मैथिली शरण गुप्त की रचनाएँ, जो आपके जीवन में डालेंगी सकारात्मक प्रभाव

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मैथिली शरण गुप्त की रचनाएँ

भारत में ऐसे कई साहित्यकार हुए जिनकी रचनाओं ने समाज की चेतना को जगाने और युवाओं का मार्गदर्शन करने का काम किया, ऐसे ही महान साहित्यकारों में से एक मैथिलीशरण गुप्त भी थे। मैथिलीशरण गुप्त को हिंदी साहित्य के एक ऐसे मजबूत स्तंभ के रूप में देखा जाता है, जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से भारत को एक नई पहचान दी। मैथिलीशरण गुप्त की रचनाएँ राष्ट्रीयता, संस्कृति, इतिहास और आध्यात्मिकता का अनोखा चित्रण प्रस्तुत करती हैं। इस ब्लॉग में आप मैथिलीशरण गुप्त की उन महत्वपूर्ण रचनाओं के बारे में जान पाएंगे, जो आपको हिंदी भाषा के प्रति आकर्षित करेंगी। मैथिलीशरण गुप्त की रचनाएँ पढ़कर आप अपने जीवन में सकारात्मकता को स्वीकार कर पाएंगे।

मैथिलीशरण गुप्त के बारे में

मैथिलीशरण गुप्त एक ऐसे कवि हैं जिन्हें आधुनिक हिंदी काव्य के निर्माता का सम्मान प्राप्त है। मैथिलीशरण गुप्त ने ‘आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी’ की प्रेरणाशक्ति और मार्गदर्शन के आधार पर खड़ी बोली को अपनी रचनाओं का माध्यम बनाया था। खड़ी बोली को एक काव्य-भाषा के रूप में पहचान दिलाने वाले मैथिलीशरण गुप्त को राष्ट्रपिता ‘महात्मा गांधी’ ने राष्ट्रकवि की उपमा दी थी।

मैथिलीशरण गुप्त का जन्म 3 अगस्त, 1866 को उत्तर प्रदेश के झाँसी जिले के निकट चिरगाँव में हुआ था। उनकी आरंभिक शिक्षा घर पर ही हुई जहाँ उन्होंने हिंदी, बांग्ला और संस्कृत का अध्ययन किया। मैथिलीशरण गुप्त की रचनाएँ जैसे “रंग में भंग”, “जयद्रथ-वध”, “शकुंतला”, “पंचवटी व उर्मिला”, “तिलोत्तमा”, “चंद्रहास”, “अनध”, “गृहस्थ गीता” आदि लोकप्रिय रचनाएं हैं। मैथिलीशरण गुप्त का निधन 12 दिसंबर, 1964 को हुआ था।

यह भी पढ़ें : राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय

मैथिली शरण गुप्त की रचनाएँ

मैथिली शरण गुप्त की रचनाएँ कुछ इस प्रकार हैं;

मैथिली शरण गुप्त की रचनाएँप्रकाशन का समय
रंग में भंगवर्ष 1909
जयद्रथ-वधवर्ष 1910
शकुंतलावर्ष 1914
पंचवटीवर्ष 1915
किसानवर्ष 1916
सैरंध्रीवर्ष 1927
वकसंहारवर्ष 1927 
वन वैभववर्ष 1927
शक्तिवर्ष 1927 
यशोधरावर्ष 1932
द्वापरवर्ष 1936
सिद्धराजवर्ष 1936
नहुषवर्ष 1940
कुणाल गीतवर्ष 1941
कर्बलावर्ष 1942
अजितवर्ष 1946 
हिडिंबावर्ष 1950 
विष्णुप्रियावर्ष 1957
रत्नावलीवर्ष 1960 
साकेतवर्ष 1931

यह भी पढ़ें : मैथिलीशरण गुप्त की कविताएं

मैथिली शरण गुप्त की रचना

मैथिली शरण गुप्त की लोकप्रिय रचना को पढ़कर आपके जीवन में सकारात्मकता का संचार हो सकता है, मैथिली शरण गुप्त की लोकप्रिय रचना कुछ इस प्रकार है;

साकेत

मैथिली शरण गुप्त की रचनाएँ

मैथिली शरण गुप्त की यह रचना वर्ष 1931 को प्रकाशित हुई थी, जिसमें राम और सीता के वनवास काल को केंद्र में रखा गया है। इस रचना में प्रकृति का वर्णन और आदर्श पति-पत्नी के रिश्ते को भी बखूबी दर्शाया गया है।

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यशोधरा

मैथिली शरण गुप्त की रचनाएँ

मैथिली शरण गुप्त की यह रचना वर्ष 1932 को प्रकाशित हुई थी, यह महाकाव्य बुद्ध की पत्नी यशोधरा के जीवन पर आधारित है। इसमें स्त्री के त्याग और बलिदान को दर्शाया गया है।

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जयद्रथ-वध

मैथिली शरण गुप्त की रचनाएँ

मैथिली शरण गुप्त की प्रसिद्ध रचनाओं में से एक “जयद्रथ-वध” भी है, जो कि वर्ष 1910 में प्रकाशित हुई थी। यह रचना महाभारत के एक महत्वपूर्ण प्रसंग पर आधारित है, जिसमें अर्जुन द्वारा जयद्रथ के वध की कथा का वर्णन है।

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भारत-भारती

यह रचना मैथिली शरण गुप्त की एक प्रसिद्ध रचना है, जो वर्ष 1912 में प्रकाशित हुई थी। यह कविता संग्रह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय की देशभक्ति की भावना को अभिव्यक्त करता है और भारतीय समाज के जागरण का आह्वान करता है।

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हार नहीं मानूँगी

मैथिली शरण गुप्त की रचनाएँ

वर्ष 1971 में प्रकाशित हुई “हार नहीं मानूँगी”, मैथिली शरण गुप्त की एक प्रसिद्ध रचना है। इस काव्य संग्रह में संघर्ष, आत्मविश्वास, और संकल्प की भावना का वर्णन किया गया है। यह काव्य संग्रह आज भी उतना ही लोकप्रिय है, जितना कभी अपनी रचना के समय पर थी।

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पंचवटी 

मैथिली शरण गुप्त की रचनाएँ

“पंचवटी” मैथिली शरण गुप्त की प्रसिद्ध रचना है, जो वर्ष 1925 में प्रकाशित हुई थी। यह कविता रामायण के एक अंश पर आधारित है, जिसमें राम, सीता और लक्ष्मण के वनवास के दौरान पंचवटी में बिताए गए समय का वर्णन करती है।

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FAQs

मैथिलीशरण गुप्त की प्रमुख रचनाएं कौन कौन सी हैं?

“जयद्रथवध, साकेत, पंचवटी, सैरन्ध्री, बक संहार, यशोधरा, द्वापर, नहुष, जयभारत, हिडिम्बा, विष्णुप्रिया एवं रत्नावली” इत्यादि मैथिलीशरण गुप्त की प्रमुख रचनाएं है।

मैथिली शरण गुप्त किस लिए प्रसिद्ध है?

मैथिली शरण गुप्त उन आधुनिक हिंदी कवियों में से एक हैं, जिन्होंने अपने काव्य संग्रह में खड़ी बोली को  अपनी काव्य की भाषा चुना है।

मैथिलीशरण गुप्त का मूल नाम क्या है?

मैथिलीशरण गुप्त का मूल नाम ‘मिथिलाधिप नंदनशरण’ है।

मैथिलीशरण गुप्त के गुरु कौन थे?

मैथिलीशरण गुप्त के गुरु आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी’ थे।

साकेत ग्रंथ की रचना कब हुई?

साकेत ग्रंथ की रचना वर्ष 1931 में हुई थी।

आशा है कि मैथिली शरण गुप्त की रचनाएँ और उनके जीवन की आपको सम्पूर्ण जानकारी मिल गई होगी, साथ ही यह पोस्ट आपको इंफॉर्मेटिव और इंट्रस्टिंग लगी होगी। इसी प्रकार की अन्य जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।

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