प्रमुख सुर्खियां
- जलवायु परिवर्तन वर्तमान युग के ज्वलंत विषयों में से एक है।
- ऐसे ही जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए वर्ष 2015 में पेरिस समझौते का गठन किया गया।
- पेरिस समझौते के मॉडल को वैश्विक स्तर पर हर देश के द्वारा अपनाया गया है।
- पेरिस समझौते का एक उद्देश्य ग्रीन हॉउस इफेक्ट को कम करना भी है।
- यह समझौता पर्यावरण सम्बन्धी सभी समस्याओं के लिए पूरे विश्व को एक मंच पर लाने का काम करता है।
पेरिस समझौता के बारे में
- पेरिस समझौता एक महत्वपूर्ण पर्यावरण समझौता है।
- इसे 30 नवम्बर 2015 को विश्व के 195 देशों ने एक साथ मिलकर फ्रांस की राजधानी पेरिस में ग्रीन हाउस इफेक्ट और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर चर्चा करने के लिए आयोजित कराया था।
- वर्तमान में पेरिस समझौते में शामिल कुल देशों की संख्या बढ़कर 197 हो गई है।
- सीरिया इस समझौते में शामिल होने वाला आख़िरी देश बना।
- रूस तुर्की और ईरान अभी तक इस समझौते का भाग नहीं हैं।
पेरिस समझते से जुड़े मुख्य बिंदु
- इस में शामिल सभी देश अपने अपने स्तर पर पर्यावरण को सुधारने के लिए प्रयास करेंगे।
- इस समझौते के अनुसार विकसित देशों को पर्यावरण सुधार प्रयासों में विकासशील देशों की मदद करनी चाहिए।
- पेरिस समझौते के अंतर्गत कार्बन उत्सर्जन लक्ष्यों की देखरेख, सत्यापन और रिपोर्टिंग से जुड़े स्वभावों पर भी चर्चा की गई है।
पेरिस समझौते के सन्दर्भ में भारत की भूमिका
- भारत अप्रैल 2016 में पेरिस समझौते का सदस्य बना था।
- भारत ने वर्ष 2030 तक वृक्षारोपण के द्वारा ऑक्सीजन के स्तर को 3 बिलियन तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।
- भारत ने पेरिस समझौते के अंतर्गत कार्बन उत्सर्जन में भारी कमी लाने का भी संकल्प लिया है।
यह भी पढ़ें :Today History in Hindi| 5 May- महान विचारक कार्ल मार्क्स का हुआ था जन्म, जानें आज के दिन की अन्य बड़ी घटनाएं
ऐसे ही अन्य एग्जाम अपडेट्स के लिए यहाँ क्लिक करें।