परीक्षा में ऐसे लिखें राजा राममोहन राय पर निबंध

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Raja Ram Mohan Roy par nibandh

राजा राम मोहन राय एक भारतीय समाज सुधारक थे। उन्होंने देश में महत्वपूर्ण बदलाव लाने का काम किया और लैंगिक समानता का समर्थन किया। उन्होंने सती प्रथा को भी समाप्त किया था और पुरानी मान्यताओं व रीति-रिवाजों को बदलने में मदद की जो आज भी महत्वपूर्ण हैं। वह पश्चिमी दुनिया से कुछ विचार भी भारत लाए थे। राजा राम मोहन राय का जीवन हमें दिखाता है कि कैसे एक व्यक्ति दुनिया पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है। उनके कार्य भावी पीढ़ियों को अन्याय और असमानता के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा देते रहते हैं, जिसके बारे में आपको जरूर जानना चाहिए। इसलिए इस ब्लॉग में हम राजा राममोहन राय पर निबंध कैसे लिखे के बारे में जानेंगे।

राजा राममोहन राय के बारे में

राजा राम मोहन राय का जन्म 22 मई 1774 को राधानगर में एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वह फ़ारसी, अरबी, अंग्रेजी, बंगाली और हिंदी भी जानते थे। शिक्षा की बात करें तो उन्हें वेदों, उपनिषदों और हिंदू दर्शन का बहुत ज्ञान था। उन्होंने बौद्ध धर्म, हिंदू धर्म और इस्लाम में अच्छी पकड़ हासिल की जिस कारण उन्हें भारतीय पुनर्जागरण के जनक के रूप में जाना जाता है। वह 1803 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी में शामिल हुए और अंग्रेजी अधिकारी डिग्बी की सेवा की, जिनसे उन्होंने वेस्टर्न लिबरल और रेशनल थॉट्स सीखे। 1814 में वे नौकरी से सेवानिवृत्त हो गए और सार्वजनिक सेवा में लग गए और 27 सितंबर 1833 को मेनिनजाइटिस के कारण इंग्लैंड में उनका निधन हो गया।

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राजा राममोहन राय पर 100 शब्दों में निबंध

राजा राममोहन राय पर निबंध 100 शब्दों में कुछ इस प्रकार है:

राजा राम मोहन राय एक भारतीय समाज सुधारक थे। वह बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे। वह संस्कृत, फ़ारसी, अरबी और अंग्रेजी जैसी विभिन्न भाषाओं में अग्रणी थे। उन्होंने देश में महत्वपूर्ण बदलाव लाने का काम किया। साथ ही लैंगिक समानता का समर्थन किया। उन्होंने सती प्रथा को भी समाप्त कर दिया। राजा राम मोहन राय ने पुरानी मान्यताओं और रीति-रिवाजों को बदलने में मदद की जो आज भी महत्वपूर्ण हैं। वह पश्चिमी दुनिया से कुछ प्रासंगिक विचार भी भारत लाए। राजा राम मोहन राय का जीवन हमें दिखाता है कि कैसे एक व्यक्ति दुनिया पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है।

उनके कार्य भावी पीढ़ियों को अन्याय और असमानता के विरुद्ध लड़ने की प्रेरणा देते रहते हैं। उन्होंने भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण छाप छोड़ी। सामाजिक सुधारों की दिशा में उनके अथक प्रयास अतुलनीय हैं। उनके प्रयासों ने भारत को प्रगति और आधुनिकता के युग में पहुँचाया।

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राजा राममोहन राय पर 200 शब्दों में निबंध

राजा राममोहन राय पर निबंध 200 शब्दों में कुछ इस प्रकार है:

राजा राम मोहन राय एक प्रमुख भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता थे। वे 19वीं सदी के महान विचारक थे। उन्हें भारत में सामाजिक और धार्मिक सुधारों की वकालत करने में उनके प्रयासों के लिए जाना जाता था। बंगाल के एक ब्राह्मण परिवार में जन्मे राजा राम मोहन राय ने अंग्रेजी, फ़ारसी और अरबी भी सीखी। वे पश्चिमी दर्शन और विज्ञान में पारंगत हो गए। उन्होंने इस ज्ञान का उपयोग हिंदू धर्म की मूर्तिपूजा प्रथाओं की आलोचना करने के लिए किया।

राजा राम मोहन राय ने ब्रह्म समाज आंदोलन की स्थापना की जिसका उद्देश्य एकेश्वरवाद को बढ़ावा देना था। इस आंदोलन ने जातिगत भेदभाव, बाल विवाह प्रथाओं के साथ-साथ विधवा पुनर्विवाह अधिकारों को खत्म करने की भी मांग की। उनका योगदान केवल धर्म या समाज तक ही सीमित नहीं था, उन्होंने सती (विधवा जलाने) के खिलाफ अभियान चलाकर महिलाओं के अधिकारों की भी वकालत की जो की उस समय प्रचलित थीं। कई लोगों  ने उनके विचारों का विरोध किया। अनेक बाधाओं का सामना करने के बावजूद राजा राम मोहन राय भारतीय समाज के आधुनिकीकरण को आगे बढ़ाने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध रहे। 27 सितंबर 1833 को अपने निधन तक उन्होंने जीवन भर इन उद्देश्यों का पालन किया।

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राजा राममोहन राय पर 500 शब्दों में निबंध

राजा राममोहन राय पर निबंध 500 शब्दों में कुछ इस प्रकार है:

प्रस्तावना

राजा राम मोहन राय भारत के एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्यक्ति थे जो लोगों के लिए चीजों को बेहतर बनाना चाहते थे। उन्होंने समाज में बदलाव लाने में मदद के लिए ब्रह्म समाज नामक एक समूह शुरू किया। वह बहुत ज्ञानी थे और उन्होंने दूसरों के जीवन को बेहतर बनाने में मदद करने के लिए कई काम किए। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक भारत में सती प्रथा को रोकने के लिए काम करना था।

राजा राम मोहन राय के सामाजिक योगदान 

राजा राम मोहन राय के सामाजिक योगदान यहाँ बताए गए हैं-

  • राजा राम मोहन राय महिला अधिकारों के लिए काम किया करते थे। 
  • 1818 में उन्होंने सती विरोधी संघर्ष शुरू किया, जिसको लेकर 1829 में सरकार ने सती प्रथा को अपराध घोषित कर दिया।
  • उन्होंने महिलाओं के लिए विरासत और संपत्ति के अधिकार की वकालत की।
  • राम मोहन राय ने बहुविवाह और बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई लड़ी। 
  • उन्होंने महिला शिक्षा का समर्थन किया। 
  • वह जातिवाद के खिलाफ थे। 
  • राजा राम मोहन राय ने मूर्ति पूजा, अर्थहीन अनुष्ठानों और अंधविश्वासों के खिलाफ धर्मयुद्ध के लिए 1814 में आत्मीय सभा की शुरुआत की। 

राजा राम मोहन राय के शैक्षणिक योगदान

राजा राम मोहन राय के शैक्षणिक योगदान यहाँ दिए गए हैं-

  • राजा राम मोहन राय ने पश्चिमी शिक्षा प्रणाली पर जोर दिया। 
  • उन्होंने डेविड हेयर के साथ 1817 में मिलकर कलकत्ता में हिंदू कॉलेज की स्थापना की।
  • उन्होंने 1822 में एंग्लो-हिंदू स्कूल की स्थापना की जिसमें मैकेनिक्स और वोल्टेयर के दर्शन पढ़ाए जाते थे।
  • राजा राम मोहन राय ने 1825 में वेदांत कॉलेज शुरू किया जहाँ भारतीय शिक्षा के साथ-साथ पश्चिमी सामाजिक और भौतिक विज्ञान भी पढ़ाया जाता था।

राजा राम मोहन राय के राजनीतिक और आर्थिक योगदान

राजा राम मोहन राय के राजनीतिक और आर्थिक योगदान यहाँ दिए गए हैं-

  1. संबाद कौमुदी 1822 में राजा राम मोहन राय द्वारा शुरू किया गया एक बंगाली साप्ताहिक था और उन्होंने मिरात-उल-अकबर भी शुरू किया था जो एक फारसी पत्रिका (प्रथम फारसी जर्नल) थी। उन्होंने इन समाचार पत्रों के माध्यम से लोगों की शिकायतें व्यक्त की। 
  1. उन्होंने निम्नलिखित मांग भी की जैसे कि-
  • टैक्स फ्री जमीन 
  • भारतीय वस्तुओं पर एक्सपोर्ट शुल्क में कमी
  • श्रेष्ठ नौकरी पदों का भारतीयकरण
  • न्यायपालिका के समक्ष भारतीयों और यूरोपीय लोगों के साथ समान व्यवहार।
  • ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के व्यापारिक अधिकारों का उन्मूलन।
  • प्रेस की स्वतंत्रता।

H3 राजा राम मोहन राय के धार्मिक योगदान

राजा राम मोहन राय के धार्मिक योगदान यहाँ दिए गए हैं-

  • राजा राम मोहन राय ने 1814 में आत्मीय सभा की स्थापना की। आत्मीय सभा ने समुदाय में सामाजिक और धार्मिक परिवर्तन लाने का प्रयास किया। राजा राम मोहन राय ने महिलाओं के अधिकारों, विशेष रूप से विधवाओं के लिए पुनर्विवाह की क्षमता और संपत्ति के अधिकार के लिए लड़ाई लड़ी। वे सती प्रथा और बहुपत्नी प्रथा के विरोधी थे।
  • राजा राम मोहन रॉय ने 1828 में ‘ब्रह्म समाज’ की स्थापना की। उनका उद्देश्य धार्मिक पाखंड को उजागर करना और ब्रह्म समाज के माध्यम से हिंदू संस्कृति पर ईसाई धर्म के बढ़ते प्रभाव को सीमित करना था। राजा राम मोहन राय के प्रयासों की बदौलत 1929 में सती प्रथा को समाप्त कर दिया गया।

निष्कर्ष

राजा राम मोहन राय एक महान भारतीय समाज सुधारक और देशभक्त थे। उन्हें भारत में सामाजिक सुधार लाने के उनके अथक प्रयासों के लिए याद किया जाता है। भारत के आधुनिकीकरण में उनके उत्कृष्ट योगदान ने हमारे समाज पर एक महत्वपूर्ण छाप छोड़ी है।

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राजा राममोहन राय पर निबंध कैसे तैयार करें? 

राजा राममोहन राय पर निबंध को कुछ तरीकों से तैयार किया जा सकता है, जो इस प्रकार है:

  • निबंध में हमेशा एक आकर्षक शीर्षक जरूर जोड़े। 
  • निबंध की शुरुआत में प्रस्तावना और अंत में निष्कर्ष जरुर जोड़े। 
  • विषय विस्तार भी जोड़े। 
  • अपने विषय से जुड़ी सारी जानकारी दें। 
  • अलग-अलग अनुच्छेद को एक दूसरे से जोड़े रखें। 
  • निबंध की भाषा सरल होनी चाहिए। 
  • शब्द चिन्ह पर ध्यान दें। 
  • निबंध में दी जाने वाली जानकारी को चेक कर लें। केवल उचित जानकारी ही डालें। 

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FAQs

राजा राम मोहन राय द्वारा शुरू किए गए समाचार पत्र कौन से थे?

राजा राम मोहन राय ने 1822 में संबाद कौमुदी नामक एक बंगाली साप्ताहिक शुरू किया और उसी वर्ष उन्होंने पहला फ़ारसी समाचार पत्र मिरात-उल-अकबर शुरू किया।

राजा राम मोहन राय का जन्म कब हुआ था?

राजा राम मोहन राय का जन्म 22 मई 1772 को हुआ था। 

राजा राम मोहन राय का निधन कब हुआ था?

राजा राम मोहन राय का निधन 17 सितंबर 1833 को हुआ था। 

ब्रह्म समाज के संस्थापक कौन थे?

ब्रह्म समाज की स्थापना राजा राम मोहन राय ने 1828 में अपने विचारों और मिशन को संस्थागत बनाने के इरादे से की थी। यह मूर्ति पूजा के ख़िलाफ़ खड़ा था और एकेश्वरवाद का प्रचार करता था।

आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको राजा राममोहन राय पर निबंध से जुड़ी पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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