ईद इस्लाम मजहब को मानने वाला एक बेहद लोकप्रिय त्योहार है, यह एक ऐसा त्योहार है जिसे दुनियाभर में रह रहे इस्लाम मज़हब के अनुयायियों द्वारा मनाया जाता हैं। इस्लामिक मजहब के लोगों द्वारा ईद-उल-अजहा (बकरीद) और ईद-उल-फितर (मीठी ईद) की तरह ही ईद मिलाद-उल-नबी को भी बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष ईद मिलाद-उल-नबी को 16 सितंबर 2024 को मनाया जाएगा, जिसके लिए आप अपने दोस्तों और परिजनों को ईद मुबारक शायरी भेज सकते हैं। ईद मिलाद-उल-नबी के जश्न के मौके पर शानदार शायरी पढ़कर अथवा इन्हें अपने करीबियों के साथ साझा करके आप इस जश्न में चार चाँद लगा सकते हैं। इस पोस्ट के माध्यम से आपको ईद मुबारक शायरी (Eid Mubarak Shayari) को पढ़ने का अवसर प्राप्त होगा, जिन्हें आप अपने दोस्तों व परिजनों के साथ साझा कर सकते हैं।
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ईद मुबारक शायरी – Eid Mubarak Shayari
Eid Mubarak Shayari पढ़कर युवाओं को ईद का जश्न शांति से मनाने का अवसर मिलेगा, जिसके लिए उन्हें ईद मुबारक शायरी अवश्य पढ़नी चाहिए। ईद मुबारक शायरी कुछ इस प्रकार हैं:
ईद का चाँद तुम ने देख लिया चाँद की ईद हो गई होगी -इदरीस आज़ाद तुझ को मेरी न मुझे तेरी ख़बर जाएगी ईद अब के भी दबे पाँव गुज़र जाएगी -ज़फ़र इक़बाल ईद आई तुम न आए क्या मज़ा है ईद का ईद ही तो नाम है इक दूसरे की दीद का -अज्ञात मिल के होती थी कभी ईद भी दीवाली भी अब ये हालत है कि डर डर के गले मिलते हैं -अज्ञात देखा हिलाल-ए-ईद तो आया तेरा ख़याल वो आसमाँ का चाँद है तू मेरा चाँद है -अज्ञात ईद का दिन है गले आज तो मिल ले ज़ालिम रस्म-ए-दुनिया भी है मौक़ा भी है दस्तूर भी है -क़मर बदायुनी हम ने तुझे देखा नहीं क्या ईद मनाएँ जिस ने तुझे देखा हो उसे ईद मुबारक -लियाक़त अली आसिम जिस तरफ़ तू है उधर होंगी सभी की नज़रें ईद के चाँद का दीदार बहाना ही सही -अमजद इस्लाम अमजद कहते हैं ईद है आज अपनी भी ईद होती हम को अगर मयस्सर जानाँ की दीद होती -ग़ुलाम भीक नैरंग फ़लक पे चाँद सितारे निकलते हैं हर शब सितम यही है निकलता नहीं हमारा चाँद -पंडित जवाहर नाथ साक़ी
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ईद मुबारक शायरी दो लाइन – Eid Mubarak Shayari in Hindi 2 Lines
ईद मुबारक शायरी दो लाइन (Eid Mubarak Shayari in Hindi 2 Lines) कुछ इस प्रकार हैं, जिन्हें आप अपने दोस्तों के साथ साझा कर सकते हैं;
उस से मिलना तो उसे ईद-मुबारक कहना ये भी कहना कि मिरी ईद मुबारक कर दे -दिलावर अली आज़र ऐ हवा तू ही उसे ईद-मुबारक कहियो और कहियो कि कोई याद किया करता है -त्रिपुरारि ईद का दिन है सो कमरे में पड़ा हूँ 'असलम' अपने दरवाज़े को बाहर से मुक़फ़्फ़ल कर के -असलम कोलसरी जो लोग गुज़रते हैं मुसलसल रह-ए-दिल से दिन ईद का उन को हो मुबारक तह-ए-दिल से -ओबैद आज़म आज़मी माह-ए-नौ देखने तुम छत पे न जाना हरगिज़ शहर में ईद की तारीख़ बदल जाएगी -जलील निज़ामी ईद अब के भी गई यूँही किसी ने न कहा कि तिरे यार को हम तुझ से मिला देते हैं -मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी उस मेहरबाँ नज़र की इनायत का शुक्रिया तोहफ़ा दिया है ईद पे हम को जुदाई का -अज्ञात ईद के बा'द वो मिलने के लिए आए हैं ईद का चाँद नज़र आने लगा ईद के बा'द -अज्ञात ईद तू आ के मिरे जी को जलावे अफ़्सोस जिस के आने की ख़ुशी हो वो न आवे अफ़्सोस -मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी वादों ही पे हर रोज़ मिरी जान न टालो है ईद का दिन अब तो गले हम को लगा लो -मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
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जश्न-ए-ईद शायरी – Shayari for Eid Mubarak
जश्न-ए-ईद शायरी (Shayari for Eid Mubarak) निम्नलिखित हैं, जिन्हें पढ़कर आप जश्न-ए-ईद को यूनिक ढंग से मना सकते हैं। जश्न-ए-ईद शायरी कुछ इस प्रकार हैं:
शहर ख़ाली है किसे ईद मुबारक कहिए चल दिए छोड़ के मक्का भी मदीना वाले -अख़्तर उस्मान ईद तू आ के मिरे जी को जलावे अफ़्सोस जिस के आने की ख़ुशी हो वो न आवे अफ़्सोस -मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी है ईद का दिन आज तो लग जाओ गले से जाते हो कहाँ जान मिरी आ के मुक़ाबिल -मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी आज यारों को मुबारक हो कि सुब्ह-ए-ईद है राग है मय है चमन है दिलरुबा है दीद है -आबरू शाह मुबारक हासिल उस मह-लक़ा की दीद नहीं ईद है और हम को ईद नहीं -बेखुद बदायुनी ईद का दिन तो है मगर 'जाफ़र' मैं अकेले तो हँस नहीं सकता -जाफ़र साहनी महक उठी है फ़ज़ा पैरहन की ख़ुशबू से चमन दिलों का खिलाने को ईद आई है -मोहम्मद असदुल्लाह तू आए तो मुझ को भी ईद का चाँद दिखाई दे -हरबंस सिंह तसव्वुर अबरू का इशारा किया तुम ने तो हुई ईद ऐ जान यही है मह-ए-शव्वाल हमारा -हातिम अली मेहर आई ईद व दिल में नहीं कुछ हवा-ए-ईद ऐ काश मेरे पास तू आता बजाए ईद -शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
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ईद मुबारक ग़ज़ल
ईद मुबारक की शायरी के माध्यम से आपको ईद मुबारक ग़ज़ल भी पढ़ने का अवसर मिलेगा। ईद मुबारक ग़ज़ल के माध्यम से आप ईद का जश्न अच्छे से मना पाएंगे। ईद मुबारक ग़ज़ल कुछ इस प्रकार हैं:
गले लगाएँ करें तुम को प्यार ईद के दिन
गले लगाएँ करें तुम को प्यार ईद के दिन इधर तो आओ मिरे गुल-एज़ार ईद के दिन ग़ज़ब का हुस्न है आराइशें क़यामत की अयाँ है क़ुदरत-ए-परवरदिगार ईद के दिन सँभल सकी न तबीअ'त किसी तरह मेरी रहा न दिल पे मुझे इख़्तियार ईद के दिन वो साल भर से कुदूरत भरी जो थी दिल में वो दूर हो गई बस एक बार ईद के दिन लगा लिया उन्हें सीने से जोश-ए-उल्फ़त में ग़रज़ कि आ ही गया मुझ को प्यार ईद के दिन कहीं है नग़्मा-ए-बुलबुल कहीं है ख़ंदा-ए-गुल अयाँ है जोश-ए-शबाब-ए-बहार ईद के दिन सिवय्याँ दूध शकर मेवा सब मुहय्या है मगर ये सब है मुझे नागवार ईद के दिन मिले अगर लब-ए-शीरीं का तेरे इक बोसा तो लुत्फ़ हो मुझे अलबत्ता यार ईद के दिन -अकबर इलाहाबादी
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चाक-ए-दामन को जो देखा तो मिला ईद का चाँद
चाक-ए-दामन को जो देखा तो मिला ईद का चाँद अपनी तक़दीर कहाँ भूल गया ईद का चाँद उन के अबरू-ए-ख़मीदा की तरह तीखा है अपनी आँखों में बड़ी देर छुपा ईद का चाँद जाने क्यूँ आप के रुख़्सार महक उठते हैं जब कभी कान में चुपके से कहा ईद का चाँद दूर वीरान बसेरे में दिया हो जैसे ग़म की दीवार से देखा तो लगा ईद का चाँद ले के हालात के सहराओं में आ जाता है आज भी ख़ुल्द की रंगीन फ़ज़ा ईद का चाँद तल्ख़ियाँ बढ़ गईं जब ज़ीस्त के पैमाने में घोल कर दर्द के मारों ने पिया ईद का चाँद चश्म तो वुसअ'त-ए-अफ़्लाक में खोई 'साग़र' दिल ने इक और जगह ढूँड लिया ईद का चाँद -साग़र सिद्दीक़ी
आ जाए वो मिलने तो मुझे ईद-मुबारक
आ जाए वो मिलने तो मुझे ईद-मुबारक मत आए ब-हर-हाल उसे ईद-मुबारक ऐसा हो सब इंसान हों ख़ुश इतने कि हर रोज़ इक दूसरे से कहता फिरे ईद-ए-मुबारक हाँ मुझ से जिसे जिस से मुझे जो भी गिला हो आबाद रहे शाद रहे ईद-ए-मुबारक तन्हाई सी तन्हाई कि दीवार भी शश्दर अब खुल के कहे या न कहे ईद-ए-मुबारक सरगोशी ने पत्थर को सबक़ याद दिलाया पानी ने लिखा आईने पे ईद-ए-मुबारक तुम जो मिरे शे'रों के मुख़ातिब थे न होगे आख़िर में तुम्हें सिर्फ़ तुम्हे ईद-मुबारक - इदरीस बाबर
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आशा है कि इस ब्लॉग में आपको Eid Mubarak Shayari पढ़ने का अवसर मिला होगा। ईद मुबारक शायरी पढ़कर आप साहित्य के माध्यम से जश्न मना सकते हैं। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।