Jesus Christ History in Hindi : जानिए जीसस क्राइस्ट के इतिहास से जुड़ी रोचक जानकारी

1 minute read
Jesus Christ History in Hindi

25 दिसंबर को ईसाई धर्म के संस्थापक जीसस क्राइस्ट यानि ईसा मसीह के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। आपने भी शायद बचपन में अपने स्कूल में ज़रूर कभी क्रिसमस डे मनाया होगा या कभी आपके शिक्षकों ने आपको स्कूल में जीसस क्राइस्ट बनकर गिफ्ट्स भी बांटे होंगे। पर क्या आपको जीसस क्राइस्ट का इतिहास (Jesus christ history in Hindi) पता है? यहाँ जीसस क्राइस्ट के जन्म से लेकर उनकी कुर्बानी और फिर उनके पुनर्जन्म के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है। 

जीसस क्राइस्ट कब और कहाँ जन्मे

ईसाई धर्म की पवित्र पुस्तक बाइबल के अनुसार जीसस क्राइस्ट का जन्म 4 ईसा पूर्व में जेरुसलम के पास बेथलम स्थान में  हुआ था। इनकी माता का नाम मरियम था। जीसस क्राइस्ट के पिता का नाम युसूफ था। वे पेशे से एक बढ़ई थे। उनका संबंध दाऊद राजवंश के शाही परिवार से था। कहा जाता है कि जीसस क्राइस्ट की माता ईश्वरीय कृपा से कुंवारी रहते हुए ही गर्भवती हो गईं थीं। इसके बाद जीसस क्राइस्ट के पिता युसूफ ने उन्हें ईश्वर की कृपा मानकर उनसे शादी कर ली थी। 

जीसस क्राइस्ट के “जीसस क्राइस्ट” बनने की कहानी

जीसस क्राइस्ट ने बड़े होने के बाद अपने पिता के बढ़ई के पेशे को ही अपना लिया और वे भी एक बढ़ई के रूप में ही काम करने लगे। 30 वर्ष की आयु तक उन्होंने इसी काम को करते रहना जारी रखा। 30 वर्ष की उम्र में उन्होंने यहुन्ना (जॉन) नाम के संत से दीक्षा प्राप्त की और इसके बाद वे लोगों को उपदेश देने लगे। उनके विचारों से लोग बहुत प्रभावित होने लगे और वे बड़ी संख्या में उन्हें सुनने आने लगे। जीसस क्राइस्ट मूल रूप से स्वयं एक यहूदी थे परन्तु उनकी शिक्षाएं यहूदी धर्म से भिन्न हुआ करती थीं। उनकी यह बात कुछ कट्टरपंथी यहूदियों को अच्छी नहीं लगती थी और वे उनसे द्वेष मानने लगे।  इसके बावजूद वे जनता के बीच बहुत लोकप्रिय और प्रसिद्ध होते चले गए।  जनता को ऐसा विश्वास हो चला था कि यही वह पवित्र महात्मा है जो रोम साम्राज्य से उन्हें आज़ादी दिलवाएगा। दरअसल उस समय यहूदियों की धरती पर उस समय रोमन राजा ताबेरियस का राज था। यहूदी लोग इस कारण से खुद को राजनैतिक रूप से गुलाम मानते थे।  

जीसस क्राइस्ट की मृत्यु

जीसस क्राइस्ट को लोग ईश्वर का पुत्र मानते थे। यहूदी कट्टपंथियों को यह बात नागवार गुज़री। इसके अलावा वे लोगों से धार्मिक कर्मकांडों और पाखंडों को त्यागने के लिए भी कहते थे। यह बात तो कट्टरपंथियों के दिल में तीर की तरह चुभ रही थी। वे इस बात को पाप मानते थे। उन्होंने इस बात की शिकायत रोमन शासक द्वारा नियुक्त किए गए रोमन गवर्नर पिलातुस से की और उन्हें दण्डित किए जाने की मांग की। 

रोमन गवर्नर यहूदी कट्टरपंथियों की बातों में आ गया और उसने जीसस क्राइस्ट को दर्दनाक तरीके से दण्डित किए जाने की सजा सुनाई। उन्हें कई प्रकार के कष्ट दिए गए और उन्हें सूली पर लटकाया गया। इस कारण अत्यधिक पीड़ा और जुल्मों को सहने के कारण उनकी मृत्यु हो गई। मृत्यु के समय ईसा मसीह ने उन सभी लोगों को बद्दुआ देने की बजाय परमात्मा से उन सभी लोगों को क्षमा करने के लिए प्रार्थना कर रहे थे। उन्होंने कहा कि “हे मेरे पिता, इन लोगों को मांफ करना, इन्हें नहीं पता कि ये क्या कर रहे हैं।” 

यह भी पढ़ें : हर वर्ष 25 दिसंबर को मनाया जाता है क्रिसमस, जानें कैसे हुई थी शुरुआत?

जीसस क्राइस्ट का पुनर्जन्म

ऐसा कहा जाता है कि अपनी मृत्यु के 3 दिनों के बाद जीसस क्राइस्ट पुन: जीवित हुए और इसके 40 दिनों के बाद वे स्वर्ग की यात्रा पर चले गए। उनके जाने के बाद उनके धर्म को उनके शिष्यों ने पूरी दुनिया में प्रचारित और प्रसारित किया। आज ईसाई धर्म दुनिया के प्रमुख धर्मों में से एक है और विश्व के हर कोने में इसके मानने वाले रहते हैं। 

जीसस क्राइस्ट की प्रमुख शिक्षाएं 

यहाँ Jesus christ history in Hindi में अब जीसस क्राइस्ट की प्रमुख शिक्षाएं दी जा रही हैं : 

  • जीसस क्राइस्ट ने बताया कि सभी लोगों को उद्धार की ज़रूरत है और एक मनुष्य की स्थिति इस बात पर कोई असर नहीं डालती कि वह परमेश्वर को कितना महत्व देता है। 
  • यीशु ने यह भी सिखाया कि परमेश्वर के उद्धार की प्राप्ति का मार्ग अच्छे कार्यों के माध्यम की अपेक्षा विश्वास का है।
  • परमेश्वर के उद्धार की प्राप्ति का रास्ता अच्छे कार्यों और विश्वास से होकर जाता है। 
  • अपने शत्रुओं से भी प्रेम करो। 
  • अपने पड़ोसियों से प्रेम करो और उनके साथ अच्छा व्यव्हार करो।  
  • वे लोग जो मन के दीन है वास्तव में वे ही स्वर्ग को प्राप्त करेंगे। जो दुःख प्राप्त कर रहे हैं अंत में वे ही शान्ति प्राप्त करेंगे।  

जीसस क्राइस्ट के प्रमुख शिष्यों के नाम 

यहाँ Jesus christ history in Hindi में अब जीसस क्राइस्ट के प्रमुख शिष्यों के नाम दिए जा रहे हैं : 

  • जेम्स 
  • साइमन द जिलोट 
  • संत जुदास 
  • मैथ्यू 
  • बर्थोलोमियू
  • फिलिप 
  • थॉमस
  • जॉन 
  • पीटर 
  • एंड्र्यू 

FAQs 

ईसा मसीह की उम्र कितनी थी?

ईसा मसीह लगभग 33 वर्ष की आयु तक जीवित रहे थे। 

ईसा मसीह का असली नाम क्या है?

ईसा मसीह का असली नाम यीशु था।  

यीशु की मां कौन थी?

यीशु की मां का नाम मरियम था। 

उम्मीद है कि इस ब्लाॅग Jesus christ history in Hindi में आपको सांता क्लाॅस का इतिहास पता चल गया होगा। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग इवेंट्स ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

Leave a Reply

Required fields are marked *

*

*