सदस्य और बंगलौर के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के प्रशासक मंडल की सदस्य हैं और कर्नाटक में आयरिश दूतावास की मानद वाणिज्य दूत हैं।

किरण मजूमदार शॉ को प्राप्त पुरस्कार और सम्मान  

यहां उन पुरस्कारों और सम्मानों की सूची दी गई है, जिससे किरण मजूमदार शॉ को सम्मानित किया गया है –

  • साइंस और केमिस्ट्री में खास योगदान के लिए इन्हें फिलाडेल्फिया (अमेरिका) में ‘ओथमेर स्वर्ण पदक-2014′ प्रदान किया गया था।
  • ये विश्व की तीसरी और पहली भारतीय महिला हैं जिन्हें ‘ओथमेर स्वर्ण पदक’ मिला हैं।
  • फोर्ब्स पत्रिका ने इन्हें वर्ष 2014 में दुनिया की सबसे शक्तिशाली महिलाओं में 92वें स्थान पर रखा था।
  • वर्ष 2007-08 में अमेरिका के एक प्रमुख व्यापार प्रकाशन ‘मेड एड न्यूज’ ने बायोकॉन को दुनिया भर की जैव-प्रौद्योगिकी कंपनियों में 20वां और दुनिया के सबसे बड़े नियोक्ताओं में 7वां स्थान दिया था।
  • अपने अग्रणी कार्यों के लिए इन्हें भारत सरकार के प्रतिष्ठित पद्मश्री (1989) और पद्म भूषण (2005) पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।
  • वर्ष 2004 में जैव-प्रौद्योगिकी में इनके योगदानों के लिए इनकी मातृ संस्थान बैलेरैट यूनिवर्सिटी ने उन्हें विज्ञान का मानद डॉक्टरेट उपाधि प्रदान किया।
  • इसके अलावा यूके के डंडी यूनिवर्सिटी ने वर्ष 2007, यूके की ग्लासगो यूनिवर्सिटी ने वर्ष 2008 और यूके के एडिनबर्ग की हेरिएट-वाट यूनिवर्सिटी वर्ष में 2008 ने भी उन्हें मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया।
  • हाल ही में ‘टाइम पत्रिका’ के दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में इनका नाम भी शामिल किया गया है तथा ये दुनिया की 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं की फोर्ब्स की सूची और फाइनेंशियल टाइम्स के कारोबार में शीर्ष 50 महिलाओं की सूची में भी शामिल हैं।
Source : Zee News

FAQs

किरण मजूमदार शॉ कौन हैं?

किरण मजूमदार शॉ एक भारतीय उद्यमी और आईआईएम-बैंगलोर की अध्यक्ष हैं, बायोटेक्नोलॉजी कंपनी बायोकॉन लिमिटेड की चेयरमैन और प्रबंध निदेशक हैं। 2014 में, उन्हें विज्ञान और रसायन विज्ञान की प्रगति में उत्कृष्ट योगदान के लिए ओथम गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया। वह फाइनेंशियल टाइम्स की शीर्ष 50 महिलाओं की व्यवसाय सूची में हैं।

किरण मजूमदार शॉ के पति का नाम क्या है?

किरण मजूमदार शॉ के पति का नाम जॉन शॉ है।

किरण मजूमदार शॉ के प्रमुख पुरस्कार कौन से है?

किरण मजूमदार शॉ को अपने अग्रणी कार्यों के लिए इन्हें भारत सरकार के प्रतिष्ठित पद्मश्री (1989) और पद्म भूषण (2005) पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।

किरण मजूमदार शॉ का दवा व्यवसाय के क्षेत्र में क्या योगदान रहा है?

इंग्लैंड की मशहूर पत्रिका ‘द मेडिसिन मेकर’ ने दवा क्षेत्र की 100 हस्तियों की सूची में किरण को दूसरे नंबर पर रखा है। खास बात यह है कि पत्रिका ने भारत से सिर्फ किरण मजूमदार को इस सूची में जगह दी है।

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