Answer
Verified
उत्तर: गोपियों ने अपनी तुलना गुड़ से चिपकी रहने वाली चींटियों से की है। वे कहती हैं कि जिस प्रकार चींटियाँ गुड़ के मधुर स्वाद के आकर्षण में लिपटकर अपना जीवन त्याग देती हैं, उसी प्रकार वे भी कृष्ण के प्रेम में पूर्ण रूप से आसक्त हो चुकी हैं। कृष्ण के प्रति उनका प्रेम इतना गहरा है कि वे उनसे अलग होने की कल्पना भी नहीं कर सकतीं, चाहे इसका परिणाम दुख या मृत्यु ही क्यों न हो। यह तुलना गोपियों के निष्काम, समर्पित और आत्मविसर्जित प्रेम को दर्शाती है।
अन्य प्रश्न
- गोपियाँ किस आशा पर विरह के कष्ट को सहन कर रही थीं?
- गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में क्या व्यंग्य निहित है?
- उद्धव के व्यवहार की तुलना किस-किस से की गई है?
- गोपियों ने किन-किन उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलहाने दिए हैं?
- ‘नाहीं परत कही’ में गोपियाँ अपनी व्यथा क्यों नहीं कह पा रही हैं?
- गोपियों को उद्धव द्वारा दिया गया योग संदेश कैसा लगता है और क्यों?
- ‘यह तौ ‘सूर’ तिनहिं लै सौंपौ, जिनके मन चकरी’ इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
- ‘हरि हैं राजनीति पढ़ि आए’ इस पद में गोपियाँ कृष्ण के किस रूप का वर्णन कर रही हैं?
- गोपियों के अनुसार अनीति क्या है?
- उपर्युक्त पद में गोपियों की कौन-सी विशेषता प्रकट हो रही है?
- पहले के भले लोगों का कैसा स्वभाव होता था?
- सूरदास जी ने उद्धव एवं कमल-पत्र में क्या समानता बताई है?
60,000+ students trusted us with their dreams. Take the first step today!

One app for all your study abroad needs
