प्रमुख सुर्खियां
- वर्ष 2021 में विशेष विवाह अधिनियम (Special Marriage ACT) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
- इसमें इसके कई प्रावधानों को रद्द करने की बात की गई थी।
विशेष विवाह अधिनियम 1954 से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें विवाह
- अंतर धार्मिक विवाह का तात्पर्य दो अलग अलग धर्मों के लोगों के आपस में वैवाहिक सम्बन्ध में बंधने से है।
- अंतर्जातीय विवाह का तात्पर्य दो अलग जाति के लोगों का आपस में विवाह करने से है।
- ऐसे सभी विवाह विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत आते हैं।
विशेष विवाह अधिनियम 1954 के बारे में
- विशेष विवाह अधिनियम भारत में अंतर्धार्मिक और अंतर्जातीय विवाह को रजिस्टर करने और मान्यता देने के लिए बनाया गया है।
- यह कानूनी रूप से दो लोगों को अपनी मर्ज़ी से शादी करने की अनुमति प्रदान करता है।
- इस अधिनियम के तहत किसी भी प्रकार की धार्मिक औपचारिकता की आवश्यकता नहीं होती।
- इस अधिनियम में हिन्दू, मुस्लिम, जैन, बौद्ध, सिख और ईसाई समुदाय के विवाह आते हैं।
- यह अधिनियम भारत में रहने वाले भारतीयों के अलावा विदेश में रहने वाले भारतीयों पर भी लागू होता है।
वर्तमान याचिका में निहित बिंदु
- विशेष विवाह अधिनियम 1954 के खिलाफ दायर की गई याचिका में निम्नलिखित बिंदुओं को हटाने की मांग की गई है :
- विशेष विवाह अधिनियम (SPECIAL MARRIAGE ACT) के तहत विवाह करने वाले व्यक्ति को इस सम्बन्ध में पहले सूचना देनी होती है।
- अधिनियम की धारा 6 (2) के मुताबिक़ इसे विववाह अधिकारी के ऑफिस में चिपका दिया जाता है।
- अधिनियम की धारा 7 (1) के मुताबिक कोई भी यक्ति विवाह के सम्बन्ध में नोटिस प्रकाशित होने के 30 दिनों के भीतर विवाह पर आपत्ति दर्ज़ कराने की अनुमति देता है। ऐसा न होने पर धारा 7(2) के अनुसार शादी हुई मान ली जाएगी।
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