Waseem Barelvi Shayari : वसीम बरेलवी के चुनिंदा शेर, शायरी और ग़ज़ल

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Waseem Barelvi Shayari

वसीम बरेलवी उर्दू भाषा के उन लोकप्रिय शायरों में से थे, जिन्हें प्रगतिवादी शायर होने का सम्मान प्राप्त था। वसीम बरेलवी की रचनाएं सामाजिक न्याय और समानता के मुद्दों पर आधारित हैं। वसीम बरेलवी की शायरी न केवल भारत के युवाओं को बल्कि दुनियाभर के हर साहित्य प्रेमी को प्रेरित करने का काम करती हैं। वसीम बरेलवी के शेर, शायरी और ग़ज़लें विद्यार्थियों को उर्दू साहित्य की खूबसूरती से परिचित करवाएंगी, साथ ही वसीम बरेलवी की रचनाएं युवाओं में सकारात्मकता का संचार करेंगी। इस ब्लॉग के माध्यम से आप कुछ चुनिंदा Waseem Barelvi Shayari पढ़ पाएंगे, जो आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का सफल प्रयास करेंगी।

वसीम बरेलवी का जीवन परिचय

वसीम बरेलवी का जन्म 18 फरवरी 1940 को उत्तर प्रदेश के बरेली में हुआ था। वसीम बरेलवी का मूल नाम ज़ाहिद हुसैन था। वसीम बरेलवी ने आगरा यूनिवर्सिटी से एम.ए. उर्दू, की पढ़ाई पूरी की। वसीम बरेलवी एक ऐसे शायर थे जिनकी रचनाएं हास्य और व्यंग्य के तड़के से और भी ज्यादा शानदार हो जाती थी। वसीम बरेलवी की शायरी प्रेम, जीवन, समाज और राजनीति विषयों पर मुख्य तौर से केंद्रित रहती थीं। जीवनभर उर्दू साहित्य के प्रति समर्पित रहने वाले वसीम बरेलवी का निधन 8 अगस्त 2023 को उत्तर प्रदेश में हुआ था।

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वसीम बरेलवी की शायरी – Waseem Barelvi Shayari

वसीम बरेलवी की शायरी पढ़कर युवाओं में साहित्य को लेकर एक समझ पैदा होगी, जो उन्हें उर्दू साहित्य की खूबसूरती से रूबरू कराएगी, जो इस प्रकार है –

“जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा
किसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता…”
-वसीम बरेलवी

“आसमाँ इतनी बुलंदी पे जो इतराता है
भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है…”
-वसीम बरेलवी

“दुख अपना अगर हम को बताना नहीं आता
तुम को भी तो अंदाज़ा लगाना नहीं आता…”
-वसीम बरेलवी

“रात तो वक़्त की पाबंद है ढल जाएगी
देखना ये है चराग़ों का सफ़र कितना है…”
-वसीम बरेलवी

“वो झूठ बोल रहा था बड़े सलीक़े से
मैं ए’तिबार न करता तो और क्या करता…”
-वसीम बरेलवी

Waseem Barelvi Shayari

“वैसे तो इक आँसू ही बहा कर मुझे ले जाए
ऐसे कोई तूफ़ान हिला भी नहीं सकता…”
-वसीम बरेलवी

“शर्तें लगाई जाती नहीं दोस्ती के साथ
कीजे मुझे क़ुबूल मिरी हर कमी के साथ…”
-वसीम बरेलवी

“तुम मेरी तरफ़ देखना छोड़ो तो बताऊँ
हर शख़्स तुम्हारी ही तरफ़ देख रहा है…”
-वसीम बरेलवी

“मोहब्बत में बिछड़ने का हुनर सब को नहीं आता
किसी को छोड़ना हो तो मुलाक़ातें बड़ी करना…”
-वसीम बरेलवी

“उसी को जीने का हक़ है जो इस ज़माने में
इधर का लगता रहे और उधर का हो जाए…”
-वसीम बरेलवी

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मोहब्बत पर वसीम बरेलवी की शायरी

मोहब्बत पर वसीम बरेलवी की शायरियाँ जो आपका मन मोह लेंगी – 

“अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे
तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आएँ कैसे…”
-वसीम बरेलवी

“आते आते मिरा नाम सा रह गया
उस के होंटों पे कुछ काँपता रह गया…”
-वसीम बरेलवी

“तुम आ गए हो तो कुछ चाँदनी सी बातें हों
ज़मीं पे चाँद कहाँ रोज़ रोज़ उतरता है…”
-वसीम बरेलवी

Waseem Barelvi Shayari

“मैं ने चाहा है तुझे आम से इंसाँ की तरह
तू मिरा ख़्वाब नहीं है जो बिखर जाएगा…”
-वसीम बरेलवी

“मैं जिन दिनों तिरे बारे में सोचता हूँ बहुत
उन्हीं दिनों तो ये दुनिया समझ में आती है…”
-वसीम बरेलवी

“वो पूछता था मिरी आँख भीगने का सबब
मुझे बहाना बनाना भी तो नहीं आया…”
-वसीम बरेलवी

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वसीम बरेलवी के शेर

वसीम बरेलवी के शेर पढ़कर युवाओं को वसीम बरेलवी की लेखनी से प्रेरणा मिलेगी। वसीम बरेलवी के शेर युवाओं के भीतर सकारात्मकता का संचार करेंगे, जो कुछ इस प्रकार हैं:

“ऐसे रिश्ते का भरम रखना कोई खेल नहीं
तेरा होना भी नहीं और तिरा कहलाना भी…”
-वसीम बरेलवी

“मैं बोलता गया हूँ वो सुनता रहा ख़ामोश
ऐसे भी मेरी हार हुई है कभी कभी…”
-वसीम बरेलवी

“हमारे घर का पता पूछने से क्या हासिल
उदासियों की कोई शहरियत नहीं होती…”
-वसीम बरेलवी

“झूठ वाले कहीं से कहीं बढ़ गए
और मैं था कि सच बोलता रह गया…”
-वसीम बरेलवी

“वो मेरे घर नहीं आता मैं उस के घर नहीं जाता
मगर इन एहतियातों से तअल्लुक़ मर नहीं जाता…”
-वसीम बरेलवी

“ग़म और होता सुन के गर आते न वो ‘वसीम’
अच्छा है मेरे हाल की उन को ख़बर नहीं…”
-वसीम बरेलवी

“न पाने से किसी के है न कुछ खोने से मतलब है
ये दुनिया है इसे तो कुछ न कुछ होने से मतलब है…”
-वसीम बरेलवी

“हर शख़्स दौड़ता है यहाँ भीड़ की तरफ़
फिर ये भी चाहता है उसे रास्ता मिले…”
-वसीम बरेलवी

“शराफ़तों की यहाँ कोई अहमियत ही नहीं
किसी का कुछ न बिगाड़ो तो कौन डरता है…”
-वसीम बरेलवी

“झूठ के आगे पीछे दरिया चलते हैं
सच बोला तो प्यासा मारा जाएगा…”
-वसीम बरेलवी

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वसीम बरेलवी की दर्द भरी शायरी

वसीम बरेलवी की दर्द भरी शायरियाँ कुछ इस प्रकार हैं:

“तुझे पाने की कोशिश में कुछ इतना खो चुका हूँ मैं
कि तू मिल भी अगर जाए तो अब मिलने का ग़म होगा…”
-वसीम बरेलवी

“शाम तक सुब्ह की नज़रों से उतर जाते हैं
इतने समझौतों पे जीते हैं कि मर जाते हैं…”
-वसीम बरेलवी

“वो दिन गए कि मोहब्बत थी जान की बाज़ी
किसी से अब कोई बिछड़े तो मर नहीं जाता…”
-वसीम बरेलवी

“मुसलसल हादसों से बस मुझे इतनी शिकायत है
कि ये आँसू बहाने की भी तो मोहलत नहीं देते…”
-वसीम बरेलवी

“फूल तो फूल हैं आँखों से घिरे रहते हैं
काँटे बे-कार हिफ़ाज़त में लगे रहते हैं…”
-वसीम बरेलवी

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वसीम बरेलवी की गजलें

वसीम बरेलवी की गजलें आज भी प्रासंगिक बनकर बेबाकी से अपना रुख रखती हैं, जो नीचे दी गई हैं-

चाँद का ख़्वाब उजालों की नज़र लगता है

चाँद का ख़्वाब उजालों की नज़र लगता है
तू जिधर हो के गुज़र जाए ख़बर लगता है

उस की यादों ने उगा रक्खे हैं सूरज इतने
शाम का वक़्त भी आए तो सहर लगता है

एक मंज़र पे ठहरने नहीं देती फ़ितरत
उम्र भर आँख की क़िस्मत में सफ़र लगता है

मैं नज़र भर के तिरे जिस्म को जब देखता हूँ
पहली बारिश में नहाया सा शजर लगता है

बे-सहारा था बहुत प्यार कोई पूछता क्या
तू ने काँधे पे जगह दी है तो सर लगता है

तेरी क़ुर्बत के ये लम्हे उसे रास आएँ क्या
सुब्ह होने का जिसे शाम से डर लगता है
-वसीम बरेलवी

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मैं इस उमीद पे डूबा कि तू बचा लेगा

मैं इस उमीद पे डूबा कि तू बचा लेगा
अब इस के बा’द मिरा इम्तिहान क्या लेगा

ये एक मेला है वा’दा किसी से क्या लेगा
ढलेगा दिन तो हर इक अपना रास्ता लेगा

मैं बुझ गया तो हमेशा को बुझ ही जाऊँगा
कोई चराग़ नहीं हूँ कि फिर जला लेगा

कलेजा चाहिए दुश्मन से दुश्मनी के लिए
जो बे-अमल है वो बदला किसी से क्या लेगा

मैं उस का हो नहीं सकता बता न देना उसे
लकीरें हाथ की अपनी वो सब जला लेगा

हज़ार तोड़ के आ जाऊँ उस से रिश्ता ‘वसीम’
मैं जानता हूँ वो जब चाहेगा बुला लेगा
-वसीम बरेलवी

मोहब्बत ना-समझ होती है समझाना ज़रूरी है

मोहब्बत ना-समझ होती है समझाना ज़रूरी है
जो दिल में है उसे आँखों से कहलाना ज़रूरी है

उसूलों पर जहाँ आँच आए टकराना ज़रूरी है
जो ज़िंदा हो तो फिर ज़िंदा नज़र आना ज़रूरी है

नई उम्रों की ख़ुद-मुख़्तारियों को कौन समझाए
कहाँ से बच के चलना है कहाँ जाना ज़रूरी है

थके-हारे परिंदे जब बसेरे के लिए लौटें
सलीक़ा-मंद शाख़ों का लचक जाना ज़रूरी है

बहुत बेबाक आँखों में त’अल्लुक़ टिक नहीं पाता
मोहब्बत में कशिश रखने को शर्माना ज़रूरी है

सलीक़ा ही नहीं शायद उसे महसूस करने का
जो कहता है ख़ुदा है तो नज़र आना ज़रूरी है

मिरे होंटों पे अपनी प्यास रख दो और फिर सोचो
कि इस के बा’द भी दुनिया में कुछ पाना ज़रूरी है
-वसीम बरेलवी

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आशा है कि इस ब्लॉग में आपको Waseem Barelvi Shayari पढ़ने का अवसर मिला होगा। Waseem Barelvi Shayari को पढ़कर आप उर्दू साहित्य के क्षेत्र में वसीम बरेलवी की भूमिका को जान पाए होंगे। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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