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उत्तर: ‘राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद’ पाठ हमें जीवन में विनम्रता, मर्यादा-पालन, संयम और शीलयुक्त आचरण जैसे उच्च जीवन-मूल्यों को अपनाने का संकेत देता है। परशुराम जैसे मुनि का अत्यधिक क्रोध उनकी ब्राह्मण और तपस्वी मर्यादा के विरुद्ध है, वहीं लक्ष्मण का व्यंग्यपूर्ण और उग्र व्यवहार क्षत्रिय कुल की गरिमा और सामाजिक शिष्टाचार के विपरीत है। इसके विपरीत श्रीराम का शांत, संयमित और विनम्र व्यवहार आदर्श रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो दर्शाता है कि क्रोध और अहंकार के बजाय धैर्य और विवेक से ही किसी विवाद का समाधान संभव है।
इस पाठ के अन्य प्रश्न
- अपने किसी परिचित या मित्र के स्वभाव की विशेषताएँ लिखिए।
- दूसरों की क्षमताओं को कम नहीं समझना चाहिए इस विषय पर कहानी लिखिए।
- उन घटनाओं को याद करके लिखिए जब आपने अन्याय का प्रतिकार किया हो।
- लक्ष्मण के वचनों से बढ़े हुए परशुराम जी के क्रोध को किसने और कैसे शान्त किया?
- ‘दोहा’ नामक छंद के लक्षण लिखिए।
- लक्ष्मण को परशुराम को मारने पर पाप और अपयश की सम्भावना क्यों थी?
- क्रोध पर विनय और व्यंग्य का अलग-अलग प्रभाव कैसे पड़ता है? ‘राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद’ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
- ‘कहेउ लखन मुनि सीलु तुम्हारा। को नहि जान बिदित संसारा।।’ इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
- शूरवीर और कायर में क्या अंतर बताया गया है?
- ‘राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद’ पाठ में क्या संदेश दिया गया है?
- परशुराम ने लक्ष्मण के बारे में विश्वामित्र से क्या-क्या कहा?
- परशुराम ने लक्ष्मण के बारे में विश्वामित्र से क्या-क्या कहा?
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