दो साल के बाद कनाडा के स्टूडेंट वीज़ा सक्सेस रेट में हुआ सुधार

1 minute read
दो साल के बाद कनाडा के स्टूडेंट वीज़ा सक्सेस रेट में सुधार

पहले 8-10 महीने या उससे अधिक समय के लिए छात्रों को वीज़ा पाने के लिए इंतजार करना पड़ता था और यहाँ तक कि बेवजह अच्छे प्रोफाइल को भी खारिज किया जा रहा था। लेकिन अब अस्वीकृति दर में काफी धीमी गति से सुधार होना शुरू हो गया है, जिससे छात्रों को राहत मिली है। 

3 साल के अंतराल वाले छात्रों को स्टडी वीजा पिछले कुछ हफ्तों में मिला है। कंसल्टेंट्स ने कहा कि कनाडा से उच्च अस्वीकृति के कारण बड़ी संख्या में छात्रों ने यूके, यूएसए और ऑस्ट्रेलिया के स्टूडेंट वीज़ा के लिए आवेदन किया जो इस सुधार के पीछे एक मुख्य कारण है। 

जालंधर में जुपिटर अकादमी के सलाहकार और मालिक नरपत बब्बर ने कहा कि पहले, अस्वीकृति दर बहुत अधिक थी लगभग 10 भारतीय छात्रों में से केवल चार को ही वीजा मिल रहा था, लेकिन पिछले कुछ हफ्तों में इसमें सुधार हुआ है और अब 10 आवेदनों में 5-6 छात्र को वीजा मिल रहा हैं। 

नरपत बब्बर ने कहा कि, “कनाडा सरकार शायद ही दो साल से अधिक के अध्ययन के अंतराल पर विचार करती है, लेकिन अब तीन साल के अंतराल वाले छात्रों को भी वीजा मिल रहा है।”

कपूरथला स्थित आई-कैन के सलाहकार गुरप्रीत सिंह ने कहा कि पहले अच्छे प्रोफाइल्स को खारिज किया जा रहा था लेकिन अब ऐसा नहीं है। हालांकि चुनने की प्रवृत्ति अभी भी जारी है। 

लुधियाना स्थित कैन-एबल इमिग्रेशन कंसल्टेंट्स के निदेशक खिलनदीप सिंह ने कहा कि अब वीजा आवेदनों में बढ़ोतरी के बावजूद अच्छी संख्या में छात्रों को वीजा मिल रहा है।

कंसल्टेंट्स ने कहा कि बड़ी संख्या में भारतीय छात्र मुख्य रूप से पंजाबी मॉन्ट्रियल (क्यूबेक प्रांत) के कॉलेजों में प्रवेश लेते हैं और महामारी के दौरान भी ऐसा ही रहा। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय छात्रों की उच्च प्रवेश दर के कारण महामारी के दौरान सरकार ने 10 कॉलेजों की जांच के लिए लिस्ट तैयार की। 

बब्बर ने कहा कि कुछ छात्रों ने मॉन्ट्रियल के इन कॉलेजों में प्रवेश लिया लेकिन स्क्रूटनी प्रक्रिया के कारण रुकावट पैदा हुई। इन कॉलेजों में से तीन मॉन्ट्रियल कॉलेज हैं।

इनमें से तीन मॉन्ट्रियल कॉलेज कथित तौर पर अंतरराष्ट्रीय छात्रों के प्रवेश में गलत प्रथाओं को अपना रहे थे और जांच के बाद उन्हें ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था। इन कॉलेजों में प्रवेश लेने वाले छात्रों को भारतीय उच्चायोग द्वारा उच्च शिक्षा मंत्रालय, क्यूबेक सरकार के पास शिकायत दर्ज करने की सलाह दी गई थी। 

बब्बर ने कहा कि तब इन छात्रों की नकारात्मक समीक्षा की जा रही थी, लेकिन अब कनाडा के हाई कमीशन द्वारा उन पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जा रहा है।

जब से कनाडा ने आवेदनों को अस्वीकार किया वैसे ही यूके, ऑस्ट्रेलिया और यूएसए जैसे अन्य देशों को अधिक आवेदन मिलने लगे। ब्रिटिश हाई कमीशन ने हाल ही में बताया कि 2019 की तुलना में 215% की वृद्धि के साथ यूके ने जून 2022 तक एक वर्ष में भारतीय छात्रों को 1,17,965 प्रायोजित अध्ययन वीजा जारी किया है। ब्रिटेन के बाद चीन को पीछे छोड़ते हुए भारत शीर्ष पर है। 

अमृतसर में धवन एजुकेशनल कंसल्टेंसी के मालिक चित्रेश धवन ने कहा, “यूके में छात्र वीजा की सफलता दर 100% के करीब है।” स्पॉन्सर्ड स्टूडेंट वीज़ा जो छात्रों के बीच प्रमुख आकर्षण है क्योंकि यह एक महीने से भी कम समय में आता है। 

सलाहकारों ने छात्रों को सलाह दी है कि अस्वीकृति से बचने के लिए, उन्हें अपने संबंधित कॉलेजों से प्राप्त पत्र के साथ प्रत्येक दस्तावेज को उसी क्रम में जमा करना होगा जैसा उन्हें कहा जाता है। साथ ही, छात्रों को उचित कारण के साथ कनाडा में अपनी पढ़ाई के उद्देश्य का उल्लेख करना चाहिए। यदि उन्हें अस्वीकृति का सामना करना पड़ता है, वे प्रोफेशनल्स की मदद लेकर अपील कर सकते हैं और फिर से आवेदन कर सकते हैं। छात्र कनाडा सरकार की आधिकारिक वेबसाइटों पर जाकर भी मदद ले सकते हैं। 

इस तरह के और अपडेट के लिए, Leverage Edu News को फॉलो करें!

प्रातिक्रिया दे

Required fields are marked *

*

*