इस साल यानी 2024 का फरवरी माह खास है क्योंकि इसमें 28 की जगह 29 तारीखें हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि 2024 एक लीप ईयर है और यह हर चार साल में एक बार आता है। लेकिन क्या आपने कभी है कि सोचा यह तारीख यानी 29 फरवरी हर चार साल में ही क्यों आता है? क्या होता अगर कभी फरवरी में 29 तारीख ही न होती? क्या आपके पास इन सवालों का जवाब है? अगर नहीं तो आपको इन सब सवालों के जवाब इस लेख में मिलेंगे। Leap Year in Hindi के इस ब्लॉग के माध्यम से आप जान पाएंगे कि क्या होता है लीप ईयर और हर 4 साल बाद ही क्यों आता है लीप ईयर? आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।
This Blog Includes:
- लीप ईयर के बारे में
- हर 4 साल में लीप ईयर आने की वजह क्या है?
- फरवरी में ही क्यों जोड़ा गया यह अतिरिक्त दिन?
- लीप ईयर का इतिहास क्या है?
- पहला लीप ईयर कब हुआ था?
- लीप ईयर का महत्व क्या है?
- 29 फरवरी 2024 लीप डे क्यों है?
- Leap Year List in Hindi From 2000 to 2100
- लीप ईयर पर 10 लाइनें
- लीप ईयर से संबंधित कुछ रोचक तथ्य
- FAQ
लीप ईयर के बारे में
Gregorian Calendar, दुनिया भर में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले कैलेंडर है। इस कैलेंडर के मुताबिक हर 4 साल में 1 एक्स्ट्रा दिन जुड़ जाता है और यह दिन फरवरी के महीने में ही जुड़ता है, जिससे ये महीना 29 दिन का हो जाता है। आमतौर पर फरवरी के महीने में 28 दिन ही होते हैं। वहीं बता दें कि जुड़े हुए इस अतिरिक्त दिन को लीप डे और इस पूरे साल को लीप ईयर कहा जाता है। ऐसे में आईये जान लेते हैं क्या है लीप ईयर आने की वजह।
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हर 4 साल में लीप ईयर आने की वजह क्या है?
जब से दुनिया में Gregorian Calendar को अपनाया गया है तब से लीप वर्ष पड़ता है। ऐसा कहा जाता है कि अगर हम लीप ईयर न मनाएं तो हम हर साल 0.2422 दिन पीछे होते जाएंगे। इस तरह 400 सालों में, यह लगभग 91 दिनों का अंतर बन जाएगा। इससे मौसम परिवर्तन भी हो जाएगा। यानी 400 सालों में, वसंत ऋतु गर्मियों में होगी, और सर्दी वसंत ऋतु में होगी। आमतौर पर कहा जाता है कि पृथ्वी, सूर्य का एक चक्कर पूरा करने में 365 दिन का समय लगाता है लेकिन वास्तव में पृथ्वी 365.2422 दिन लगाता है। इसी अंतर को सुधारने के लिए, हम हर चार साल में एक लीप ईयर मनाते हैं।
फरवरी में ही क्यों जोड़ा गया यह अतिरिक्त दिन?
यह सब जानने के बाद अब सवाल उठता है कि ये एक्सट्रा दिन फरवरी में ही क्यों जोड़ा गया? तो आईये आपको बता देते हैं कि ग्रेगोरियन कैलेंडर से पहले जूलियन कैलेंडर के अनुसार चला जाता था और यह जूलियन कैलेंडर सूर्य पर आधारित था। इस कैलेंडर के अनुसार पहला महीना मार्च और आखिरी महीना फरवरी का होता था। वहीं इसी कैलेंडर में लीप ईयर भी शामिल हुआ करता था। उस समय लीप ईयर के एक्सट्रा दिन को आखिरी महीने यानी फरवरी में जोड़ा गया था। लेकिन जब ग्रेगोरियन कैलेंडर अपनाया गया तो पहला महीना जनवरी हो गया और दूसरा महीना फरवरी का। ऐसे में पहले से चले आ रहे क्रम के अनुसार एक्सट्रा दिन फरवरी में ही जुड़ा रह गया।
लीप ईयर का इतिहास क्या है?
आपको बता दें कि लीप ईयर का इतिहास काफी पुराना माना जाता है। प्राचीन मिस्रवासी और रोमन लोग लीप वर्ष का उपयोग करते थे। यह प्राचीन सभ्यताओं से लेकर आज तक इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसे में आईये जानते हैं पहला लीप ईयर कब हुआ था?
पहला लीप ईयर कब हुआ था?
सबसे पहले लीप वर्ष 46 ईसा पूर्व में जूलियस सीज़र द्वारा स्थापित किया गया था। बता दें कि जूलियस सीज़र द्वारा स्थापित जूलियन कैलेंड में हर चार साल बाद एक लीप वर्ष आने की व्यवस्था थी। इसके बाद 1582 में जूलियन कैलेंडर को ग्रेगोरियन कैलेंडर में बदल दिया गया। तब से फरवरी में एक लीप दिवस जोड़ने की परंपरा बन गई। जूलियन कैलेंडर में, लीप ईयर हर चार साल में मनाया जाता है।
लीप ईयर का महत्व क्या है?
Leap Year in Hindi के इस ब्लॉग में हम लीप ईयर के महत्व को विस्तार से समझते हैं:
- यह ऋतुओं के चक्र को बेहतर ढंग से समझने में मदद करता है।
- लीप वर्ष सुनिश्चित करता है कि महत्वपूर्ण तारीखें हमेशा एक ही मौसम में पड़ें।
- कई संस्कृतियों में, लीप वर्ष का विशेष महत्व है। कुछ संस्कृतियों में, यह भाग्यशाली माना जाता है, जबकि अन्य में यह अपशकुन माना जाता है।
29 फरवरी 2024 लीप डे क्यों है?
वर्ष 2024 एक लीप वर्ष है। ऐसे में 29 फरवरी 2024 लीप डे हुआ। बता दें कि आमतौर पर फरवरी में 28 दिन होते हैं। लेकिन हर 4 साल में आने वाले लीप ईयर में, फरवरी में एक एक्स्ट्रा दिन जुड़ जाता है जिससे फरवरी का माह 29 दिन का हो जाता है। इस तरह 29 फरवरी लीप डे कहलाता है।
Leap Year List in Hindi From 2000 to 2100
Leap Year in Hindi के इस ब्लॉग में आपको 2000 से 2100 तक की लीप ईयर की लिस्ट दी गयी है :
2000 | 2004 | 2008 | 2012 | 2016 |
2020 | 2024 | 2028 | 2032 | 2036 |
2040 | 2044 | 2048 | 2052 | 2056 |
2060 | 2064 | 2068 | 2072 | 2072 |
2080 | 2084 | 2088 | 2092 | 2096 |
लीप ईयर पर 10 लाइनें
लीप ईयर पर 10 लाइनें इस प्रकार से हैं:
- यह वर्ष यानी कि 2024 एक लीप वर्ष है।
- एक लीप ईयर में 366 दिन होते हैं जबकि सामान्य वर्ष 365 दिन का होता है।
- लीप ईयर हर चार साल में एक बार आता है, जैसे 2024, 2028, 2032, इत्यादि।
- लीप वर्ष फरवरी में एक अतिरिक्त दिन जोड़कर बनाया जाता है, जिसे 29 फरवरी कहा जाता है।
- लीप वर्ष एक अनोखी घटना है जो पृथ्वी की सूर्य के चारों ओर की परिक्रमा को चिह्नित करती है।
- लीप ईयर की अवधारणा प्राचीन रोम से प्रारम्भ हुई है।
- 46 ईसा पूर्व में, जूलियस सीजर ने जूलियन कैलेंडर पेश किया, जिसमें हर चार साल में एक लीप ईयर शामिल था।
- जूलियन कैलेंडर में साल का आखिरी महीना फरवरी हुआ करता था। ऐसे में लीप ईयर के एक्सट्रा दिन को आखिरी महीने फरवरी में ही जोड़ दिया गया था।
- कुछ अध्ययनों से पता चला है कि लीप ईयर में भूकंप आने की संभावना थोड़ी अधिक होती है।
- चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी के घूर्णन को धीमा कर देता है। वैसे तो यह प्रभाव हर साल होता है, लेकिन लीप ईयर में यह थोड़ा अधिक होता है।
लीप ईयर से संबंधित कुछ रोचक तथ्य
लीप ईयर से संबंधित कुछ रोचक तथ्य निम्नलिखित है :
- 29 फरवरी को जन्म लेने वाले लोगों को “लीपलिंग”, “लीपर्स” या “लीप डे बेबी” कहा जाता है।
- 29 फरवरी को जन्म लेने वाले लोग केवल हर चार साल में अपना जन्मदिन मनाते हैं।
- कुछ देशों में, जैसे कि इटली, लीप ईयर में शादी करना अशुभ माना जाता है।
- ऐसा कहा जाता है कि लीप वर्ष में 29 फरवरी को जन्म लेने वाले लोग बहुत भाग्यशाली होते हैं।
- लीप ईयर में, पृथ्वी का घूर्णन थोड़ा धीमा हो जाता है।
FAQ
जूलियस सीज़र को लीप ईयर का जनक माना जाता है।
1 लीप वर्ष में 366 दिन होते हैं।
29 फरवरी 2024 के बाद अगला लीप ईयर 29 फरवरी, 2028 है।
उम्मीद है कि इस ब्लाॅग में आपको Leap Year in Hindi के बारे में विस्तृत जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग इवेंट्स ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।