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इस प्रश्न का सही उत्तर ऑप्शन C है। हिंदी व्याकरण में रस की संख्या नौ हैं। हालांकि विद्वानों द्वारा ‘वात्सल्य रस’ को दसवां एवं ‘भक्ति रस’ को ग्यारहवां रस भी माना गया है। वात्स्ल्यता तथा देव रति इनके स्थायी भाव हैं। इस तरह हिंदी में रसों की संख्या 11 तक पहुँच जाती है।
रस किसे कहते हैं?
रस का शाब्दिक अर्थ है ‘आनंद’। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनंद की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है। रस को काव्य की आत्मा माना जाता है।
रस के कितने भेद होते हैं?
हिंदी व्याकरण में रस के मुख्यतः नौ भेद माने जाते हैं। हालांकि विद्वानों द्वारा ‘वात्सल्य रस’ और ‘भक्ति रस’ को भी रस माना गया है। इससे हिंदी में रसों की संख्या 11 तक पहुँच जाती है। रस के भेद इस प्रकार हैं:-
| रस | स्थायी भाव |
| श्रृंगार रस | रति |
| हास्य रस | हास |
| करुण रस | शोक |
| वीर रस | उत्साह |
| रौद्र रस | क्रोध |
| भयानक रस | भय |
| वीभत्स रस | जुगुप्सा |
| अद्भुत रस | विस्मय |
| शांत रस | निर्वेद |
| वात्सल्य | वात्स्ल्यता |
| भक्ति | देव रति/ अनुराग |
रस के कितने अंग हैं?
रस के प्रमुख चार अंग हैं;-
- स्थायी भाव
- संचारी भाव
- विभाव
- अनुभाव
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