यूके में लेबर शॉर्टेज के चलते यूके सरकार ने लिए वीज़ा से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण फैसले

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हाल ही में यूके और भारत ने न्यू यूथ मोबिलिटी पार्टनरशिप स्कीम साइन की है, जिसमें भारतीय प्रोफेशनल्स को तीन हज़ार वीज़ा सालाना ऑफर किए जाएंगे। इसमें प्रोफेशनल्स वहां रहकर काम करने की सहूलियत भी पाएंगे। हलाकि यह संख्या ज़रूरत अनुसार बढ़ाई भी जा सकती है। 

कारण की बात करें तो यह कदम यूके में लेबर की कमी होने के कारण लिया गया है। नेशनल स्टेटिस्टिक्स ऑफिस के अनुसार 12,25,000 जॉब वैकेंसीज़ अलॉट की गई हैं जोकि COVID से पहले अलॉट की गई संख्या से 54 प्रतिशत ज़्यादा है। एक इमिग्रेशन एक्सपर्ट ने इस मुद्दे पर कहा कि नेट इमिग्रेशन राइज़ के बावजूद, स्किल्ड वर्कर्स के लिए द्वार खुले रहेंगे। 

लेबर को लेकर संकट की बात करें तो यह मुद्दा हॉस्पिटैलिटी, टूरिज़्म, टेक्नोलॉजी और एविएशन बिज़नेस जैसे सेक्टर्स में ज़्यादा देखने को मिला है। ऑफिशियल डेटा के अनुसार ब्रेक्सिट और पेंडेमिक के कारण लगभग 196,000 इंटरनेशनल वर्कर्स ने हॉस्पिटैलिटी सेक्टर को छोड़ दिया था जिनमें से ज़्यादातर लंदन से थे। 

इस समस्या का समाधान यूके सरकार दुनिया भर से मदद लेने की कोशिश में हैं, जिसमें भारत एक महत्वपूर्ण कंट्री के रूप में सामने आया है। इसी बात से राज़ी होते हुए यूके ने इस पार्टनरशिप स्कीम को महत्वता दी है। इस बात पर कमेंट करते हुए यश दुबल जोकि एक लंदन बेस्ड वीज़ा और इमिग्रेशन स्पेशलिस्ट हैं ने कहा यूके को स्किल्ड वर्कर्स की ज़रूरत है जिनमें भारतीय आईटी वर्कर्स की ज़्यादा महत्वता है। यूके और भारत के बीच लिए गए इस फैसले का इस समस्या के समाधान की तरफ काफी असर देखने को मिलेगा। 

यूके में रहने और काम करने का सपना लगभग हर भारतीय का होता है लेकिन वीज़ा से जुड़ी समस्याएं इस प्रोसेस को थोड़ा धीमा कर देती हैं। लेकिन इस कदम के चलते इस समस्या में भी भारतियों को राहत मिलेगी और ज़्यादा से ज़्यादा प्रोफेशनल्स अपने यूके में काम करने का सपना पूरा कर पाएंगे। 

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