वक्त पर मोटिवेशनल शायरी, बेहतरीन शेर और ग़ज़ल

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waqt par motivational shayari

वक्त पर मोटिवेशनल शायरी के माध्यम से आप अपने जीवन में आने वाले कठिन से कठिन दौर को हँसकर पार कर सकते हैं। समय सदा ही एक जैसा नहीं रहता, जो इंसान इस बात को जान लेता है वह जीवन में मिलने वाली असफलताओं को भी सफलता में बदल सकता है। कठिन समय में इंसान निराश जल्दी होने लगता है, ऐसी स्थिति में वक्त पर मोटिवेशनल शायरी पढ़कर आसानी से इससे बाहर आया जा सकता है। वक्त पर मोटिवेशनल शायरी पढ़कर आप निराशा का नाश करके आशावाद का चोला धारण कर सकते हैं। विद्यार्थी जीवन में लिखी या पढ़ी गई वक्त पर मोटिवेशनल शायरी, आपके सामने वक़्त को सही रूप से परिभाषित करती हैं।

वक्त पर मोटिवेशनल शायरी

वक्त पर मोटिवेशनल शायरी पढ़कर विद्यार्थियों को कठिन समय का सामना करने का साहस मिल सकता है, जिसका मकसद आपको वक़्त की कीमत बताना होगा। वक्त पर प्रेरित करने वाली शायरी कुछ इस प्रकार हैं:

सुबह होती है शाम होती है 
उम्र यूँही तमाम होती है 

-मुंशी अमीरुल्लाह तस्लीम

वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर 
आदत इस की भी आदमी सी है 

-गुलज़ार

सदा ऐश दौराँ दिखाता नहीं 
गया वक़्त फिर हाथ आता नहीं 

-मीर हसन

जब आ जाती है दुनिया घूम फिर कर अपने मरकज़ पर 

तो वापस लौट कर गुज़रे ज़माने क्यूँ नहीं आते 

-इबरत मछलीशहरी

या वो थे ख़फ़ा हम से या हम हैं ख़फ़ा उन से 
कल उन का ज़माना था आज अपना ज़माना है 

-जिगर मुरादाबादी

सब कुछ तो है क्या ढूँडती रहती हैं निगाहें 
क्या बात है मैं वक़्त पे घर क्यूँ नहीं जाता 

-निदा फ़ाज़ली

अगर फ़ुर्सत मिले पानी की तहरीरों को पढ़ लेना 
हर इक दरिया हज़ारों साल का अफ़्साना लिखता है 

-बशीर बद्र

इक साल गया इक साल नया है आने को 
पर वक़्त का अब भी होश नहीं दीवाने को 

-इब्न-ए-इंशा

उन का ज़िक्र उन की तमन्ना उन की याद 
वक़्त कितना क़ीमती है आज कल 

-शकील बदायूनी

ये मोहब्बत का फ़साना भी बदल जाएगा 
वक़्त के साथ ज़माना भी बदल जाएगा

-अज़हर लखनवी

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वक़्त पर शायरी – Waqt Shayari in Hindi

वक़्त पर शायरी पढ़कर आप वक़्त के महत्व को जान पाएंगे। Waqt Shayari in Hindi कुछ इस प्रकार हैं:

दिल्ली में आज भीक भी मिलती नहीं उन्हें 
था कल तलक दिमाग़ जिन्हें ताज-ओ-तख़्त का 

-मीर तक़ी मीर

वक़्त अच्छा भी आएगा 'नासिर' 
ग़म न कर ज़िंदगी पड़ी है अभी 

-नासिर काज़मी

और क्या चाहती है गर्दिश-ए-अय्याम कि हम 
अपना घर भूल गए उन की गली भूल गए 

-जौन एलिया

कहते हैं उम्र-ए-रफ़्ता कभी लौटती नहीं 
जा मय-कदे से मेरी जवानी उठा के ला 

-अब्दुल हमीद अदम

वक़्त की गर्दिशों का ग़म न करो 
हौसले मुश्किलों में पलते हैं 

-महफूजुर्रहमान आदिल

वक़्त बर्बाद करने वालों को 
वक़्त बर्बाद कर के छोड़ेगा 

-दिवाकर राही

वक़्त किस तेज़ी से गुज़रा रोज़-मर्रा में 'मुनीर' 
आज कल होता गया और दिन हवा होते गए 

-मुनीर नियाज़ी

ये पानी ख़ामुशी से बह रहा है 
इसे देखें कि इस में डूब जाएँ 

-अहमद मुश्ताक़

वो वक़्त का जहाज़ था करता लिहाज़ क्या 
मैं दोस्तों से हाथ मिलाने में रह गया 

-हफ़ीज़ मेरठी

गुज़रने ही न दी वो रात मैं ने 
घड़ी पर रख दिया था हाथ मैं ने

-शहज़ाद अहमद

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मुश्किल वक्त शायरी

वक़्त पर शायरी के इस ब्लॉग के माध्यम से आप मुश्किल वक्त शायरी भी पढ़ पाएंगे, मुश्किल वक्त शायरी आपको कठिन समय में साहस से काम लेना सिखाएंगी। Waqt Shayari in Hindi कुछ इस प्रकार हैं:

वक़्त करता है परवरिश बरसों 
हादिसा एक दम नहीं होता 

-क़ाबिल अजमेरी

उस वक़्त का हिसाब क्या दूँ 
जो तेरे बग़ैर कट गया है 

-अहमद नदीम क़ासमी

हमें हर वक़्त ये एहसास दामन-गीर रहता है 
पड़े हैं ढेर सारे काम और मोहलत ज़रा सी है 

-ख़ुर्शीद तलब

न इब्तिदा की ख़बर है न इंतिहा मालूम 
रहा ये वहम कि हम हैं सो वो भी क्या मालूम 

-फ़ानी बदायुनी

उम्र भर मिलने नहीं देती हैं अब तो रंजिशें 
वक़्त हम से रूठ जाने की अदा तक ले गया 

-फ़सीह अकमल

वक़्त हर ज़ख़्म का मरहम तो नहीं बन सकता 
दर्द कुछ होते हैं ता-उम्र रुलाने वाले 

-सदा अम्बालवी

'अख़्तर' गुज़रते लम्हों की आहट पे यूँ न चौंक 
इस मातमी जुलूस में इक ज़िंदगी भी है 

-अख़्तर होशियारपुरी

कौन डूबेगा किसे पार उतरना है 'ज़फ़र' 
फ़ैसला वक़्त के दरिया में उतर कर होगा 

-अहमद ज़फ़र

तू मुझे बनते बिगड़ते हुए अब ग़ौर से देख 
वक़्त कल चाक पे रहने दे न रहने दे मुझे 

-ख़ुर्शीद रिज़वी

सब आसान हुआ जाता है 
मुश्किल वक़्त तो अब आया है

-शारिक़ कैफ़ी

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वक़्त पर ग़ज़ल

वक़्त पर ग़ज़ल आपका परिचय उर्दू साहित्य के सौंदर्य से कराएंगी, साथ ही यह ग़ज़लें आपको वक़्त की कीमत के बारे में बताएंगी, जो नीचे दी गई हैं-

आदमी वक़्त पर गया होगा

आदमी वक़्त पर गया होगा 
वक़्त पहले गुज़र गया होगा 

वो हमारी तरफ़ न देख के भी 
कोई एहसान धर गया होगा 

ख़ुद से मायूस हो के बैठा हूँ 
आज हर शख़्स मर गया होगा 

शाम तेरे दयार में आख़िर 
कोई तो अपने घर गया होगा 

मरहम-ए-हिज्र था अजब इक्सीर 
अब तो हर ज़ख़्म भर गया होगा

-जौन एलिया

अच्छे दिन कब आएँगे

अच्छे दिन कब आएँगे 
क्या यूँ ही मर जाएँगे 

अपने-आप को ख़्वाबों से 
कब तक हम बहलाएँगे 

बम्बई में ठहरेंगे कहाँ 
दिल्ली में क्या खाएँगे 

खिलते हैं तो खिलने दो 
फूल अभी मुरझाएँगे 

कितनी अच्छी लड़की है 
बरसों भूल न पाएँगे 

मौत न आई तो 'अल्वी' 
छुट्टी में घर जाएँगे

-मोहम्मद अल्वी

मैं ढूँडता हूँ जिसे वो जहाँ नहीं मिलता

मैं ढूँडता हूँ जिसे वो जहाँ नहीं मिलता 
नई ज़मीन नया आसमाँ नहीं मिलता 

नई ज़मीन नया आसमाँ भी मिल जाए 
नए बशर का कहीं कुछ निशाँ नहीं मिलता 

वो तेग़ मिल गई जिस से हुआ है क़त्ल मिरा 
किसी के हाथ का उस पर निशाँ नहीं मिलता 

वो मेरा गाँव है वो मेरे गाँव के चूल्हे 
कि जिन में शोले तो शोले धुआँ नहीं मिलता 

जो इक ख़ुदा नहीं मिलता तो इतना मातम क्यूँ 
यहाँ तो कोई मिरा हम-ज़बाँ नहीं मिलता 

खड़ा हूँ कब से मैं चेहरों के एक जंगल में 
तुम्हारे चेहरे का कुछ भी यहाँ नहीं मिलता

-कैफ़ी आज़मी

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आशा है कि इस ब्लॉग में आपको वक्त पर मोटिवेशनल शायरी पढ़ने का अवसर मिला होगा। वक्त पर प्रेरित करने वाली शायरी, वक़्त पर शायरी, मुश्किल वक़्त शायरी और वक़्त पर ग़ज़ल पढ़कर, आप साहित्य के माध्यम से वक़्त की कीमत को जान पाएंगे। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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