UPSC Optional Management Syllabus in Hindi: जानिए UPSC वैकल्पिक मैनेजमेंट विषय का संपूर्ण सिलेबस, एग्जाम पैटर्न, बेस्ट बुक्स

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UPSC Optional Management Syllabus in Hindi

UPSC परीक्षा तीन भागों में कंडक्ट की जाती है जिसे प्रीलिम्स, मेंस और इंटरव्यू में विभाजित किया गया हैं। UPSC सिविल सर्विस के प्रिलिम्स परीक्षा को पास करने के बाद कैंडिडेट्स को मेंस एग्जाम को भी क्लियर करना अनिवार्य होता है। UPSC मेंस परीक्षा में कैंडिडेट्स को 48 वैकल्पिक विषयों में से किसी एक विषय को चुनने का विकल्प मिलता हैं। जिसमें एक प्रमुख वैकल्पिक विषय मैनेजमेंट का भी माना जाता है। UPSC मेंस एग्जाम में वैकल्पिक मैनेजमेंट विषय की तैयारी करने के लिए कैंडिडेट्स को मैनजमेंट विषय के कंप्लीट सिलेबस की जानकारी जरूर होनी चाहिए। यहां UPSC Optional Management Syllabus in Hindi का कंप्लीट सिलेबस दिया जा रहा है। जिसके माध्यम से आप अपनी परीक्षा की तैयारी और बेहतर तरीके से कर पाएंगे। 

This Blog Includes:
  1. UPSC क्या है?
  2. UPSC वैकल्पिक मैनेजमेंट विषय का सिलेबस क्या है?
    1. UPSC Optional Management Syllabus in Hindi पेपर – 1 
    2. प्रबंधकीय कार्य एवं प्रक्रिया (Managerial Function and Process)
    3. संगठनात्मक व्यवहार एवं अभिकल्प (Organisational Behaviour and Design)
    4. मानव संसाधन प्रबंध (Human Resource Management)
    5. प्रबंधकों के लिए लेखाकरण (Accounting for Managers)
    6. वित्तीय प्रबंध (Financial Management)
    7. विपणन प्रबंध (Marketing Management) 
    8. UPSC Optional Management Syllabus in Hindi पेपर – 2  
    9. निर्णयन की परिमाणात्मक प्रविधियां (Quantitative Techniques in Decision-making)
    10. उत्पादन एवं व्यापार प्रबंध (Production and Operations Management)
    11. प्रबंध सूचना प्रणाली (Management Information System)
    12. सरकार व्यवसाय अंतरापृष्ठ (Government Business Interface)
    13. कार्यनीतिक प्रबंध (Strategic Cost Management)
    14. अंतरराष्ट्रीय व्यवसाय (International Business)
  3. UPSC मैनेजमेंट सिलेबस की PDF 
  4. UPSC मैनेजमेंट विषय की तैयारी के लिए बेस्ट बुक्स 
  5. UPSC में कितने पेपर होते है?
  6. UPSC परीक्षा का एग्जाम पैटर्न क्या है?
    1. प्रिमिल्स एग्जाम – जनरल स्टडी 
    2. प्रिलिम्स एग्जाम – सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूड टेस्ट (CSAT)
    3. UPSC मेंस एग्जाम
  7. UPSC के लिए योग्यता क्या है?
    1. UPSC एग्जाम के लिए आयु सीमा 
  8. FAQs

UPSC क्या है?

संघ लोक सेवा आयोग जिसे इंग्लिश में ‘यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन’ (UPSC) के नाम से भी जाना जाता है। यह भारतीय कॉन्स्टिटूशन द्वारा स्थापित एक कोंस्टीटूशनल बॉडी है, जो भारत सरकार के लोकसेवा के पदाधिकारियों की रिक्रूटमेंट के लिए एग्जाम कंडक्ट करता है। भारतीय कॉन्स्टिटूशन के भाग-14 के अंतर्गत अनुच्छेद 315-323 में एक यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन और राज्यों के लिए ‘स्टेट पब्लिक सर्विस कमीशन’ (SPSC) के गठन का प्रोविशन है। जिसके माध्यम से देश सबसे कठिन एग्जाम माने जाने वाले UPSC के माध्यम से देश के प्रमुख पदाधिकारियों की रिक्रूटमेंट की जाती है। जिसमें IAS, IPS, IFS, IRS और ITS जैसी अन्य पोस्ट शामिल होती हैं। 

UPSC वैकल्पिक मैनेजमेंट विषय का सिलेबस क्या है?

यहां UPSC Optional Management Syllabus in Hindi के मेंस वैकल्पिक विषय की कंप्लीट जानकारी दी जा रही है, जिन्हें आप नीचे दिए गए बिंदुओं में देख सकते हैं:-

UPSC Optional Management Syllabus in Hindi पेपर – 1 

यहां कैंडिडेट्स के लिए UPSC Optional Management Syllabus in Hindi पेपर -1 का विस्तृत सिलेबस नीचे दिया गया है:- 

कैंडिडेट्स को मैनेजमेंट का विज्ञान और कला के रूप में अध्ययन करना चाहिए और वास्तविक जीवन में भी उपयोग लेना चाहिए। 

प्रबंधकीय कार्य एवं प्रक्रिया (Managerial Function and Process)

प्रबंध की संकल्पना एवं आधार, प्रबंध चिंतन का विकास: प्रबंधकीय कार्य-आयोजना, संगठन, नियंत्रण, निर्णयन, प्रबंधक की भूमिका, प्रबंधकीय कौशल; उद्यमवृत्ति; नवप्रवर्तन प्रबंध; विश्वव्यापी वातावरण में प्रबंध, नमय प्रणाली प्रबंधन; सामाजिक उत्तरदायित्व एवं प्रबंधकीय आचारनीति; प्रक्रिया एवं ग्राहक अभिविन्यास; प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष मूल्य श्रृंखला पर प्रबंधकीय प्रक्रियाएं।

संगठनात्मक व्यवहार एवं अभिकल्प (Organisational Behaviour and Design)

संगठनात्मक व्यवहार का संकल्पनात्मक निदर्श; व्यष्टि प्रक्रियाएं-व्यक्तित्व, मूल्य एवं अभिवृत्ति, प्रत्यक्षण, अभिप्रेरण, अधिगम एवं पुनर्वलन, कार्य तनाव एवं तनाव प्रबंधन; संगठन व्यवहार की गतिकी-सत्ता एवं राजनीति, द्वन्द्व एवं वार्ता, नेतृत्व प्रक्रिया एवं शैलियां, संप्रेषण; संगठनात्मक प्रक्रियाएं-निर्णयन, कृत्यक अभिकल्य; सांगठनिक अभिकल्प के क्लासिकी, नवक्लासिकी एवं आपात उपागम; संगठनात्मक सिद्धांत एवं अभिकल्प-संगठनात्मक संस्कृति, सांस्कृतिक अनेकता प्रबंधन, संगठन अधिगम; संगठनात्मक परिवर्तन एवं विकास; ज्ञान आधरित उद्यम-प्रणालियां एवं प्रक्रियाएं; जालतंत्रिक एवं आभासी संगठन। 

मानव संसाधन प्रबंध (Human Resource Management)

मानव संसाधन की चुनौतियां; मानव संसाधन प्रबंध के  कार्य; मानव संसाधन प्रबंध की भावी चुनौतियां; मानव संसाधनों का कार्यनीतिक प्रबंध; मानव संसाधन आयोजना; कृत्यक विश्लेषण; कृत्यक मूल्यांकन; भर्ती एवं चयन; प्रशिक्षण एवं विकास, पदोन्नति एवं  स्थानांतरण; निष्पादन प्रबंध; प्रतिकर प्रबंध एवं लाभ; कर्मचारी मनोबल एवं उत्पादकता; संगठनात्मक वातावरण एवं औद्योगिक संबंध प्रबंध्; मानव संसाधन लेखाकरण एवं लेखा परीक्षा; मानव संसाधन सूचना प्रणाली; अंतर्राष्ट्रीय मानव संसाधन प्रबंध।

प्रबंधकों के लिए लेखाकरण (Accounting for Managers)

वित्तीय लेखाकरण-संकल्पना, महत्व एवं क्षेत्र, सामान्यतया स्वीकृत लेखाकरण सिद्धांत, तुलनपत्र के विश्लेषण एवं व्यवसाय आय मापन के विशेष संदर्भ में वित्तीय विवरणों को तैयार करना, सामग्री सूची मूल्यांकन एवं मूल्य वित्तीय विवरण विश्लेषण, निधि प्रवाह विश्लेषण, नकदी प्रवाह विवरण, प्रबंध लेखाकरण-संकल्पना, आवश्यकता, महत्व एवं क्षेत्रा; लागत लेखाकरण-अभिलेख एवं प्रक्रियाएं, लागत लेजर एवं नियंत्रण लेखाएं, वित्तीय एवं लागत लेखाओं के बीच समाधन एवं समाकलन; उपरी लागत एवं नियंत्रण, कृत्यक एवं प्रक्रिया लागत आंकलन, बजट एवं बजटीय नियंत्रण, निष्पादन बजटन, शून्यधारित बजटन, संगत लागत-आंकलन, एवं निर्णयन लागत-आंकलन; मानक लागत-आंकलन एवं प्रसरण विश्लेषण, सीमांत लागत एवं निर्माण लागत आंकलन, आकंलन एवं अवशोषण लागत-आंकलन।

वित्तीय प्रबंध (Financial Management)

वित्त कार्य के लक्ष्य; मूल्य एवं प्रति लाभ की संकल्पनाएं; बांडों एवं शेयरों का मूल्यांकन; कार्यशील पूंजी का प्रबंध; प्राक्कलन एवं वित्तीयन; नकदी, प्राप्यों, सामग्रीसूची एवं चालू देयताओं का प्रबंधन; पूंजी लागत; पूंजी बजटन; वित्तीय एवं प्रचालन लेवरेज; पूंजी संरचना  अभिकल्प; सिद्धांत एवं व्यवहार; शेयरधरक मूल्य सूजन; लाभांश नीति निगम वित्तीय नीति एवं कार्यनीति, निगम कुर्की एवं पुनर्संरचना कार्यनीति प्रबंध; पूंजी एवं मुद्रा बाजार; संस्थाएं एवं प्रपत्र; पट्टे पर देना, किराया खरीद एवं जोखम पूंजी; पूंजी बाजार विनियमन; जोखिम एवं प्रतिलाभ: पोर्टफोलियो सिद्धांत ; CAPM, APT य वित्तीय व्युत्प: विकल्प फ्यूचर्स, स्वैप; वित्तीय क्षेत्रक में अभिनव सुधार। 

विपणन प्रबंध (Marketing Management) 

संकल्पना, विकास एवं क्षेत्रक; विपणन कार्यनीति सूत्राीकरण एवं विपणन योजना के घटक; बाजार का खंडीकरण एवं लक्ष्योन्मुखन; पण्य का अवस्थानन एवं विभेदन; प्रतियोगिता विश्लेषण; उपभोक्ता बाजार विश्लेषण; औद्योगिक क्रेता व्यवहार; बाजार अनुसंधन; उत्पाद कार्यनीति; कीमत निर्धरण कार्यनीतियां; विपणन सारणियों का अभिकल्पन एवं प्रबंधन; एकीकृत विपणन संचार; ग्राहक संतोष का निर्माण, मूल्य एवं प्रतिधरण; सेवाएं एवं अ-लाभ विपणन; विपणन में आचार, ग्राहक सुरक्षा, इंटरनेट विपणन, खुदरा प्रबंध; ग्राहक संबंध् प्रबंध; साकल्यवादी विपणन की संकल्पना।

UPSC Optional Management Syllabus in Hindi पेपर – 2  

यहां कैंडिडेट्स के लिए UPSC Optional Management Syllabus in Hindi पेपर – 2 का विस्तृत सिलेबस नीचे दिया गया है:- 

निर्णयन की परिमाणात्मक प्रविधियां (Quantitative Techniques in Decision-making)

वर्णनात्मक सांख्यिकी-सारणीबद्ध, आलेखीय एवं सांख्यिक विधियां, प्रायिकता का विषय प्रवेश, असंतत एवं संतत प्रायिकता बंटन, आनुमानिक सांख्यिकी-प्रतिदर्शी बंटन, केन्द्रीय सीमा प्रमेय, माध्यों एवं अनुपातों के बीच अंतर के लिए परिकल्पना परीक्षण, समष्टि प्रसारणों के बारे में अनुमान, काई-स्क्वैयर एवं ।छव्ट।ए सरल सहसंबंध एवं समाश्रयण, कालश्रेणी एवं पूर्वानुमान, निर्णय सिद्धांत, सूचकांक; रैखिक प्रोग्रामन-समस्या सूत्रीकरण, प्रसमुच्चय विधि एवं आलेखीय हल, सुग्राहिता विश्लेषण।

उत्पादन एवं व्यापार प्रबंध (Production and Operations Management)

व्यापार प्रबंध के मूलभूत सिद्धांत; उत्पादनार्थ आयोजना; समस्त उत्पादन आयोजना, क्षमता आयोजना, संबंध अभिकल्प: प्रक्रिया आयोजना, संयंत्र आकार एवं व्यापार मान, सुविधओं का प्रबंधन; लाईन संतुलन; उपकरण प्रतिस्थापन एवं अनुरक्षण; उत्पादन नियंत्राण; पूर्ति शृंखला प्रबंधन-विक्रेता मूल्यांकन एवं लेखापरीक्षा; गुणता प्रबंधन; सांख्यिकीय प्रक्रिया नियंत्रण, षड सिग्मा, निर्माण प्रणालियों में नम्यता एवं स्फूर्ति; विश्व श्रेणी का निर्माण; परियोजना प्रबंधन संकल्पनाएं, अनुसंधान एवं विकास प्रबंध, सेवा व्यापार प्रबंध; सामग्री प्रबंधन की भूमिका एवं महत्व, मूल्य विश्लेषण, निर्माण अथवा क्रय निर्णय; समाग्री सूची नियंत्रण, अधिकतम खुदरा कीमत; अपशेष प्रबंधन।

प्रबंध सूचना प्रणाली (Management Information System)

सूचना प्रणाली का संकल्पनात्मक आधार; सूचना सिद्धांत;सूचना संसाधन प्रबंध; सूचना प्रणाली प्रकार; प्रणाली विकास-प्रणाली एवं अभिकल्प विहंगावलोकन; प्रणाली विकास प्रबंध जीवन-चक्र, आॅनलाइन एवं वितरित परिवेशों के लिए अभिकल्पन; परियोजना कार्यान्वयन एवं नियंत्रण; सूचना प्रौद्योगिकी की प्रवृत्तियां; आँकड़ा संसाधन प्रबंधन- आँकड़ा आयोजना; DDS एवं RDBMS; उद्यम संसाधन आयोजना ;(ERP), विशेषज्ञ प्रणाली, E-बिजनेस आर्किटेक्चर, ई-गवर्नेस, सूचना प्रणाली आयोजना, सूचना प्रणाली में नम्यता; उपयोक्ता संबद्धता; सूचना प्रणाली का मूल्यांकन।

सरकार व्यवसाय अंतरापृष्ठ (Government Business Interface)

व्यवसाय में राज्य की सहभागिता, भारत में सरकार, व्यवसाय एवं विभिन्न वाणिज्य मंडलों तथा उद्योग के बीच अन्योन्य क्रिया; लघु उद्योगों के प्रति सरकार की नीति; नए उद्यम की स्थापना हेतु सरकार की अनुमति; जन वितरण प्रणाली; कीमत एवं वितरण पर सरकारी नियंत्राण; उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (CPA) एवं उपभोक्ता अधिकारों के संरक्षण में स्वैच्छिक संस्थाओं की भूमिका; सरकार की नई औद्योगिक नीति; उदारीकरण अ-विनियमन एवं निजीकरण; भारतीय योजना प्रणाली; पिछडे़ क्षेत्रों के विकास के संबंध में सरकारी नीति; पर्यावरण संरक्षण हेतु व्यवसाय एवं सरकार के दायित्व; निगम अभिशासन; साइबर विधियां।

कार्यनीतिक प्रबंध (Strategic Cost Management)

अध्ययन क्षेत्र के रूप में व्यवसाय नीति; कार्यनीतिक प्रबंध का स्वरूप एवं विषय क्षेत्र, सामरिक आशय, दृष्टि, उद्देश्य एवं नीतियां; कार्यनीतिक आयोजना प्रक्रिया एवं कार्यान्वयन; परिवेशीय विश्लेषण एवं आंतरिक विश्लेषण, SWOT  विश्लेषण; कार्यनीतिक विश्लेषण हेतु उपकरण एवं प्रविधियां-प्रभाव मैट्रिक्स: अनुभव वक्र, BCG मैट्रिक्स, GEC बहुलक, उद्योग विश्लेषण, मूल्य श्रृंखला की संकल्पना; व्यवसाय प्रतिष्ठान की कार्यनीतिक परिच्छेदिका; प्रतियोगिता विश्लेषण हेतु ढांचा; व्यवसाय प्रतिष्ठान का प्रतियोगी लाभ; वर्गीय प्रतियोगी कार्यनीतियां; विकास कार्यनीति-विस्तार, समाकलन एवं विशाखन; क्रोड़ सक्षमता की संकल्पना, कार्यनीतिक नम्यता; कार्यनीति पुनराविस्कार; कार्यनीति एवं संरचना; मुख्य कार्यपालक एवं परिषद् टर्न राउंड प्रबंधन; प्रबंधन एवं कार्यनीतिक परिवर्तन;  कार्यनीतिक सहबंध; विलयन एवं अधिग्रहण; भारतीय संदर्भ में कार्यनीति एवं निगम विकास ।

अंतरराष्ट्रीय व्यवसाय (International Business)

अंतरराष्ट्रीय व्यवसाय परिवेश: माल एवं सेवाओं में व्यापार के बदलते संघटन; भारत का विदेशी व्यापार; नीति एवं प्रवृत्तियां; अंतरराष्ट्रीय व्यापार का वित्त पोषण; क्षेत्राीय आर्थिक सहयोग; FTA ; सेवा प्रतिष्ठानों का अंतर्राष्ट्रीयकरण; अंतरराष्ट्रीय उत्पादन; अंतरराष्ट्रीय कंपनियों में व्यवसाय प्रबंध; अंतरराष्ट्रीय कराधन; विश्वव्यापी प्रतियोगिता एवं प्रौद्योगिकीय विकास; विश्वव्यापी ई-व्यवसाय; विश्वव्यापी सांगठनिक संरचना अभिकल्पन एवं नियंत्राण; बहुसांस्कृतिक प्रबंध; विश्वव्यापी व्यवसाय कार्यनीति; विश्वव्यापी विपणन। कार्यनीति; निर्यात प्रबंध; निर्यात आयात प्रक्रियाएं; संयुक्त उपक्रम; विदेशी निवेश; विदेशी प्रत्यक्ष निवेश एवं विदेशी पोर्टपफोलियो निवेश; सीमापार विलयन एवं अधिग्रहण; विदेशी मुद्रा जोखिम उदभासन प्रबंध; विश्व वित्तीय बाजार एवं अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग, एक्सटर्नल डेब्ट मैनेजमेंट; देश जोखिम विश्लेषण ।

UPSC मैनेजमेंट सिलेबस की PDF 

यहां UPSC मैनेजमेंट मेंस वैकल्पिक विषय के सिलेबस की यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन की ऑफिशियल सिलेबस की PDF दी जा रही है। जिसे आप आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं:-

यहां से करे डाउनलोड – UPSC सिलेबस PDF डाउनलोड लिंक 

UPSC मैनेजमेंट विषय की तैयारी के लिए बेस्ट बुक्स 

यहां UPSC मैनजमेंट मेंस वैकल्पिक विषय की तैयारी कर रहे कैंडिडेट्स के लिए बेस्ट बुक्स की सूची नीचे दी गई टेबल में दी जा रही है। जिसके माध्यम से आप UPSC Optional Management Syllabus in Hindi की टॉपिक वाइज प्रिपरेशन कर सकते हैं:-

बुक्स ऑथर और पब्लिकेशन यहां से खरीदें 
NCERT Books from 11th -12th Class NCERT
IGNOU नोट्स 
वित्तीय प्रबंधन एस.पी. गुप्ता यहां से खरीदें 
व्यावसायिक संगठन एवं प्रबंधन आर.सी. भाटिया यहां से खरीदें 
विपणन प्रबंध एवं विपणन शोधएस.सी. जैन एवं अनुज श्रीवास्तवयहां से खरीदें
मानव संसाधन प्रबन्धचतुर्भुज मामोरिया, कामेश्वर पंडित, प्रीति रैना  यहां से खरीदें
वित्तीय प्रबंधन आर.के. पांडे यहां से खरीदें 
विपणन  प्रबंधनअग्रवाल एवं कोठारी यहां से खरीदें 

UPSC में कितने पेपर होते है?

UPSC परीक्षा को तीन मुख्य भागों में विभाजित किया गया है। जिसमें प्रिलिम्स परीक्षा, मेंस परीक्षा और इंटरव्यू शामिल होता हैं। प्रिलिम्स परीक्षा एक स्क्रीनिंग परीक्षा है जो कैंडिडेट्स को अगले चरण, यानी मेंस परीक्षा के लिए योग्य बनाती है। मेंस एग्जाम में पास होने वाले कैंडिडेट्स ही इंटरव्यू के लिए योग्य माने जाते हैं। 

  1. प्रिलिम्स परीक्षा
  2. मेंस परीक्षा
  3. इंटरव्यू 

UPSC परीक्षा का एग्जाम पैटर्न क्या है?

UPSC प्रिलिम्स सिविल सर्विस एग्जाम का स्क्रीनिंग चरण है जो हर साल यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) द्वारा कंडक्ट किया जाता है। इस चरण को मुख्यत प्रिलिम्स एग्जाम के नाम से जाना जाता है। यहां UPSC प्रिलिम्स एग्जाम के दोनों क्वेश्चन पेपर्स का एग्जाम पैटर्न नीचे दी गई टेबल में दिया जा रहा हैं:-

प्रिमिल्स एग्जाम – जनरल स्टडी 

क्वेश्चन की संख्या100
कुल मार्क्स 200 
एग्जाम टाइमिंग 2 घंटे
नेगेटिव मार्किंग एक तिहाई
एग्जाम टाइप ऑब्जेक्टिव टाइप

प्रिलिम्स एग्जाम – सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूड टेस्ट (CSAT)

क्वेश्चन की संख्या80
कुल मार्क्स 200 
एग्जाम टाइमिंग 2 घंटे
नेगेटिव मार्किंग एक तिहाई
एग्जाम टाइप ऑब्जेक्टिव टाइप

नोट – कैंडिडेट्स को UPSC प्रिलिम्स एग्जाम के दोनों पेपर में सम्मिलित होना अनिवार्य होता हैं। यदि कोई कैंडिडेट UPSC के दोनों GS-1 और GS-2 पेपर में शामिल नहीं होता तो वह अयोग्य ठहराया जाएगा। UPSC प्रिलिम्स का का दूसरा पेपर सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूड टेस्ट (CSAT) क्वालीफाइंग नेचर का होता है जिसमें पास होने के लिए  मिनिमस 33% मार्क्स होने अनिवार्य होते है। 

UPSC मेंस एग्जाम

विषय कुल मार्क्स 
पेपर A: अनिवार्य भारतीय भाषा 300 
पेपर B: इंग्लिश  300 
पेपर I: निबंध250 
पेपर II: सामान्य अध्ययन – I250 
पेपर III: सामान्य अध्ययन – II250 
पेपर IV: सामान्य अध्ययन – III250 
पेपर V: सामान्य अध्ययन – IV250 
पेपर VI: वैकल्पिक – I250 
पेपर VII: वैकल्पिक – II250 

नोट: UPSC के दोनों एग्जाम में क्वालीफाई करने के बाद स्टूडेंट्स के मार्क्स के आधार पर मेरिट तैयार की जाती है। जिसके अनुसार टॉप रैंक प्राप्त करने वाले कैंडिडेट्स को इंटरव्यू के लिए आमंत्रित किया जाता हैं।  

UPSC के लिए योग्यता क्या है?

UPSC परीक्षा के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता ग्रेजुएशन होती है। UPSC के सिविल सर्विस एग्जाम में हिस्सा लेने के लिए कैंडिडेट को भारत के किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड से ग्रेजुएशन कंप्लीट करनी होगी। इसके साथ ही ग्रेजुएशन के तृतीय वर्ष यानी आखिरी वर्ष के स्टूडेंट्स भी UPSC की परीक्षा देने के लिए योग्य माने जाते हैं। 

UPSC एग्जाम के लिए आयु सीमा 

  • जनरल वर्ग और EWS : 21 से 32 वर्ष
  • विशेष पिछड़ा वर्ग यानी OBC : 21 से 35 वर्ष
  • अनुसूचित जाति / अनुसूचित जन जाति : 21 से 37 वर्ष
  • शारीरिक रूप से अक्षम : 21 से 42 वर्ष

FAQs

क्या हम यूपीएससी में मैनजमेंट विषय को वैकल्पिक विषय के रूप में चुन सकते हैं?

हां, यूपीएससी मुख्य परीक्षा में आप मैनजमेंट विषय को वैकल्पिक विषय के रूप में चुन सकते हैं। 

UPSC मैनेजमेंट वैकल्पिक विषय में पेपर -1 में कौन से टॉपिक शामिल हैं?

UPSC मैनेजमेंट वैकल्पिक सिलेबस में प्रबंधकीय कार्य एवं प्रक्रिया, संगठनात्मक व्यवहार एवं अभिकल्प, मानव संसाधन प्रबंध, प्रबंधकों के लिए लेखाकरण, वित्तीय प्रबंध और विपणन प्रबंध आदि टॉपिक शामिल हैं।

क्या यूपीएससी परीक्षा के लिए मैनजमेंट वैकल्पिक विषय अच्छा है?

UPSC मेंस परीक्षा में कैंडिडेट्स को 48 वैकल्पिक विषयों में से किसी एक वैकल्पिक विषय को चुनने का विकल्प मिलता हैं। जिसमें एक प्रमुख वैकल्पिक विषय मैनजमेंट का भी माना जाता है जोकि एक स्कोरिंग पेपर होता हैं। 

यूपीएससी पास करने के लिए कुल कितने नंबर होने चाहिए?

UPSC प्रीलिम्स के लिए आपको 200 अंकों में से 120 अंकों को प्राप्त करना अनिवार्य है। जहाँ आपको प्रत्येक सवाल के सही आंसर के लिए 2 अंक और सवाल गलत हो जाने पर नेगेटिव मार्किंग के 0.66 अंक कट जाते हैं। इसी प्रकार आपको UPSC मेंस में पास होने के लिए आपको 1750 अंकों में से न्यूनतम 900 या 950 से अधिक अंक लाने ही होते हैं।

UPSC में कितने विषय हैं?

यूपीएससी में कुल नौ अनिवार्य विषय होते हैं। जिसमें सात पेपरों के अलावा, दो क्वालीफाइंग पेपर, पेपर-ए (भारतीय भाषा) और पेपर-बी (अंग्रेजी भाषा) का होता हैं।

उम्मीद है कि आपको UPSC Optional Management Syllabus in Hindi ब्लाॅग में यूपीएससी मैनेजमेंट सिलेबस की पूरी जानकारी मिल गई होगी, जिससे आपको UPSC परीक्षा क्लियर करने में मदद मिलेगी। ऐसे ही UPSC से जुड़े ब्लॉग पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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