यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) ने सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को अपनी मातृभाषा या स्थानीय भाषा में कोर्सेज शुरू करने का निर्देश दिया है। इस संबंध में कमीशन की ओर से 27 जनवरी को एक पत्र जारी किया गया जिसमें यूनिवर्सिटीज से शिक्षकों को भी प्रशिक्षण देने के लिए कहा गया है।
कमीशन के पत्र के मुताबिक, शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए भारतीय भाषा समिति के सहयोग से मातृभाषा में कोर्सेज शुरू करने का प्रोग्राम फरवरी-मार्च 2024 में शुरू किया जाएगा। इसके लिए UGC ने सभी संस्थानों से एक-एक शिक्षक नियुक्त करने को कहा है, जिन्हें मास्टर ट्रेनर के तौर पर ट्रेन्ड किया जाएगा और इसके बाद वे संस्थान के अन्य शिक्षकों को प्रशिक्षित करेंगे।
इस पहल से देश में उच्च शिक्षा का सकल नामांकन अनुपात (GER) बढ़ेगा जो वर्तमान में लगभग 25 प्रतिशत है और नेशनल एजुकेशन पाॅलिसी (NEP) 2020 का लक्ष्य 2035 तक इसे 50 प्रतिशत तक बढ़ाना है।
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उच्च शिक्षा के लिए स्टूडेंट्स को ऐसे मिलेगा फायदा
वर्तमान में देश में बड़ी संख्या में छात्र भाषा की बाधा के कारण उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाते हैं। वर्तमान में देश में बड़ी संख्या छात्र सिर्फ इसलिए हायर एजुकेशन तक नहीं पहुंच पाते हैं क्योंकि उनकी पिछली पढ़ाई मातृभाषा या स्थानीय भाषा में होती है। इस पहल से वह जिन कोर्सेज की पढ़ाई करना चाहते हैं तो उनके लिए आसानी होगी।
इसके अलावा UGC ने सभी हायर एजुकेशनल इंस्टिट्यूट्स से स्थानीय या मातृभाषा में तैयार होने वाले स्टडी मटीरियल को सही से चेक करने की सलाह दी है और इससे स्टूडेंट्स को विषयों को सही से समझ सकें और अपनी हायर एजुकेशन को आसान बना सकें।
UGC के बारे में
यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) 28 दिसंबर, 1953 को अस्तित्व में आया और विश्वविद्यालय में शिक्षा, परीक्षा और अनुसंधान के रेगुलेशंस के समन्वय और रखरखाव के लिए 1956 में संसद के एक अधिनियम द्वारा भारत सरकार की काॅंस्टिट्यूशनल बाॅडी बन गया। यह यूनिवर्सिटी और काॅलेजों को ग्रांट देता है।
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