राम सेतु का निर्माण कैसे हुआ था : भारत के दक्षिण पूर्वी तट के निकट रामेश्वरम तथा श्रीलंका के उत्तर पश्चिमी तट पर मन्नार के बीच में राम सेतु है। राम सेतु जोकि श्रीराम ने सीता को लंका के रावण से मुक्त कराने के लिए इस सेतु का निर्वाण कराया था। जिसमें वानर सेना का पूरा सहयोग रहा था। माता सीता तक पहुंचने का यही एक मार्ग था।
कहा जाता है की भौगोलिक दृष्टि से यह अनुमान लगया जाता है कि किसी समय यह सेतु भारत तथा श्रीलंका को भू मार्ग को आपस में जोड़ता था। अक्सर स्टूडेंट्स से परीक्षाओं में रामायण से जुड़े कई प्रश्न पूछ लिए जाते हैं और हम असमंजस में पड़ जाते हैं की क्या हम इसका सही उत्तर दे रहे हैं। ऐसे में अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है।, हम इस ब्लॉग में राम सेतु का निर्माण कैसे हुआ था? और राम सेतु से जुडी अन्य जानकारियां दे रहे हैं।
राम सेतु का निर्माण कैसे हुआ था?
राम सेतु के निर्माण में सबसे अहम भूमिका नल और नील ने निभाई थी। इस सेतु को बनाने में वानर सेना के नल और नील ने मदद की थी। राम सेतु को पानी में तैरने वाले पत्थरों का प्रयोग करके बनाया गया था। जिसके पत्थरों को किसी अन्य जगह से लाया गया था। कई विशेषज्ञों का कहना था कि राम सेतु में प्रयोग किये गए पत्थर में ज्वालामुखी के ‘प्यूमाइस स्टोन’ का इस्तेमाल किया गया था।
राम सेतु के निर्माण के समय वानर सेना द्वारा नल और नील को पत्थर लाकर देती थी और वे दोनों राम नाम के साथ बढ़ते हुए पत्थर को पानी में फेंकते थे। जैसा की पुराणों में लिखा है, की 100 योजन का काम 5 दिन में पूरा हो गया। सेतु का कार्य समाप्त होने के बाद इस राम सेतु पर सबसे पहले चरण श्रीराम और उनके प्रमुख गणों के पड़े थे। प्राचीन समय में लिखी गई रामायण में इस राम सेतु की लंबाई लगभग 100 योजन और चौड़ाई करीब 10 योजन बताई गई है।
FAQ
पांच दिन में।
एडम ब्रिज, नाला सेतु और फलक स्ट्रेट।
लगभग 28 दिन।
सारस्वत ब्राह्मण ।
उम्मीद है कि इस ब्लाॅग में राम सेतु का निर्माण कैसे हुआ था? के बारे में जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के माइथोलॉजी से जुड़े अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।