कविताओं का लक्ष्य समाज की चेतना को जगाये रखने का होता है, सही मायनों में देखा जाए तो कविताएं प्रकृति का श्रृंगार, सभ्यताओं का संरक्षण और मानव का उत्थान भी करती हैं। कविताएं भावनाओं को सही सम्मान देती हैं और समाज को प्रेरित भी करती हैं, समय-समय पर कवियों ने अपने शब्दों से इस कविकुल की परंपरा को बनाए रखा है। Short Poem in Hindi के माध्यम आप कई कवियों की ऐसी रचनाओं को पढ़ पाएंगे, जो कम शब्द में अधिक वजन डालती हों और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाती हों। इन महान रचनाओं को पढ़ने के लिए आपको इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ना पड़ेगा।
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रिश्तों में सियासत
Short Poem in Hindi के माध्यम से आप एक ऐसे कवि की कविता को भी पढ़ पाएंगे, जो एक वीर और नन्हें शिशु की भांति खुद को कविकुल की परम्परा के लिए समर्पित कर चुका है। जिसकी लिखी कविता “रिश्तों में सियासत” के माध्यम से आप रिश्तों में चल रही वर्तमान स्तिथि को पढ़ पाएंगे।
“वक़्त की एक करवट में कुछ सपने थे जो टूट गए
वो अपने कैसे अपने थे, जो सफ़र में पीछे छूट गए
जो बने नहीं सारथी साँसों के, अब उनसे कैसी शिकायत हो
वो अपने फिर अपने कैसे, जिनमें भी बड़ी सियासत हो
ऋतुओं में अचानक यह क्या शरारत हो रही है
नींदें आँखों से कहीं अचानक खो रहीं हैं
रिश्तों में भी फक़्त सियासत हो रही है
इच्छाएं भी यहाँ बस पाप बोझ ढो रही हैं…”
-मयंक विश्नोई
प्रेम की परिभाषा
Short Poem in Hindi के माध्यम से आप एक ऐसे कवि की कविता को भी पढ़ पाएंगे, जो एक वीर और नन्हें शिशु की भांति खुद को कविकुल की परम्परा के लिए समर्पित कर चुका है। जिसकी लिखी कविता “प्रेम की परिभाषा” के माध्यम से आप प्रेम को सरलता से समझ पाएंगे।
“प्रेम नहीं है कोई
एक ऐसा बाज़ार, जहाँ भावनाओं का मोल लगे
प्रेम नहीं है कोई
एक ऐसा रिवाज़, जिसमें मन केवल पीड़ित रहे
प्रेम नहीं है कोई
ऐसी आशा जो जन्म देती हो निराशाओं को
प्रेम तो है वो अविरल धारा
जो पवित्र कर दे अभिलाषाओं को…”
-मयंक विश्नोई
देश भक्ति से जुड़ी शॉर्ट कविताएं
Short Poem in Hindi के माध्यम से आप कुछ कवियों की कविताओं को पढ़ पाएंगे, जो मातृभूमि पर समर्पित होने और आपका आपके वतन की खूबसूरती से परिचय कराएंगी। इन कविताओं के समूह को ही “वतन” के माध्यम से आप पढ़ पाएंगे, जो कि निम्नलिखित है-
वतन
गुज़र-बसर करते
इसे फ़िलवक़्त आप उनका वतन भी कह सकते हैं।
-लीलाधर मंडलोई
देश मेरे
इसे रख सिर के ऊपर,
ऐ वतन! अहले वतन,
-रमाशंकर यादव विद्रोही
ग़ुलामी की अंतिम हदों तक लड़ेंगे
ये वतन छोड़कर अब कहाँ जाऊँगा
अब कहाँ जाऊँगा, जब वतन जेल है
-रमाशंकर यादव विद्रोही
किसी साइकिल सवार का एक असंतुलित बयान
वतन को चले गए हैं
कुक्कुरों और कामातुरों के
-अष्टभुजा शुक्ल
कोरोना और दिहाड़ी मज़दूर
जाएँ तो कहाँ जाएँ।
वे उसी वतन को लौट रहे हैं
-पंकज चौधरी
जन्मभूमि आज
गर भूल जाओगे बारिश बुलाने का मंत्र
मरुभूमि हो जाएगा तुम्हारा वतन।
-बीरेंद्र चट्टोपाध्याय
असहयोग
वतन के भुला सारे एहसान देता,
बना भूमि का भार ही जान देता।
-गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’
सबेरा हुआ है
उठो सोने वालो! सबेरा हुआ है;
वतन के फ़कीरों का फेरा हुआ है।
-वंशीधर शुक्ल
वे मरे नहीं
वे मरे नहीं और वतन के काम पर हैं
है उनके चेहरों को पहचानना मुश्किल
-लीलाधर मंडलोई
ज़िंदगी का नया गीत
जिन पंछियों के घोंसले उजाड़ दिए जाते हैं
वे नहीं छोड़ देते हैं अपना वतन
-गुलज़ार हुसैन
आज़ाद हिंद फ़ौज का कड़खा
ग़ैरों का अब निशान वतन में न छोड़ेंगे!
जैसे भी हो, ग़ुलामी की जंज़ीर तोड़ेंगे!
-गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’
सुप्रसिद्ध कवियों की कुछ विशेष कविताएं
Short Poem in Hindi के माध्यम से आप कुछ कवियों की कविताओं को पढ़ पाएंगे, जिनमें आपको कुछ सुप्रसिद्ध कवियों का भी योगदान देखने को मिलेगा। इन कविताओं को आप आसानी से नीचे पढ़ सकते हैं-
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर,
हरण भृगुपति के मन भागर।
-सूरदास
चिड़िया घर की सब बज़ा
फिरे छगन सिंह की खान
देख लो फिर से छगन
कैसे आती वो चिड़िया।
-रवींद्रनाथ टैगोर
चिलमन रोककर आप बरस पड़े,
बादल गरजकर आप गुज़र गए।
-रवींद्रनाथ टैगोर
चलो तू मेरे साथ, चलो तू मेरे साथ,
जिंदगी के सफर पर, बढ़ते चलो साथ।
-रवींद्रनाथ टैगोर
ज़िंदगी छोटी है, सपने छोटे हैं,
तू मिल जा, खुदा के लिए हम छोटे हैं।
-गुलज़ार
रात पश्चिम की ओर बढ़ती है छलक जाती है चाँद की रोशनी,
आंसू मेरे चेहरे से, खुदा ही छुप जाता है छलनी।
-गुलज़ार
वो चुप है, सनसनाता सा है,
बस यही बात है खामोशी की।
-साहिर लुधियानवी
मन करें जब चमकने को,
अम्बर भी फिर डूब कर आए।
-हरिवंश राय बच्चन
रूक जाना नहीं तू कहीं हार के,
तू उत्तर चला है तुझे मंजिल की ओर।
-हरिवंश राय बच्चन
चिड़ीया आकाश में फिर आई,
बच्चे खुशी से चिर चिर बोले।
-सुमित्रानन्दन पंत
दुखिनी रात के साथ कुछ खिल गए,
फिर तेरे प्यार में हम हँसी खो गए।
-मुंशी प्रेमचंद
अपने दुखों का मानव तू क्यों बढ़ाता है,
दूसरों के साथ खुद को क्यों समझाता है?
-मुंशी प्रेमचंद
मेरे दिल की तुम न मानो मित्र!
अपना दुःख छूकर कहो।
-महादेवी वर्मा
जब नाश मनुज पर छाता है,
पहले विवेक मर जाता है।
-रामधारी सिंह ‘दिनकर’
हित-वचन नहीं तूने माना,
मैत्री का मूल्य न पहचाना,
तो ले, मैं भी अब जाता हूँ,
अन्तिम संकल्प सुनाता हूँ।
याचना नहीं, अब रण होगा,
जीवन-जय या कि मरण होगा।
-रामधारी सिंह ‘दिनकर’
गीत नया गाता हूँ
Short Poem in Hindi के माध्यम से आप भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की प्रसिद्ध कविताओं में से एक “गीत नया जाता हूँ” को पढ़ पाएंगे, जो कि आपको कठिन से कठिन समय में सकारात्मक रहना सिखाएगी।
टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वर
पत्थर की छाती मे उग आया नव अंकुर
झरे सब पीले पात
कोयल की कुहुक रात
प्राची मे अरुणिम की रेख देख पता हूँ
गीत नया गाता हूँ
टूटे हुए सपनों की कौन सुने सिसकी
अन्तर की चीर व्यथा पलको पर ठिठकी
हार नहीं मानूँगा,
रार नई ठानूँगा,
काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूँ
गीत नया गाता हूँ।
-अटल बिहारी वाजपेयी
आशा है कि Short Poem in Hindi के माध्यम से आप ऐसी कविताएं पढ़ पाएं होंगे, जो कम शब्दों में अधिक भावनात्मक है और यह कविताएं आपको जीवन भर प्रेरित करती रहेंगी। इसी प्रकार की अन्य कविताएं पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।