Parents Day Shayari : पेरेंट्स डे के अवसर पर अपने माता-पिता को साझा करें ये बेहतरीन शेर, शायरी और ग़ज़ल

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Parents day shayari in Hindi

पेरेंट्स डे एक ऐसा दिन है जो माता-पिता के परिश्रमों और उनके संघर्षों को सम्मानित करने के उद्देश्य से हर साल जुलाई के चौथे रविवार को नेशनल पेरेंट्स डे मनाया जाता है। इस वर्ष नेशनल पेरेंट्स डे को 28 जुलाई 2024 को रविवार के दिन मनाया जाएगा। इस अवसर पर आप अपने माता-पिता के साथ कुछ बेहतरीन शेर, शायरी और ग़ज़ल साझा कर सकते हैं, जो आपके माता-पिता के अथक प्रयासों और परिश्रम को सम्मानित करने का काम करेगी। इस ब्लॉग के माध्यम से आप Parents Day Shayari in Hindi में पढ़ पाएंगे, जिन्हें आप अपने माता-पिता के साथ साझा कर पाएंगे।

माता-पिता पर शायरी – Parents Day Shayari in Hindi

माता-पिता पर शायरी पढ़कर युवाओं को प्रेरणा मिलेगी, जिससे वे अपने माता-पिता का विशेष ढंग से सम्मान कर पाएंगे, Parents Day Shayari in Hindi में कुछ इस प्रकार हैं:

"ये सोच के माँ बाप की ख़िदमत में लगा हूँ 
इस पेड़ का साया मिरे बच्चों को मिलेगा..."

-मुनव्वर राना

"घर की इस बार मुकम्मल मैं तलाशी लूँगा 
ग़म छुपा कर मिरे माँ बाप कहाँ रखते थे..."

 -साजिद जावेद साजिद

"किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई 
मैं घर में सब से छोटा था मिरे हिस्से में माँ आई..."

 -मुनव्वर राना

"मैं अपने बाप के सीने से फूल चुनता हूँ 
सो जब भी साँस थमी बाग़ में टहल आया..."

 -हम्माद नियाज़ी

"बेटियाँ बाप की आँखों में छुपे ख़्वाब को पहचानती हैं 
और कोई दूसरा इस ख़्वाब को पढ़ ले तो बुरा मानती हैं..."

 -इफ़्तिख़ार आरिफ़

“चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है 
मैं ने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है…”

-मुनव्वर राना

“दुआ को हात उठाते हुए लरज़ता हूँ 
कभी दुआ नहीं माँगी थी माँ के होते हुए…”

-इफ़्तिख़ार आरिफ़

“मुझ को छाँव में रखा और ख़ुद भी वो जलता रहा 
मैं ने देखा इक फ़रिश्ता बाप की परछाईं में…”

-अज्ञात

“मुझ को थकने नहीं देता ये ज़रूरत का पहाड़ 
मेरे बच्चे मुझे बूढ़ा नहीं होने देते…”

-मेराज फ़ैज़ाबादी

“अज़ीज़-तर मुझे रखता है वो रग-ए-जाँ से 
ये बात सच है मिरा बाप कम नहीं माँ से…”

-ताहिर शहीर

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माँ पर लिखित शानदार शेर

माँ पर लिखित शानदार शेर कुछ इस प्रकार हैं, जिन्हें आप Parents Day Shayari in Hindi के रूप में अपने माँ के साथ साझा कर पाएंगे-

“अभी ज़िंदा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा 
मैं घर से जब निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है…”

-मुनव्वर राना

“एक मुद्दत से मिरी माँ नहीं सोई 'ताबिश' 
मैं ने इक बार कहा था मुझे डर लगता है…”

-अब्बास ताबिश

“इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है 
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है…”

-मुनव्वर राना

“जब भी कश्ती मिरी सैलाब में आ जाती है 
माँ दुआ करती हुई ख़्वाब में आ जाती है…”

-मुनव्वर राना

“कल अपने-आप को देखा था माँ की आँखों में
ये आईना हमें बूढ़ा नहीं बताता है…”

-मुनव्वर राना

“तेरे दामन में सितारे हैं तो होंगे ऐ फ़लक 
मुझ को अपनी माँ की मैली ओढ़नी अच्छी लगी…”

-मुनव्वर राना

“मुनव्वर माँ के आगे यूँ कभी खुल कर नहीं रोना 
जहाँ बुनियाद हो इतनी नमी अच्छी नहीं होती…”

-मुनव्वर राना

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पिता के सम्मान में खूबसूरत शेर

पिता के सम्मान में खूबसूरत शेर पढ़कर युवाओं को इस पेरेंट्स डे के अवसर पर अपने पिता का सम्मान करने का एक विशेष तरीका मिलेगा। जिन्हें आप Parents Day Shayari in Hindi के रूप में अपने पापा के साथ साझा कर पाएंगे-

“मुद्दत के बाद ख़्वाब में आया था मेरा बाप 
और उस ने मुझ से इतना कहा ख़ुश रहा करो…”

-अब्बास ताबिश

“देर से आने पर वो ख़फ़ा था आख़िर मान गया 
आज मैं अपने बाप से मिलने क़ब्रिस्तान गया…”

-अफ़ज़ल ख़ान

“वो वक़्त और थे कि बुज़ुर्गों की क़द्र थी 
अब एक बूढ़ा बाप भरे घर पे बार है…”

-मुईन शादाब

“मेरा भी एक बाप था अच्छा सा एक बाप
वो जिस जगह पहुँच के मरा था वहीं हूँ मैं…”

-रईस फ़रोग़

“जब भी वालिद की जफ़ा याद आई 
अपने दादा की ख़ता याद आई…”

-मोहम्मद यूसुफ़ पापा

“वो पेड़ जिस की छाँव में कटी थी उम्र गाँव में 
मैं चूम चूम थक गया मगर ये दिल भरा नहीं…”

-हम्माद नियाज़ी

“हड्डियाँ बाप की गूदे से हुई हैं ख़ाली 
कम से कम अब तो ये बेटे भी कमाने लग जाएँ…”

-रऊफ़ ख़ैर

“सुब्ह सवेरे नंगे पाँव घास पे चलना ऐसा है 
जैसे बाप का पहला बोसा क़ुर्बत जैसे माओं की…”

-हम्माद नियाज़ी

“मैं ने हाथों से बुझाई है दहकती हुई आग 
अपने बच्चे के खिलौने को बचाने के लिए…”

-शकील जमाली

“हमें पढ़ाओ न रिश्तों की कोई और किताब 
पढ़ी है बाप के चेहरे की झुर्रियाँ हम ने…”

-मेराज फ़ैज़ाबादी

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माता-पिता पर 2 लाइन्स

माता-पिता पर 2 लाइन्स पढ़कर आप अपने माता-पिता को इस पेरेंट्स डे स्पेशल फील करवा पाएंगे,  Parents Day Shayari in Hindi में कुछ इस प्रकार हैं:

“मैं ने हाथों से बुझाई है दहकती हुई आग 
अपने बच्चे के खिलौने को बचाने के लिए…”

-शकील जमाली

“घर लौट के रोएँगे माँ बाप अकेले में 
मिट्टी के खिलौने भी सस्ते न थे मेले में…”

-क़ैसर-उल जाफ़री

“माँ की दुआ न बाप की शफ़क़त का साया है 
आज अपने साथ अपना जनम दिन मनाया है…”

-अंजुम सलीमी

“माँ बाप और उस्ताद सब हैं ख़ुदा की रहमत 
है रोक-टोक उन की हक़ में तुम्हारे ने'मत…”

-अल्ताफ़ हुसैन हाली

“घर की इस बार मुकम्मल मैं तलाशी लूँगा 
ग़म छुपा कर मिरे माँ बाप कहाँ रखते थे…”

-साजिद जावेद साजिद

“बाप ज़ीना है जो ले जाता है ऊँचाई तक
माँ दुआ है जो सदा साया-फ़िगन रहती है…”

-सरफ़राज़ नवाज़

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माता-पिता पर गजलें

माता-पिता पर गजलें पढ़कर आप अपने माता-पिता को अच्छा महसूस करवा पाएंगे, जो नीचे दी गई हैं-

बेसन की सौंधी रोटी पर खट्टी चटनी जैसी माँ

बेसन की सौंधी रोटी पर खट्टी चटनी जैसी माँ 
याद आती है! चौका बासन चिमटा फुकनी जैसी माँ 
बाँस की खर्री खाट के ऊपर हर आहट पर कान धरे 
आधी सोई आधी जागी थकी दो-पहरी जैसी माँ 
चिड़ियों की चहकार में गूँजे राधा मोहन अली अली 
मुर्ग़े की आवाज़ से बजती घर की कुंडी जैसी माँ 
बीवी बेटी बहन पड़ोसन थोड़ी थोड़ी सी सब में 
दिन भर इक रस्सी के ऊपर चलती नटनी जैसी माँ 
बाँट के अपना चेहरा माथा आँखें जाने कहाँ गई 
फटे पुराने इक एल्बम में चंचल लड़की जैसी माँ

-निदा फ़ाज़ली

घर की बुनियादें दीवारें बाम-ओ-दर थे बाबू जी

घर की बुनियादें दीवारें बाम-ओ-दर थे बाबू जी 
सब को बाँध के रखने वाला ख़ास हुनर थे बाबू जी 
तीन मोहल्लों में उन जैसी क़द काठी का कोई न था 
अच्छे-ख़ासे ऊँचे पूरे क़द-आवर थे बाबू जी 
अब तो उस सूने माथे पर कोरे-पन की चादर है 
अम्मा जी की सारी सज-धज सब ज़ेवर थे बाबू जी 
भीतर से ख़ालिस जज़्बाती और ऊपर से ठेठ पिता 
अलग अनूठा अनबूझा सा इक तेवर थे बाबू जी 
कभी बड़ा सा हाथ-ख़र्च थे कभी हथेली की सूजन 
मेरे मन का आधा साहस आधा डर थे बाबू जी

-आलोक श्रीवास्तव

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आशा है कि इस ब्लॉग में आपको Parents Day Shayari in Hindi पढ़ने का अवसर मिला होगा। Parents Day Shayari in Hindi को आप अपने माँ बाप के साथ साझा करके, उनके परिश्रमों को सम्मानित कर पाएंगे। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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