परीक्षा में ऐसे लिखें भारतीय इतिहास की वीरांगना रानी दुर्गावती पर निबंध

1 minute read
रानी दुर्गावती पर निबंध

भारतीय इतिहास में रानी दुर्गावती का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया है। रानी दुर्गावती, भारतीय इतिहास की एक ऐसी वीरांगना थी जिनके साहस, पराक्रम और बलिदान की कहानियां आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं। रानी दुर्गावती, एक ऐसी महिला योद्धा थी जो अपने राज्य की रक्षा के लिए वीरगति को प्राप्त हो गई थी। रानी दुर्गावती, वीरता का प्रतिबिम्ब हैं जिन्हें आज भी सम्पूर्ण भारत में सम्मान की दृष्टि से याद करता है। वहीं कई बार विद्यार्थियों को रानी दुर्गावती पर निबंध तैयार करने को दिया जाता है। ऐसे में रानी दुर्गावती पर एक सूचनात्मक निबंध कैसे लिखें, आईये इस लेख में जानते हैं। यहाँ आपको 100, 200 और 500 शब्दों में रानी दुर्गावती पर निबंध के कुछ सैम्पल्स दिए गए हैं।

कौन थी रानी दुर्गावती?

रानी दुर्गावती 16वीं शताब्दी की एक वीरांगना थीं, जिन्होंने लगभग 16 वर्षों तक गोंडवाना राज्य पर शासन किया। उनका जन्म 5 अक्टूबर सन 1524 को उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि दुर्गाष्टमी के दिन जन्म होने के कारण उनका नाम दुर्गावती रखा गया। रानी दुर्गावती सुन्दर, सुशील, योग्य एवं साहसी महिला थी जो राजा ‘कीर्तिसिंह चंदेल’ की एकमात्र संतान थीं। रानी दुर्गावती का बचपन वीरता और सम्मान से भरे माहौल में बीता। उन्होंने बचपन से ही अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा दी गयी थी। उन्हें तीरंदाजी, तलवारबाजी और बन्दूक का इतना अच्छा खासा अभ्यास हो गया था कि मात्र 13-14 वर्ष की आयु में ही वे शिकार में माहिर हो गई थीं। उनको वीरता और साहस से भरी कहानियां सुनने और पढ़ने में बहुत रुचि थी। वहीं रानी दुर्गावती के विवाह के योग्य होने के बाद उनके पिता ने 1542 ई. में उनका विवाह गोंड राजा संग्राम शाह के पुत्र ‘दलपत शाह’ के साथ करवा दिया। लेकिन शादी के कुछ समय बाद ही गोंडवाना राज्य के राजा दलपत शाह की मृत्यु हो गई। इस मुश्किल घड़ी में रानी दुर्गावती ने हिम्मत नही हारी और अपने 5 वर्षीय पुत्र को गोंडवाना राज्य का राजा घोषित कर राज काज अपने हाथों में ले लिया। इस तरह उन्होंने लगभग 15-16 साल तक गोंडवाना में शासन किया और राज्य की रक्षा के लिए कई लड़ाईयां भी लड़ी। 

रानी दुर्गावती पर 100 शब्दों में निबंध 

छात्र 100 शब्दों में रानी दुर्गावती पर निबंध ऐसे लिख सकते हैं – 

रानी दुर्गावती, 16वीं शताब्दी की एक वीरांगना थीं जिन्होंने गोंडवाना राज्य पर लगभग 15-16 वर्षों तक शासन किया। वे अपनी वीरता, कुशल शासन और महिला सशक्तिकरण के लिए प्रसिद्ध थी। रानी दुर्गावती का जन्म 5 अक्टूबर 1524 को  उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में हुआ था। वह राजा कीर्तिसिंह चंदेल की इकलौती संतान थीं। रानी दुर्गावती का बचपन उस माहौल में बीता जिस राजवंश ने अपने मान सम्मान के लिये कई लड़ाइयां लड़ी थी। वहीं 1542 में उनका विवाह राजा दलपत शाह से हो गया। लेकिन विवाह के कुछ सालों बाद जब राजा दलपत शाह का निधन हुआ तो रानी दुर्गावती ने ही गोंडवाना की बागडोर संभाली और कुशल शासन और न्यायपूर्ण व्यवस्था स्थापित कर मुगलों का डटकर मुकाबला किया।

रानी दुर्गावती पर 200 शब्दों में निबंध 

छात्र 200 शब्दों में रानी दुर्गावती पर निबंध ऐसे लिख सकते हैं – 

गोंडवाना की रानी दुर्गावती, महाराणा प्रताप और शिवाजी महाराज के समान, मुगलों को चुनौती देने वाली वीरांगना थीं। अकबर ने जब साम्राज्य विस्तार के दौरान, गोंडवाना पर आक्रमण किया, तब रानी दुर्गावती ने अकेले ही मुगल सेना का डटकर मुकाबला कर उनको नाकों चने चबाने पर मजबूर कर दिया। ऐसी साहसी योद्धा का जन्म 5 अक्टूबर 1524 को उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में कलिंजर के चंदेला राजपूत राजा कीर्तिसिंह चंदेल के घर हुआ था। उन्होंने बचपन से ही घुड़सवारी, तलवारबाजी, तीरंदाजी जैसी युद्ध कलाओं में शिक्षा प्राप्त की थी। वहीं 1542 में उनका विवाह राजा दलपत शाह से होगया। लेकिन विवाह के कुछ सालों बाद दुर्गावती के पति दलपत शाह का निधन हो गया। अपने पति के निधन के बाद उन्होंने गोंडवाना राज्य की बागडोर संभाली और कुशल शासन और न्यायपूर्ण व्यवस्था स्थापित कर मुगलों का डटकर मुकाबला किया। इस तरह रानी ने लगभग 15-16 साल तक इस क्षेत्र में शासन किया और एक कुशल प्रशासक की छवि बनाई। इस तरह 1564 में, मुगल सेनापति अशफ खान ने जब गढ़ा राज्य पर आक्रमण किया तो रानी दुर्गावती ने आर मानने की जगह वह युद्ध वीरतापूर्वक लड़ा। अंत में वह भले ही उस युद्ध में हार गईं, लेकिन उन्होंने अपनी वीरता और दृढ़ संकल्प से इतिहास में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज करवाया। बता दें कि 24 जून 1564 को, रानी दुर्गावती ने युद्ध में वीरगति प्राप्त की।

रानी दुर्गावती पर 500 शब्दों में निबंध 

छात्र 500 शब्दों में रानी दुर्गावती पर निबंध ऐसे लिख सकते हैं – 

प्रस्तावना

गोंडवाना की रानी दुर्गावती, महाराणा प्रताप और शिवाजी महाराज के समान, मुगलों को चुनौती देने वाली वीरांगना थीं। रानी दुर्गावती ने गोंडवाना राज्य पर लगभग 15-16 वर्षों तक शासन किया और एक कुशल शासन और न्यायपूर्ण व्यवस्था स्थापित कर मुगलों का डटकर मुकाबला किया। आज भी गोंडवाना क्षेत्र में उन्हें उनकी वीरता और अदम्य साहस के अलावा उनके किए कए जनकल्याण कार्यों के लिए याद किया जाता है।

रानी दुर्गावती का शासनकाल

1550 ईस्वी में अपने पति दलपतशाह की मृत्यु के बाद रानी दुर्गावती, अपने पुत्र वीर नारायण को गद्दी पर बैठाकर खुद सत्ता सँभालने लगी। गोंडवाना राज्य की शासिका बनने के बाद उन्होंने राज्य में कई मंदिरों, भवनों और धर्मशालाओं का निर्माण करवाया। सन 1556 में जब सुजात खान ने रानी दुर्गावती के राज्य पर हमला किया तो रानी दुर्गावती ने इसका डटकर सामना किया और युद्ध जीत गई। युद्ध जितने के बाद उन्हें देशवासियों द्वारा सम्मानित किया गया और इस तरह वह कई लड़ाईयां जीतती गई और उनकी लोकप्रियता में वृद्वि होती गई। इसके फलस्वरूप कुछ सालो में ही गोंडवाना राज्य, खुशहाल राज्य के रूप में अपनी चर्चा चारो ओर बटोरने लगा।

रानी दुर्गावती की वीरता की गाथा

गोंडवाना राज्य के इस तरह चर्चित होने पर आसपास के राज्य उनसे घृणा करने लगे। ऐसे में वह गोडंवाना राज्य पर आक्रमण करने की तैयारी करने लगे। जब रानी दुर्गावती इस बात से अवगत हुई तब उन्होंने स्वंय ही दुश्मन राज्यों पर आक्रमण करने शुरू कर दिए। उन्होने अपनी वीरता और सूझबूझ से सभी दुश्मनों को पराजित किया और इस तरह गोडंवाना बहुत बड़ा राज्य बन गया। लेकिन जब इसकी भनक मुगल सम्राट अकबर को लगी तो अकबर के मन में भी लोभ उत्पन्न हो गया। रानी दुर्गावती की बुद्धिमत्ता और वीरता देख उन्होंने अपने सेनापति को रानी के साम्राज्य पर आक्रमण करने का आदेश दिया। इस तरह आसफ खां और रानी के युद्ध शुरू हुआ। रानी दुर्गावती वीरता के साथ युद्ध लड़ती रही। इस युद्ध में लड़ते लड़ते वह बुरी तरह से घायल हो चुकी थी। 

उपसंहार

वह आखिरी दम तक मुग़लों से युद्ध लड़ती रही और फिर जब उन्हें लगा कि वे पूरी तरह से होश खोने लगी हैं तो उन्होंने दुश्मनों के हाथों से मरने से बेहतर अपने आप को ही समाप्त करना उचित समझा। ऐसे में उन्होंने स्वयं ही अपनी तलवार अपने सीने में घोंप दी और इस तरह 24 जून, 1524 को वह वीरगति को प्राप्त हो गयी।

रानी दुर्गावती पर निबंध कैसे तैयार करें? 

रानी दुर्गावती पर निबंध कैसे लिखें, इसके बारे में नीचे बताया गया है-

  • निबंध लिखने के लिए सबसे पहले स्ट्रक्चर बनाएं। 
  • स्ट्रक्चर के अनुसार जानकारी इक्कठा करें। 
  • कोई भी जानकारी निबंध में लिखने से पहले उसकी अच्छी तरह से पुष्टि कर लें। 
  • निबंध लिखने से पहले ध्यान रखें कि भाषा सरल हों। 
  • निबंध का शीर्षक आकर्षक बनाएं। 
  • निबंध की शुरुआत प्रस्तावना से करें और निबंध का अंत निष्कर्ष से। 
  • निबंध में शब्द चिन्ह का खास ध्यान रखें। 
  • अलग-अलग अनुच्छेद को एक-दूसरे से जोड़े रखें। 

FAQs

रानी दुर्गावती ने कितने युद्ध लड़े थे?

रानी दुर्गावती ने मुगलों सहित कई आक्रमणकारियों के खिलाफ 51 युद्ध लड़े थे।

रानी दुर्गावती का नाम इतिहास में अमर क्यों हो गया?

रानी दुर्गावती अपनी वीरता और साहस के लिए इतिहास में जानी जाती है। अपने पति की मृत्यु के बाद उन्होंने 15 साल तक शासन किया था और भारत के तीन शक्तिशाली मुस्लिम शासको को धूल चटाई थी।

रानी दुर्गावती कौन सा हथियार चलाने में निपुण थी?

रानी दुर्गावती दोनों हाथों से तीर और तलवार चलाने में निपुण थीं।

संबंधित आर्टिकल्स

दिवाली पर निबंध समय के सदुपयोग के बारे में निबंध
लोकतंत्र पर निबंधकरियर पर निबंध 
लाल बहादुर शास्त्री पर निबंधराष्ट्रीय युवा दिवस पर निबंध 
ऑनलाइन शिक्षा पर निबंधमोर पर निबंध
मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध मेरे परिवार पर निबंध 

आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको रानी दुर्गावती पर निबंध के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य निबंध से संबंधित ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

प्रातिक्रिया दे

Required fields are marked *

*

*