आज आतंकवाद संपूर्ण विश्व में एक चुनौतीपूर्ण समस्या बन गया है। 2016 Uri attack, 26/11 मुंबई आतंकी हमला, 13 दिसंबर 2001 में भारतीय संसद पर हमला, 26 नवंबर 2008 को मुंबई पर आतंकवादियों द्वारा हमला, 13 मई 2008 में जयपुर विस्फोट, 14 फरवरी 2019 पुलवामा अटैक ऐसे कई सारे हमले हैं जिसने हमारे पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। यह तो सिर्फ कुछ आतंकवादी अटैक हैं ऐसे कई अटैक हमारे देश में हुए हैं जिसमें अभी तक कई हजारों लोगों ने अपनी जान गंवाई है। इसके साथ ही इन अटैक के कारण देश को जन-धन की भी काफी हानि हुई हैं। चूंकि आतंकवाद एक वैश्विक समस्या है इसलिए 21 मई को हर वर्ष आतंकवाद विरोधी दिवस के रूप में मनाया जाता है। आतंकवाद विरोधी दिवस की शुरुआत कब हुई? क्यों मनाया गया आतंकवाद विरोधी दिवस? आतंकवाद विरोधी दिवस में हम कैसे सहयोग कर सकते हैं? इन सभी की जानकारी विस्तार से इस ब्लॉग में दी गई है।
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आतंकवाद विरोधी दिवस क्यों मनाया जाता है?
राजीव गांधी पर 21 मई 1991 में अपने चुनावी दौर के दौरान तमिलनाडु में उनके ऊपर बम के द्वारा जानलेवा हमला हुआ था। इसी बम विस्फोट के दौरान राजीव गांधी की जान ली गई थी। इस हमले के दौरान कई सारे लोगों की जान भी गई थी और बहुत सारे लोग घायल भी हुए थे।
Thenmozhi Rajaratnam नाम की महिला प्रचार के दौरान भीड़ से निकलकर राजीव गांधी से मिलने आई थी। लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम या LLT संगठन की एक महिला ने एक बेल्ट बांधा था जिसके अंदर करीब 700 ग्राम आर डी एक्स था जैसे ही वह महिला राजीव गांधी को अभिवादन करने के लिए झुकी तभी अचानक से ब्लास्ट हुआ जिसकी वजह से राजीव गांधी की मृत्यु हुई थी। तब से ही 21 मई को आतंकवाद विरोधी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
LTT (लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम) संगठन क्या है?
यह उत्तरी श्रीलंका का एक अलगाववादी संगठन है। 5 मई 1976 को वेलुपिल्लई प्रभाकरन द्वारा लिट्टे (लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम) बनया गया है। इन्होंने सर्वप्रथम 23 जुलाई 1983 में जाफना के बाहर श्रीलंका के कुछ लोगों के वाहन पर हमला किया। 8 अक्टूबर को एक भारतीय सेना के राशन ट्रक पर पहली बार हमला किया। इस संगठन ने उच्च पद पर बैठे ‘श्रीलंका’ के लोगों और भारतीय राजनेता राजीव गांधी की तरह अनेक लोगों को मार डाला। इन्होनें आत्मघाती बेल्ट और आत्मघाती बम विस्फोट का एक रणनीति के रूप में किया।
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राष्ट्रीय आतंकवादी विरोधी दिवस का इतिहास
राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी दिवस की शुरुआत 21 मई 1991 को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद हुई थी। राजीव गांधी को एक आत्मघाती बम विस्फोट में मार दिया गया था, जब वे तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे। इसके बाद, सरकार ने 21 मई को आतंकवाद विरोधी दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया, ताकि लोगों को आतंकवाद के खतरों से अवगत कराया जा सके और इसके खिलाफ एकजुट होकर लड़ने का संदेश दिया जा सके।
आतंकवाद विरोधी दिवस शपथ
हम यह शपथ लेते हैं कि हम अपने देश को एकमत होकर सशक्त तथा विशेष सक्रिय बनाएंगे तथा आतंकवाद को समाप्त करने का निश्चय करेंगे। व्यक्तिगत स्वार्थों को छोड़कर इस समस्या से निपटने का प्रयास करेंगे। हम सभी भारतवासी शांति, सामाजिक सद्भाव और सूझबूझ से अहिंसा और आतंकवाद का डटकर सामना करेंगे।
आतंकवाद को खत्म करने के लिए चलाए गए अधिनियम
- आतंकवादी और विघटनकारी कार्यकलाप (निवारण) अधिनियम, 1987 (वर्ष 1995 में व्यपगत)
- आतंकवाद निवारण अधिनियम, 2002 (वर्ष 2004 में निरसित)
- गैर-कानूनी कार्यकलाप (निवारण) अधिनियम, 1967 (2004 में संशोधित)
- राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980।
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FAQs
राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी दिवस की शुरुआत 21 मई 1991 को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद हुई थी। राजीव गांधी को एक आत्मघाती बम विस्फोट में मार दिया गया था, जब वे तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे।
आतंकवादी विरोधी दिवस
घरेलू आतंकवाद
अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद।
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