यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) ने भारतीय भाषाओं में पुस्तकों के ट्रांसलेशन के लिए गाइडलाइन्स जारी की हैं। यह गाइडलाइन नेशनल एजुकेशन पॉलिसी-2020 में उल्लिखित प्रोविज़न के अनुसार है, जिसका उद्देश्य हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस में भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देना भी है।
हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस के लिए विभिन्न भारतीय भाषाओं में कोर्स स्ट्रक्चर, करिकुलम, सिलेबस और कोर्स मटीरियल तैयार करना महत्वपूर्ण है, जो विश्वविद्यालयों को छात्रों को अपनी मातृभाषा या स्थानीय भाषा में परीक्षा लिखने की सुविधा प्रदान करेगा।
UGC के अनुसार एक्सटेंसिव ट्रांसलेशन वर्क कर सकते हैं
UGC के अनुसार, हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस विभिन्न भारतीय भाषाओं में बुक्स के मूल लेखन के साथ-साथ एक्सटेंसिव ट्रांसलेशन वर्क भी कर सकते हैं। विभिन्न भारतीय भाषाओं में स्टडी मटीरियल के ट्रांसलेशन के इस एक्सटेंसिव वर्क को आगे बढ़ाने के लिए, विश्वविद्यालय मशीन ट्रांसलेशन डिवाइसेस को इनस्टॉल करने पर भी विचार कर सकते हैं।
हालाँकि, स्टडी मटीरियल का विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनुवाद करते समय कुछ भाषा और कोर्स-स्पेसिफिक स्टैंडर्ड्स को बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
‘ANUVADINI’ की लेंगे सहायता
AICTE द्वारा डेवलप्ड भारतीय भाषाओं के लिए AI बेस्ड ट्रांसलेशन टूल ‘ANUVADINI’ का उपयोग ट्रांसलेशन के लिए किया जा सकता है। द कमीशन फ़ॉर साइंटिफिक और टेक्नोलॉजिकल टर्मिनॉलजी (CSM) ने विभिन्न विषयों की स्टैंडर्ड टर्मिनोलॉजी डेवेलप की हैं।
इस टूल ने विभिन्न राज्यों की ग्रंथ अकादमियों, विभिन्न विश्वविद्यालयों के भाषा विभागों और अन्य संस्थानों ने भी क्षेत्रीय भाषाओं में टर्मिनोलॉजी प्रकाशित की हैं।
ये हैं गाइडलाइन्स
- चैप्टर्स और कॉन्सेप्ट्स के अर्थ को बनाए रखते हुए ट्रांसलेशन सरल और संक्षिप्त होना चाहिए। जहाँ तक संभव हो अनेक उपवाक्यों (clauses) वाले लंबे वाक्य नहीं उपयोग करने चाहिए।
- छात्रों की आसान समझ के लिए, काम्प्लेक्स टेक्निकल शब्द उपलब्ध होने पर उनके भारतीय भाषा समकक्षों के बाद ब्रैकेट्स के भीतर अंग्रेजी में दिए जा सकते हैं।
- अनुवाद को हमेशा मूल पाठ का पूरा अर्थ और कांसेप्ट बतानी चाहिए। जरूरी नहीं कि यह शब्द-से-शब्द अनुवाद हो।
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