सिखों के महान गुरु अर्जन सिंह जी सिखों के गुरु रामदास जी के सुपुत्र थे। गुरु अर्जन सिंह ने अमृतसर स्थित हरिमंदिर साहिब, स्वर्ण मंदिर को सुनियोजित तरीके से विकसित करने में बड़ी भूमिका निभाई थी। गुरु अर्जन सिंह जी पहले सिख गुरु थे जिन्होंने सामाजिक सुधार और धर्म का विस्तार करने का प्रयास किया। यहाँ गुरु अर्जन देव जी का जन्म कब हुआ? इस बारे में विस्तार से बताया जा रहा है।
गुरु अर्जन देव जी का जन्म कब हुआ?
सिखों के पांचवे धर्मगुरु अर्जनदेव जी का जन्म 7, (संवत 1620 में 15 अप्रैल 1563) को हुआ था। उनके पिता सिखों के चौथे गुरु रामदास जी और माता भनीजी थीं।
गुरु अर्जन देव जी की प्रमुख शिक्षाएं
गुरु अर्जन देव जी जन्म कब हुआ में अब जानिए उनकी प्रमुख शिक्षाएं :
- गुरु अर्जन ने लोगों को सिखाया कि किसी भी व्यक्ति को “भगवान” न कहें।
- उन्होंने लोगों को बताया कि भगवान सभी अच्छे लोगों से कहीं ऊपर हैं।
- ईश्वर के प्रति खुद को समर्पित करने से सुख प्राप्त होता है।
- अगली दुनिया की चिंता मत करो, भगवान को याद रखो, क्योंकि भगवान का नाम मनुष्य के लिए वैसा ही है जैसा एक बड़ी इमारत के लिए एक मजबूत स्तंभ।
- उन्होंने लोगों से धार्मिक आडंबरों और अंधविश्वासों से दूर रहने के लिए कहा।
गुरु अर्जन देव जी की मृत्यु कैसे हुई?
गुरु अर्जन देव जी ने “तेरा कीआ मीठा लागे/हरिनाम पदारथ नानक मागे” शबद को जपते हुए अपनी सांसारिक देह को त्याग दिया। अपनी मृत्यु के वक्त वे केवल 43 वर्ष के थे। मुग़ल शासक जहांगीर ने 30 मई 1606 के दिन अनेक यातनाएं देने के बाद उनकी हत्या करवा दी। गुरु अर्जन सिंह ने अपनी अंतिम साँसें लाहौर में लीं।
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